जब पुलिस ने खुद भूत को देखा-scary story भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो हमारा अनुभव है, एक ऐसी घटना से संबंधित है। जब खुद पुलिस अधिकारियों ने भूतों को देखा था, पर यह घटना आज से काफी समय पहले की है तो चलिए जानते हैं। इस घटना के विषय में और पढ़ते हैं। इस ईमेल पत्र को तो यह घटना के विषय में जिन्होंने पत्र भेजा है। वह कहते हैं कि
गुरु जी आप को मैं प्रणाम करता हूं। आप कृपया अपने शब्दों में मेरी इस सत्य घटना को प्रकाशित कीजिएगा। गुरु जी मैं आपका चैनल कई वर्षों से देखते चले आ रहा हूं। आप पारलौकिक जीवन के विषय में रिसर्च करते हुए अनुभवों को अपने चैनल पर प्रकाशित करते हैं। इसीलिए मैंने जो बातें अपने परिवार के लोगों से सुनी है वही बताने के लिए आपको। इस ईमेल पत्र को लिखकर भेजा है। अगर आपको यह घटना अच्छी लगे तो आप से निवेदन है कि इस पर वीडियो अवश्य बनाएगा।
गुरुजी! यह बात 1960 के समय की है। उस वक्त देश को आजाद हुए केवल 12 वर्ष ही हुए थे। और? मेरे दादाजी उस वक्त पुलिस डिपार्टमेंट में ही मौजूद थे। और उस वक्त पुलिस से लोग डरते भी थे।
लेकिन एक बार एक गांव में एक ऐसा केस आया। उन्होंने उसे! सबसे बताया था। वही बात जब मुझ तक पहुंची तब मैंने आपको इस विषय में अवगत कराया है। गुरु जी आपको मैं बता दूं यह घटना। बहुत ही विचित्र है एक गांव में एक औरत! जंगल में जाकर लकड़ी काटकर आती थी। एक दिन जब वह वापस नहीं आई। तब उसके परिवार के लोगों ने उसे जंगल में ढूंढा। लोगों के मन में यह डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर उसे मार कर। खा तो नहीं गया है। और अभी शादी हुए 5 या 6 वर्ष हुए थे।
सबकी ढूंढने की बावजूद वह दिखाई नहीं पड़ी। गांव वालों ने यह सोचा कि शायद वह मर गई होगी। इसलिए! कुछ दिनों बाद इस घटना को सभी लोग भूल गए। थाने में इस बारे में खबर तो दी गई लेकिन उन्होंने भी इस घटना को सामान्य समझ कर कुछ दिनों बाद बंद कर दिया। लगभग इस घटना के 1 महीने बाद गांव में एक औरत फिर से जंगल में जाकर गायब हो गई।
इस बात से? लोगों ने।
सोचा कि कोई जंगली जानवर ऐसा कर रहा है। लेकिन जंगल से लकड़ी लाए बिना उस वक्त चूल्हे नहीं जलते थे।
ऐसा समय था जब न तो गैस थी और ना ही खाना बनाने के लिए कोई अन्य तरीका इसलिए जंगल से लकड़ी लाना अनिवार्य था। इसलिए! पुरुषों ने अपनी स्त्रियों को भेजना बंद कर दिया। लेकिन? कुछ दिनों बाद एक और घटना घटी एक पुरुष ही गायब हो गया।
अब तो जैसे गांव में तरह-तरह की बातें होने लगी। कोई कहता कि कोई जानवर है जो सब को मारकर खा जाता है। 1 महीने तक भूखा रहता है। उसके बाद अपना शिकार किसी को भी बना लेता है।
पुलिस तक यह बात बार-बार जा रही थी। इसलिए पुलिस की एक टीम गठित की गई। एक महीना बीतने पर पुलिस और गांव वालों ने मिलकर यह तय किया कि अब एक महीना हो चुका है और हर महीने कोई ना कोई जो जंगल में जाता है, गायब हो जाता है इसीलिए अब। कुछ लोग जो कि बड़े हिम्मती थे हथियार लेकर। जंगल में स्वयं जाएंगे।
तब पुलिस वाले जिसमें मेरे दादाजी भी शामिल थे और कुछ गांव के व्यक्ति!
सभी जंगल में चले गए। क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि आज के दिन कोई ना कोई विशेष घटना अवश्य घटेगी। लेकिन रात को वह सब वापस आ गए। किसी के साथ कुछ भी घटित नहीं हुआ। अगले दिन एक बार फिर से। वैसा ही किया गया। पर उस दिन भी कोई बात देखने को नहीं मिली गांव में।
गांव के सबसे धनी व्यक्ति के यहां बहू आई थी। और क्योंकि उस समय में।
शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ता था इसलिए वह कुछ स्त्रियों के साथ शौच करने के लिए। अपने घर से पास के ही जंगल की तरफ थोड़ी दूर गई। लेकिन कुछ देर बाद चीख-पुकार मच गई।
औरतो ने वहां? चिल्लाना शुरू कर दिया। गांव वालों तक यह बात पहुंची और सभी वहां दौड़कर आ गए। औरतें डरी हुई थी। सभी चीख पुकार मचा रही थी।
तब उन्होंने जो कहा। उससे और भी ज्यादा डरावना माहौल वहां का तैयार हो गया था। औरतो ने कहा कि उन्होंने कई सारे काले सायों को देखा है। जो कि इधर से उधर बड़ी तेजी से जा रहे थे।
और क्योंकि चारों तरफ सफेद रंग का धुआं फैल गया था। इसीलिए कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
गांव वालों ने कहा, क्या सभी लोग सुरक्षित हैं? सब ने कहा हां! लेकिन तभी! उनकी। नजर इस बात पर गई कि उनके साथ आई हुई नवेली बधू गायब है।
तब सबने घबरा कर इधर-उधर।
देखना शुरू कर दिया, लेकिन वह नवेली वधू कहीं किसी को नहीं दिखाई पड़ी। यह इस गांव की चौथी घटना थी।
अब तो? यह बात गांव में फैल गई कि जंगल में भूत रहा करते हैं। और यह अवश्य ही! सब के साथ बहुत बुरा करते हैं। इंसान हमेशा के लिए गायब हो जाता है।
इसलिए जब भी गांव का कोई व्यक्ति लकड़ी लेने जाए तो सारे लोग एक साथ एक गुट में जाए। पुलिस वाले पता लगाने की कोशिश करते रहे लेकिन उनकी हाथ भी कुछ नहीं लगा।
अब एक बार फिर से!
पांचवा महीने। की शुरुआत थी यानी कि सभी तैयार थे कि कुछ ना कुछ इस महीने। के इन दिनों में घटित होगा क्योंकि हमेशा ही। हर महीने की शुरुआत में ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है। इसलिए सब लोग तैयार हो गए थे।
पुलिस वाले भी गांव वालों के साथ में मिलकर के इस अभियान को सफल बनाना चाहते थे।
और क्योंकि यह बात अब भूत और प्रेत से जुड़ी हुई थी। इसीलिए अब यह आवश्यक हो गया था कि किसी तांत्रिक या साधु की मदद ली जाए। इसलिए उन्होंने एक तांत्रिक को बुलाया तांत्रिक ने कहा।
आप सभी मेरा दिया हुआ सिद्ध ताबीज पहनकर ही। जंगल के अंदर जाएं। क्योंकि अगर आप ऐसे ही चले गए तो बड़ी समस्या हो सकती है। अभी तक आप लोगों ने देखा ही है कि कितनी बड़ी समस्या आ चुकी है।
इसलिए उसके दिए गए ताबीज को पहन लिया। और उसे पहनकर! पांच पांच लोगों के गुट में।
जंगल में लकड़ी काटने जाने लगे।
तब? पुलिस वाले भी 5-5 के गुट में जंगल में घूमने लगे।
कि तभी मेरे दादा और उनके साथ चार और कॉन्स्टेबल।
एक ऐसी जगह पर पहुंचे। जहां पर? एक औरत पानी भर रही थी। जंगल की बीच में वहां पर एक कौवा था।
उसको ऐसे वह पानी भर रही थी और वहां पर कुछ और लोग आकर उससे पानी ले रहे थे।
तब इन लोगों ने भी पूछा कि आप कौन हैं और सब को पानी जंगल के बीच में कैसे दे रही हैं। अभी तक तो हमने इतने दिनों में यहां पर कोई कुआं नहीं देखा था।
तब वह औरत ज्यादा कुछ नहीं बोली। और कहने लगी पानी चाहिए क्या? इन लोगों ने कहा नहीं, हमें पानी नहीं चाहिए। लेकिन बताओ तुम कौन हो? वह! कुछ बोले। इससे पहले मेरे दादाजी ने कहा।
अच्छा मैं आपको आपकी सुरक्षा के लिए कुछ देना चाहता हूं। मेरे दादाजी ने उसे ताबीज दिखाया। जैसे ही उसे ताबीज दिखाया, वह औरत अचानक से दो कदम पीछे हट गई और कहने लगी इससे मुझे दूर करो। मैं ऐसी चीजों से बहुत दूर रहती हूं। तब मेरे दादाजी को कुछ शक हुआ। उन्होंने अन्य पुलिस कॉन्स्टेबल से कहा। देखो! अगर! इनको हम लोग! यह ताबीज पहना दे तो जंगल में यह सुरक्षित रहेंगी।
तब सभी पुलिस वालों ने कहा, आप इसे पहन लीजिए तब वह कहने लगी, मैं इसे नहीं पहनने वाली।
तब पुलिस वालों ने कहा। गेट ठीक नहीं है इस जंगल में। बहुत बुरी घटनाएं हो रही हैं। यहां पर पुरुष और स्त्री गायब हो जाते हैं। इसीलिए आपको इसे पहन लेना चाहिए। हमारी सलाह मानिए! आप इसे पहन लीजिए। तब वह औरत कहने लगी। अगर ऐसा ही है तो आप इस ताबीज को कुएं की दहलीज पर रख दीजिए। मैं सब को पानी पिलाने के बाद देखती हूं।
तब मेरे! दादाजी ने कहा, हम आपकी सुरक्षा के संदर्भ में ही चिंतित हैं। इसीलिए हमने आपसे इस तरह की मांग रखी है। आप किसी भी प्रकार से इस बात के लिए परेशान मत होइए। हम आपकी मदद करना चाहते हैं तब उसने कहा। आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। मैं यहां पर सुरक्षित रहती हूं। और इतने सारे लोगों को पानी पिलाती रहती हूं।
जिसको भी गर्मी लगती है वह यहां आकर पानी पी लेता है।
तब मेरे दादाजी ने कहा, आप क्या सामने वाले गांव की रहने वाली है। मैंने तो इससे पहले आपको नहीं देखा है? तब वह कहने लगी नहीं। मैं दूसरी तरफ के गांव की रहने वाली हूं। तब मेरे दादा को कुछ शक हुआ। उन्होंने कहा कि सामने तो बहुत दूर तक कोई गांव नहीं है। हम लोग इस जंगल के पार अभी तक नहीं गए। तब उस औरत ने हंसते हुए कहा। आदमी की नजर जितनी दूर देख सकती है और जितना वह चल सकता है उतनी ही दूरी तक को सच्चाई समझ लेता है।
उसकी बाद वह नहीं देख पाता है। चलिए, अगर आप लोगों के पास समय हो तो मैं अपने गांव में आप लोगों को लेकर चलती हूं।
यह बात सुनकर मेरे दादा और सारे पुलिस वाले आपस में एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं। सबके मन में। यह शंका थी कि यहीं से सारे रहस्य पता लगेंगे और अगर हम लोग इसके साथ में नहीं जाएंगे तो यह बात भी यही दब जाएगी। इसलिए उन्होंने कहा, ठीक है आप अपने गांव हमें लेकर चलिए। हम सभी आपके गांव चलने के लिए तैयार हैं। वह औरत बड़ी खुश हो गई।
वह बाल्टी कुवे के अंदर फेंक दी। और कहा चलिए मेरे साथ?
उसकी इस तरह की हरकत से बड़ा आश्चर्य हुआ। क्योंकि कोई भी कुए के अंदर पानी की बाल्टी नहीं फेंकता है। उसे केवल अंदर डाला जाता है पानी निकालने के लिए। लेकिन यहां पर तो उसने बाल्टी अंदर फेंक दी है।
मेरी दादा ने पुलिस वालों को इशारा किया। शायद यह मानसिक रूप से कोई बीमार औरत है। लेकिन हमें रहस्य का भी तो पता लगाना है। इसीलिए यह आवश्यक हो जाता है कि हम लोग इसके साथ इसके गांव की तरफ चलें। तब वह आगे आगे चलने लगी। और बाकी पुलिस वाले और मेरे दादाजी भी साथ में। उसके पीछे पीछे चलने लगे। लगभग!
15 मिनट के बाद ही उसका गांव सामने दिखाई दिया।
यह देखकर सारी पुलिस वाले! अचंभित रह गए। क्योंकि जितना वह अभी तक इस पूरे क्षेत्र में भ्रमण किए थे, उनकी दृष्टि में ऐसा कोई गांव उपलब्ध ही नहीं था।
क्या जंगल के बीच में ऐसा कोई गांव है? जिसके बारे में उन्हें आज तक पता ही नहीं था।
सभी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। लेकिन सच्चाई तो सामने खड़ी थी। वहां पर सच में एक विचित्र प्रकार का गांव था।
जो कि बाहर से देखने में बड़ा ही खूबसूरत दिखाई दे रहा था।
तब उस औरत ने कहा, आप सभी का स्वागत है हमारे गांव में चलिए अंदर! और फिर सभी लोग उस गांव के अंदर चले गए।
वहां पर वह औरत सबसे कह रही थी। यह हमारे मेहमान हैं। इनकी खातिरदारी में कोई कमी ना हो। और वह मुखिया के घर तक लेकर गई। वहां पर? मुखिया का घर किसी राज महल से कम नहीं था। वह बाहर निकल कर आया और कहने लगा। आप लोग बड़ी दूर से आए हैं। आप लोगों के लिए हमने भोजन तैयार कर दिया है। आप सभी को वह खाना है।
तब मेरे दादाजी और बाकी पुलिस वालों ने भोजन करने से मना कर दिया और कहा, हमारा वापस लौटने का समय हो चुका है। इसलिए हम सभी को आज्ञा प्रदान कीजिए। तब मुखिया और बाकी लोग कहने लगे। आप लोग वापस नहीं जा सकते। एक बार जो हमारे गांव के अंदर आ जाता है वह वापस नहीं लौट सकता।
यह सुनकर सारे लोग अचंभित हो गए थे। आगे क्या हुआ गुरुजी इसके आगे की घटना अगले पत्र के माध्यम से आप अवश्य प्रकाशित कीजिएगा? आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद ।
सन्देश- यहां पर इन्होंने, पुलिस वालों ने जब खुद भूत देखा कहानी के माध्यम से उस वक्त 1960 की एक घटना को बताया है। अगर यह घटना और जानकारी आपको पसंद आ रही है तो चैनल को लाइक शेयर और सब्सक्राइब करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।