जब हुए राधा कृष्ण के साक्षात् दर्शन सच्चा अनुभव भाग 1
मेरा मन तो माता के इसी स्वरूप में लगता है मुझे दुर्गा सप्तशती और माता के मंत्रों के जाप में ही आनंद आता है। किसी और देवी देवताओं के मंत्रों में कुछ भी आनंद नहीं आता है। तब वह कहने लगे अगर आपको इतना ही विश्वास है तो इन मंत्रों की शक्ति तो अब तक आपको जॉब मिल जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ है इसलिए आप बड़े मंत्र का जाप कीजिए। साधक को यह बात अंदर से बुरी लगी। लेकिन क्योंकि वहां पर पिताजी मौजूद थे इसलिए उसने कुछ भी उन्हें नहीं कहा।बस इतना कहा कि आपने अभी तक कितने गायत्री मंत्र का जाप किया है तो वह गर्व से कहने लगे मैंने 12 पुरश्चरण कर लिए हैं और एक पुरश्चरण 24 लाख होता है। इसलिए मैंने बहुत बड़ी संख्या में मंत्र जाप किया है। मुझे सिद्धि भी प्राप्त है और इस सिद्धि के कारण मैं किसी को कोई दवाई देता हूं तो वह ठीक भी हो जाता है। तब उन्होंने कहा, अगर आप के मंत्र में इतना ही पावर है तो आप अभी तक धन के लिए क्यों तड़प रहे हैं यह बात? गायत्री उपासक को भी अच्छी नहीं लगी और उसने कहा, अगर तुम्हारे मंत्र में बहुत अधिक दम है तो जाओ। माता से प्रार्थना करो कि तुम्हें धन की प्राप्ति हो जाए। घर वालों किसी भी सदस्य से आपको धन ना लेना पड़े। क्या ऐसा चमत्कार आप का मंत्र और आपकी साधना कर सकती है क्या? वरना आप? को गायत्री मंत्र उपासना करनी पड़ेगी। क्या आप इस चैलेंज को स्वीकार करते हैं? तब साधक को अंदर से बुरा लगा। वह कुछ नहीं बोला। रात को रोने लगा। माता की आराधना करने के बाद रोते हुए माता से प्रार्थना की माता आज के बाद मुझे किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े। मुझे धन की प्राप्ति हो। मैं अपनी पीएचडी पूरी कर पाऊं। इन सब के लिए आप कृपा कीजिए। तब साधक ने इस प्रकार रात को प्रार्थना की और रोते हुए सो गया। यह पहली बार था जब उसने माता से कुछ मांगा था। यह बहुत बड़ी बात थी।
और देवी मां कभी भी अपने किसी भी याचक को खाली हाथ नहीं जाने देती है और उस रात के बाद अद्भुत बातें होने लगी। लगभग 1 हफ्ते बाद अचानक से नेट एग्जाम! का रिजल्ट में बदलाव हुआ जो नेट में पास हुए थे। उसके संदर्भ में एक नया नोटिफिकेशन आया और बताया गया कि कुछ प्रश्नों में बदलाव किया गया है और उनके उत्तरों में भी बदलाव हुआ है और उसकी फिर कुछ ही दिन बाद नेट एग्जाम पास किए हुए छात्र अब jrf(जूनियर रिसर्च फेलोशिप) हो चुका था क्योंकि जिन प्रश्नों का बदलाव हुआ वह सारे सही हो गए और उनकी वजह से साधक का चयन जे आर ऍफ़ में हो गया था। अब यह बात साधक के लिए बहुत अच्छी थी। साधक ने एक यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया और वहां जेआरएफ और बाकी चीजों के सर्टिफिकेट लगा दिए। इस प्रकार आगे कहानी चलने लगी, लेकिन बात वही हुयी एक बार फिर से वही गायत्री उपासक आए और कहने लगे। क्या माता ने तुम्हारी प्रार्थना सुनी या फिर सब वैसे ही चल रहा है? साधक इस बार भी कुछ नहीं बोला। रात को फिर से वह माता की शरण में गया और कहने लगा। मां अब तो मेरी सुनो कब तक मेरी नहीं सुनोगी। बचपन से मैं आपकी आराधना करते आया हूं मैं केवल आपका मोक्ष के लिए जाप करता था लेकिन माता इस जीवन को जीने के लिए भी तो आवश्यकता होती है आप मेरी मदद करो मां!
और उसके बाद जो अद्भुत चमत्कार उसके जीवन में घटित हुआ वह वास्तव में अतुलनीय था।
थोड़ी देर सोने के बाद अचानक से वह साधक अपने आप को एक मंदिर के बाहर पाता है जो कि भगवान श्री कृष्ण का था। तभी वहां पर एक लड़की उसे खड़ी हुई दिखाई देती है। वह उसका हाथ पकड़ती है और कहती है, रात हो गई है। चलो निधिवन में चलते हैं। वह कहता है यह तो खतरनाक जगह है। कहते हैं यहां रात को नहीं जाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं यहां होती है, पर वह कहती है। अरे चलो तो और वह उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ निधिवन में प्रवेश करवा देती है। रात्रि का समय था इसलिए अद्भुत बातें होनी थी। जैसे ही वह निधिवन में प्रवेश करता है तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता। जमीन के अंदर उसे बड़ी मात्रा में सोना चांदी जवाहरात दिखाई देने लगते हैं जो कि धरती के अंदर काफी गहराई में गड़े हुए थे। यह देखकर वह उस कन्या से पूछता है। यह सब क्या है तो वह कहती है शायद तुम्हें पता नहीं और इस जगह का कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं जानता है। असल में इसे निधिवन इसीलिए कहा जाता है क्योंकि महाराज कंस का सभी लोगों से जबरदस्ती इकट्ठा किया गया। बहुत मात्रा में सोना चांदी हीरे जवाहरात इस वन के नीचे पड़े हुए हैं। वह पाप का धन है। इस पाप के धन को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान श्री कृष्ण ने यहां लीला रची और इसके ऊपर उन्होंने अपने प्रिय मित्र सखियों के साथ में अपनी लीलाएं की ताकि यह पाप नष्ट होता जाए क्योंकि यह धन बहुत पाप से कमाया गया था और इस पूरे क्षेत्र को गंदा कर देता। अपनी पाप की ऊर्जा के कारण किसी कारण से इसका नाम निधिवन है। लेकिन इस रहस्य को आज तक कोई नहीं जानता था। तुम पहले हो जो इसके बारे में जानते हो तब साधक ने कहा, यह तो ठीक है लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि? इस निधिवन में ज्यादा देर नहीं रुक सकते हैं, वरना लोग अंधे हो जाते हैं। यहां के रहस्य को नहीं जानते हैं। फिर वह हंसने लगी और कहने लगी। अभी तो सिर्फ शुरुआत है। देखो आगे क्या क्या होता है। साधक डरने लगा कि तभी वहां पर भयानक आवाजें आने लगी। उसने वहां पर लताओं को सर्पों में बदलते हुए देखा भयानक तरीके से वहां पर अजीब तरह की आवाजें अजीब तरह के दृश्य उत्पन्न होने लगे कि तभी एक विशालकाय बवंडर आया। उस बवंडर को देखकर साधक को यकीन नहीं था कि यह क्या है लेकिन सच में उसके साथ अब जो घटित हुआ वह अद्भुत था।
एक बवंडर उसे घुमाकर बहुत दूर ब्रह्मांड में दूसरे स्तर पर लेकर जाने लगा। एक ऐसी जगह पहुंचा जहां पर जब उसने अपनी आंखें खोली तो दृश्य ही बदला हुआ था। एक बहुत सुंदर वन जिसमें अद्भुत सुंदर दृश्य थे। वहां के नदी झरने वहां के वृक्ष फल फूल लताएं सभी बात करते थे। उनकी सुंदरता अद्भुत थी। उन सभी पेड़ पौधों जमीन पत्तों जल इन सब में अद्भुत सौंदर्य भरा था। वन इतना ज्यादा सुंदर था कि अगर कोई एक बार उस में उतर जाए तो फिर देखता ही रह जाए कि तभी वहां पर थोड़ी दूर पर उन्होंने जो देखा, वह और भी ज्यादा अद्भुत था। उन्होंने देखा सामने भगवान श्री कृष्ण पद्मासन मुद्रा में ध्यान करते हुए किसी मंत्र का जाप कर रहे थे और उनके पास ही 8! कन्याएं बैठी हुई थी जो उनकी तरफ ही मुंह किए हुए वह भी पद्मासन मुद्रा में मंत्र का जाप कर रही थी। धीरे-धीरे साधक उनकी ओर बढ़ने लगा और जब वहां पहुंचा तो जो उसने सुना वह अद्भुत था क्योंकि यह तो वही मंत्र का जाप भगवान श्रीकृष्ण कर रहे थे, जिसका जाप वह स्वयं करता है। यह क्या था अब तो और भी ज्यादा चमत्कारिक अनुभव होने वाला था। भगवान श्रीकृष्ण उस मंत्र का बड़ी तल्लीनता से जॉप कर रहे थे और उनके साथ नीचे बैठी हुई 8 कन्याएं भी उसी प्रकार मंत्र का जाप कर रही थी। मंत्र की ध्वनि गुंजायमान हो कर सभी पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों फल सबको प्रकाशमान करती थी। वह तरंगे अद्भुत थी जो चारों तरफ दौड़ कर चली जाती थी। इस प्रकार के दृश्य को देखकर अद्भुत लगा। तभी एक फल स्वयं बोला, क्या तुम मुझे खाना चाहते हो तो खा सकते हो। मैं तुम्हें ऊर्जा दूंगा और साधक ने उस फल को खाया। अद्भुत आनंद उस फल को खाने के बाद आया। वहां की लताएं और पेड़ कहने लगे। तुम्हें छाया चाहिए। मेरे नीचे आओ। मैं तुम्हें छाया और शीतलता दूंगा। साधक बगल के पेड़ में नीचे बैठ गया और उसमें अद्भुत आनंद आने लगा। ऐसा लगा जैसे वर्षों की थकान मिट गई हो। वहां के पशु पक्षी पेड़ पौधे सबकुछ आनंद देने वाले थे। जो भी बुलाता था, वह आनंद ही प्रदान करता था। यह कौन सी जगह थी, यह क्या रहस्य था और भगवान श्री कृष्ण से आगे साधक का क्या वार्तालाप हुआ? जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर यह घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।