कैलाश पर्वत की अप्सराएं भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। क्या हिंदू साम्राज्य यह हमारी संस्कृति सनातन धर्म भारतवर्ष के बाहर भी स्थित था और अगर था तो क्या कोई ऐसा प्राचीन मठ या मंदिर जैसे कोई जुड़ी कहानी है जो आज भी अस्तित्व में किसी न किसी रूप में हो तो हां ऐसे कई जगह और तथ्य मौजूद हैं। आज हम लोग बात करने वाले हैं काफिरिस्तान, हिंदूकुश पर्वत और नूरिस्तान में और इन सभी जगहों से जुड़े एक प्रजाति कलश के बारे में और यह प्रजाति आज भी हिंदू समाज से अपना पुराना संबंध कैसे रखती है। इसके बारे में जानेंगे। इनकी कथाओं के विषय में समझेंगे और इस गोपनीय रहस्य को खोलेंगे तो चलिए शुरू करते हैं जैसे। लोगों को मालूम नहीं है कि हमारे देश में अगर विदेशी लोग आक्रमण करते थे तो केवल एक रास्ता सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहा जिसे हम हिंदू कुश पर्वत श्रेणी के नाम से जानते हैं। इस रास्ते के माध्यम से सबसे पहले सिकंदर हमारे देश में आया था। इसके बाद इसके बाद दूसरा इस का उपयोग था। उसे तैमूर ने किया था। तैमूर लंग एक मुस्लिम आक्रमणकारी था। उसके बाद फिर चंगेज खान ने इसका इस्तेमाल किया और 1504 में बाबर के द्वारा इसका इस्तेमाल किया गया। भारत में आने के लिए क्योंकि यह क्षेत्र हाल की आज की स्थिति में अगर हम लोग देखेंगे तो यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान का बॉर्डर है। पाकिस्तान में जगह पड़ती है लेकिन अफगानिस्तान और पाकिस्तान की इस रास्ते से भारत में प्रवेश किया जाता था। सोचने वाली बात आज भी है कि से हिंदू कुश ही क्यों कहा जाता है। आखिर हिंदू कुश नाम क्यों दिया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की जगह है तो असल में हिंदू कुश का मतलब होता है। हिंदुओं का हत्यारा यह हिंदुओं की हत्या की जाने वाली जगह।
जहां पर बड़ी मात्रा में हिंदुओं की हत्या की गई हो और हिंदुओं को वहां से नष्ट किया गया हो। इसीलिए इसे हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला के नाम से मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा यह नाम दिया गया था यह क्षेत्र बहुत ही विशाल काय है और इनके रास्ते से ही भारत में प्रवेश पुराने समय में होता था। इस इलाके में आज भी काफिरिस्तान है काफ़िर शब्द जो है, वह हिंदुओं के लिए ही दिया गया था जो इस्लाम को नहीं मानते थे। उन को काफिर कहा जाता था इसीलिए आज भी काफिरिस्तान अफगानिस्तान के एक प्रांत है जिस के उत्तर में बदख्शां प्रदेश है और उत्तर-पूर्व में चित्राल तथा दक्षिण-पूर्व में कुनार की घाटी है। यहां पर काफिर लोगों का शासन रहा। यानी कि हिंदुओं का शासन रहा और 18 59 ईस्वी तक पूर्ण रुप से स्वतंत्र भी था। अलग क्षेत्र धीरे धीरे चढ़ता चला गया। तो इन सब चीजों के बारे में आज मैं आपको जानकारी दे रहा हूं। यही पूरा क्षेत्र नूरिस्तान समुदाय और उस से संबंध रखने वाले कलाश जनजाति से संबंधित है। आखिर क्यों है यह समय क्यों अभी भी इसका अस्तित्व में देखने को मिलता है। आप लोग मठ मंदिरों की कहानी के नाम से इस घटना की सबसे पहले आप लोग यह जान लीजिए कि जो। स्थान का क्षेत्र है या जहां पर कलाश जनजाति के लोग रहते हैं यह अफगानिस्तान के नूरिस्तान क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यहां के लोग अपने सुनहरे बालों हरी और नीले रंग की आंखों गोरे रंग जो अत्यधिक गोरा रंग होता उसके कारण जाने जाते हैं।
यह दो भागों में बंट गए। एक नूरिस्तान के लोग और दूसरे यह लोग यहां की हो गए। इनके कल्चर बहुत कुछ मिलता जुलता है। भारतीय हिंदू संप्रदाय से और भगवान शिव को भी यह महादेउ के नाम से पूजते थे। लेकिन समय के साथ में इनके ऊपर आक्रमण किया गया इन्हें जबरजस्ती। इस्लाम में कन्वर्ट किया गया इनकी लड़कियों को उठाया गया लगातार यह चलता रहा। इसीलिए इनकी संख्या धीरे-धीरे इतनी कम हो गई कि आज केवल 4 से 5000 की ही संख्या की बची है। जबकि इन की संख्या लाखों में थी। अभी यूट्यूब और अन्य चैनल इंस्टाग्राम वगैरह में कलश जनजाति के जो कुछ रिचुअल्स है या उनके कुछ अपने त्यौहार है। उस के माध्यम से आप देखेंगे कि अगर आप इनकी वीडियो देखेंगे तो उसमें उन्होंने बताया कि कैसे यह उनके साथ क्या-क्या घटित हुआ है और कैसे इनकी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया गया। समय के साथ में और आप आखरी बची हुई है। जनजाति है जो धीरे-धीरे समाप्त होने वाली है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह लोग देखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर होते हैं और क्योंकि जो भी पूरा कैलाश क्षेत्र था, भगवान शिव से जुड़ा हुआ यह सारा का सारा क्षेत्र। जो हिमालय में शुरू होकर दूर तक चला जाता है जहां तक हिमालय और हिमालय से जुड़े हुए दूसरे जो पहाड़ हैं, वह सारा कैलाश क्षेत्र था। इसी के आधार पर इन्होंने अपना नाम कैलाशी रखा था और यही कैलाशी नाम से आज भी कैलाश वासी या कलाशी जाने जाते हैं। इसी कारण से इनका रंग दूध जैसा गोरा और चेहरा बहुत ही खूबसूरत होता है तो यह सारे लोग आज भी अस्तित्व में है। पर अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं ताकि इनको पूरी तरह अगले कुछ वर्षों में इस्लाम में पूरी तरह परिवर्तित जब तक ना कर दिया जाए। इनके यहां की स्त्रियों को यह छूट मिली होती है कि वह किसी भी पुरुष के साथ विवाह कर सकती हैं, जबकि किसी भी मुस्लिम इलाके में स्त्रियों को कोई छूट नहीं मिलती। इसके अलावा इनका जब मासिक धर्म शुरू होता है तो यह अपने घरों को छोड़कर।सामुदायिक केंद्र जो बना होता है, उसमें चले जाते हैं। वहां तो पूरी व्यवस्था होती है और जब इनका पीरियड का समय समाप्त हो जाता है तो फिर से वापस अपने अपने घरों को लौट आती हैं। इनकी खूबसूरती की चर्चा के आधार पर ही पूरे देश विदेश में इनकी बात बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हो गई है तो यह क्षेत्र आप लोगों ने जाना कि क्यों किस प्रकार से इस क्षेत्र को अपने अधीन किया गया और कैसे इस क्षेत्र को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने और उसके बाद जब से पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों मुस्लिम देश हो गए हैं। इनकी धीरे-धीरे जन संख्या लगातार कम होती चली गई। कुछ लोग इनको सिकंदर से भी जोड़ते हैं। पूरा क्षेत्र। अफगानिस्तान के अमीर अब्दुल रहमान खान के द्वारा पराजित कर मुसलमान बनाया गया। हालांकि बहुत वर्षों तक की है। अपने आप पर कायम रहे और उन्होंने अपने आप को गुलाम नहीं होने दिया था।
वह गोल गोल घूम कर नाचती थी और फिर हंसने लगती थी। उनकी सुंदर मधुर आवाज सुनकर वह व्यक्ति अपनी तपस्या छोड़कर उन्हें देखने के लिए पर्वत श्रृंखला से नीचे उतर कर आया। अभी तक वह सभी नृत्य कर रही थी। तब उन्होंने यह सोचा कि चलो सामने जो पोखर या पर्वतीय तालाब है, इसमें नहाया जाए और वह सभी उस जल में कूदकर नहाने लगी। उनकी अठखेलियां छोटी बच्चियों के तहत ही थी व्यक्ति इनसे बहुत ज्यादा आकर्षित हो रहा था। पत्थर के पीछे से छिपकर उन्हें देखने लगा और उसने इतनी सुंदर स्त्रियां कभी नहीं देखी थी। उसके मन में कामवासना आने लगी। उसने सोचा कि अगर भगवान को मेरी तपस्या का फल देना है तो अगर वह मुझे इनमें से कोई भी खूबसूरत स्त्री प्रदान करते हैं तो उसका जीवन धन्य हो जाता। ऐसी सुंदर स्त्रियों को प्राप्त करना सौभाग्य की बात होगी। इनके लिए तो मैं तपस्या भी छोड़ सकता हूं। यह सब बातें उसके दिमाग में बहुत तीव्रता से आने लगी।
फिर उसने?
अपने मंत्र से अभिमंत्रित करके।
एक शंख पानी में फेंक दिया।
शंख के गिरने से बहुत सारी उस शंख को देखने लगी। उनमें से कुछ अचानक से हवा में उड़ कर भागने लगी। लेकिन एक ने कहा, मैं नहीं डरती। यह जो भी चीज थी, इसे मैं पकड़ कर अवश्य लेकर आऊंगी। वह पानी के अंदर चली गई। इधर यह बाहर निकल कर आ गया।
यह देखकर वह सारी स्त्रियां हवा में उड़कर जाने लगी। उनमें से कुछ चिल्लाने लगी। देखो मानव है और बहुत सारी वहां से गायब हो गई। उनमें से एक जो सबसे ज्यादा सुंदर थी, अंदर चली गई थी। वह उस! शंख को बाहर लाना चाहती थी क्योंकि वह डरती नहीं थी। वह जैसे ही शंख को पकड़ी अचानक से उसे तीव्र झटका सा महसूस हुआ।
क्योंकि उस पुरुष ने मंत्र से अभिमंत्रित करके वह शंख फेंका था। शंख के अंदर वशीकरण की उर्जा थी।
इसलिए कुछ देर बाद समझ नहीं पाई और उस शंख को लेकर बाहर जैसे ही तालाब से निकलकर आई। यह व्यक्ति जो कि पर्वत श्रंखला से नीचे आकर एक पत्थर की ओट में बैठा हुआ था। तुरंत ही उसे पकड़ लेता है और अपनी बाहों में भर लेता है और कहता है तुम्हें मैं कहीं जाने नहीं दूंगा। तब वह कहती है कि आप कौन हैं और इस प्रकार? ऐसी हरकत करने का क्या उद्देश्य है? तब वह कहता है जब से मैंने आप सभी को देखा है। आप में से किसी को भी प्राप्त करने की बड़ी तीव्र इच्छा मेरे अंदर आ गई थी। इसलिए मैं आपको अब जाने नहीं दूंगा तो वह कहती है। मैं तुम्हारी दुनिया की नहीं हूं। इसलिए मुझे यहां से जाना ही होगा। तुम मुझे जाने दो पर वह व्यक्ति कहता है, चाहे कुछ भी हो जाए मैं आपको नही जाने दूंगा।
तब वह कहती है। ठीक है, मैं तब तक तुम से आजाद नहीं होंगी। जब तक तुम मुझे खुद नहीं छोड़ते। मैं तुम्हारी ही बाहों में रहूँगी। लेकिन जैसे ही तुम अपने हाथ खोलोगे मैं। तुम्हें छोड़ कर चली जाऊंगी।
एक विचित्र शर्त थी जो उस कन्या ने रखी थी। आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में।
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