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गुप्त नवरात्री दशमहाविद्या स्तोत्र साधना

गुप्त नवरात्री दशमहाविद्या स्तोत्र साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। अगर गुप्त नवरात्रि की बात की जाए तो ऐसा समय है जब हम माता के 10 महाविद्या स्वरूपों की साधना करते हैं और इसके अलावा विशेष तरह की तांत्रिक साधनाएं भी की जाती हैं। लेकिन अगर बात की जाए। सामान्य स्त्रोत की जिससे हमें माता के 10 के 10 स्वरूपों का लाभ प्राप्त हो। उनकी कृपा हमें प्राप्त हो जाए तो ऐसे में 10 महाविद्या स्त्रोत को आप पढ़ सकते हैं, जिसका अनुष्ठान 9 दिन कर सकते हैं और रोजाना आप अगर की एक माला। 9 दिन तक इसी प्रकार करते हैं तो निश्चित है की दश माता आप पर कृपा करेंगे और जिस पर दश माता की कृपा हो वह 10 दिशाओं से रक्षित होकर संसार सब कुछ प्राप्त कर सकता है। तो यह कृपा प्राप्ति का एक ऐसा अवसर है जब आप अवश्य ही माता के 10 महाविद्या स्वरूपों को। उनको पूजा करके उनको पसंद करके इस स्त्रोत के माध्यम से सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। इस स्त्रोत के पाठ से व्यक्ति में निर्भयता समय पर मृत्यु पर विजय अमरता। यहां तक कि सब। संसार में जितने भी। चीजें प्राप्त की जा सकती है वह सब कुछ प्राप्त व्यक्ति कर सकता है। परमाणु ऊर्जा उसके अंदर भरने लगती है। जीवन में जिसके चक्र नहीं खुल पा रहे हैं, वह चक्र खुलने लगते हैं। 10 महाविद्या के माध्यम से 10 महाविद्याओं में व्यक्ति निपुण होने लगता है। तंत्र की विभिन्न सिद्धियां उसके अंदर आने लगती हैं। आपकी समस्त भौतिक इच्छाएं पूरी होने लगती हैं। अगर रोजाना इसका जा आजीवन व्यक्ति करता है तो मोक्ष की निश्चित प्राप्ति होती है। मां भगवती का आशीर्वाद मिलता है। यहां तक कि भक्तों को बीमारियों से बचाया जा सकता है और मौजूदा बीमारियों से उसे राहत मिलती है। 10 महाविद्या स्त्रोत के पाठ से आपके अंदर आत्मविश्वास का स्तर बढ़ जाता है। आपको धन स्वास्थ्य समृद्धि की प्राप्ति होती है। आप इसके मामले से साहसी बनने लगते हैं।

जो भी व्यक्ति धन, स्वास्थ्य समृद्धि सभी कुछ प्राप्त करना चाहता है उसे 10 महाविद्या स्त्रोत का पाठ करना चाहिए तो 10 महाविद्या स्त्रोत का मैं यहां पर प्रस्तुत  करूंगा और साथ ही साथ आप लोगों को उसका हिंदी अनुवाद ही बताऊंगा तो चलिए सबसे पहले हम लोग पढ़ते हैं। इस दश महाविद्या स्त्रोत को-

नमस्ते चण्डिके । चण्डि । चण्ड-मुण्ड-विनाशिनि । नमस्ते कालिके । काल-महा-भय-विनाशिनी । ।।1।।

शिवे । रक्ष जगद्धात्रि । प्रसीद हरि-वल्लभे । प्रणमामि जगद्धात्रीं, जगत्-पालन-कारिणीम् ।।2।।

जगत्-क्षोभ-करीं विद्यां, जगत्-सृष्टि-विधायिनीम् । करालां विकटा घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् ।।3।।

हरार्चितां हराराध्यां, नमामि हर-वल्लभाम् । गौरीं गुरु-प्रियां गौर-वर्णालंकार-भूषिताम् ।।4।।

हरि-प्रियां महा-मायां, नमामि ब्रह्म-पूजिताम् । सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्ध-विद्या-धर-गणैर्युताम् ।।5।।

मन्त्र-सिद्धि-प्रदां योनि-सिद्धिदां लिंग-शोभिताम् । प्रणमामि महा-मायां, दुर्गा दुर्गति-नाशिनीम् ।।6।।

उग्रामुग्रमयीमुग्र-तारामुग्र – गणैर्युताम् । नीलां नील-घन-श्यामां, नमामि नील-सुन्दरीम् ।।7।।

श्यामांगीं श्याम-घटिकां, श्याम-वर्ण-विभूषिताम् । प्रणामामि जगद्धात्रीं, गौरीं सर्वार्थ-साधिनीम् ।।8।।

विश्वेश्वरीं महा-घोरां, विकटां घोर-नादिनीम् । आद्यामाद्य-गुरोराद्यामाद्यानाथ-प्रपूजिताम् ।।9।।

श्रीदुर्गां धनदामन्न-पूर्णां पद्मां सुरेश्वरीम् । प्रणमामि जगद्धात्रीं, चन्द्र-शेखर-वल्लभाम् ।।10।।

त्रिपुरा-सुन्दरीं बालामबला-गण-भूषिताम् । शिवदूतीं शिवाराध्यां, शिव-ध्येयां सनातनीम् ।।11।।

सुन्दरीं तारिणीं सर्व-शिवा-गण-विभूषिताम् । नारायणीं विष्णु-पूज्यां, ब्रह्म-विष्णु-हर-प्रियाम् ।।12।।

सर्व-सिद्धि-प्रदां नित्यामनित्य-गण-वर्जिताम् । सगुणां निर्गुणां ध्येयामर्चितां सर्व-सिद्धिदाम् ।।13।।

विद्यां सिद्धि-प्रदां विद्यां, महा-विद्या-महेश्वरीम् । महेश-भक्तां माहेशीं, महा-काल-प्रपूजिताम् ।।14।।

प्रणमामि जगद्धात्रीं, शुम्भासुर-विमर्दिनीम् । रक्त-प्रियां रक्त-वर्णां, रक्त-वीज-विमर्दिनीम् ।।15।।

भैरवीं भुवना-देवीं, लोल-जिह्वां सुरेश्वरीम् । चतुर्भुजां दश-भुजामष्टा-दश-भुजां शुभाम् ।।16।।

त्रिपुरेशीं विश्व-नाथ-प्रियां विश्वेश्वरीं शिवाम् । अट्टहासामट्टहास-प्रियां धूम्र-विनाशिनीम् ।।17।।

 कमलां छिन्न-मस्तां च, मातंगीं सुर-सुन्दरीम् । षोडशीं विजयां भीमां, धूम्रां च बगलामुखीम् ।।18।।

सर्व-सिद्धि-प्रदां सर्व-विद्या-मन्त्र-विशोधिनीम् । प्रणमामि जगत्तारां, सारं मन्त्र-सिद्धये ।।19।।

इसकी जो फल श्रुति है इस प्रकार से है कि अगर व्यक्ति माता के इन का स्त्रोत का पाठ करता है तो इससे जीवन में पूर्णता आती है। इससे मुक्ति की प्राप्ति होती है।

पूजा महीने की चौथ वे दिन जीवात्मा अगर इस पर पाठ किया जाता है तो उसे मुक्ति की प्राप्ति होती है। तीनों पक्षों में मंत्र की सिद्धि होती है। यानी कि 3 संध्या जो जॉप करता है, इसके पाठ से माता शंकरी की पूजा होती है। पक्ष के 14 दिन शनिवार और रविवार के दिन उसका स्त्रोत का पाठ बहुत ही शुभ माना जाता है। तब से शुरू करना चाहिए। मंत्र की सिद्धि प्राप्ति होती है और अखंड प्राप्ति सदैव देवी की कृपा प्राप्त होती रहती है। अब हिंदी अर्थ समझ में चण्डी मां को प्रणाम करता हूं। चंडी मुंड का विनाश करने वाली माता काली कालका महान है। नाश करने वाली आप ब्रह्मांड की रक्षा करें।  मैं जगत जननी जगत की रक्षा करने वाली माता का नमस्कार करता हूं। वह जो ज्ञान ब्रह्मांड को जो। निर्मित करती है जो भयानक विभक्त और खूबियों की माला से सुशोभित है जी नमस्कार करता हूं जिसकी पूजा स्वयं भगवान हरि विष्णु करते हैं जिसकी पूजा भगवान विष्णु स्वयं आकर करते हैं। वह श्वेत रंग वाली आभूषण सुसज्जित माता को प्रणाम करता हूं। हे भगवान की प्रिय भगवान के द्वारा पूजित होने वाली मायावी शक्तियों से संपन्न सिद्ध सिद्धेश्वरी सिद्धौर विद्यार्थियों के समूह को सिद्धि देने वाली और।

देवी की हर प्रकार की। शक्ति से संपन्न बुराइयों का नाश करने वाली मां भगवती दुर्गा को प्रणाम करता हूं। वह उग्र प्रचंड और प्रचंड मेजबानी लेकर नीले रंग वाली गहरे रंगों, नीले समुद्र और सुंदर स्वरूप को धारण करने वाली को मैं नमन करता हूं। उन का काला शरीर, काली के शरीर में काले आभूषण काली पोशाक पहनने वाली जगत जननी माता गौरी को भी प्रणाम करता हूं। ब्रह्मांड में भयंकर दिखाई देने वाली उनकी ध्वनि वही प्रथम पूज्य है। प्रथम गुरु है और प्रथम नाथ हैं, वही परम है। वही दुर्गा वही पदमा है। लक्ष्मी वही ब्रह्मांड की माता है। चंद्रशेखर को धारण करने वाली है। त्रिपुर सुंदरी है और युवतियों में सबसे सुंदर है। वह शिव की दूत है। शिव भगवान के द्वारा पूजित होने वाली भगवान शिव सदैव उनका पूजन करते हैं। वह सुंदर व रक्षक हैं। भगवान शिव सभी देवताओ के साथ सुशोभित होकर। विष्णु द्वारा पूजन ब्रह्मा विष्णु और शिव के द्वारा प्रिय सभी पूर्णता प्रदान करने वाली शाश्वत और यह जवानों के सभी कार्यों को करने वाली है सदगुरु और गुरु ध्यान और पूजा उनकी करनी चाहिए। बस सिद्धि प्रदान करती है। विद्या वही है पूर्णता वही है। महान देवी वही है, वही महेशी है। वही महाकाल द्वारा पूजित है। ब्रह्मांड की उस माता को मैं प्रणाम करता हूं जो राक्षस। को नष्ट करती है जो केवल लाल रंग की साड़ी लाल रंग के वस्त्र लाल रंग के के आभूषण धारण करती है। ब्रह्मांड की देवी उनकी घूमती हुई जीभ देवताओं के लिए अद्भुत है देवी भैरवी अपनी 10 महाविद्याओं से और ज्ञान से मंगल करने वाली हो। तीनों लोक की देवी है। ब्रह्मांड के सबसे प्रिय ब्रह्मांड की देवी है। वह जोर से हंसना पसंद करती हैं। दुब के द्वारा नाश करती हैं। कमल के द्वारा वह बाहर निकलती हैं। मातंगी देवताओं के द्वारा पूजित हैं। विजय वही भीमा है, वही धूम्र है, वहीं बगलामुखी है और वही सभी सिद्धियों को देने वाली सभी का ज्ञान और मंत्रों के द्वारा शुद्ध करने वाली ब्रह्मांड की उद्धार, ब्रह्मांड को तार देने वाली मंत्र सिद्धि के साथ देवी को मैं नमस्कार करता हूँ।

मां का स्त्रोत जिसके पाठ से अद्भुत कल्याण की प्राप्ति होती है और इसे गुप्त नवरात्रि में करने से बहुत लाभ होते हैं। साधक चाहे तो रोज एक माला का जाप अवश्य करें और अगर वह केवल कृपा प्राप्ति के लिए करना चाहता है तो भी कम से कम 1 दिन में एक बार अवश्य ही गुप्त नवरात्रि में करता है तो उसका कल्याण अवश्य होता है। यह थी जानकारी माता के 10 महाविद्या स्वरूप के स्त्रोत के बारे में आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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