Table of Contents

“ज़रा संभलकर! दुल्हन खींचने वाला खूनी तालाब – भूतिया रहस्य खोलेगा ये वीडियो”

“ज़रा संभलकर! दुल्हन खींचने वाला खूनी तालाब – भूतिया रहस्य खोलेगा ये वीडियो”

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह अनुभव एक ऐसे पोखर का है जो कि साधक के ही गांव के पास स्थित है और जिस में बहुत ही ज्यादा अद्भुत भूतिया घटना घट चुकी है। खासतौर से नई नवेली दुल्हन के साथ यहां पर बहुत ही अद्भुत चीज हो गई हैं। इस रहस्य को जानने और समझने के लिए। पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय।

आपके श्री चरणो में सादर प्रणाम गुरुदेव!

मैं एक स्वप्न देखा!इसका क्या कारण हो सकता है? कृपया जरूर बतावे गुरुदेव मैंने देखा कि मैं अपनी दादी के मायके जा रहा हूं। दादी से मिलने के लिए अपनी तीन दोस्तों के साथ। लेकिन रास्ते में एक दुल्हन पोखर पड़ा तो दोस्तों ने कहा कि चलो पोखर में स्नान कर लेते हैं और पोखर के पास एक पीपल का पेड़ है जिसके पास बहुत सारे देवी के मंदिर हैं। जो दिखने में माता दुर्गा, माता काली और माता काली की तरह ही खड़ग और खप्पर धारण किए हुए 4 मंदिर हैं। एक माता छिन्नमस्ता की तरह अपने हाथों में ही सिर लिए हुए थे तो हम तीनों ने सभी माताओं को प्रणाम किया और हम तीनों दोस्त स्नान करने लगे। फिर एक दोस्त ने कहा, डुबकी लगाकर देखते हैं कि पोखर कितना गहरा है? फिर हम तीनों दोस्तों ने एक साथ डुबकी लगाकर अंदर जाने का प्रयास किया, लेकिन नीचे की ओर जा ही रहे थे।

पोखर काफी गहरा था। अंदर से ही एक दोस्त ने कहा, तुम पता करो कि पोखर के अंदर नेगेटिव ऊर्जा है या फिर पॉजिटिव क्योंकि वहां देवी का स्थान है तो मैंने एक मोबाइल जैसा चेक करने वाला पोखर के अंदर ही अपनी जेब के अंदर से निकाला और चेक किया तो वहां नेगेटिव ऊर्जा पोखर के अंदर। महसूस हो रही थी तो हम सभी दोस्तों ने जल्दी से बाहर आने का प्रयास किया। फिर एक दोस्त ने कहा कि तुम तो माता के भक्त हो। फिर ऐसा कैसे हुआ। अब हम सभी को बचाओ। फिर मैंने माता के चरणों में प्रणाम किया और सभी दोस्तों को कहा कि यहां से जल्दी चलो क्योंकि रात हो चुकी थी। डर काफी ज्यादा लगने लगा। फिर हम लोग वहां से जाने लगे, उसके आगे क्या हुआ, मेरे साथ मुझे कुछ भी याद नहीं है। गुरुदेव दुल्हन पोखर मेरे ससुराल में है। काफी लंबा चौड़ा है। उस पोखर के बारे में हमारे ससुराल के सभी बुजुर्ग कहते हैं कि उसे भूत-प्रेतों ने एक ही रात में खोद डाला था। उसी रात 4 पोखर अलग-अलग। गांव में भूत प्रेतों ने खोद दिए थे पर जब पांचवा पोखर खोद रहे थे तभी सुबह हो गई।

पोखर का नाम दुल्हन पोखर क्यों पड़ा यह एक अलग ही आश्चर्यजनक अद्भुत कहानी है। गुरुदेव यह बात बहुत पुरानी है जब दूल्हा दुल्हन शादी करके अपने ससुराल डोली पर बैठकर जाते थे। कहा जाता है कि एक नई नवेली दुल्हन जिसका बस कुछ ही समय शादी किए हुए हुआ होगा। अपनी डोली में बैठी ससुराल जा रहे हैं। उस समय रास्ते में कई रास्ते अच्छे नहीं होते थे तो लोग वन के रास्तों से ही जाया करते थे। डोली वाला भी वन के रास्ते जल्दी पहुंचने के लिए उसी खौफनाक पोखर वाले रास्ते को चुन लिया था जिसके कारण सभी को भारी कीमत चुकानी पड़ी। गुरुदेव जब डोली उस पोखर के पास पहुंची तो अचानक ही सभी को प्यास लगने लगी। लेकिन डोली में बैठी दुल्हन को कुछ ज्यादा ही प्यास लग रही थी। जब वह प्यास से व्याकुल होने लगी तो उसने डोली उसी पोखर के पास रोकने के लिए कहा, लेकिन शाम होने के कारण डोली वाले ने वहां रुकने से मना किया। हालांकि प्यास उसे भी लगी थी, लेकिन नई नवेली दुल्हन को जिसकी नई शादी हुई हो उस में रोकना उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। परंतु दुल्हन डोली वाले से कहने लगी कि यदि में पानी नहीं पियूंगी तो मर जाऊंगी तो डोली वाले ने डोली को उसी पीपल के पास रोक दिया। फिर दुल्हन डोली से बाहर निकली और प्यास की व्याकुलता के कारण अकेले ही पोखर में पानी पीने के लिए चली गई, लेकिन जैसे ही पानी पीने के लिए अपना हाथ पानी में डाला, वह अचानक किसी ने उसे पानी के अंदर खींच लिया।

दुल्हन पोखर में डूब कर के मर गई। लेकिन जब दुल्हन को गए हुए काफी ज्यादा समय हो गया तो डोली वाले ने दुल्हन को देखने के लिए फिर उसको देखने गए। वह भी उसी पोखर में डूब कर के मर गए। इस घटना को कुछ ही समय हुआ था कि एक और दुल्हन अपने ससुराल से रूठ कर अपने मायके जा रही थी। वह भी उसी पोखर के पास आई तो उसे भी वहां पर प्यास लगी और जब वह पोखर में पानी पीने गई तो उसी तरह वह भी डूब करके मर गई । उस दिन से गांव वालों ने उस पोखर का नाम दुल्हन पोखर रख दिया। वह जो पीपल का पेड़ था, वह गांव वालों ने मिलकर एक भगवान का शिव वाला मंदिर बनवा दिया। उसके बाद गांव वालों ने मिलकर काफी दिनों तक यज्ञ किए, लेकिन उसके बाद भी वहां काफी घटनाएं घटित हुई। इसी तरह गुरुदेव उसी दिन से आज तक वहां हर साल सभी गांव वाले मिलकर हवन करते हैं। गुरुदेव सावन में वहां दूर-दूर से सभी भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए आते हैं और इसी कारण से वहां मेला भी लगता है। गुरुदेव सभी कहते हैं कि वहां भूत-प्रेतों का वास है। लोगों ने तो यहां तक कहा है कि हमने दिन में भी भूत देखे हैं। उस पोखर का इतना खौफ है की दिन में भी वहां अकेले कोई नहीं जाता है। गुरुदेव अभी कुछ साल पहले एक साधक की मृत्यु वहां हो गई थी। पता नहीं चला कि वह कौन सी साधना करता था। कहते हैं किसी ने रात को उसका गला काट दिया था। उसे किसने मारा कोई नहीं जानता। गुरुदेव मैं खुद वहां अनजाने में ही गलती से चला गया था। उस समय हमारी कुछ ही दिन शादी को हुआ था। मैं अपने ससुराल जा रहा था। सर्दी का दिन था।

अपनी मोटरसाइकिल से गुरुजी जब मैं सीतामढ़ी से निकला तो रात हो गई थी जिसके कारण मैं रास्ता भटक गया और उसी पोखर के पास चला गया था। मेरे साथ दो दोस्त भी थे जब हम पोखर के पास उस पीपल के पेड़ के पास गए तो हमारे दोस्त ने कहा कि लगता है हम रास्ता भटक गए हैं।तो मैंने अपनी बाइक को पीछे कर लिया। उस पीपल को प्रणाम कर के पीछे गांव में आकर फिर अपने गाव वालों से रास्ता पूछा तो हमने फिर उन्होंने सही रास्ता बताया। हम लोग अपने ससुराल गए। जब मैं रास्ते में बीती बात को अपनी पत्नी को बताया तो वह रोने लगी और रोते हुये। उसी समय हमारी सास को भी सभी बातें बता दी जिससे हम हमारी सास ने उस दुल्हन पोखर की कहानी भी बताई । उससे पहले मैं उस दुल्हन पोखर के बारे में जानता ही नहीं था। गुरुदेव अभी मैं सहारनपुर आ गया हूं, लेकिन मैंने अपने ससुराल में कह दिया है कि जब सोमवार को भगवान शिव को जल चढ़ाने वहां जाएंगे तो वहां का फोटो वगैरा भी बनाकर भेजें और भविष्य में मैं आपको वीडियो भेज दूंगा। गुरुदेव यदि आप इस पर वीडियो बनाना चाहे तो बना सकते हैं। आपके श्री चरणों में सादर प्रणाम गुरुदेव।

सन्देश– यहां पर? इन्होंने वहां के विषय में बताया है जो कि एक अभी भी हॉन्टेड या जहां भूत-प्रेतों का वास होता है, ऐसी जगह एक तालाब है और यह दुल्हन पोखर के नाम से जाना जाता है। ऐसी भयानक जगहों पर अगर तांत्रिक साधना की जाए तो निश्चित रूप से सफलता मिलती है। लेकिन उतनी ही ज्यादा कड़ी परीक्षा और साधक को अपनी सुरक्षा भी करनी चाहिए। अन्यथा इसका परिणाम बहुत ही बुरा हो सकता है जैसा कि इन्होंने एक साधक के विषय में बताया जिसका रात को गला ही काट दिया गया और रही बात दुल्हन की तो ऐसी जगहों पर बहुत सारी भूतनी प्रेतनी शक्तियों की।

निश्चित रूप से वहां पर मंडली होगी जो कि अगर कोई उन्हें प्राप्त करना चाहें तो सिद्धि के लिए कोशिश कर सकता है। लेकिन मैंने जैसे बताया, साधक बहुत उच्च कोटि का होना चाहिए। अन्यथा ऐसी जगह आपके लिए बहुत ही खतरनाक भी साबित हो सकती हैं तो यह एक सत्य घटना है।

जिन्होंने लिख कर भेजी है। उनके खुद के जीवन से जुड़ी है और स्वप्न के माध्यम से। इस बात का अनुभव उन्हें हुआ अगर यह गुरु मंत्र के साधक नहीं होते तो फिर इनके साथ भी बहुत बुरा होने की संभावना थी।

अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

error: Content is protected !!
Scroll to Top