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खजाना देने वाली परी भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। खजाना देने वाली परी भाग 1 में अभी तक आपने जाना कि एक व्यक्ति के परदादा कैसे एक काल मुख संप्रदाय के तांत्रिक के कहे अनुसार जंगल में जाते हैं।अब आगे जानते हैं कि इस घटना में आगे क्या घटित हुआ था?

नमस्कार गुरु जी, जैसा कि मैंने आपको बताया था। अब उसके आगे की घटना मैं आपको बताता हूं। मेरे परदादा जब उस स्त्री से इस प्रकार कहें तो वह स्त्री अपने सारे वस्त्रों को उतार कर जमीन पर लेट गई। और कहने लगी काट दो, मेरा सिर मै प्रस्तुत हूं।

यह देखकर मेरे दादा को बहुत ज्यादा आश्चर्य हुआ। क्योंकि कोई अपनी जान देने के लिए इतनी आसानी से कैसे तैयार हो सकता है? ऊपर से स्त्री की मर्यादा उसके वस्त्र होते हैं। यहां पर वह स्त्री अपने संपूर्ण वस्त्रों को उतार चुकी थी। न सिर्फ उसने अपने वस्त्र उतारे। नग्न होकर लेट गई और स्वयं यह कह रही है कि मेरा सिर काट दो। ऐसा कहां देखने को मिलता है? किंतु यह सत्य घटना थी जो घटित हो रही थी।

मेरे परदादा ने वही पास से एक बड़ी तलवार कुल्हाड़ी प्राप्त की और उस तलवार से उन्होंने! आंखें बंद कर उस स्त्री के सिर पर वार कर दिया। क्योंकि वह यह समझ रहे थे कि यह जो भी घटनाएं घटित हो रही हैं, यह सभी तांत्रिक घटनाएं हैं और सत्यता से बहुत ज्यादा परे हैं।

यह सब उनके जीवन में पहली बार अद्भुत तरीके से घटित हो रहा था। उन्होंने आंखें बंद करते हुए उसे स्त्री के सिर पर वार कर दिया। इसके बाद वह स्त्री! मृत्यु को प्राप्त हो गई। लेकिन वह आश्चर्य से और भी अधिक भरा हुआ था।

आप यकीन नहीं करेंगे? जैसे ही वह इस्त्री मृत्यु को प्राप्त हुई चारों और तेज हवाएं चलने लगी और वहां का वातावरण पूरी तरह से बदल गया।

इसके बाद भय का सामना मेरे परदादा से इतनी तीव्रता से हुआ जिसको। वह समझ भी नहीं सकते थे अर्थात यह उनकी सोच से बहुत परे थी।

हुआ यूं कि उनके सामने एक सिर कटी हुई स्त्री अपना सिर हाथ में लिए हुए खड़ी थी।

जिसे देखकर आप मेरे परदादा और भी अधिक घबरा गए।

ऐसा अद्भुत नजारा खुली आंखों से देखना वास्तव में एक महान आश्चर्य को दर्शाता था। वह बहुत ही कठिन काम। जो सरल नजर आ रहा था, सच में कठिन था। सामने एक स्त्री सफेद वस्त्रों में अपने सिर को लिए हुए खड़ी थी।

और अब उसने गर्जना शुरू कर दिया। और कहने लगी बता। तेरे साथ में कहां चलूं? इस पर? मेरे परदादा ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा देवी मैं नहीं जानता, आप कौन हैं?

पर इतना जानता हूं कि यह सब कुछ मैंने धन प्राप्ति के लिए किया है। आप मुझे मार्ग दिखाइए, मैं क्या करूं? उस तांत्रिक ने कहा था आपका धड़ यहीं रह जाए। किंतु आप तो? अपने शरीर के साथ में यहां पर खड़ी है।

इस पर उस देवी ने कहा- जैसा। व्यक्ति निर्धारित करता है, वैसा नहीं होता।

उसे सिद्धि चाहिए थी, तुझे धन चाहिए। दोनों की कहानी अलग है। इसलिए फिलहाल उसकी सिद्धि के कारण ही मैं यहां पर प्रकट हुई और अपना स्वेच्छा से सिर दिया। लेकिन मेरी इच्छा उसका कार्य संपन्न करने की नहीं है। क्योंकि वह अपनी तांत्रिक सिद्धि के लिए मेरा दुरुपयोग करेगा। मैं तेरे साथ चलना चाहती हूं।

अब मैं तुझसे जो कहूंगी तू अगर वह करता है तो मैं तेरी सारी इच्छाएँ पूरी करूंगी।

तेरी सभी प्रकार की इच्छाएं पूरी करने के लिए ही मैंने यह रूप धर लिया है।

अब मेरे परदादा को आश्चर्य तो हो ही रहा था, साथ ही साथ खुशी भी थी। कोई एक ऐसी देवी उन्हें मिल गई थी जो उनका कार्य संपन्न करने के लिए प्रस्तुत थी ।

इस पर मेरे परदादा ने कहा देवी मुझे मार्ग बताइए कोई भी ऐसा मार्ग जिसके माध्यम से मैं। आपकी सिद्धि के द्वारा बहुत अधिक मात्रा में धन को प्राप्त कर सकूं। इस धन की सहायता से मैं अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारना चाहता हूं क्योंकि मेरे परिवार के 17 से 18 लोग मेरे पर ही आश्रित है। और उन सब का भरण पोषण करना मेरी जिम्मेदारी है और आप अपनी सिद्धि से पता लगा ही सकती हैं कि मेरे घर की वास्तविक आर्थिक स्थिति इस वक्त कितनी अधिक समस्या जनक हो चुकी है।

अगर मेरी जमीन जायदाद और धन नहीं बचा तो कैसे मैं अपने परिवार का भरण पोषण करूंगा?

इस पर उस देवी ने कहा, ठीक है! मेरा यह सिर कुछ भी खा सकता है। इसलिए मैं एक ऐसी शक्ति का भक्षण करूंगी। जिसे खाकर। वह शक्ति सदैव तुम्हारी गुलाम बन जाएंगी।

इस पर मेरे दादा ने कहा। आप जो भी करना चाहे कीजिए, मैं आपका सेवक ही हूं। आप मुझे मार्ग बताइए कि मुझे क्या करना है?

इस पर वह बोली कि यहां से कुछ दूरी पर। परियां भ्रमण करने आती हैं।

उन परियों में से किसी एक परी को अगर मैं खा लूं। तो फिर वह सदैव मेरी इच्छा से ही चलेगी। उसके बाद उस परी को तू जो भी आदेश देगा, वह अवश्य ही वह पूरा करेगी। इसके लिए तुझे यहां से उत्तर दिशा की ओर मेरे साथ चलना होगा।

यह बात सुनकर मेरे परदादा अब प्रसन्न हो गए थे। क्योंकि उनके सामने एक शक्तिशाली शक्ति खड़ी थी जो उनकी पूर्ण सहायता कर रही थी। इस पर मेरे परदादा ने कहा देवी आप जो कहेंगे जैसा कहेंगे, मैं अवश्य ही आपकी इच्छा अनुसार करूंगा। मेरे परदादा और वह शक्ति उत्तर दिशा की ओर गमन करने लगे। थोड़ी देर बाद उन्हें आकाश से उतरती हुई एक परी दिखाई दी। वह परी अत्यंत ही सुंदर थी।

यह देखकर मेरे परदादा ने उस व्यक्ति से पूछा। आपने कहा था कि आप परी का भक्षण करेंगी?

यह परी कैसी है और क्या यह मेरे कार्यों को कर पाएगी? इस पर उन सिर कटी हुई शक्ति ने कहा, अवश्य ही यह तेरे सारे कार्य कर देगी। पहले मुझे इसका भक्षण करना होगा लेकिन उसके लिए तुझे इस। परी को मेरे सामने लाना होगा। यह सुनकर मेरे दादा को आश्चर्य हो गया। क्योंकि यह कार्य बहुत कठिन था किसी दूसरे लोक की शक्ति को।

अपने पास लाना और वह भी इन के पास पहुंचाना कैसे संभव होगा? यह मन में बात आते ही मेरे परदादा ने शक्ति को प्रणाम करते हुए कहा, आप मुझे मार्ग बताइए कैसे मैं उसे आपके पास लेकर आऊंगा? इस पर उन सिर कटी देवी ने कहा। मैं तुम्हें मोहिनी मंत्र देती हूं। इस मोहिनी मंत्र को जाकर उसके सामने बोल देना वह तुम्हारे वशीभूत हो जाएगी। और फिर उससे तुम जो भी वार्तालाप करोगे? वह तुम्हारे वश में हुई वह सब कुछ सुनेगी और करेगी भी! इस प्रकार से अब! मेरे परदादा उस सामने से उड़ती हुई परी उनके पास आ गई। आश्चर्य में उन्हें देखकर कहने लगी। मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि कोई? इंसानी दुनिया का इंसान मुझे देख पा रहा है। तू मुझे इतनी अच्छी तरह कैसे देख पा रहा है?

इससे पहले की वार्तालाप आगे बढ़ता मेरे परदादा ने मोहिनी मंत्र का इस्तेमाल शुरू कर दिया। और वह मंत्र पढ़ते हुए उसे परी के पास पहुंच गए। उस परी के पास पहुंच कर उन्होंने उससे कहा। आप बहुत अधिक सुंदर है। मेरे पास दिव्य शक्तियां है। इसी कारण मै परियों को देख सकता हूं और मैं आपको भी देख पा रहा हूं। मैं आपसे कुछ प्राप्त करना चाहता हूं। इस पर परी ने कहा, आपकी क्या प्राप्त करने की इच्छा है मुझे बताओ?

इस पर? मेरे परदादा ने कहा, मैं आपको किसी से मिलवाना चाहता हूं। आप वहां पर चलिए।

परी ने कहा, ठीक है, तुम्हारी बातें बहुत अच्छी लग रही हैं। यह भी बड़े आश्चर्य की बात है कि इस दुनिया का कोई इंसान मुझे इतनी अच्छी तरह देख पा रहा है।

परी मेरे परदादा के साथ। उस सिर कटी हुई देवी के पास पहुंच गई और जैसे ही सिर कटी देवी ने परी को देखा। सिर कटी देवी जोर-जोर से हंसने लगे।

आगे क्या हुआ? यह मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा। नमस्कार गुरु जी!

आगे के भाग में हम लोग जानेंगे कि आगे क्या घटित हुआ था। अगर आपको यह कहानी और अनुभव पसंद आ रहा है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

खजाना देने वाली परी 3 अंतिम भाग

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