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गुरु से पहले गुरु शक्ति के साक्षात चमत्कारिक दर्शन

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज एक ऐसा अनुभव आया है जिस अनुभव के माध्यम से हम गुरु शक्ति से परिचय प्राप्त कर सकते हैं। अधिकतर हम लोग गुरुओं को इतना अधिक महत्व क्यों देते हैं? आखिर गुरु शक्ति होती क्या है। इसके बारे में मैंने पहले भी आप लोगों को बताया था कि गुरु जिस मंत्र का जाप करते हैं?

उस मंत्र की शक्ति जब परमात्मा या उस देवता से सन्निकट हो जाती है तो शक्तियां उसी गुरु का रूप धरकर आपके जीवन में पदार्पण करती हैं। यानी आती जाती रहती हैं। इस तरह के अनुभव बहुत लोगों को होते हैं वैसा ही एक सच्चा अनुभव आज हम लोगों के पास आया है तो चले पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं कि किस प्रकार से इन्होंने गुरु शक्ति का अनुभव किया था।

पत्र – नमस्कार गुरु जी, मेरा नाम गौरव है। मैं उत्तर प्रदेश मेरठ का रहने वाला हूं। मैं एक लंबे समय से आपके चैनल के माध्यम से आप से जुड़ा हुआ हूं। धर्म रहस्य के सभी सदस्यों को अपने भाई बहनों के रूप में देखता हूं। मां से प्रार्थना करता हूं कि यह परिवार हमेशा ऐसे ही आपके मार्गदर्शन से मां के आशीर्वाद से आगे बढ़ता रहे। माता मुझे भी आपका शिष्य बनने का सौभाग्य प्रदान करें।

गुरुजी पहली बार आपको मेल कर रहा हूं। अगर कुछ गलती हो जाए तो आपका और माता का एक नादान सेवक समझ कर माफ कर दीजिएगा।

अब मैं अपने अनुभव के बारे में आपको बताता हूं। गुरु जी मेरे घर में लगभग 20 वर्षों से परेशानियां चली आ रही हैं। घर में सब कुछ खराब चल रहा था। घर में अपने निरंतर परेशानियां देखता ही रहता था। जब से मैंने होश संभाला है गुरुजी! आज मैं मेरे साथ ही घटित हुई एक रहस्यमई घटना के विषय में आपको बताने जा रहा हूं जो मेरे ही साथ आज से लगभग 6 वर्ष पूर्व में घटित हुई थी। हुआ यह था कि? मेरे घर की समस्याओं को दिखाने के लिए एक गुरु जी को लाने के लिए मुझे भेजा गया था जो कि किसी दूसरे शहर से आ रहे थे। मैंने उनसे संपर्क किया और जब मेरी उनसे फोन पर बात हुई तो पता चला कि वह हमारे शहर में आ चुके हैं।

वह एक बस में थे। मुझे उन को लाने के लिए बस स्टैंड के लिए निकलना पड़ा। मैं अपनी बाइक से उनको लाने गया था और बस स्टैंड पर पहुंच कर मैंने उनको फोन किया और पूछा कि गुरु जी आप अभी कहां पर हो?

इस पर गुरु जी ने जवाब दिया कि मैं शहर के बस स्टैंड पर पहुंचने ही वाला हूं। मैंने कहा ठीक है, मैं आपका इंतजार कर रहा हूं। उसी बस स्टैंड पर और मैं बस स्टैंड के बाहर रोड साइड में अपनी बाइक लगा दी और मैं अपनी ही बाइक पर बैठ गया और हर आने जाने वाली बस को ध्यान से देखने लगा। कुछ ही देर बाद एक बस पर मेरी नजर पड़ती है। मुझे दिखता है कि उसमें आगे गुरु जी काले रंग का कुर्ता और नारंगी रंग की पगड़ी बांधकर बैठे हैं और वह पूरी बस खाली है। बस को केवल ड्राइवर चला रहा था।

मैं बाइक से उठकर बस के पास जाने लगा। इतने में ही देखा तो वह बस बस स्टैंड के अंदर नहीं जा कर सीधे ही रोड पर जाने लगी। मैंने सोचा यह बस अब कहां जा रही है और गुरुजी भी, बस से नहीं उतर पाए हैं। इस वजह से मैं परेशान हो गया और मैं भागकर अपनी बाइक के पास आ गया। मैंने बाइक को स्टार्ट करने की कोशिश की। पर मैंने देखा कि मेरे सामने से बस गुजरती जा रही है और मेरी बाइक स्टार्ट होने का नाम नहीं ले रही। काफी देर स्टार्ट करने की कोशिश की तब जाकर कहीं वह स्टार्ट हुई। मैंने बस का पीछा करने की सोची। उस भीड़ भाड़ वाले इलाके में रोड पर मुझे अपनी बाइक दौड़नी पड़ी । मैं अपनी बाइक को ठीक से भगा भी नहीं पा रहा था और बस बहुत ही तेजी के साथ दौड़ती हुई चली जा रही थी। कुछ ही दूर पीछा करते-करते अचानक से मैंने देखा कि मैं? अपने होश खोने वाला था।

मैंने देखा कि जिस बस का मैं पीछा कर रहा था और जिसमें वह गुरुजी बैठे हुए थे, वह बस चलती फिरती बीच रोड से अचानक ही गायब हो गई। गुरु जी यह देख कर के मेरा दिमाग सुन्न सा हो गया। मैं कांप गया और जैसे-तैसे मैंने अपनी बाइक को यानि उसकी स्पीड को कंट्रोल करते हुए साइड में लगा दिया। मैं सड़क पर ही बैठ करके यह सब कुछ सोचने और समझने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद मैंने खुद को संभाला और पानी की बोतल खरीद कर पानी पिया। और अपने चेहरे पर पानी मारा। फिर से गुरु जी को मैंने फोन किया। क्योंकि मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि यह सब कुछ कैसे घटित हो गया है? आखिर बीच सड़क से कोई बस कैसे गायब हो सकती है?

अब जब मैंने उन्हें फोन किया और पूछा तो उन्होंने जो जवाब दिया वह और भी अधिक हैरान करने वाला था। उन्होंने कहा बेटा, मैं बस कुछ ही देर में बस स्टैंड पर पहुंचने वाला हूं। आप वहां पर आ जाओ।

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने एक बार फिर से अपनी बाइक को स्टार्ट किया और उसी स्थान पर पहुंच गया, जहां पर बस स्टैंड था।

और वहां पर अपनी बाइक खड़ी होकर के इस बात का इंतजार करने लगा कि बस कब तक आएगी? कुछ ही मिनट के इंतजार के बाद मैंने देखा कि एक बस आई है और उसमें काफी मात्रा में भीड़ थी। उसमें ऐसे ही मैंने गुरु जी को भी उतरते हुए देखा।

लेकिन यहां पर अचरज भरी बात यह थी कि मैंने जो पहले देखा था लगभग वैसे ही वस्त्र इन गुरु जी ने भी पहने हुए थे। यानी कि उन्होंने भी काले रंग का कुर्ता और नारंगी रंग की पगड़ी पहनी हुई थी।

इस प्रकार गुरु जी मेरे सामने आकर के खड़े हो गए। मैंने उनको अपनी बाइक पर बैठाया और घर के लिए निकल पड़ा।

मैंने उनको इस बारे में भी बताया कि मैंने क्या देखा था पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था।

कृपया गुरु जी, आप इस घटना के रहस्य पर प्रकाश डालें।

मैं जानना चाहता हूं कि आखिर यह सब क्या था और यह सब क्यों हुआ धन्यवाद? आप चाहे तो मेरी इस अनुभव पर वीडियो बना सकते हैं और मेरा नाम पता भी दिखा सकते हैं पर मेरी ईमेल आईडी छुपा लीजिएगा।

संदेश- आपने समझा कि गुरु शक्ति गुरु से पहले ही वहां पर पहुंच गई थी। अधिकतर जब हम गुरु मंत्र की साधना करते हैं या किसी गुरु की हैं तो? गुरु तो अपने शरीर में बंधा हुआ है लेकिन गुरु शक्ति एक अदृश्य और अनंत संसार से जुड़ी हुई रहती है। जो भी सिद्ध हो जाते हैं उनके चमत्कार आपको उनके शिष्यों के माध्यम से पता चलते हैं क्योंकि फिर से लोग उस गुरु सत्य का अनुभव प्रत्यक्ष कर पाते। कभी सपने के माध्यम से और कभी वास्तविकता में भी उन्हें इस तरह की चीजें दिखाई देती हैं सिद्ध होने पर।

गुरु शक्ति कभी-कभी स्वयं ही पहले पहुंचकर। उस गुरु की भी रक्षा करती है और जिस कार्य हेतु वह जा रहा होता है। उसको भी संभालने और बचाने की कोशिश करती है। इस तरह के बहुत सारे उदाहरण! हमारे देश में आपको मिलते हैं जब गुरु अपनी साधना में बैठे थे या वह किसी कार्य विशेष में लगे थे। उसी दौरान गुरु की छवि उनके शिष्यों को या फिर उनके मानने वालों को दिखाई पड़ी। इस तरह के अनुभव! केवल गुरु शक्ति सिद्ध पुरुष के ही होते हैं और उसी सिद्धि के कारण। लोगों के कार्य भी बन जाते हैं। चमत्कार इसी प्रकार देखने को मिलते हैं। चमत्कारों का रहस्य बहुत लंबा चौड़ा है और कभी-कभी स्वयं गुरु को भी यह बात नहीं पता होती है कि गुरु शक्ति ने किस प्रकार से उनका मार्गदर्शन किया और उनके शिष्यों का भी मार्गदर्शन किया। तो यही गूढ़ रहस्य हैं और इन रहस्यों को समझने के लिए तब शिष्य मे आदर भाव होना।

इसके साथ ही संपूर्ण समर्पण भी आवश्यक है तो यह था एक अनुभव गुरु शक्ति का दर्शन देना गुरु से पहले।

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