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गुरु मंत्र से माता त्रिपुर भैरवी दर्शन

गुरु मंत्र से माता त्रिपुर भैरवी दर्शन

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह गुरु मंत्र जाप के दौरान किस प्रकार माता त्रिपुर भैरवी के भी दर्शन प्राप्त हो सकते हैं। इससे संबंधित है तो चलिए पढ़ते इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं। इनके इस अनुभव के विषय में

प्रणाम गुरु जी गुरु जी मैं आपका शिष्य हूं। गुरु जी मुझे गुरु मंत्र के जाप करते हुए एक बहुत ही विचित्र तरीके के अनुभव हुए थे जो कि मैंने कभी भी सपने में नहीं सोचा था। गुरु जी मुझे काफी दिनों से कोई अनुभव नहीं हो पा रहे थे। जाप के दौरान तो कल जाप करते हुए तो रोने लगा और मां से और आप से प्रार्थना करने लगा कि मुझे कोई अनुभव क्यों नहीं हो रहा है जैसे? मुझे पहले होते थे गुरुजी इन्हीं सब बातों को सोचते हुए मैं जब सोने गया तो मुझे रात को बड़ा ही विचित्र सपना आया जिसमें मैंने देखा कि मेरे मामा जी मुझे अपने साथ लेकर कहीं जा रहे थे और वह मुझे एक ऐसी जगह पर ले गए जो कि बहुत ही पुराना शमशान था। मान लीजिये 1000 साल से भी ज्यादा पुराना हो। वह मुझे वहां छोड़ कर चले गए और मैं उस जगह पर रात में थोड़ा सा डरने लगा कि इतनी रात को अकेले मैं क्या करूं। यहां श्मशान भूमि में तो मैंने डर के मारे आप का दिया हुआ गुरु मंत्र ही उच्चारण करना शुरू कर दिया कि तभी गुरु जी मैंने देखा कि वहां पर एक बहुत ही बूढी सी औरत आई है जिसने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी और हाथ में खड़क ले रखा था और चिता में खड़क को डाल कर के उसे गर्म कर रही थी।

जब वह लाल हो गया तो खड़क तो उन्होंने उस पर हथौड़े से चोट करके मारना शुरू कर दिया और उस पर फिर उसके बाद गुरुजी तभी वहां पर मैंने पहली बार ऐसा महसूस। जैसे यह सब कुछ मेरे साथ में हो रहा हो कि तभी वहां पर चिता में से भूत प्रेत पिशाचिनी निकलकर श्मशान में घूमना शुरू कर दिया। वह जैसे-जैसे चोट मारती, एक-एक करके शक्तियां चिता में से निकलती जाती। तभी गुरुजी डर के मारे मैंने आपको याद किया। माता पराशक्ति को पुकारा। मैंने गुरु मंत्र का उच्चारण करते हुए अपने चारों तरफ एक गोल, घेरा खींचा और गुरु मंत्र का जाप करने लगा। मुझे जाप करते हुए 15 से 20 मिनट ही हुए होंगे कि आप की आवाज सुनाई देती है कि बेटा आपने इन्हें पहचाना नहीं। क्या यह स्त्री कौन है? जो हर तरीके की शक्तियों को प्रकट कर रही है, मैंने कहा गुरु जी मैंने नहीं पहचाना। तब आपने कहा, अपनी मां को भी नहीं पहचान पा रहे हो। यह माता की महाविद्या स्वरूप में से एक ही है। पहचान कौन सी है कि तभी मुझे याद आया कि माता का धूमावती स्वरूप है जो ऐसा ही दिखता है तभी वह स्त्री बहुत जोर से हंसी और कहने लगी कि ज्ञान की बात है। बेटा तू गुरु के इशारे को समझ गया है।

जो सोच रहा है मैं वही देवी हूं। गुरु जी मैंने फिर माता के स्वरूप को प्रणाम किया। उसके बाद मां ने मुझे कहा कि आप मेरे पास और जब मैं उनके पास गया तो उन्होंने कहा कि चल आज तेरी एक दिल की इच्छा पूरी ही कर देती हूं। तेरा बहुत मन है ना अपने आराध्य देवी से मिलने का तो चल तुझे आज तेरी आराध्य देवी से ही मिलवा देती हूं। मै बहुत खुश होने लगा। गुरुजी तब देवी ने जोर से पैर जमीन पर दे मारा और मैंने देखा कि मेरे सामने जो चिता जल रही थी। वह कम से कम 30 फुट जितनी बड़ी ऊंचाई ले ली और इतनी ऊंची होने के बाद उसी के बीच में से एक रास्ता बन गया और मां कहने लगी। की जा तेरी आराध्य देवी अंदर बैठी है जा उनसे मिलने गुरु जी मैं जैसे ही अंदर जाने वाला था कि तभी मेरी माता जी ने मुझे नींद से उठा दिया और मेरा वह सपना टूट गया। गुरु जी मैं चाहता हूं कि अगर आपको मेरा यहां अनुभव पसंद आए तो कृपया करके वीडियो बनाइए और मेरा नाम और ईमेल आईडी भी गुप्त ही रखिएगा गुरुजी! मेरे कुछ प्रश्न भी है कि मुझे माता धूमावती के दर्शन कैसे प्राप्त हो गए जिसमें मैंने कभी मां की स्वरूप की आराधना नहीं करी है। मेरी आराध्य देवी माता त्रिपुर भैरवी है। गुरु जी मैं उनके दर्शन आखिर क्यों नहीं कर पाया। मां के खड़क पर प्रहार करने से भूत प्रेत और पिशाच क्यों प्रकट हो रहे थे। इन सब के बारे में मुझे जानकारी दीजिए

सन्देश- तो देखिए इन के अनुभव से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यह सारी माया गुरु मंत्र के जाप के कारण देवी मां की विभिन्न शक्तियों के दर्शन से संबंधित है। जब भी हम गुरु मंत्र का जाप करते हैं, जैसी परिस्थिति में जैसे वातावरण में करते हैं, उसी अनुसार फल हमें देखने को मिलता है क्योंकि माता पराशक्ति के सारे स्वरूप है। यही मंत्र जप श्मशान भूमि में पढ़ा जाता है तो वहां की विभिन्न प्रकार की आत्माएं जागृत हो जाती है। शमशान की सबसे बड़ी शक्ति देवियां जागृत हो जाती है। कुछ ऐसा ही आपके साथ हुआ माता धूमावती के दर्शन होना शत्रु बाधा दुर्भाग्य के नष्ट होने का संकेत देता है। माता भी उन शक्तियों को दिखा रहे थे जो कि उनके खड़ग से प्रकट होकर सिद्धि का वातावरण दर्शा रही थी सिद्धि! के विभिन्न प्रकार के प्रयोग होते हैं। मुझे स्वयं माता धूमावती ने जब दर्शन दिए थे तो उनका स्वरूप बड़ा ही विचित्र था और ज्यादातर मैंने यह बात देखी भी है कि जैसे अनुभव गुरु को होते हैं। लगभग शिष्यों को भी वैसे ही अनुभव शुरुआत में होते हैं तो शुरुआत माता धूमावती से जैसे मेरी हुई थी। उसी प्रकार आपकी भी हुई है तो यह बहुत ही अच्छी बात है। मां की स्वरूप के जब दर्शन होते हैं तो उनकी बालों की तरफ अगर देखेंगे तो उनके बाल हवा में ऐसे लहराते हैं। जैसे की 3डी की कोई फिल्म हो और उनके शरीर पर सफेद रंग का चमकीला वस्त्र होता है और अगर वह स्वयं आपकी आराध्य शक्ति माता त्रिपुर भैरवी की ओर ले कर जा रही। इससे उत्तम तो कुछ और हो ही नहीं सकता है। माता त्रिपुर भैरवी तंत्र की शक्ति की सबसे बड़ी देवी है। कारण क्योंकि माता त्रिपुर भैरवी माता आदिशक्ति माता पार्वती ही है और यह स्वरूप उन्होंने क्यों धारण किया क्योंकि जब तंत्र शक्तियों से पूरे संसार को अधीन करने की बात आती है। तब भगवान शिव स्वयं भैरव स्वरूप होकर महा भैरव का रूप धारण कर।

त्रिपुरारी भैरव बनकर जब वह बैठते हैं उस श्मशान भूमि में तो वह सिद्धि के माध्यम से देवी का जो स्वरूप प्रकट होता है उन्हें त्रिपुर भैरवी कहते हैं। उन्हीं त्रिपुर भैरवी विद्या को वह माता पार्वती को प्रदान करते हैं। उस वक्त माता पार्वती त्रिपुर भैरवी स्वरूप धारण कर लेती है। त्रिपुर भैरवी का मतलब है तीनों पुर अर्थात पाताल लोक, धरती लोक और स्वर्ग इत्यादि कुछ लोक। तीनों लोकों की तंत्र की सबसे बड़ी सामर्थशाली देवी! जो तीनों लोकों को अपने वश में रखें। तीनो लोक उनके आधार पर कार्य करें। माता त्रिपुर भैरवी। की क्षमता बहुत ज्यादा है और इन्हीं से हजारों लाखों की संख्या में भैरवी शक्तियां प्रकट होती है। उन सभी साधिका स्त्रियां जिन्होंने आजीवन माता त्रिपुर भैरवी की वंदना साधना की होती है। मृत्यु के पश्चात भैरवी बनकर माता के साथ ही निवास करती हैं और ऐसी कई सारी भैरवी शक्तियों की साधना और सिद्धि हम लोग कर पाते हैं और उन्हें विभिन्न स्वरूपों में मां बहन पत्नी प्रेमिका के रूप में सिद्धि कर पाते हैं। ऐसी बहुत सारी भैरवी शक्तियां हैं, जिनके बारे में मैं अपने साधनाओं के माध्यम से भी जानकारी देता रहता हूं।

जैसा स्वभाव वैसा ही रूप लेकिन यह सारी शक्तियां माता त्रिपुर भैरवी से ही प्रकट होती है। इनके भी तीन स्वरूप जो सबसे ज्यादा शक्तिशाली है, जिसमें पाताल भैरवी, स्वर्ग, भैरवी और धरा भैरवी, भूभैरवी इत्यादि से नाम जाने वाली हमारी पृथ्वी की भैरवी भी कहलाती है। तुझे तीनों भैरवी शक्तियां इन्हीं का तीन खंड में विभाजन है और हमारे यहां माता भूगर्भीय धरा भैरवी। यह अपने अंदर कई हजार अन्य भैरवी शक्तियों को रखती है और सिद्धि के लिए हम इनकी आराधना भी करते हैं। इसी तरह पाताल भैरवी के संबंध में हम लोग जानते हैं क्योंकि इच्छापूर्ति में माता पाताल भैरवी से ज्यादा प्रभावशाली नही है क्योंकि पाताल लोक में इनकी आराधना की जाती है। वहां पर असुर दानव दैत्य नाग और विभिन्न प्रकार के अन्य जो भी तामसिक प्रवृत्ति की शक्तियां हैं, सभी इन्हीं की आराधना करते हैं। इतनी ज्यादा शक्तिशाली हैं कि आपने देखा होगा कि अहिरावण नाम का एक असुर इनकी ही आराधना करके इनकी शक्ति के कारण भगवान राम और लक्ष्मण जी को उठा कर उन दोनों लोगों की बलि देने के लिए पाताल लोक ले चला गया था। अगर हनुमान जी उस वक्त रक्षा नहीं करते तो उसकी माया शक्ति यानी की त्रिपुर भैरवी माता की कृपा के कारण वह बलि तक दे देता।

इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि पाताल भैरवी कितनी उच्च कोटि की शक्ति है जो कि स्वयं भगवान राम को और लक्ष्मण जी को भी अपने वश में करके। पूरी तरह माया में डाल देती है।

इसके आधार पर आपने जाना की पाताल भैरवी कितनी महत्वपूर्ण है, इसी प्रकार भू भैरवी है। जिन के विषय में बहुत कम जानकारी है और उनसे निकलने वाली प्रकार की अन्य भैरवी शक्तियां भी हैं, जिनकी साधना ओं का ज्ञान मै धीरे-धीरे आप सभी लोगों को समय बीतने के साथ आपको देता जाऊंगा। उच्च कोटि की साधना में हम योगिनी साधना उससे बड़ी शक्तियों के रूप में भैरवी शक्तियों को देखते हैं। भैरवी सिद्धि के बाद जिंदगी में अन्य प्रकार की तांत्रिक सिद्धियां अपने आप आने लगती हैं।

मैंने बताया जैसे सारी शक्तियां माता त्रिपुर भैरवी से ही प्रकट होती हैं। यानी सबसे बड़ी देवी माता त्रिपुर भैरवी ही है। तंत्र की विद्या माता पार्वती को सिखाने के कारण माता का स्वरूप त्रिपुर भैरवी का हो गया था। मां के खड़क पर प्रहार करके जैसे भूत प्रेत पिशाच प्रकट हो रहे थे। ऐसे ही जिसको भी माता के भैरवी स्वरूपों में कोई भी सिद्ध हो, उसकी सिद्धि भी हो जाती है तो वह अपनी इच्छा मात्र से विभिन्न प्रकार के भूत प्रेत पिशाच इत्यादि शक्तियों को प्रकट कर सकता है और उन्हें कोई भी कार्य सौंप सकता है और उसका कार्य तत्क्षण करने की क्षमता उनके अंदर होती है। इसीलिए यह विद्या बहुत दुर्लभ है और अद्भुत प्रकार के कार्यों को कर सकती है। वह कार्य जो किसी भी अन्य शक्ति के माध्यम से नहीं हो सकते। वह सारे कार्य माता त्रिपुर भैरवी की सिद्धि प्राप्त किए व्यक्ति कर सकता है, लेकिन माता त्रिपुर भैरवी क्योंकि माता स्वयं पार्वती ही है। इसलिए कभी भी वह ऐसे ही किसी को सिद्धि प्रदान नहीं करती हैं, लेकिन इनके जो अंश है इनसे जो निकली अन्य शक्तियां है, वह यह सब नहीं देखती हैं। वह सिर्फ यह देखती हैं कि साधक ने कितनी साधना की है और क्या वह उसे यानी कि उस शक्ति को वश में कर पाया और ऐसी शक्ति को जो वश में कर लेता है, उससे कोई भी कार्य करवाया जा सकता है। वह यह नहीं देखती कि वह कार्य न्याय संगत है या नहीं है। पाप कर्म है, या पुण्य कर्म है। इस बात से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है तो यह इनका अनुभव और बाकी मैंने इनके प्रश्नों और अन्य जानकारी। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

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