जब पुलिस ने खुद भूत को देखा भाग 2-scary story अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है जब पुलिस ने खुद भूत को देखा यह दूसरा भाग है। चलिए जानते हैं और पढ़ते इनकी ईमेल पत्र को गुरुजी जब इस प्रकार पुलिस वालों के लिए ऐसे आदेश के बारे में मुखिया ने कहा कि आप लोग गांव के बाहर नहीं जा सकते हैं तो पुलिस वाला होने के कारण। इन सबके मन में एक गर्व तो पहले से ही रहता है और तब उन्होंने कहा कि आप हमें रोक नहीं सकते बल्कि हम। चाहे तो पूरे गांव को थाने में बंद कर सकते हैं। तब यह बात सुनकर मुखिया और वहां बहुत सारे जो पुरुष और स्त्रियां विद्यमान थे, वह सभी जोर जोर से हंसने लगे। तब मुखिया ने कहा कि आप लोग दूर से आए हैं इसलिए पहले भोजन कर लीजिए। बाकी अगर आपके अंदर क्षमता है तो यहां से बाहर लौट सकते हैं। और वहां पर बहुत सारे। गांव वालों ने उनकी आगे भोजन रख दिया। अब पुलिस वालों ने सोचा कि चलो जैसा भी है लेकिन यह लोग आवा भगत तो कर ही रहे हैं। इसलिए चलिए इनका भोजन कर लिया जाए और सबने उनका दिया हुआ भोजन कर लिया। भोजन सच में स्वादिष्ट था और तब पुलिस वालों ने कहा कि क्या आपको कुछ पता है कि बगल वाले गांव से कुछ लोग गायब हो गए हैं?
अगर आप लोग उनके बारे में कुछ जानते हैं तो बता दीजिए। यह सुनते ही वह गांव का मुखिया कहने लगा। कहीं आपका इशारा उन लोगों के लिए तो नहीं है? और उसने एक तरफ उंगली करते हुए दिखाया। वहां पर? एक पुरुष! और 3 स्त्रियां मौजूद थी।
उसमें से एक। सजी-धजी नव युवती भी थी।
बहुत जल्दी ही!
मेरी दादा जी को यह बात समझ में आ गई कि यह लोग वही हैं जो।
खो गए थे जंगल में और जिनके बारे में अब कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। तो बहुत तेजी से उन लोगों की तरफ बढ़े।
और उन लोगों से बात करने की कोशिश की तब वह कहने लगे कि हमें घर नहीं जाना है। हमारा घर तो यही है अब भला वहां जाकर क्या फायदा?
मेरे दादाजी और अन्य पुलिस वालों ने उन्हें समझाने की कोशिश की। तब हंसने लगे। और कहने लगे।
कि देखो जो तुम कर सकते हो उससे ज्यादा हम कर सकते हैं। फिर वापस लौटने का क्या मतलब है?
यह बात सुनकर के मेरे दादाजी ने कहा, हम चाहे तो अभी आप लोगों को गोली मार सकते हैं। क्या आपके पास ऐसी ताकत है तो वह तीनों हंसने लगे? सिवाय उस लड़की के जो कि उदास बैठी हुई। ऐसा लगता था जैसे कहीं खोई हुई है।
उन्होंने कहा, देखो! अगर आप हम लोगों को छू लेते हैं तो हम आप लोगों के साथ चलेंगे।
यह एक अजीब सी शर्त थी। लेकिन? मेरे दादा ने।
इस प्रकार जब सुना। तो उन्होंने कहा, ठीक है हम लोग आप को लेकर चलते हैं और जैसे ही वह उनकी और बढे वह एकदम से दो कदम पीछे हो गए और फिर। मेरे दादाजी ने कहा। जाओ इन लोगों को पकड़ो। और सब लोग उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ने लगे। वह हंसने लगे। वह हंसते-हंसते ऐसे दौड़ते थे जैसे कि उनके पैरों में स्प्रिंग लगे हो। वह कभी-कभी पेड़ों के ऊपर तक चढ़ जाते और जब पुलिस वाले पेड़ों पर चढ़ने की कोशिश करते तो वह फिर दूसरे पेड़ में कूदकर नीचे उतर आते और हंसते हुए भागने लगते। यह देख कर! सारे पुलिसवाले अचंभित रह गए।
और तब मेरे! दादा जी को कुछ कुछ समझ में आने लगा।
किसी भी इंसान में इतनी शक्ति नहीं होती है और अगर किसी को दौड़ाया जाए तो पुलिस में होने के कारण उन्हें यह पता था कि कुछ देर बाद वह व्यक्ति थक जाता है। पर यह तो थक ही नहीं रहे हैं। उल्टा इनकी गति और ज्यादा तेज हो जाती है।
मेरे दादाजी कुछ कुछ समझ रहे थे बात को पक्की करने के लिए। उन्होंने उनके पास रखी हुई। माचिस को। जलाया। और जैसे ही उन्होंने माचिस को जलाया। वहां पर जितने भी लोग थे, सारे के सारे गायब हो गए। इस प्रकार सारे लोग क्यों गायब हो गए? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न था। सिवाय उस लड़की के। वह लड़की गुपचुप सी बैठी हुई थी। मेरे दादाजी समझ चुके थे कि यह वही लड़की है जो उस गांव के सबसे अमीर व्यक्ति के घर बहू बनकर आई थी। और उस दिन शौच पर जाते हुए।
इसी का अपहरण शायद इन लोगों ने कर लिया।
तुम्हें लड़की के पास पहुंचे। जिसके हाथ में एक पत्ता था।
वह बेल का पत्ता लग रहा था।
और जैसे ही उन्होंने उस लड़की को छुआ वह हड़बड़ा गई। और जोर-जोर से रोते हुए बोलने लगी। मैं यहां कहां फस गई हूं। आप मुझे बताइए आप लोग तो पुलिस वाले लगते हैं। मैं भूत प्रेतों की दुनिया में आ गई हूं।
यहां के लोग कह रहे थे कि वह मेरा विवाह। यहां के मुखिया के लड़के से करवा देंगे।
मेरी तो शादी हो चुकी है।
बहुत विचित्र बात है। मैं यहां कैसे आ गई?
और कितने दिन से जीवित कैसे हो? मेरे साथ इन तीन लोगों को देखिए जिनको आप पकड़ने की कोशिश कर रहे थे।
यह भी इंसान थे लेकिन अब यह भूत बन चुके हैं।
सोच रहे होंगे यह सब क्या है पर यह सत्य है? आपको यहां की एक विशेष बात बताती हूं। जैसे ही सुबह हो जाएगी। सारे गांव के लोग सो जाएंगे।
तब मैंने कई बार कोशिश की इस गांव से बाहर निकलने की लेकिन! इस गांव का रहस्य क्या है, मैं नहीं समझ पा रही? आप लोग शायद वापस जाने का रास्ता जानते होंगे। कुछ ही देर में सुबह हो जाएगी। तभी हम लोग यहां से बाहर निकल सकते हैं।
उसकी बात को सुनकर सारे पुलिस वाले अचरज में आ गए लेकिन आंखों देखी बात को। भला कैसे विश्वास नहीं किया जाए, यह तो सच में वहां पर घटित हो रहा था। मेरे दादाजी ने कहा, अगर तुम्हारी बात सत्य है? तो थोड़ी ही देर में पूरा गांव सो जाएगा तब हम लोग कोशिश करेंगे यहां से निकलने की।
सुबह के 4:30 बजते ही सूरज का प्रकाश धीरे-धीरे निकलने लगा और सच में जो जहां था वहीं पर लेट गया और फिर उसी जगह से गायब भी हो गया। पूरा गांव वह मकान। उपस्थित सारे लोग यहां तक कि वह 3 लोग भी।
गायब हो गए।
स्त्री और पुरुष! जो लोग भी थे, वह भी गायब हो गए।
और पता नहीं कितने और लोग थे जो इधर आए होंगे और फिर गायब हो गए थे। वह संख्या ज्यादा बड़ी थी।
लेकिन इतने समय से लोगों ने? इनका पता लगाने ही छोड़ दिया। इसीलिए इनकी संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई थी।
गांव में भी जो लोग। स्वयं पुलिस के पास गए। उन्हीं के बारे में जानकारी थी कि वह गायब हुए हैं। जबकि गायब होने वालों की संख्या कहीं ज्यादा थी।
स्त्री ने कहा अब! जितनी जल्दी हो सके हम लोगों को यहां से निकल जाना चाहिए। जब तक सूरज का प्रकाश रहेगा तब तक हम लोग।
यहां से बाहर निकल सकते हैं उसके बाद फिर इन भूतों का। जमावड़ा यहां इकट्ठा होने लगेगा। मैंने किस प्रकार से? इतने दिनों तक अपनी जान बचा कर रखी है, मैं ही जानती हूं। और फिर सारे लोग पुलिस वाले वह स्त्री। गांव में चारों तरफ घूमने लगे पर वह गांव एक चक्र घनी जैसा था। जिसमें किधर भी जाओ तो वापस उसी स्थान पर लौट कर आना पड़ता था। वह गांव यद्यपि जंगल में बसा हुआ था। फिर भी उससे बाहर निकलने का कहीं कोई रास्ता मौजूद नहीं था।
लगभग दोपहर होने को आ गई। वह लोग काफी थक चुके थे। लेकिन फिर भी उन्हें गांव से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा था। तब मेरे दादाजी ने उस लड़की से कहा, स्पष्ट रूप से बताओ तुम इतने दिनों में खुद मर कर भूत क्यों नहीं बन गई। ऐसा क्या तुम कर रही थी जिसकी वजह से बची हुई हो तो वह कहने लगी। भूत जब खाना बनाकर रखते थे तब मैं हमेशा खा लेती थी और उसके बाद भागकर इस पेड़ के नीचे बैठ जाती थी।
यह बेल का? वृक्ष है।
यही वह भूत नहीं आते थे। मैं सबको देखती थी पर शायद वह मुझे नहीं देख पाते थे।
लेकिन फिर भी मुखिया और बाकी लोग देख लेते थे। पर वह मेरी ओर नहीं बढ़ पाते थे और कहते थे कि यह सुंदर सी लड़की की शादी वह। अपने लड़के से करवा देंगे। तब तक यह नहीं मानेगी कभी तो तैयार होगी ही। शायद वह मेरे मरने का इंतजार कर रहे हैं। ज्यादा दिन तो मैं वैसे भी जिंदा नहीं रह पाऊंगी।
आप लोग ही कुछ बताइए?
पुलिसवाला दिमाग होने के कारण मेरे दादाजी ने तुरंत ही उस बेल के पत्ते को तोड़ा।
और कहा इसी को तुम ने पकड़ रखा था ना? उस लड़की ने कहा हां!
ऐसा करो! जिस रास्ते से तुम्हें लाया गया हो उस पूरे रास्ते को मुझे बताओ। देखते हैं कि हम क्या सफल हो पाते हैं अथवा नहीं।
उस लड़की ने सीधा सीधा रास्ता बता दिया। और तब सब लोग चलने लगे। मेरे दादाजी! इस पेड़ की बहुत सारी डालियों को अपने साथ। तोड़ दिए और पुलिस वालों से कहा एक डाली! नीचे रखो उसके ऊपर चलो। फिर अगली डाली को उसके आगे रखो। उसके ऊपर चलो और उसके बताए गए रास्ते से चलते चलो।
और वह!
इस स्थान तक पहुंच गए जहां से उन्हें काफी साफ़।
वह गांव दिखाई दे रहा था, जहां से वह आए थे। और अद्भुत चमत्कार के साथ वह उससे बाहर निकल गए। तब?
सब मेरे दादा की प्रशंसा की उनसे पूछा, आप इनकी दुनिया से हमारी दुनिया में कैसे वापस यह बेल पत्री? की डालियों से कैसे यहां तक आना हुआ? तब उन्होंने कहा, मैंने लड़की को देखा था। यह बेलपत्र पकड़े हुए थी। इसीलिए भूत इसका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे थे। बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाया जाने वाला उनका प्रिय।
पत्ती है। इसी कारण से मैंने सोचा कि अगर एक पत्ता इस कन्या को बचाए रख सकता है तो बेल वृक्ष की डालियां। हमें मार्ग दिखाएंगे इसीलिए मैंने बेल की बहुत सारी टहनियां तोड़ने को कहा और उन टहनियों के ऊपर चलने को कहा ताकि हम इनकी दुनिया से अपनी दुनिया जाने का एक मार्ग बना सके। मैं मन ही मन ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी कर रहा था और देखो उनकी दुनिया से इस दुनिया में वापस लौट आए हैं।
तभी उन्हें वह औरत! दिखाई दी जो फिर से सभी को पानी पिला रही थी। वह औरत तेजी से इनकी और आई और कहने लगी। तुमने खुद को मुक्त कर लिया।
मुझे भी मुक्त करो!
तब मेरे दादाजी ने उसे कहा कि तुम जो पानी दूसरों को पिलाती हो, इस बेल पत्र के साथ खुद पी जाओ।
उसने ऐसा ही किया और सच में चमत्कार घटित हुआ वह अपने।
देवी रूप में वापस आ गई और तब उसने कहानी बताइ। क्या आज से? करीब 1000 साल पहले इस गांव में। डाकूओ ने हमला किया था। हम सभी उस वक्त! अलग-अलग काम कर रहे थे। मैं खुद पानी पिला रही थी सबको डाकू ने गांव के सारे लोगों को।
जलाकर मार डाला और हमारा धन लूट लिया था। तभी से प्रेतात्मा बनके यह पूरा गांव यहां पर स्थित है। वह अमावस की काली रात थी। इसीलिए अमावस्या के दिन ही हमारा गांव जाग जाता था और।
अपनी संख्या बढ़ाने के लिए क्योंकि मुखिया का मानना था अगर उनकी संख्या ज्यादा होती। तो निश्चित रूप से वह डाकू को हरा सकते थे। इसीलिए हम! जो भी इंसान यहां से अमावस की रात। या उस दिन गुजरता था उसे अपने अंदर खींच लेते थे और हमारी संख्या इसी तरह बढ़ती जा रही थी आज से। यह रास्ता हमेशा के लिए मैं बंद कर देती हूं। ताकि कोई इस दुनिया में वापस ना लौट सके। यह कहते हुए उसने बेलपत्र! और पानी को तेजी से उधर की ओर फेका और वह रास्ता हमेशा के लिए बंद हो गया।
मेरे दादा जी का कहना है कि यह एक सत्य घटना थी जो सब पुलिस वालों ने खुद मिल कर के देखी थी। लेकिन इसकी रिपोर्ट जब उन्होंने अधिकारियों को बताई तो वह हंसने लगे। उन्होंने गुमशुदगी का रिपोर्ट भी बंद कर दी। हांलाकि लड़की को वापस लाने के लिए उन्होंने।
मेरे दादाजी को इनाम भी दिया था लेकिन इस बात पर कोई विश्वास नहीं कर पाया। इसीलिए मेरे दादाजी ने भी कहा कि यह औरत हमें जंगल में मिल गई थी।
इस प्रकार यकीन वैसे ही बंद कर दिया गया, लेकिन मेरे दादाजी के माध्यम से मैं यह बात जान पाया कि उन लोगों ने जब। उस गांव के माध्यम से खुद भूतों को देखा था, उनकी लीला को देखा था। इसीलिए! इस कहानी का टाइटल मैंने जब पुलिस ने खुद भूत को देखा के माध्यम से मैंने आपको भेजी थी। गुरुजी अगर आपको यह घटना पसंद आई हो तो अवश्य आप इसे सभी लोगों को सुनाइएगा। धन्यवाद गुरु जी
सन्देश- यहां पर इन्होंने। इस बात को बताया कि कैसे हमारी दुनिया से लगी हुई चमत्कारी दूसरे आयाम की भूत प्रेतों की दुनिया में स्थापित हो गई थी और समझदारी के माध्यम से क्योंकि बेलपत्र भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। उनका प्रिय होता है उसी के माध्यम से बुद्धिमानी से उनकी दुनिया से बाहर निकल पाये वरना वहीँ फंसे रह जाते और भूत प्रेत बन जाते तो थी यह जानकारी और कथा आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।