गुरु मंत्र और भैरवी अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह गुरु मंत्र और मेरे द्वारा स्वयं की गई अष्ट चक्र भैरवी साधना से संबंधित अनुभव है। इस अनुभव में हम एक साधक महोदय के उनके द्वारा किए गए अनुभव के बारे में जानेंगे। आखिर उन्हें किस प्रकार का साधनात्मक अनुभव हुआ है और आखिर उनका किस प्रकार से इन? विषयों से सामना हुआ था तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं क्या है यह अनुभव –
ईमेल पत्र-गुरु जी प्रणाम मैं आपका शिष्य गुजरात से हूं। आपके द्वारा दी गई गुरु मंत्र की महिमा बहुत है। जितना बखान किया जाए, उतना कम है। अगर आपको यह अनुभव अच्छा लगे तो आप प्रकाशित कर सकते हैं और विनती है कि मेरा नाम गुप्त रखें। यह अनुभव 1 या 2 साल पहले का है जब आप अष्ट चक्र भैरवी साधना देने वाले थे जो कि आपने की है। जब मैंने आपकी एक वीडियो में सुना कि आप भैरवी साधना देने वाले हैं। और वह ही शिष्य करेंगे जिन्होंने 900000 गुरु मंत्र का जाप पूर्ण कर लिया होगा तो मेरा भी मन किया और इच्छा हुई कि क्यों ना मैं भी भैरवी साधना करूं। गुरुजी के बारे में भी की गई। इस तरह की साधना से ज्यादा फास्ट सफलता मिलेगी। ऐसा मेरे मन में विचार आया था तब मुझे ज्यादा पता नहीं था। इस तरह की साधनाओ के विषय में। मेरी फैमिली में किसी को साधना के क्षेत्र में पता नहीं था और ना मुझको हम लोग सिर्फ साधारण पूजा पाठ करते हैं। अब जो कि थोड़ा ज्ञान प्राप्त हुआ है आपके ही चैनल के माध्यम से। तो वह वीडियोस देख मैंने अपने गुरु मंत्र जाप को बढ़ा लिया था। उनको देख कर के कि मैं भी भैरवी साधना करूंगा। यह विचार आ गया। पूजा करते वक्त माला जाप और बढ़ा लिया और 100 माला करने लगा। प्रतिदिन अपनी ऊर्जा को बढ़ाने के लिए चलते फिरते खेत में काम करते वक्त सब जगह मन में गुरु मंत्र का निरंतर जाप चलता रहता था। फिर गुरुजी एक रात को गुरु मंत्र का जाप। पूजा करने के बाद सो गया। बिस्तर में मुझे एक स्वप्न आया कि आप एक बिल्डिंग है, उसमें एक फ्लैट है जिसमें आपको और आपके साथ आपकी भैरवी है और वह खड़ी है। आपको देखकर मैं पहचान गया कि वह आप हो उस रूप में और भी साधक लोग थे जो कि अपनी-अपनी भैरवी के साथ खड़े थे। वह सब परछाइयां यानी कि shadows के रूप में थी। सो मैं उनको देख नहीं पा रहा था कि कौन थी। वह लोग अंधेरे जैसे लग रहे थे जैसे एक अंधेरा परछाई होती है। फिर मैंने आपको प्रणाम किया और कहा कि मुझे भी एक भैरवी दे दो। गुरु जी मुझे भी साधना करनी है। तब गुरु जी आप मुस्कुराए और मेरी तरफ एक बार देखा। फिर अपनी भैरवी की और देखा। वह भैरवी दिव्य दिख रही थी। आज तो बहुत महीने हो गए हैं। सो मैं उनके रूप को ठीक से याद नहीं कर पा रहा हूं। उनका शरीर से तेज निकल रहा था तब उन भैरवी ने मेरी तरफ देखा और कुछ सेकंड बाद कहा नहीं.. तो फिर से मैंने आपसे विनती कि मुझे भी करनी है। भैरवी साधना ? तो फिर आप अपनी भैरवी की ओर देखें और भैरवी ने कहा कि यह अभी तैयार नहीं है इसके लिए। तो यह बात सुनकर मैं आपके पैर पकड़ कर विनती करने लगा। बार-बार कि मुझे करनी है तो आप की भैरवी ने साफ़ ही मना कर दिया। जब मैं नहीं माना तो भैरवी भी गुस्सा हो गई और मुझे बहुत से सांपों ने वार कर दिया। वह सब, सब जगह मुझे डसने लगे। मेरे शरीर पर मेरा पूरा शरीर बॉडी सांप से घिर गई तो दर्द मुझे नहीं सहन हुआ। तो मैंने भैरवी से माफी मांग ली कि मुझे माफ कर दो तब दर्द कम हुआ और वही स्वप्न वहां पर खत्म भी हो गया। फिर मैं बेड से खड़ा हुआ उठा मैं हैरान था कि मेरे साथ यह सब कुछ हुआ है। मैंने गुरु मंत्र का जाप किया और माता रानी से माफी मांगी कि मुझे माफ कर दो। मुझे साधना के क्षेत्र में जल्दबाजी करनी नहीं चाहिए। मुझे विश्वास नहीं होता कि गुरु मंत्र मुझे गाइड करता है। मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं यह अद्भुत अनुभव था और मैं भी पागल था कि अभी तो मेरा फाउंडेशन भी ठीक से नहीं है। मैं जल्दबाजी क्यों कर रहा था? एक और अनुभव हुआ था। इस साल के बीच में जो होने वाला होता है, अगले दिन वह रात को स्वप्न में दिख जाता था और वह होता भी, ऐसा continuously दो बार हुआ था। मैं भाग्यशाली हूं कि आप जैसा महान गुरु मिला है। धन्यवाद गुरु जी गुरु जी एक सवाल था कि आपकी भैरवी तो जा चुकी है तो फिर वह भैरवी कौन थी? संदेश-देखिये यहां पर इनको भैरवी साधना का अनुभव हुआ है और यही नहीं! कई और भी साधक महोदय हैं। उनके भी अनुभव छोटी-छोटी बातों के रूप में मेरे सामने आए हैं। जहां पर कई लोगों ने यह कहा है कि वह भैरवी साधना करना चाह रहे थे लेकिन कुछ ने। तो भैरवी का अनुभव स्पष्ट रूप से कर लिया और फिर उन्होंने वह साधना की ही नहीं या क्योंकि मैंने स्पष्ट निर्देश दिया हुआ है। जब तक आपका गुरु मंत्र का 900000 जाप दशांश हवन सहित नहीं हो जाता तब तक आप ऐसी तांत्रिक साधना ना करें क्योंकि यह साधना कोई साधारण साधना नहीं होती है। इस साधना में आपका आत्म बल मजबूत होना चाहिए। आपके अंदर गुरु मंत्र की ऊर्जा पूर्णतः विराजमान होनी चाहिए। जिससे आप भैरवी की ऊर्जा को संभाल सकें भैरवी! आप यह समझिए कि स्वयं भैरव ही है। केवल भैरव का स्त्री रूप ही भैरवी है। इसलिए भैरव को जो संभाल सके। वही साधक इस साधना को करें। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रत्येक साधक भैरवी साधना अवश्य ही करें क्योंकि! माता शक्ति की कृपा जिस भी व्यक्ति को पूरी तरह चाहिए, चाहे वह दसमहाविद्या के रूप में साधना करना चाहता है। मां! के जो परम रूप हैं जैसे माता लक्ष्मी माता काली माता सरस्वती और अन्य जो भी उच्च देवी शक्तियां हैं, उनके नाम चाहे कोई भी हो। उन सभी की साधना में माता की साधना का जो प्रतिफल है या लाभ है व्यक्ति को तब मिलता है जब। हनुमान जी की साधना! और भैरव जी की साधना साधक! किया होता है? ऐसे में? भैरव की स्त्री शक्ति। यानी भैरवी! जो है वह एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है। जो भी साधक देवी मां का भक्त है उसे भैरव या भैरवी इन में से किसी एक को पूर्णता प्रसन्न अवश्य कर लेना चाहिए। तभी उसके पास संपूर्ण शक्ति आती है और जीवन में चमत्कार भी तभी घटित होते हैं। वरना शक्तियां या पूजा किसी प्रकार पूरा फल नहीं देती है। जब हम देवी मां के किसी भी रूप की साधना करते हैं तो इसलिए यह आवश्यक है कि साथ में भैरव जी की साधना या भैरवी की साधना अवश्य ही साधक करें। तभी उसके पास तांत्रिक शक्तियां आएंगी और जो भी जीवन में वह करना चाहता है वह प्राप्त कर पाएगा दूसरी बात। जब कोई साधक साधना करता है तो वह स्वयं भैरव हो जाता है। इसलिए उसकी शक्ति जो होती है, वह भैरवी कहलाती है। अब जिनके पास जीवित भैरवी है वह बात अलग है क्योंकि, उसके लिए आप उच्च कोटि के साधक हो और साथ में आपकी जो पत्नी या सहायिका है, वह भी उच्च कोटि की साधिका होनी चाहिए। तो वह ऐसी स्थिति बहुत ही कम देखने को मिलती है। ऐसे में अशरीरी यानी जिस व्यक्ति का शरीर नहीं है, ऐसी भैरवी अवश्य ही आपके पास होनी चाहिए। पुरुष साधकों के लिए यह अनिवार्य वस्तु मान कर चलिए। इससे तंत्र के रहस्य खुलने लगते हैं और ऐसी ऐसी दुर्लभ चीजें आपके जीवन में घटित होने लगती है जो कि अभी तक बंद थी थी। इसीलिए सभी लोगों को भैरवी साधना करनी चाहिए लेकिन? जब तक आप उसकी ऊर्जा को संभालने लायक नहीं हो जाते हैं तब तक ऐसा करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि भैरव निर्दयी भी होता है तो भैरवी भी निर्दयी हुई। अब गलती के लिए यह लोग क्षमा नहीं करते हैं और दंड दे देते हैं क्योंकि यह दंड के देवी देवता माने जाते हैं। इसलिए सावधानी पूर्वक ऊर्जा संभालने लायक शक्ति होने पर ही इनकी साधना करनी चाहिए। तब सिद्धि प्राप्त होने पर विभिन्न प्रकार की दिव्य ऊर्जा देखने को मिलती हैं। सवाल आपका यह है कि भैरवी आप की जा चुकी है। तो यह भैरवी कौन थी? देखें, मेरी भैरवी नहीं गई है। यह सिर्फ मेरे लिए एक श्राप के कारण बंध गई। लेकिन पूरे के पूरे शिष्यों के लिए पूर्णता खुली हुई है क्योंकि! किसी शक्ति का स्वयं के लिए इस्तेमाल करना। इस पर बंधन हो सकता है लेकिन वह शक्ति तो उस व्यक्ति के साथ सदैव विराजमान रहती है जैसे- भगवान शिव के पास अगर त्रिशूल है और वह उस त्रिशूल को स्वयं के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। किसी कारणवश लेकिन किसी और के लिए किसी और की रक्षा के लिए अवश्य ही उसे इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि उस पर वहां कोई नियंत्रण नहीं है। नियंत्रण केवल स्वयं के लिए तो श्राप के कारण नियंत्रण सिर्फ मेरे लिए है लेकिन आप सभी के लिए नहीं तो अगर मेरे माध्यम से कोई भी भैरवी साधना करेगा तो उसको सिद्धि मिलने के पूरे चांसेस हैं। इसके अलावा पूरी शक्ति भी प्राप्त होगी। मैं सिर्फ स्वयं के लिए ही इस शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकता हूं। बाकी आप सभी के लिए यह शक्ति पूरी तरह खुली हुई है और मेरे माध्यम से या यूं कहिए प्रार्थना मुझसे होगी लेकिन पहुंचेगी भैरवी को सीधे और वह आपकी पूरी सहायता भी अवश्य करेगी। ऐसे कई अनुभव साधकों को हो चुके हैं और उन्होंने ईमेल के माध्यम से मुझे बताया भी है। लेकिन मैं फिर आपको निर्देशित करता हूं कि भैरवी साधना के लिए आपका। 900000 मंत्र जाप दशांश सहित। होना अनिवार्य है तभी इस साधना में आगे बढ़े वरना काफी बड़ा। नुकसान साधक को हो सकता है तो यह था आज का गुरु मंत्र और भैरवी साधना का अनुभव। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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