चाँदनी परी साधना अनुभव 2 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। चांदनी परी साधना अनुभव भाग दो आज मैं आपको आगे की कहानी के विषय में पत्र के माध्यम से बताऊंगा।ईमेल पत्र-नमस्कार गुरु जी, जैसा कि पिछले भाग में मैंने आपको बताया था, उसे आगे बढ़ाते हुए अब मेरे मामा जी अगली पूर्णिमा को इंतजार करने लगे। और जैसे ही उस पूर्णिमा की रात वहां वह पहुंचे। उन्होंने शाम से जैसे ही चांद दिखना शुरू हुआ तभी से मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। इस प्रकार पूरी रात वह वहां पर जॉप करते रहे, लेकिन सुबह का सूरज निकलने तक वह नहीं आई। यह सोचकर अब मेरे मामा जी को बहुत बड़ा आघात पहुंचा था। उन्होंने सोचा नहीं था। उनके साथ कुछ ऐसा हो सकता है क्योंकि यह तो अजीब बात थी। उसने वादा किया था कि अगर रात भर उसके मंत्रों का जाप किया जाए तो वह जरूर आएगी।
लेकिन वह तो आई ही नहीं। मेरे मामा निराश होकर अपने घर वापस लौट आए। इस प्रकार वह दिन समाप्त हुआ। अब उनके सामने एक नया प्रश्न था। अगर उन्हें यह साधना और आगे करनी है तो उन्हें वह करनी चाहिए या फिर इस चांदनी परी को भूल जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने पास के ही एक तांत्रिक के पास जाना जरूरी समझा था और उन्होंने उस तांत्रिक से बात की। तांत्रिक ने कहा, ठीक है अगली पूर्णिमा को मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा। मैं दूर से सारी घटना देखूंगा। अगर उस परी के आने में कोई समस्या हुई तो मैं अवश्य ही उसे खींच लूंगा। मेरे मामा जी उसकी बातों में पूरी तरह से आ चुके थे। अब अगली पूर्णिमा को उन्होंने एक बार फिर से तरीके बताए गए मंत्र के अनुसार, उस जगह बैठकर एकटक चांद को घूरना शुरू कर दिया और उसके मंत्रों का जाप करते रहे। अचानक से उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि अब शायद चांद से कोई उतरने ही वाला है। लेकिन फिर अचानक से अजीब सी बात हुई कोई थोड़ी दूर तक आकर वापस चांद की ओर लौट गया। यह देखकर मेरे मामा एक बार फिर से निराश होने लगे। उन्होंने पलटकर तांत्रिक की ओर देखा। तांत्रिक कुछ अपनी तांत्रिक क्रियाएं वहां पर करने लगा। वह उसी स्थान पर रुक गई। ना तो वह नीचे आई और ना ही वापस चांद की तरफ लौट सकी। अब मेरे मामा ने तांत्रिक के पास जाकर उससे पूछा। क्या यह मुझे नहीं मिल पाएगी और यह हवा में इतनी दूर लटकी हुई क्यों है? इस पर तांत्रिक ने कहा। उसे पाने का तरीका यही है कि अगली पूर्णिमा को हम लोग फिर से यहां पर आए और तब तुम अपने मंत्रों से उसे नीचे उतार लेना। मैंने उसे वापस जाने से रोक दिया है। अब वह वापस नहीं लौट पाएगी इस प्रकार! अगली पूर्णिमा को एक बार फिर से वह लोग उसी स्थान पर पहुंचे मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही कुछ देर बाद मेरे मामा को उसके साफ दर्शन होने लगे। तांत्रिक ने भी अपने मंत्रों का प्रयोग जारी रखा। इस प्रकार वह नीचे उतर आई और उसने मेरे मामा को जैसे ही छुआ, वह गायब हो गई। यह देखकर मेरे मामा एक बार फिर आश्चर्यचकित हो गए। उनके सामने आकर भी उनकी सबसे प्रिय प्रेमिका। गायब हो चुकी थी एक बार फिर से तांत्रिक की ओर मेरे मामा पलटे और उन्होंने उससे कहा, यह क्या हुआ तांत्रिक ने कहा, मुझे भी नहीं पता। आखिर क्या हुआ है? अब तुम खुद ही मेहनत करना अगली बार मैं तुम्हारे पास नहीं आ पाऊंगा। इस प्रकार वह तांत्रिक भी वहां से चला गया। मेरे मामा अगली पूर्णिमा को एक बार फिर अकेले आकर उस स्थान पर। फिर से मंत्रों का जाप करने लगे लेकिन पूरी रात बीत गई। सुबह का सूरज निकल आया, लेकिन उस परी का कहीं अता पता नहीं था। इस प्रकार! वह घटना इसी प्रकार समाप्त हो गई। कुछ दिनों बाद मेरे मामा भी उसे भूल गए। फिर मेरे मामा की शादी का दिन आया। अचानक से यह खबर आई कि उनकी दुल्हन जिसके साथ उनकी शादी होने वाली है। पागलों जैसा बर्ताव कर रही है। मामा उसे देखने पहुंचे। तो उसने? शादी वाले दिन ही कमरा बंद कर मेरे मामा को गले से लगा लिया और कहने लगी। मैं तुम्हारे लिए कब से इस दुनिया में तड़प रही हूं। उस तांत्रिक की वजह से मैं यही फस गई। जिस दिन मैं तुम्हारे पास आकर तुम्हें छुई थी। उसी समय उसने अपने तंत्र का प्रयोग कर मुझे कैद कर लिया था। आज तक उसने मुझे अपने पास बंदी बनाकर रखा हुआ था। उसके मंत्रों के आगे मैं बेअसर थी। मैं उसे कुछ भी नहीं कह पाती थी। उसने कई बार मेरी इज्जत से भी खिलवाड़ किया। भला मैं क्या कर सकती थी? मैं तुम्हारे नाम से यहां बंध चुकी थी इसलिए अब से तुम मेरे पति हो और जब तक तुम मुझे अपनी पत्नी का पूरा दर्जा नहीं दोगे तब तक मैं यहां से नहीं जाने वाली। मेरे मामा जी इस बात को। समझ गए थे कि यह चांदनी परी ही है। उन्होंने उससे पूछा, तुम किस प्रकार उस तांत्रिक की कैद से आजाद हुई? तब उसने बताया कि एक रात को वह चांद को देखते हुए मंत्रों का जाप कर रहा था। मेरी शक्ति को कई गुना बढ़ाने के लिए। लेकिन उसी दौरान उससे एक गलती हो गई और बीच में। अचानक से बादल आ गए थे। मुझे उसके कैद से बाहर निकलने का मौका मिल गया और मैं वहां से भाग आई जब मुझे पता चला तुम्हारी शादी होने वाली है तब मैंने इस लड़की के शरीर में प्रवेश कर लिया क्योंकि अब तुम्हारे अलावा इस दुनिया में मेरा कोई और नहीं है और मैं अपनी दुनिया में वापस भी नहीं जा सकती क्योंकि उस तांत्रिक ने पता नहीं कौन सा तंत्र इस्तेमाल कर दिया जिसकी वजह से मैं वापस नहीं लौट सकती। इसलिए अब यह आवश्यक था कि मैं तुम्हें अपना पति बना लूँ। अब क्या तुम मुझे स्वीकार करोगे? मेरे मामा जी ने उससे कहा ठीक है लेकिन इस लड़की का शरीर तो छोड़ दो। इसकी कौन सी गलती है? तब उस परी ने यह कहा कि। मेरा शरीर तो एक बार उस तांत्रिक ने गंदा कर दिया है इसलिए मुझे नया। कुमारी स्वरूप का शरीर चाहिए था। और यह कुंवारी लड़की है। जिसकी शादी भी तुमसे होने जा रही है। इसलिए तुम अब मुझसे इस के ही रूप में शादी करो! बाकी सब मैं ठीक कर दूंगी। इसके बाद मेरे मामा वहां से बाहर निकले और उस दिन मेरे मामा और उस परी की शादी हो गई। उस लड़की के शरीर में रहकर वह परी अब मेरे मामा के साथ जिंदगी बिताने लगी। लेकिन शादी के सातवें दिन पता नहीं क्या हुआ मेरे मामा और मेरी मामी! घर से गायब हो गए। उसके बाद कई सारे लोगों ने बहुत कुछ पता लगाने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी पता नहीं लग पाया कि दोनों आखिर गए कहां? तब से लेकर आज तक कोई भी उन्हें ढूंढ नहीं पाया है। उन्होंने उस तांत्रिक को जो तांत्रिक विधि इस परी को सिद्ध करने की बताई थी ठीक वही विधि आपने भी अपने इंस्टामोजो अकाउंट में बताई है इसलिए मैं आपकी तारीफ करता हूं कि आप ऐसी गोपनीय साधनाये कहां से हासिल कर लेते हैं? उस तांत्रिक का मेरे चाचा जी से भी संबंध था इसीलिए उस तांत्रिक ने वह विधि मेरे चाचा को भी बताई थी। उन्हीं चाचा जी से मुझे भी यह विधि प्राप्त है। जब मैंने वह मंत्र और विधि आपकी बताई गई विधि से मिलाई तो दोनों एक ही निकले। मैं आपका धन्यवाद कहता हूं। लेकिन? मैं यह भी कहना चाहता हूं कि एक बार में हो सकता है। यह परी सिद्ध ना हो। इसके लिए आपको कठिन मेहनत करनी पड़ सकती है या फिर बार-बार भी प्रयास करना पड़ सकता है। लेकिन मैं यह नहीं जान पाया कि आखिर मेरे मामा और वह परी दोनों गायब क्यों हो गए थे? नमस्कार गुरु जी! संदेश-तो देखिए यहां पर इनके मामा और वह परी वापस परीलोक को लौट गए। और वही जाकर हमेशा के लिए दोनों। अमर हो गए हैं। क्योंकि परी की मजबूरी थी। इस दुनिया में रहना जो तांत्रिक के तंत्र से फ़सकर वो यहां रह गई थी, लेकिन एक पत्नी प्राप्त होने पर उसके पति को भी पूरी शक्तियां अपनी पत्नी की मिल जाती है तो ऐसी अवस्था में इनकी मामा जी ने परी के लोक को स्वीकार कर लिया होगा और इस मतलबी और मृत्यु लोक की दुनिया को छोड़कर अमर दुनिया की ओर चले गए। तो यह था आज का इनका अनुभव अगर यह अनुभव आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
|
|