नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। चुड़ैल का श्राप में अभी तक आपने जाना एक अंग्रेज औरत एक तांत्रिक से मिलने पहुंचती है। आगे क्या घटित होता है। हम लोग आज के इस अंतिम भाग में जानेंगे तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को ।
पत्र – गुरुजी आगे जो घटना बता रहा हूं वह एकदम सत्य है। शायद कुछ लोगों को इस पर यकीन नहीं आएगा। लेकिन जिसके जीवन और वंश परंपरा में यह सब कुछ घटित हो रहा है। वह सच में एक आश्चर्य से भरा हुआ सच है। गुरु जी इसके बाद उस अंग्रेज औरत और उस तांत्रिक के बीच में वार्तालाप आरंभ हो गया था।
उस बात में अचानक से वह अंग्रेज औरत बूढी होने लगी। यह देखकर उस तांत्रिक ने हंसते हुए कहा। तुझे मैंने एक साधारण औरत से अंग्रेज बना दिया। लेकिन फिर भी तेरी यह झुर्रियां जाने का नाम नहीं ले रही।
चल ऐसा कर इस बच्चे को तू लेकर आई थी। जिस की बलि मैंने दे दी है उसके रक्त को अपने चेहरे पर लगा। इससे तू एक बार फिर से जवान हो जाएगी।
अगले 7 वर्ष तक तेरी जवानी फिर से कायम रहेगी।
अंग्रेज औरत ने तुरंत जाकर। उस बच्चे के शरीर से निकल रहे रक्त को अपने चेहरे पर लगा लिया। और बुढ़िया होती जा रही उस अंग्रेज औरत को एकदम से। तीव्र जवानी फिर से वापस आई
असल में गुरुजी वह एक चुड़ैल की। जिसको उस तांत्रिक ने अपने कार्यों के लिए सिद्ध कर रखा था। उसने एक साधारण चुड़ैल को बहुत ही खूबसूरत अंग्रेज औरत में तब्दील कर दिया था। इसके कारण वह तांत्रिक के सारे कार्य किया करती थी। लेकिन सबसे बड़ा रहस्य! जिसकी वजह से वह मेरे दादाजी के पीछे पड़ी वह अब मैं आपको बताता हूं।
असल में मेरे दादाजी शतभिषा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति थे।
शतभिषा नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति की पहली संतान की बलि देने से विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ऐसा वह तांत्रिक सोचता था।
इसी कारण से इस नक्षत्र में जन्मे सभी व्यक्तियों की पहली संतान की बलि उस चुड़ैल के माध्यम से करवाता था। इसी कारण उसके पास बहुत ही शक्तिशाली तांत्रिक सिद्धियां हो गई थी।
और इसी? बच्चे के
रक्त से अगर कोई चुड़ैल अपने शरीर को। रंग लेती थी तो वह एक बार फिर से 7 वर्ष के लिए। अत्यंत ही खूबसूरत स्त्री में बदल जाती थी।
अपनी चुड़ैल के साथ भी ऐसा ही कर रहा था। उस चुड़ैल के माध्यम से उस तांत्रिक ने बहुत अधिक धन पैसा शक्तियां सब कुछ प्राप्त किया था ।
इसीलिए मेरे दादाजी को भी फंसा लिया था।
अब मैं आगे की कहानी सुनाता हूं।
वह औरत फिर मेरे दादाजी के घर पहुंच गई। दादाजी! एक इस चुड़ैल के वश में थे। वहीं दूसरी तरफ अपनी संतान के खो जाने के गम में बहुत अधिक तिलमिला रहे थे।
सबका शक इस अंग्रेज औरत पर जा रहा था किंतु मेरे दादाजी थे कि मानने को तैयार ही नहीं थे।
तभी गांव में एक और घटना घटी। गांव की एक नव दंपति की पहली संतान ने जन्म लिया।
यह सुनकर मेरे! दादाजी बहुत अधिक खुश हुए। और उन्होंने कहा, चलो, कोई बात नहीं। मेरे घर में संतान ने जन्म ना लिया हो लेकिन? मेरे मित्र के घर में तो संतान ने जन्म लिया है। अंग्रेज औरत कहती है। आपकी बात सही है। किंतु आपको इतना अधिक खुश होने की क्या आवश्यकता है? तब मेरे दादा जी कहते हैं। मेरी संतान ना बची तो क्या हुआ उसकी संतान बच गई। वह मेरा परम मित्र है और मजे की बात यह है कि मैं और वह एक ही दिन पैदा हुए थे। और इतना ही नहीं। वह और मैं! बिल्कुल कि एक समय पर पैदा हुए थे। हमारे बीच एक क्षण का भी अंतर नहीं है। यह सुनकर एक बार फिर अंग्रेज औरत! चौकन्नी हो गई।
रात को। नव दंपति की ओर बढ़ चली। रात को खाना खाने के बाद परेशान दादा जी!
अपने घर के बाहर टहल रहे थे। तभी उन्होंने अंग्रेज औरत को घर से बाहर जाते देखा और उन्होंने उसका पीछा किया। कुछ देर बाद उसी नव दंपत्ति की पहली संतान उठाकर अंग्रेज औरत को जाते हुए उन्होंने देखा और उन्होंने अपना सिर पकड़ लिया।
ऐसा उन्होंने बिल्कुल नहीं सोचा था। कि प्यारी और खूबसूरत दोस्त? ऐसा भी कुछ कर सकती है।
वह उसके पीछे पीछे जाने लगे। उन्होंने उसे रोकने की कोशिश नहीं की। क्योंकि वह यह जानना चाहते थे कि आखिर? यह औरत करना क्या चाहती है? और यह बच्चा चोरी क्यों कर रही है?
दादाजी जंगल में उसका पीछा करते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगे। थोड़ी देर बाद! वह अंग्रेज औरत। तांत्रिक के पास पहुंची।
तांत्रिक यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया। उसने कहा, तुझे तो अगले 7 साल में नया बच्चा लाना था। पर तू तो तुरंत ही ले आई कमाल है।
इस पर उस चुड़ैल ने कहा। तुमने जिस व्यक्ति के पास मुझे भेजा था? और जिसे पति की तरह। सुख दे रही थी। बड़े आश्चर्य की बात है उसी नक्षत्र में जन्मा एक और। इंसान है। और?
उसने आज एक नए बच्चे को इस दुनिया में। लाने का कार्य किया है।
मेरी नजर उस संतान पर पढ़ते ही मैं समझ गई इस पर भी। शतभिषा। नक्षत्र की छाया मौजूद है।
और तुम तो जानते ही हो इसे मैं कैसे गँवाती देखो मैं ले आई हूं।
अब तांत्रिक ने कहा ठीक है, मैं इस की बलि देता हूं। तांत्रिक ने अपनी तलवार निकाली कुछ मंत्रों का उच्चारण किया और तुरंत ही वार करने को तैयार हो गया। मेरे दादाजी जोकि छुपकर। पास ही सब कुछ देख रहे थे। उनसे रहा नहीं गया उन्होंने पीछे से आकर।
तांत्रिक पर तलवार से वार कर उसे मार डाला। यह देखकर वह अंग्रेज औरत चिल्लाते हुए वहां से भागने लगी। मेरे दादाजी उसके पीछे पीछे दौड़ने लगे।
अचानक से ही वह चुड़ैल अपने वास्तविक रूप में आकर भागती हुई बोली।
तूने मेरे!
गुरु की हत्या कर दी है जिसकी वजह से मैं अपना सौंदर्य कभी नहीं खोती
किंतु अब मुझे बुढ़िया बनकर अगले 7 वर्ष बाद रहना पड़ेगा। इसलिए मैं तुझे और तेरे खानदान को श्राप देती हूं कि तेरी और तेरे संतानों की पहली संतान मैं मार डालूंगी।
उसे कोई भी नहीं बचा पाएगा तेरे खानदान में पहली संतान मैं खुद आकर। मार डाला करूंगी। और यह कह कर गुरुजी वह? आसमान में उड़ गई और अदृश्य हो गई।
उसके बाद मेरे दादा जी घर वापस आ गए। उन्होंने सारी बातें सब को बताई।
इसके बाद मेरे! पिता का जन्म हुआ। और मेरे पिता की भी जब शादी हुई उनकी पहली संतान!
अचानक से ही मारी गई थी। उसे खून की उल्टियां हुई थी।
मेरे ताऊ जी के भी पहली संतान के साथ ऐसा ही हुआ था। मेरी भी! पहली संतान। मौत को प्राप्त हो गई थी गुरुजी!
अब मेरे पुत्र की! शादी का समय आ रहा है।
मैं चाहता हूं कि आप मेरे पुत्र के साथ ऐसा ना होने दें और सदियों से चले आ रहे इस श्राप से बचने का कोई उपाय बताएं।
बस यही आपसे जानने के लिए मैंने अपने वंश परंपरा में घटित हुई सच्ची घटना को आपको बताया है।
कृपया इस का मार्ग दिखाएं। नमस्कार गुरु जी!
संदेश – देखिए!
इस श्राप से बचने के लिए। मैं आपको? श्राप निवारण एक विशेष प्रकार की साधना बताऊंगा। उसको मैं आपको पीडीएफ़ भेज दूंगा। और उसी प्रकार से आप अवश्य ही यह कार्य संपादित करना लेकिन? इससे पहले आप गुरु मंत्र अवश्य ही संपूर्ण परिवार के साथ धारण करें। आपकी बहू भी आपका पुत्र भी सभी लोग गुरु मंत्र धारण करें इससे जो संतान। पैदा होगी वह भी गुरु मंत्र की शक्ति उसके अंदर स्वतः ही विराजमान होगी। ऐसी अवस्था में वह शक्ति उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी। बाकी अगर आप इस विशेष प्रकार की साधना को करेंगे तो सदैव के लिए आने आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित हो जाएंगी और अगर कुछ भी नहीं करना है तो सिर्फ गुरु मंत्र की पूर्णता शरण परिवार का प्रत्येक सदस्य ले ले तो यह श्राप अब नष्ट हो जाएगा। तो यह था आज का अनुभव का आखिरी भाग। अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।