जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि हमारी जिनसेन की प्रतिमा और नंदो के खजाने से संबंधित कहानी चल रही है । अभी आपने दो भागों में जाना है कि किस प्रकार से कृतिका भानु देव की परीक्षा ले रही थी । उसकी कोमर्ये की परीक्षा लेना उसके लिए अत्यंत आवश्यक था इसलिए उसने पूरा ही एक मायाजाल रचा एक षड्यंत्र रचा । जिसमें उसे पूर्णता नग्न होकर के उसे सोना था वह कामुकता की इस परिभाषा को जानती थी कि कोई भी पुरुष इस वार से बच नहीं सकता है । अगर यह पूरा ब्रह्मचारी नहीं हुआ तो भानु देव निश्चित रूप से उसके जाल में फस जाएगा और उसका एक मित्र उस जाल में फंस भी गया । जिसको उसने दंड भी दे दिया लेकिन भानु देव फसने को तैयार नहीं था । उसके गर्दन से चिपकी हुई नग्न शरीर में भी वह अभी भी कोशिश कर रही थी उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था यह पुरुष पूरी तरह से अपने आप को नियंत्रित कर सकता है । लेकिन उसने सोचा कि अभी इसकी पूरी परीक्षा होनी बाकी है क्यों ना मैं इसकी पूरी परीक्षा लू । और भी आगे कहानी को आगे बढ़ाऊ तभी उसने कहा कि मुझे बहुत जोर भय लग रहा है कहीं कोई सर्प मुझे काटना ले । भानु ने कहा नहीं आप चिंता ना कीजिए मैं आपको इसी प्रकार से अपने गले से लगा कर रखूंगा और एक भी छड़ इधर-उधर पैर रखने नहीं दूंगा अगर आपका पैर इधर उधर पड़ गया तो सर्प आपको भी काट सकते हैं । मेरे दोस्त का जो बुरा हाल हो गया है वह सब शायद उस श्राप की वजह से है जो आपको आपके जीवन काल में मिला था । इस पर हामी भरते हुए कृतिका ने कहा हां यह बात बिल्कुल सही है अब कैसे इस मुसीबत से निकलेंगे और जब कभी मुझे सर्प काट लेते हैं तो उसका एक ही उपचार होता है । उसने पूछा क्या । गीले कपड़े से मेरे शरीर को पोछा जाए और रात भर मेरे मस्तक पर पटिया बांधी जाए क्योंकि मेरा शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो जाता है ।
ज्वर मुझे बड़ी तीव्रता से लग जाता है और उस ज्वार के कारण मेरा शरीर बहुत ही ज्यादा गर्म हो जाता है मैं पूरी कोशिश करती हूं मैं सही हो जाऊं । एक वेध ने मुझे यह तरीका बताया था वह मंत्रिक भी था उसने कहा था तुम्हारे शरीर को गीले कपड़े से लगातार पोछना होगा शरीर के हर अंग को पोछना जारी रखना होगा तभी तुम्हारे प्राण रात भर बच सकते हैं । और वह मुझे एक मंत्र देता था और मैं उस मंत्र का जाप करती रहती थी चलो ऐसी स्थिति आज तो नहीं है । इतना ही कहना था कि अचानक से दोनों एक तरफ गिर पड़े वजह थी उस जमीन पर फिसलन का होना फिसलन पर गिरते ही भानु तो सही जगह गिरा । लेकिन उससे दूर छिटक कर कृतिका ऐसी जगह गिरी जहां सर्प के ऊपर उसका हाथ जोर से जाकर लगा सर्प ने तुरंत ही उसे डस लिया । यह देख कर के भानु बहुत ही चिंतित हो गया भानु ने कहा कि अब तो इसकी मृत्यु हो जाएगी और तुरंत ही वह उसकी तरफ दौड़ा तब तक सारे सर्प वहां से भाग चुके थे । जैसे ही उसने कृतिका के बदन को छुआ कृतिका का शरीर गर्म हो चुका था उसके हाथ को जब उसने पकड़ कर देखा तो उसका शरीर गर्म होता जा रहा था । और लगातार उसकी गर्मी बढ़ती चली जा रही थी शरीर की । यह देख कर के ऐसी अवस्था को जब उसने समझा तो वह कहने लगा तुमने जो कहा था केवल मात्र वही उपचार है कृतिका ने कहा हां । लेकिन आपकी आंखों की शर्म जानी चाहिए क्योंकि मेरे शरीर का कोई भी अंग ऐसा ना हो जिस पर गीले कपड़े से पोछा ना गया हो भानु समझ चुका था । उसका आस्य किस ओर है उसने कहा मैं शपथ लेता हूं कि मैं आपको अपनी बहन की तरह अपनी मां की तरह मानकर ही आपकी सेवा करूंगा मन में कोई भी कुटिल विचार नहीं आएगा । आप मुझे बताइए मुझे क्या करना होगा यह शब्द सुनते ही कृतिका आश्चर्यचकित हो गई कृतिका ने कहा ठीक है मुझे एक सुरक्षित स्थान पर लेटा दो एक बाल्टी में और एक स्वच्छ पानी लेकर के आओ । उसे पूरा भर लो एक कपड़ा सूती वस्त्र का उसे मेरे सामने लाओ मैं उस पर मंत्र फुकुंगी और स्वयं मंत्र का जाप करती रहूंगी । उस गीले कपड़े से मेरे शरीर के हर अंग को लगातार पोछते रहना कोई भी ऐसा स्थान ना हो जहां पर तुम गीले कपड़े को तुम मेरे शरीर को ना पोछो । भानु देव के सामने एक विचित्र समस्या थी अभी तक उसने किसी स्त्री का नग्न शरीर ही नहीं देखा था और यहां पर तो उसे पूरे शरीर की सफाई करनी थी ।
लेकिन जैसे परिचारक कार्य करते हैं वही मन में भावना रखकर के अपने गुरु को याद करके अपने इष्ट को भगवान महादेव को याद करके उसने कहा जिस प्रकार भगवान स्वयं ब्रह्मचारी है उनका ब्रह्मतप महान है । और उनके जैसा कोई भी नहीं है ऐसा सोच कर के मैं उनको प्रणाम करता हूं । और याद करता हूं उनकी ब्रह्म शक्ति को मैं याद करता हूं शरीर को वह स्वस्थ शरीर जो नस्वर है हड्डी मास का बना हुआ है मैं याद करता हूं माया को जो माया जीवो को अपने चक्कर में फंसा लेती है ऐसा कहते हुए उसने प्रार्थना कि भगवान शिव से और महादेव से आशीर्वाद लिया । महादेव और माता पार्वती की हे माता पिता आप ही मेरी रक्षा और सहायता कीजिए मेरे मन में कोई दूर विचार ना आने पाए मैं मन से पवित्र रहना चाहता हूं । अभी तक मैंने अपने आप को पूरी तरह से पवित्र रखा है लेकिन मन के विचार भी मेरे मन में नहीं आने चाहिए ऐसा सोच करके उसने प्रार्थना की और शुरुआत की । सूती सफेद कपड़े को ला करके वह कृतिका के हर अंग को पोछने लगा मानत्रीका कृतिका अपने मंत्रों का जाप हल्के हल्के बुध बुताते हुए करने लगी । शरीर के सारे अंगों से तात्पर्य है उसके अंदरूनी अंगों का भी था और वह कहती कभी मुझे पीठ के बल लेट दो कभी पेट के बल लेटाल दो लेकिन शरीर के अंगों को पोछते जाओ । और जैसे ही वह हल्का सा कपड़ा लगाकर उस जगह को पोछता वहां हल्के से भाप निकलती थी इससे यह भी स्पष्ट था कि उसका शरीर उस जगह ठंडा पड़ता था । अगर वह इस प्रकार कपड़े का प्रयोग नहीं करेगा तो इतनी अधिक गर्माहट उसके शरीर में आएगी कि उसकी मृत्यु हो सकती है । विचित्र परिस्थिति में पड़ा है भानू देव अपनी पूरी कोशिश करता रहा और लगातार उस कार्य को संपादित करता रहा अंततोगत्वा धीरे-धीरे करके वह रात बीत गई । सुबह होते ही वह एक तरफ लुडक गया अर्थात वह इतना थक चुका था कि उसे नींद आ गई जब उठा तब उसका सिर कृतिका की गोद में था ।
कृतिका उसके चेहरे को और उसके माथे को अपनी उंगलियों को फिरा रही थी और जैसे ही उठा उसने सामने एक खूबसूरत सा चेहरा देखा जो कृतिका का था । तुरंत ही उसने उसे उठकर प्रणाम किया कहा देवी आप स्वस्थ हो गई कृतिका ने कहा हां देखो मैं अब स्वस्थ पूरी तरह से हूं । और मैंने यह गहरे लाल रंग के वस्त्र भी पहन लिए हैं तुम सचमुच में महान हो तुम जैसा दूसरा पुरुष इस धरती पर इस समय मौजूद नहीं है । तुमने जिस तरह से रात भर मेरी सेवा की है ऐसा भला कौन पुरुष कर सकता है । और ऐसा नहीं है कि कोई पुरुष कर नहीं सकता लेकिन अपनी गरिमा अपनी मर्यादा को त्यागे बिना ऐसा करने वाला पुरुष शायद ही इस दुनिया में कहीं होगा । मैं तुमसे बहुत ही खुश हूं बस तुम्हें मेरा एक और कार्य संपादित करना होगा । तब एक बार फिर से उसने पूछा कि क्या और कौन सा कार्य आप मुझे सोपना चाहती है । उसने कहा कि मुझे एक कार्य में आपकी सहायता चाहिए उस स्थान पर केवल और केवल एक पूर्ण ब्रह्मचारी ही प्रवेश कर सकता है और वह एक खजाने की जगह है धन का एक साम्राज्य सा वहां बना हुआ है । उस धन को निकालने के लिए आप जैसा कोई पुरुष ही होना चाहिए जो पूरी तरह से ब्रह्मचारी हो और कल रात तो मैं समझ ही गई हूं कि आप पूरी तरह से ब्रह्मचारी हैं आप मन मस्तिष्क में भी इस तरह के विचारों को लेकर नहीं आते हैं । तो फिर क्या आप तैयार हैं उसने कहा कि हां देवी अगर भगवान शिव की इच्छा हुई मां पार्वती ने साथ दिया तो अवश्य ही मैं आपके कार्य को संपादित करने की पूरी कोशिश करूंगा । आप चिंता मत कीजिए केवल मुझे आज्ञा प्रदान कीजिए कि मुझे क्या करना होगा फिर कृतिका ने कहा ठीक है मैं तुम्हें अपना कार्य सोपुंगी । लेकिन तुम्हारे साथ कुछ सहयोगी की भी आवश्यकता पड़ेगी एक ऐसी क्यों की एक व्यक्ति उतना अधिक सोना चांदी उठाकर नहीं ला सकता है । और अगर कोई इतना उठा कर नहीं सकता है तो फिर वह कैसे अपने सोने को वहां से उठा कर के ला पाएगा ।
इसलिए मुझे सहायता में कुछ पुरुष और स्त्रियां जो भी तुम्हारे साथ के सहयोगी हो वह सब चाहिए । उसने कहा अवश्य ही आपकी इच्छा को मैं पूरी करूंगा आप बस तैयारी कीजिए मैं आपके पास आता हूं । भानु बहुत ही सीधा था मन से पवित्र भी था और इन सभी कार्यों में कुछ ना कुछ चतुराई और कुटिलता आवश्यकता पड़ती ही पड़ती है । वह नगर में गया और हर व्यक्ति से यही पूछने लगा कि क्या आप मेरे साथ चलेंगे व्यक्तियों ने कहा हम चलेंगे क्या कार्य है । वह पूरी पूरी बात बता देता तो जो भी व्यक्ति उससे कहता वह व्यक्ति उसके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता दूसरा बगल में खड़ा हुआ व्यक्ति उसकी बात सुनता तो वह भी कहता मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा । और वह भी अपने घर में परिवार में बातों को बताता हर व्यक्ति से बात कहते कहते यह बात पूरे राज्य में फैलने लगी । जब तक उसने 100 या 200 लोग इकट्ठा किए तब तक वह बात पूरे राज्य में फैल गई राजा ने स्वयं अपनी सेना के साथ और नगरवासी अपने साथ उस स्थान की ओर प्रस्थान कर गए । जहां पर कृतिका अपनी योग साधना कर रही थी कृतिका ने पहले कुछ लोगों को साथ आते देखा तो वह प्रसन्न हो गई । और जैसे-जैसे वह आदमियों की संख्या बढ़ती देखती चली गई उसके मन में भय व्याप्त होने लगा उसने सोचा ही एक ऐसा अचरज है यह तो 100 200 आदमियों को लेने गया था यह तो पूरा नगर ही लेकर आ रहा है पूरा राज्य ही लेकर आ रहा है । इतने लोगों को देख कर के कृतिका नाराज होने लगी कृतिका तुरंत जाकर के उससे बोली यह तुमने क्या किया तुमने तो ढिंढोरा ही पीट दिया यहां तो एक व्यक्ति की जगह हजारों लोग आ रहे हैं । तभी वह बोला हजारों तो छोड़िए मैंने सुना राजा भी अपनी सेना के साथ आ रहे हैं कृतिका गुस्से में बोली तुम्हारा क्या दिमाग खराब है क्या यहां बंदरबांट लगा हुआ है । जो इतने सारे लोगों को लेकर आ गए इतने कम बुद्धिमान हो तुम यह सब बातें गोपनीय रखी जाती है । तुम कितने सीधे हो उतने ही भोले भी हो तुमने पूरे नगर वासियों को ही आमंत्रण दे दिया ।
अब भला कैसे खजाना निकलेगा और अगर निकलेगा भी तो कितना कितना मैं सबको बाटूंगी । इस पर उसने कहा आप चिंता ना कीजिए थोड़ा बहुत जितना भी मिले उसमें सब्र करना चाहिए । जिसको जिसको मिलता है उसको उसको देते जाइएगा इस पर कृतिका ने अपना सिर पकड़ लिया और सोची अब क्या करूं ऐसी मुसीबत में डाल दिया है । इसमें तभी रणभेरी की आवाज सी गूंजती हुई आ रही थी यानी कि राजा भी अपनी सेना के साथ आ रहा था राजा को देख कर के दिखा कृतिका भी घबरा गई कृतिका ने सोचा अगर मैं इन लोगों को भगा भी दू तंत्र विद्या का प्रयोग भी करती हूं तो इतनी अधिक संख्या है की अंततोगत्वा मै मारी ही जाऊंगी । इसलिए मुझे राजा का स्वागत करना ही पड़ेगा और उसने राजा का स्वागत किया । राजा सिंहासन लगाकर उसकी कुटी के अंदर ही बैठ गया उसके साथ मन्नतराल देने वाले अन्य बहुत सारे मंत्री लोग भी थे । उन सबको आया हुआ देखकर उन सब के लिए भोजन का प्रबंध करने के लिए उसने अपनी योगिनी शक्तियों को भेजा और पूरे नगर के लिए भोजन का निर्माण होने लगा । राजा और प्रजा ने मिलकर बहुत ही अच्छा भोजन किया सभी संतुष्ट थे खुश थे । राजा अब वार्तालाप के मूड में था उसने वार्तालाप शुरू किया और पूछा हे देवी आपने बताया है कि आप किसी खजाने की खोज में है ।
कहां है खजाना और उस खजाने को किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है । कृतिका ने कहा अब क्या करूं चलो अब तो बताना ही पड़ेगा सारी बात सारा रहस्य उसने कहा उस उस फला जगह पर जहां पर मैं आपको बताऊंगी और अपनी दिव्य शक्तियों से दिखाऊंगी भी आपको उस जगह पर खजाना गड़ा हुआ है । लेकिन अंदर खजाना वही निकालेगा जो पूरी तरह से ब्रह्मचारी हो और ऐसा ब्रह्मचारी मेरे पास सिर्फ एक ही है । राजा ने कहा ठीक है तो फिर कब निकालने की तैयारी है उस पर सब ने कहा ठीक है कल प्रातः ही निकला जाएगा । और फिर वह गंगा नदी के किनारे एक विशेष स्थान की ओर प्रस्थान कर गए । सुबह का समय था और धीरे-धीरे करके जब वहां सब लोग पहुंच गए इकट्ठा हो गए ऐसा लग रहा था जैसे कि पूरा नगर गंगा नदी के किनारे आ चुका है । कृतिका ने संकेत करते हुए कहा यहां गड्ढा खोदिए और उस जगह गड्ढा खोदा गया गड्ढा खोदने पर सबसे पहले जिनसेन की मूर्ति मिली और उनको अलग स्थान पर ले जाकर के स्थापित किया गया । और खोदा गया तो वहां से एक पूरी की पूरी सुरंगी जगह निकलती हुई दिखाई पड़ी । जैसे ही वहां से कुछ नजर आया तो अंदर की चमक से और उस स्थान पर कुछ पड़ी हुई छोटी मोटी तस्तरीयो से यह बात सिद्ध हो गई कि इस जगह ही पूरा एक नगर सोने की खान की तरह बसा हुआ है ।
जो यह एक प्रवेश मार्ग है राजा के मन में तुरंत ही लालच आ गया राजा ने कहा सभी को कैद कर दो । और सैनिकों को कहा सारा माल निकाल लो जनता को यहां से दौड़ाकर भगा दो । और अपने सैनिकों से कहो कृतिका और साथ में इस लड़के को भी कैद कर लिया जाए इन सब को कैद खाने में डाल दिया जाए । और हम लोग यह सारा खजाना यहां से चुरा लेंगे ऐसा कह कर के राजा ने तुरंत ही आदेश दे दिया । कृतिका इससे पहले कुछ समझ पाती कि सिर पर उस पर जोर से वार हुआ क्योंकि सभी जानते थे कि वह एक तांत्रिका है इसलिए वह तंत्र प्रयोग ना कर पाए पहले ही उसके सर पर मार कर बेहोश कर दिया गया । भानु को भी पकड़ लिया गया नगर के नगर वासियों को भी डरा धमका कर वहां से भगा दिया गया । नगरवासी भी वहां से उतरे हुए उनके साथ वहां से जाने लगे कि राजा बड़ा ही लालची है और सब अपने हाथ में हथियाना चाहता है । राजा ने आदेश दिया खजाना पूरा निकाल लेने के बाद । मैं दोनों इन अर्थात कृतिका और उसके मित्र दोनों को ही जान से मार दिया जाए ताकि यह राज हमेशा के लिए यही दब जाए । उसके आदेश का पालन सैनिकों ने किया । आगे क्या हुआ हम यह जानेंगे अगले भाग में की कृतिका बची क्या वे उसका मित्र बचा क्या बाकी लोग वहां से चले गए क्या राजा सारा खजाना निकाल पाया । यह सब कुछ हम अगले भाग में जानेंगे । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।