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जीवन में खुशहाली के लिए गोपिका साधना का रहस्य

जीवन में खुशहाली के लिए गोपिका साधना का रहस्य

प्रणाम गुरुजी चरण स्पर्श आपको और गुरु माता जी को जय हो माता आदि पराशक्ति भगवती की गुरुजी मैं आज
से चार वर्ष पूर्व ही गुरु मंत्र का अनुष्ठान पूर्ण कर चुका हूं और गुरु मंत्र ही जाप करता रहता हूं गुरु जी मैं ईस अनुभव में प्रमाणित करता हूं कि यह अनुभव केवल धर्म रहस्य चैनल को ही भेजा गया है और कहीं यह अनुभव नहीं प्रकाशित किया जाएगा मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं कृपया नामक स्थान गुप्त रखें गुरुदेव आज मै आपको अपना गोपीका साधन का अनुभव भेजना चाहता हूं जो की इसी कृष्ण जन्माष्टमी का है जब अपने अपने यूट्यूब पर यह साधना डाली थी तो मैं यह साधना को देखा था तो मुझे बहुत बहुत ही अच्छी लगी और मैंने सोचा कि मुझे यह साधना करनी चाहिए परंतु मैंने सोचा कि मुझे तो साधना करने के लिए जब भी सोचता हूं माता के माध्यम से कन्या स्वरूप में साफ मना कर दिया जाता है और बोला जाता है कि तुम केवल गुरु मंत्र के साधना करो परंतु यह वीडियो देखने के बाद आपकी मेरे मन में यही बात चलती रही कि मुझे गोपीका साधना करनी चाहिए मैंने आपकी यह वीडियो बहुत अधिक बार देखी और पूरी तरह से समझने की प्रयास की मेरे मन में यह बातें चल ही रही थी फिर उसके बाद मैं रात्रि में अपने मित्र को फोन किया मेरे फोन करने के बाद मेरे मित्र ने भी वही बात कही की आपको यह गोपीका साधन कर लेनी चाहिए उन्होंने मेरे बिना बोले ही मुझसे यह बात कही हालांकि मेरे मन में भी यही था कि मैं यह साधना करके देखूं परंतु मैंने उन्हें यह कह दिया कि नहीं मैं नहीं कर सकता यह साधना क्योंकि माता की आज्ञा होगी तभी मैं कोई साधना कर सकता हूं फिर मैंने उनकी बात को वहीं पर टाल दिया और थोड़ी देर बाद उनसे बात करने के बाद में सो गया रात्रि में मुझे एक कन्या के दर्शन हुऐ जो अत्यधिक सुंदर थी
मैं किसी स्कूल में उसे कन्या को देखा और मैं उससे मित्रता पूर्वक व्यवहार कर रहा था और उसे डांट भी रहा था वह कन्या आई और उसने बिना पूछे किसी दुकान से खान की कुछ वस्तुएं उठाकर चली गई तो मैंने उन्हें रोका और कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकती है उचित नहीं है किसी की भी वस्तु को आप बिना उनसे पूछे हुए या फिर उनको पैसे दिए हुए बिना आपको किसी से कुछ भी नहीं ले सकती है उसे कन्या ने मेरी तरफ देखा वह अत्यंत ही सुंदर और गौर वर्ण की थी उसे कन्या को देखकर मन को काफी शांति मिल रही थी उसने कहा कि मुझे भूख लगी है तो क्या मैं किसी के आदेश की प्रतीक्षा करूं मुझे जो पसंद आया मैंने वह ले लिया मैंने कहा वह बात ठीक है आपको भूख लगती है तो खाना चाहिए परंतु जो आपकी वस्तु हो बिना किसी के अनुमति के आप उसकी वस्तु नहीं खा सकते फिर उसके बाद उन्होंने मेरी बात को स्वीकार किया फिर मैंने कहा चलो मैं इसके पैसे दे देता हूं आप खा लो फिर उन्होंने भी मित्र रूप में मुझे व्यवहार किया और बातें की परंतु सारी बातें में भूल गया सुबह होते ही उसके बाद सुबह मैं जब अपनी पूजा कर रहा था और गुरु मंत्र जाप करने बैठ तो उसे समय मुझे बार-बार गोपिका साधना करने की इच्छा आ रही थी मन में परंतु माता की आज्ञा के बिना मैं साधना नहीं कर सकता था और इसी वजह से मैंने सोचा आज माता को मैं प्रार्थना करता हूं और मैं हाथ में जल लिया और संकल्प लिया अपने गोत्र को बोलते हुए अपने गुरु मंडल की शक्तियों को साक्षी मानकर अपनी कुलदेवी माता का आवाहन किया और प्रार्थना किया की हे माता भगवती जगदंबा कुलदेवी मैं यह गोपीका साधना करने की इच्छा रखता हूं
अगर आपको यह साधना मेरा करना उचित लगता है तो कृपया अपनी स्वीकृति दे अन्यथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आप मुझे इस साधना को करने के लिए मना करें अथवा आज्ञा प्रदान करें अगर आपकी आज्ञा होगी तो मैं अवश्य ही यह साधना करूंगा सफलता मिलना या ना मिलना यह मै आपके ऊपर छोड़ देता हूं उसके बाद में इस स्थान पर बैठ गया की माता जब तक आप मुझे हां या ना में जवाब नहीं दोगी मैं अपने आसन से नहीं उठुगा मुझे बैठे हुए थोड़ा समय हो गया वहां पर फिर अचानक से मेरे पूरे शरीर में कप-कपी सी होने लगी और सारे शरीर के रोऐ एक साथ खड़े होने लगे और मूलाधार चक्र और समस्त चक्र में एक साथ मैंने ऊर्जा का प्रवाह महसूस किया ऐसा लगा की आज्ञा चक्र बहुत तेज से मेरा एक्टिव होने की कोशिश कर रहा है बहुत तेज खिंचाव हो रहा है फिर मैंने मन में वही प्रश्न दोहराएं उसके बाद मैंने आंखें खोलकर माता कुलदेवी की तरफ देखा और प्रार्थना गुरुजी अध्यात्म के क्षेत्र में ऐसी भी चीज होती हैं यह जब प्रत्यक्ष अनुभव होता है तभी समझ में आता है जैसा फिल्मों में दिखाया जाता है और सीरियल में बताया जाता है यह सब तो सिर्फ एक कल्पना होती है परंतु मैंने जो देखा वह की किसी चमत्कार से कम नहीं था माता दुर्गा के हाथों में रखा हुआ पुष्प अपने आप माता कुलदेवी की प्रसाद में गिर गया और माता कुलदेवी के ऊपर चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी प्रसाद में गिर गया और मेरी आंखों से आंसू नहीं
रुक रहे थे मैंने मैया से बार-बार धन्यवाद किया इस अनुभव के लिए भी और इस आज्ञा के लिए भी और फिर मैं यह साधना करने के लिए तैयारी करने लगा एक बार फिर से मैं आपका वह यूट्यूब का वीडियो देखा गोपिका साधना वाला फिर मैं अपने मित्र से बात की और उनको बताया कि मैं यह गोपी का साधना करना चाहता हूं तब उन्होंने कहा आप तो मना कर रहे थे मैंने कहा कि माता की आज्ञा के बिना नहीं कर सकता था परंतु माता की आज्ञा हो गई है इसलिए मैं करना चाहता हूं फिर पीडीएफ खरीदने के बाद मैंने उसे पीडीएफ को अच्छी तरीके से पढ़ा उसने जिस प्रकार का चित्र साधना के लिए चाहिए था वह चित्र पहले से ही मेरे पास उपलब्ध था और साधना की गुप्तता भांग ना हो इसलिए और बातें मैं यहां पर नहीं कर रहा हूं सारी बातों को मैं छुपा रहा हूं उसके पश्चात में शाम में शिव जी के मंदिर में गया वहां पर माता और महादेव से साधना मे सफलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की आशीर्वाद मांगा और फिर घर पर आ गया फिर आपसे पूछा मैंने आपने कहा कि रात्रि से लेकर सुबह तक यह मंत्र जाप करना है परंतु कुछ सालों से मेरे पैरों में समस्या है जिसकी वजह से मैं अखंड बैठ नहीं पता मुझे बहुत ज्यादा पीड़ा होती है बैठने में ज्यादा समय तक उसके पश्चात मैंने पूरे विधि विधान से जिस प्रकार अपने पीडीएफ में लिखा था पूजन किया और साधना का संकल्प लेकर माता राधा और भगवान श्री कृष्ण के मित्रों का थोड़ा जाप किया उसके बाद मूल मंत्र का जाप किया परंतु बार-बार में मंत्र अधूरा बोल रहा था पूरा मंत्र मैं सही प्रकार के उच्चारण नहीं कर पाया बाद में मैं जब देखा तो पता चला कि मैं तो पूरा मंत्र ही नहीं बोल रहा हूं
फिर उसके बाद मैंने अपनी उसे गलती को सुधार आपका और माता का स्मरण करके फिर से जाप करने के लिए साधना को अपनी शुरू की लगातार मंत्र जाप करने के पश्चात मुझे काफी थकान होने लगी थी और पैरों में बहुत अधिक दर्द होने लगा इस समय मुझे अपने पूरे बंद कमरे में बहुत ही ठंडी ठंडी और खुशबूदार हवा आने लगी वह हवा ऐसी थी कि मुझे सर्दी का आभास होने लगा जब वह मेरे हवा आसपास घूमने लगी तू मुझे लगा कि कहीं खिड़की तो नहीं खुली रहेगी मेरे कमरे की फिर मैं अपनी आंखें खोल कर देखा की खिड़की बंद है या खुली है तो खिड़की बंद थी मेरी फिर मैं पुणे अपना ध्यान लगाकर मंत्र जाप करना शुरू कर दिया फिर मुझे अपने बिल्कुल पास किसी के बैठने की और उसकी सांसों को मेरे सांसों से टकराव को साफ प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया यह हवा मेरे आस-पास घूमती रहे उसके बाद मुझे अपने उल्टे हाथ की साइड में एक सफेद रोशनी कुछ सेकेंड के लिए नजर आई मुझे लगा कि यह मेरा भ्रम है इसलिए मैंने इस बात को ध्यान नहीं दिया और छोड़ दिया क्योंकि मंत्र जाप करते समय मैं बहुत ज्यादा थक गया था इसलिए मुझे लगा कि ऐसा मुझे भ्रम जैसा लग रहा है उसके बाद मैं जाप करने लगा परंतु भोर होने से पहले ही में क्षमा मांग कर प्रार्थना की की अब मेरा सामर्थ नहीं है कि मैं और देर तक बैठ सकूं उसके बाद में सोने चला गया रात्रि में मैंने एक बहुत ही अद्भुत और दिव्य सपना देखा जो मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं भूल सकता मैंने सपने में
वृंदावन का निधिवन देखा
वहां पर मैं भगवान श्री कृष्ण के और माता राधा के बाल स्वरूप के दर्शन किए वह दर्शन इतने अद्भुत और दिव्या थे कि यह लिखते हुए भी मेरी आंखों में आंसु आ रहे हैं मैं उसे बात का वर्णन नहीं कर पा रहा हूं कि किस प्रकार मैंने देखा परंतु उसके बाद श्री कृष्ण ने माता राधा से कुछ बातें की और वह किशोर अवस्था में परिवर्तित हो गए और अपनी बांसुरी बजाने लगे और माता राधा भी उनके साथ खड़ी थी और बहुत सारी कन्याएं उनके आसपास नृत्य कर रही थी उसने उसके बाद मैं वहां पर इस कन्या को खड़े हुए देखा जो मेरे सपने में आई थी साधना करने से पहले उच्च कन्या ने मुझे लाकर एक चॉकलेट दिया और मुस्कुराते हुए वह क्योंकि चॉकलेट खाना मुझे भी बहुत पसंद था इसलिए मैंने भी चॉकलेट ले लिया और उस दिव्य अनुभूति को देखने लगा ऐसा लग रहा था कि पूरा गोलोक पृथ्वी पर आ गया हो उसके पश्चात मेरी नींद खुल गई फिर मैं उठ कर गया और शीशे में अचानक से खुद को देखने का मन किया तो मैं देखने लगा मुझे अपना चेहरे में बहुत अलग सी चमक दिखाई दी और बहुत ही आनंद का अनुभव कर रहा था मैं परंतु मैं इस साधना में हवन नहीं किया था क्योंकि मुझे जो साधना में लकड़ी से हवन करना था वह नहीं मिल पाई थी उसके पश्चात मैंने आम की लकड़ी से गुरु मंत्र कहा बन किया सभी देवी देवताओं के नाम से आहुति थी और कुछ आहुति गोपिका शक्ति के नाम से भी थी उसके बाद जब शाम का समय हुआ तो मैं अपने मित्र से बात कर रहा था और एक और भी व्यक्ति थे उसे समय फोन पर मैं अपना फोन अपने रूम में ही रख कर चला गया बाथरूम की तरफ मेरा कैमरा सभी कमरों से अंदर में है पूरे घर को घूमने के बाद ही कोई मेरे कमरे में आ सकता है क्योंकि मेरे
कमरे से पहले आपको चार और कमरे मिलेंगे मैं जैसे ही वॉशरूम से निकाल कर अपने कमरे की तरफ आ रहा था तो मैं अपने कमरे में से एक बड़ा सा बंदर को निकलते हुए देखा और उस बंदर ने मुझे दिखा मेरे कमरे में केले रखे हुए थे उसे बंदर ने 11 केले लिए ले लिए और एक केला वहीं पर वह तोड़कर छोड़ गया मेरे कमरे में ही मैं यह देखकर काफी हैरान हो गया क्योंकि हमारे घर के तरफ कहीं पर भी कोई बदर नहीं दिखाई देता है मैं बहुत ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया था फिर मैं इस बात को छोड़कर रात्रि में मुझे एक सपने मे पर्वत दिखाई दिया उसे पर्वत की गुफा के बाहर एक आदमी खड़ा हुआ था और अंदर किसी माता का मंदिर था जो की स्वयंभू मंदिर था स्वयं ही वहां पर मूर्ति प्रकट हुई थी मैया की गुरु जी कृपया मार्गदर्शन करें और बताएं कि इन सभी सपनों का क्या अर्थ हो सकता है इस प्रकार से इस बंदर का आना और पहले लेकर जाना और एक केला छोड़कर क्यों चले जाना जब वह बंदर के लिए नहीं आया था तो सारी के लिए ले जाता गुस्से में से एक तोड़ कर रखने की क्या जरूरत थी और कृपया मार्गदर्शन करने की कृपा करें कि दोबारा से यह साधना कब की जा सकती है धन्यवाद सागर चरण स्पर्श आपको और गुरु माता जी को आपका
शिष्य
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