Table of Contents

घोड़े वाली चुड़ैल 3 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। घोड़े वाली चुड़ैल में अभी तक आपने जाना किस प्रकार से 2 लोग एक चुड़ैल के धन के चक्कर में फस जाते हैं? आज तीसरा और अंतिम भाग है जिस के संबंध में हमें पत्र प्राप्त हो चुका है। चलिए जानते हैं कि आगे क्या घटित हुआ था?

प्रणाम गुरुजी और धर्म रहस्य चैनल के सभी दर्शकों को मैं नमस्कार करता हूं। गुरु जी जैसा कि पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि धन खर्च करने की कोशिश मेरे दोनों दादाजी ने की लेकिन वह कर नहीं पा रहे थे। अब क्योंकि समय बहुत कम रह गया था। इस वजह से उन्हें और भी अधिक भय लग रहा था। इसके बाद उनके मन में विचार आया। कि यह हमारे बस की चीज नहीं है। क्यों ना किसी साधु अघोरी यह सन्यासी की मदद ली जाए। उन्होंने आसपास के क्षेत्र में इस बात के लिए कहा कि उन्हें? सुझाव देने के लिए किसी विद्वान की आवश्यकता है। कई सारे लोग शाम होते होते उनके पास आ चुके थे। उनमें से कई पंडित थे। कुछ विद्वान थे। और कुछ साधु सन्यासी अघोरी लोग भी उनके पास आ गए थे। इसका कारण यह था कि पिछली बार उन्होंने जो भोज का आयोजन किया था इसके कारण से बहुत ही ज्यादा प्रसिद्धि उन्हें प्राप्त हो चुकी थी।

सभी लोग उनसे मिलने के लिए आतुर रहते थे। रात के बाद घर में बैठक जब शुरू हुई। तो उन्होंने सभी लोगों को प्रणाम करके कहा। कि मेरी आप लोगों से विनती है। यहां की बात को गोपनीय रखें। और किसी से भी कृपया कुछ ना कहें जो भी वार्तालाप यहां पर होगा। उसकी खबर गांव नगर आपके रिश्तेदारों किसी को भी नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार मेरे दादाजी और उनके भाई सब को प्रणाम कर। अपनी बात को कहना शुरू करते हैं। सभी लोग आश्चर्य से इन्हें देख रहे थे। ऐसी कौन सी बात है जो यह लोग हमें बताना चाहते हैं? और फिर उन्होंने उनके साथ में घटित हुई सारी बात उन सभी लोगों को बता दी। लोगों ने अलग-अलग तरह के परामर्श देने शुरू कर दिए। सब के सब परामर्श सुनकर अंततोगत्वा यह निर्णय होने लगा कि सब की सब बातें व्यर्थ है। क्योंकि अगर धन किसी भी तरह से वापस आ गया तो अबकी बार हम दोनों के प्राण नहीं बचेंगे। यह एक विकट समस्या थी। जो कि बिल्कुल सामने आ चुकी थी। जितना धन खर्च करने गए थे, उससे कई गुना अधिक धन प्राप्त हो चुका था।

सब के सब लोग परामर्श देकर घर से बाहर जाने लगे। केवल एक? सन्यासी वहां पर रुक गया। जब सब लोग चले गए तब भी वह सन्यासी वहीं बैठा रहा । कुछ गोपनीय मंत्रों का जाप करता रहा। उसको देखकर दोनों दादाजी। उसके पास गए और उन्होंने कहा। आप भी प्रस्थान करें। क्योंकि सारे लोग जा चुके हैं। इस पर उस सन्यासी व्यक्ति ने कहा, मैं प्रस्थान करने के लिए नहीं आया। मैं जब तक आपका कार्य संपादित ना करा दूं तब तक मैं यहां से नहीं जाने वाला। इस पर मेरे दादाजी ने कहा। आप मान्यवर कौन हैं और किस प्रकार आप हमारी इस कार्य में सहायता करेंगे? इस पर वह सन्यासी बोला। मैं माता जगदंबा का छोटा सा भक्त हूं। हर वक्त उन्हीं का ही नाम जपता रहता हूं। माता की कृपा से मेरे पास छोटी मोटी सिद्धियां भी हैं। मैंने आप लोगों की इस बात को जब से सुना है। तो इसका एक हल मेरे दिमाग में आया है? मेरे दोनों दादाजी ने कहा, ठीक है! तो बताइए क्या मार्ग निकाले है आप ? जिससे कि हम उसचुड़ैल के प्रकोप से मुक्त हो सकें। इस पर उन्होंने कहा कि आप अगर मेरी बात मानते हैं? तो सबसे पहले शीघ्रता पूर्वक! सबसे उत्तम सुनार को बुलवा लीजिए। मेरे दादाजी ने पूछा कि आखिर सुनार की यहां पर क्या आवश्यकता है? सन्यासी ने कहा। उसको पहले बुलाइए तब मैं आपको बताता हूं। इस प्रकार खबर देने पर। उस जगह का सबसे उत्तम सुनार वहां पर बुलवा लिया गया। अब! उस सन्यासी ने कहा कि आपके पास सोने के जितने सिक्के हैं वह लाइये ।

हमारे पास जितने भी सोने के सिक्के हैं उन सब को गला माता की सोने की मूर्ति बना दो। मूर्ति अष्टभुजा कार होनी चाहिए।

अब सन्यासी ने कहा इस मूर्ति को तुम मंदिर में। प्राण प्रतिष्ठित करवा देना। जिससे यह मूर्ति सबके लिए पूजनीय बन जाए। और इस प्रकार से उस सुनार ने एक रात में ही वहां पर। सोने की एक बहुत ही सुंदर मां जगदंबा की मूर्ति बना दी। उस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए विद्वान ब्राह्मण पंडित बुलाए गए और उन्होंने पास के ही मंदिर में उस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवा दी। इस प्रकार सुबह सारे गांव और आसपास के क्षेत्र के लोग उस मूर्ति को देखने आते और सभी प्रणाम कर पूजा कर। माता से अपने सुखमय जीवन की प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार! वह दिन आ गया जब अमावस थी। अमावस्या की रात को वह चुड़ैल एक बार फिर से घर के बाहर आकर चिल्लाने लगी। उसने कहा, अगर मेरा धन खर्च नहीं किया है? अथवा उसका उपयोग नहीं हुआ है तो मैं तुम्हें मार डालूंगी। इस प्रकार से

उस चुड़ैल ने जब कहा। तब मेरे! दादा और दादा के भाई दोनों बाहर निकल कर आ गए और उन्होंने कहा, हमने तुम्हारा सारा धन खर्च कर दिया है। हमारे पास कुछ भी नहीं है।

इस पर उसने कहा ठीक है, मैं देखना चाहती हूं। फिर दोनों लोगों ने मंदिर के दरवाजे पर खड़े होकर उसे माता जगदंबा की मूर्ति दिखाई।

इस पर अचानक से ही चुड़ैल! क्रुद्ध हो गई और उसने कहा यह मूर्ति तो ठीक है, धन भी खर्च हुआ लेकिन कुछ रह गया। इसलिए मैं वह बदला अवश्य लूंगी। इस प्रकार वह चुड़ैल वहां से चली गई। सुबह के समय जब मेरे दादाजी उठे तो उनके भाई कहीं दिखाई नहीं पड़े। उन्होंने पूरी जगह पर! सभी लोगों को यह संदेश दिया कि वह उनके भाई को ढूंढें। किंतु उनके भाई कहीं पर भी दिखाई नहीं पड़े।

अंततोगत्वा पूरे दिन खोज खबर लगाने के बाद में भी। दादा जी को उनके भाई जब नहीं मिले। तो वह चिंता में पड़ गए। रात के समय जब वह सो रहे थे। अचानक से एक बार फिर घोड़े की आवाज आई। वह बाहर निकल कर आए तो उन्होंने जो देखा वह। उनको आश्चर्यमय कर गया। चुड़ैल उसके साथ उसका घोड़ा और उसके साथ दादा जी के भाई खड़े थे। इस पर? मेरे दादाजी ने कहा। तुम चुड़ैल के साथ क्यों खड़े हो और कहां गायब हो गए थे? इस पर चुड़ैल हंसने लगी। मेरे दादा के भाई का कंधा और सिर झुक गया। उन्होंने कहा लालच बहुत बुरी बला है। जब सुनार को हमने। सोने की अशर्फियां दी उसी दौरान मैंने एक थैली अपने घर के अंदर! जमीन खोदकर गाड़ दी थी। यह सोच कर कि चुड़ैल का दिया हुआ सारा धन अगर मूर्ति बनकर खर्च हो गया तो हमें मिलेगा ही क्या? इतने दिनों तक की गई सारी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी। यही लालच के कारण मैंने एक थैली छिपा दी थी।

बाकी सारी थैलियों की मूर्ति बना दी गई। चुड़ैल। को यह बात पता थी। उसने कहा था मेरा सारा धन खर्च हो जाना चाहिए। इसी कारण इस ने मुझे मार दिया और अब मैं इसकी सेवा में इसके साथ हूं। इस प्रकार से मेरे दादा के भाई सदैव के लिए उस चुड़ैल के गुलाम बन गए और हमेशा हमेशा के लिए उसी की दुनिया में चले गए, कहते हैं कि अचानक से ही वह मूर्ति भी एक दिन गायब हो गई थी और उसके बाद उस चुड़ैल का उस गांव में भटकना भी बंद हो गया। मेरे दादा जी के भाई का भी दिखना बंद हो गया था क्योंकि वह अभी उसी चुड़ैल के साथ में उसके सेवक बनकर वास कर रहे थे। गुरु जी इस प्रकार से मेरे दादाजी ने यही कहानी मेरे पिता और बाकी लोगों को सुनाई थी। मेरे पिता से ही मुझे यह कहानी पता लगी। जग हंसाई ना हो इसीलिए मैंने इस बात को गोपनीय रखा। पर ऐसी कहानियों को विश्व के समक्ष लाना भी आवश्यक है। इसीलिए मैंने आज आपको इस कहानी के बारे में बताया है।

अब लोग चाहे विश्वास करें अथवा नहीं करें यह उनका प्रश्न है लेकिन हमारे परिवार में जो कुछ घटित हुआ है वह सब कुछ मैंने आपको बता दिया है। आपने वीडियो बना कर मुझ पर कृपा ही की है। प्रणाम गुरुजी!

संदेश – यहां पर इनके परिवार में इस तरह का एक विशेष। घटना का आगमन हुआ जिसके कारण इनके एक दादा की मृत्यु भी हो गई और चुड़ैल ने उन्हें हमेशा के लिए अपना गुलाम भी बना लिया। इसीलिए कहते हैं लालच बुरी बला है और अचानक से प्राप्त होने वाला धन कभी सुख नहीं दे पाता। जो भी धन मेहनत से कमाया जाता है, वही सदैव स्थाई होता है। इसीलिए आप सभी लोग मेहनत करें। किसी भी प्रकार के लालच में ना फंसे और जीवन को माता को समर्पित करें। इसी कारण से उनके असली दादा की मृत्यु नहीं हुई थी। उस सन्यासी की बात मानकर उन्होंने अपने जीवन की रक्षा की थी। तो अगर यह कहानी और जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो लाइक करें, शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

error: Content is protected !!
Scroll to Top