नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। डाकिनी ने माया जाल में फंसा दिया। भाग 1 के बाद यह भाग 2 है। चलिए पढ़ते हैं आगे क्या हुआ था?
गुरु जी जैसा कि मैंने बताया है। अब मेरे परदादा के सामने और कोई विकल्प नहीं था। अगर वह मना करते तो मारे जाते क्योंकि उन्होंने देख लिया था कि जब कोई सामने ही इंसान से जानवर बन सकता है तो उसके लिए किसी को जान से मारना कोई कठिन काम नहीं होगा।
इसी कारण से उन्होंने कुछ देर विचार किया और उससे कहा कि ठीक है। लेकिन? अगर मैं आपको खुश नहीं कर पाया तो आप? क्या मुझे माफ नहीं करेंगी?
इस पर उस डाकिनी ने कहा कि यह तो समय ही बताएगा। लेकिन अगर तूने मुझे खुश किया तो मैं तुझे सोना जरूर दूंगी। यह सुनकर मेरे परदादा के मन में एक विचार आया और तुरंत ही उन्होंने अपने मुंह से।
उस बात को कहना शुरू कर दिया। बात यह थी कि उन्होंने उस डाकिनी से कहा।
मेरा वीर्य तो बहुत कम मात्रा में निकलेगा ऐसे में! आप मेरे वीर्य से कितना अधिक सोना बना पाएंगी?
और इतने कम सोने का मैं आखिर करूंगा भी क्या? यह प्रस्ताव मुझे अच्छा नहीं लगा। वह भी आपके मुंह से जो इतनी अधिक शक्तिशाली हो कि कभी शेर तो कभी इंसान बन सकती हो?
यह सुनकर डाकिनी भी सोचने लगी। उसने कहा ठीक है तुम्हारे वीर्य का हजार गुना सोना मैं तुम्हें तुरंत दूंगी। लेकिन मैं तब तक तुम्हारे साथ संभोग करूंगी जब तक मेरी इच्छा होगी। इस पर मेरे परदादा ने कहा कि यह तो संभव नहीं है। मैं तो एक इंसान हूं और मेरी कुछ क्षमताएं हैं। उसके आगे जाने की मेरी औकात नहीं है। तो फिर मैं आपको काफी देर तक संतुष्ट कैसे रख सकता हूं?
डाकिनी ने कहा, चलो, ठीक है, मानती हूं। तो तू क्या करेगा मुझे बता?
मेरे! परदादा ने सोचा इससे निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। उन्होंने कहा कि मैं आपको एक पुरुष ला करके। हर अमावस को दिया करूंगा।
क्योंकि इससे आपकी इच्छा भी पूरी हो जाएगी और!
आपको नए नए पुरुषों का स्वाद भी मिलेगा।
इससे आप हमेशा संतुष्ट रहोगी, लेकिन मेरी एक शर्त है।
इस पर डाकिनी ने खुश होकर कहा, तू तो बड़ा समझदार निकला। तूने तो मेरे दिल की बात बता दी। मैं भी! सोच रही थी एक पुरुष कब तक मुझे संतुष्ट रखेगा, मुझे तो नए-नए पुरुष चाहिए। जब तू खुद ही कह रहा है तो मैं क्यों नहीं तैयार होंवूगी? इसलिए मैं तेरी इस बात को मानती हूं। बस तुम मेरे लिए हर पुरुष को लाता जा तेरी जो भी शर्त है, मैं मान लूंगी। मेरे परदादा ने अपनी बातों के जाल में डाकिनी को फंसा लिया था। इसलिए अब परदादा ने तुरंत ही एक नई शर्त रख दी और यह शर्त थी कि मैं जिसे भी लेकर आऊंगी उसके रोग को तुझे तुरंत ठीक कर देना होगा। अगर तू उसे ठीक कर देती है तो वह तेरा साथ अच्छी तरह निभाएगा।
डाकिनी ने कहा, इसमें क्या समस्या है जो भी मेरे पास आएगा वह तुरंत ही रोग हीन हो जाएगा।
उसका कोई भी मर्ज तुरंत ही खत्म हो जाएगा।
और उसके बाद मैं उसके साथ रात्रि व्यतीत करूंगी और सुबह तुझे सोना भी दूंगी। ठीक है। इस प्रकार डाकिनी और मेरे परदादा के बीच में एक समझौता हो गया। मेरे परदादा ने उससे उसकी एक अंगूठी मांगी।
एक प्रकार से समझौते के रूप में।
बातें बड़ी ही अजीब हो रही थी लेकिन मेरे परदादा की तरकीब काम कर रही थी। अब मेरे परदादा के पास जो भी बीमार से बीमार पुरुष आता उसे वह अमावस के दिन डाकिनी के पास गुपचुप तरीके से पहुंचा देते। डाकिनी को देखते ही पुरुष भयभीत तो अवश्य हो जाते हैं लेकिन तुरंत ही और रोग हीन होकर स्वस्थ हो जाया करते थे।
और उसके बाद रात्रि व्यतीत करने पर उसी पुरुष के साथ हजार गुना सोना लेकर वह व्यक्ति आकर मेरे परदादा को दे दिया करता था जिसमें उसकी फीस भी शामिल थी और सोना चांदी भी शामिल था। इस प्रकार से बहुत ही आसानी के साथ में वह सफलता को प्राप्त करते चले जा रहे थे। लेकिन यह बहुत अधिक दिन तक नहीं चलने वाला था। इसकी वजह थी डाकिनी का हर बात को समझ जाना। डाकिनी को कुछ दिनों में यह लगने लगा कि मेरे परदादा उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए डाकिनी ने स्पष्ट शब्दों में मेरे परदादा के सामने प्रकट होकर कहा।
वो कहने लगी तूने तो मुझे मेरी बिरादरी में बदनाम कर दिया है। सब कह रहे हैं डाकिनी हो करके भी तू अच्छे काम कर रही हैं। यह पहली बार हुआ है। मैंने तो सोचा भी नहीं था कि तू मेरे साथ इस तरह खेल जाएगा। ठीक है तूने मुझे बहुत उल्लू बना लिया। अब मेरी शर्त सुन! तुझे हर अमावस को किसी और पुरुष को नहीं भेजना है। अब हर अमावस तू खुद आएगा। अगर तूने किसी भी रात्रि मुझे संतुष्ट नहीं किया तो मैं तुझे अब की बार जान से मार दूंगी।
मेरे परदादा अब अचरज में पड़ गए। जो तरकीब बहुत ही अधिक कामयाब हो रही थी और पूरे इलाके में उनका नाम हो गया था। हर बीमार से बीमार व्यक्ति भी ठीक हो जाया करता था। उसके बाद फिर वह स्वस्थ होकर चला जाता था।
शायद उन्हीं लोगों ने इस तरह का प्रचार किया होगा कि वह किसी औरत के पास भेजता है जो बड़ी ही खतरनाक दिखती है।
इसी वजह से वह डाकिनी नाराज हो गई थी और वह अपने राज के खुलने के कारण गुस्से में थी। मेरे परदादा ने कहा, ठीक है! मैं तुम्हारी बात को मान जाऊंगा, लेकिन तुम्हारे पास आने से पहले कुछ शर्त में रखना चाहता हूं। इस पर डाकिनी ने कहा, ठीक है!
अपनी शर्त बताओ?
उन्होंने कहा, जितनी देर संभोग चलेगा? उतनी देर मैं जो कुछ भी उसके अलावा करूंगा उसमें तुम मुझे रोकोगी नहीं। मेरी इस शर्त को तुम मान लो और मुझे वचन दो। डाकिनी ने कहा, ठीक है! अब मेरी भी शर्त सुन अगर तूने मुझे किसी भी रात पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाया तो मैं तुझे जान से मार दूंगी।
आखिर पूरी दुनिया में तूने मुझे बदनाम कर दिया है और सब कह रहे हैं कि मैं तो किसी देवी जैसी हो गई हूं। जबकि मैंने अभी तक किसी भी पुरुष को नहीं मारा ना ही उसका रक्त पिया है।
और ऊपर से?
सारे लोगों का इलाज भी मैंने कर दिया।
इस तरह का अभी तक कभी भी मेरे साथ अनुभव नहीं हुआ था।
मेरी परदादा ने कहा, ठीक है, मैं आपकी बात मानता हूं। अगर मैं आप को संतुष्ट नहीं कर पाया तो आप मुझे जान से मार दीजिएगा, लेकिन अगर आपने संभोग बीच में छोड़ दिया। तो आपको मुझे जाने देना होगा और इस जंगल को छोड़कर भी आप चली जाएंगी।
डाकिनी ने उनके शर्त मान ली और कहा, तुझे मैं किसी एक कार्य को करने की छूट देती हूं, लेकिन संभोग बंद नहीं होना चाहिए। मैं तुझे राजा बना कर तेरे हाथ में तलवार पकड़ा कर। तेरे साथ भोग करूंगी। तुझे मैं राजा जैसा बना दूंगी। इसलिए तुम मेरे कहे अनुसार चल! मेरे परदादा उसकी बात को समझ गए थे। उन्होंने कहा, ठीक है तुम्हारी जो भी इच्छा होगी, मैं पूरी करूंगा। बस उस दौरान मैं जो एक कार्य करता रहूं। वह कार्य मुझे करने देना। इस पर डाकिनी ने कहा, ठीक है! मेरे इस संभोग में अगर कोई कार्य! व्यवधान नहीं पैदा कर रहा होगा तो तू करते रहना।
इस प्रकार दोनों के बीच में समझौता हो गया। अब बारी थी मेरे परदादा के एक तांत्रिक से मिलने जाने की। उस तांत्रिक के पास पहुंचकर मेरे परदादा ने कहा। सुनो भाई, मुझे कोई ऐसा मंत्र बताओ जो डाकिनी को भागने पर विवश कर दें।
इस पर उस तांत्रिक महोदय ने उन्हें देवी मां का एक शक्तिशाली मंत्र बताया और कहा, अगर इसका उच्चारण तुम ने मात्र 108 बार कर दिया तो कितनी भी शक्तिशाली डाकिनी शाकिनी शक्ति हो? वह! इसे सुनकर तुरंत ही वह स्थान छोड़कर भाग जाएगी।
मेरे परदादा ने कहा, ठीक है इसका अनुष्ठान और सिद्धि करण मुझे बताओ। इस प्रकार से मेरे परदादा ने उस तांत्रिक से। उस मंत्र का अनुष्ठान और पूरा का पूरा विवरण प्राप्त कर लिया। यह प्राप्त करके अब वहां डाकिनी के पास पहुंचे । डाकिनी के पास पहुंचने पर उन्होंने अपना कार्य प्रारंभ कर दिया। डाकिनी भी संतुष्ट होती जा रही थी। तभी डाकिनी ने कहा कि तूने मुझे बहुत ही मूर्ख बनाया है। मुझे अब तू संतुष्ट नहीं कर पा रहा है क्योंकि वह जानती थी। वह बहुत सारे अच्छे काम कर चुकी है और अब कोई अच्छा कार्य नहीं करना चाहती थी। इसी कारण से अब वह मेरे परदादा की बलि लेना चाहती। लेकिन मेरे परदादा भी उससे कई आगे थे।
उनका दिमाग बहुत ही तेज था। उन्होंने तुरंत ही कहा, तुमने मुझे एक काम करने की छूट दी थी और अब मैं वह शुरू करता हूं। यह कहकर उन्होंने संभोग करते हुए ही मंत्र जाप करना शुरू कर दिया और तेज तेज उच्चारण करने लगे। उनका उच्चारण इतना तीव्र था कि आसपास के पशु पक्षी भी भागने लगे। सिद्ध मंत्र अपना कार्य तीव्रता से कर रहा था।
डाकिनी ने अपने कानों पर हाथ रखकर चिल्लाते हुए कहा।
यह करना बंद कर। वरना मैं तुझे अभी मार डालूंगी। तब मेरे परदादा ने कहा, तुमने मुझे वचन दिया था कि इस कार्य को रोके बिना।
मैं जो कुछ भी करुंगा उसमें तुम हस्तक्षेप नहीं करोगी।
डाकिनी अपने वचन में फंस चुकी थी। वह चिल्लाते हुए कहने लगी बंद कर दे। बंद कर दे। पर मेरे परदादा कहां रुकने वाले थे। आखिरकार वह डाकिनी कहने लगी। मैं हारती हूं और मैं यह जगह और स्थान भी छोड़ कर जा रही हूं। इस प्रकार से। डाकिनी ने व स्थान जगह छोड़ दिया और आकाश में उड़ती हुई चली गई। इस प्रकार से मेरे दादा! की बुद्धिमानी के कारण न सिर्फ उनकी जान बची और उस क्षेत्र पर आया हुआ संकट भी टल गया।
तो इस प्रकार से मेरे परदादा ने एक डाकिनी को हराया था। गुरु जी यह थी कहानी अगर आपको यह पसंद आई है तो मुझे और भी अधिक अन्य अपनी कहानियां भेजने की अनुमति प्रदान करे और सभी साधकों को मैं यही कहना चाहूंगा। ऐसी शक्तियों से बचने के लिए अपनी बुद्धि का इस्तेमाल जरूर करें। नमस्कार गुरु जी!
संदेश –यहां पर इनके परदादा की बुद्धिमानी के कारण इन्होंने डाकिनी को परास्त कर दिया देवी मां के एक सिद्ध मंत्र के द्वारा। तो यह था एक अनुभव अगर आपको यह पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।