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तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा भाग 4

एक नाग शंभू के मुख में और नाक में घुसने का प्रयास किया शंभू मुंह को बंद करके उस चीज को हटा लिया लेकिन एक नाग पूरी ताकत से उसकी नाक में घुसने लग गया उसने पूरी कोशिश की और मन ही मन तक्षकमुखी नागिन को याद करने लगा फिर अचानक से ही एक बड़ी सी चील उड़ते हुए आई और उस नाग को  पकड़ कर ले गई  इससे उसकी नाक में वह नाक नहीं घुस पाया, तक्षक मुखी नागिन ने उससे कहा था कि कुछ भी हो जाए अपनी साधना को छोड़ना नहीं क्योंकि रुकावटें तो आती ही रहती है साधना कोई भी हो उस में रुकावट अवश्य ही आती हैं उसने अपना मंत्र जाप को नहीं छोड़ा इस प्रकार उसकी साधना खंडित होने से बच गई और जो चील थी वास्तव में नागिन ने उड़ने वाले अपने तक्षक सर्पों को आदेश दिया था की जाओ और उसकी सहायता करो कारण की सभी नागों पर मेरा वर्चस्व नहीं है लेकिन मेरे मंत्र के जाप से उस इलाके की सारी नाग शक्तियां जागृत हो गई है, नाग शक्तियों की जागृत होने की वजह से कुछ उस पे हावी होने या उसके शरीर में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे ऐसा ही हुआ एक नाग ने उसकी नाक में प्रवेश करने की पूरी कोशिश की थी नाक में प्रवेश करने ही वाला था तभी तक्षक कुल के नागों ने उसमें जो उड़ने वाले नाग होते हैं उसमे से एक नाग ने चील का रूप धारण करके उस नाग को पकड़ लिया और उसको वहां से हटा दिया इस प्रकार उसकी उस दिन की साधना निर्विघ्न संपन्न हुई l वापस आकर के उसने सारी बाते अपनी गुरु  तक्षकमुखी नागिन रूपी उस कन्या को बताया और कहा मेरे साथ यह आज घटित हुआ था तक्षकमुखी नागिन ने उसे कहा की आप घबराइए नहीं और साधना करते रहिए इस तरह के अनुभव आपको लगातार होते रहेंगे बस आपको डटे रहना है जितनी देर साधना करनी है उतनी देर आपका ध्यान भंग नहीं होना चाहिए मंत्र जाप करते रहना चाहिए, कुछ भी हो जाए फिर भी आप उस मंत्र की जाप को ना छोड़े इस प्रकार की कोई समस्या आए तो उस नागिन को याद कीजिएगा और हृदय से उसको अपने दिल से पुकारियेगा की आप मेरी सहायता के लिए तुरंत आए तो निश्चित रूप से नागिन आपके पास आएगी और आपकी सहायता भी करेगी यह मैं आपको वचन स्वरूप कहती है l इस पर शंभू ने पूछा आप नागिन के लिए वचन किस प्रकार से दे सकती हैं तब उसने कहा की इस बारे में मैं सारे राज और रहस्य जितने भी हैं वह मैं जानती हूं आपको इस बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और मैं कह रही हूं आपको मेरी बात पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए कारण यह भी है की आपने मुझे गुरु मानकर के यह साधना शुरू की है इसलिए जो भी मैं कहूं उसको एक निष्ठ होकर के करना चाहिए इससे आपको निश्चित रूप से सफलता की प्राप्ति होगी कभी अगर भय लगे तो मैं आपको गोपनीय रक्षा कवच मंत्र बता रही हूं इस नाग रक्षा मंत्र को आप जप लीजियेगा l इस प्रकार से नाग रक्षा मंत्र अपने शिष्य यानी की शंभू को प्रदान किया और कहा की इस मंत्र का प्रयोग करके अब अपनी रक्षा कर सकते हैं निश्चित रूप से आप की रक्षा होगी इस प्रकार अगली रात्रि को फिर से उसी स्थान पर चला गया और कमर भर पानी में खड़े होकर के साधना करने लगा इस प्रकार दूसरी रात्रि बिना किसी समस्या के संपन्न हो गई ऐसे ही करते करते जब आठवीं रात वह तपस्या कर रहा था अचानक से पानी में हलचल होती है वह देखता है बड़ा सा मगरमच्छ उसकी तरफ आ रहा है लेकिन उसने क्योंकि प्रतिज्ञा कर रखी थी कुछ भी हो जाए मैं यह साधना भंग नहीं करूंगा अर्थात साधना छोड़कर नहीं जाऊंगा l लेकिन वह विशालकाय मगरमच्छ उसकी तरफ बढ़ता ही चला जा रहा था शंभू के मन में भय व्याकुल होने लगा उसने नाग रक्षा मंत्र का प्रयोग किया मन ही मन तक्षकमुखी नागिन को याद किया कई बार पुकारने पर भी तक्षकमुखी नहीं आई तो उसके बताए हुए कवच मंत्र का भी पाठ वो करने लगा जाप भी करता रहा मन की दो अवस्थाएं होती हैं, वो मुंह से मंत्र जप कर रहा था और एक मन की अवस्था से अपनी रक्षा मंत्र को पुकार रहा था इस प्रकार कुछ देर करने के बाद अत्यंत ही तीव्र गति से वह मगरमच्छ आता हुआ उसके मुंह की और लपका जैसे ही उसने हमला किया एक विशालकाय अजगर जैसा दिखने वाला सर्प प्रकट हुआ उसने मगरमच्छ के मुख को पकड़ लिया और उसमें चारों तरफ से कुंडली कर ली कुंडली बांधने से मगरमच्छ उसके लपेटे में आ गया और उस मगरमच्छ को दबाकर  वह पानी के अंदर प्रवेश कर गया शंभू से सामने ये अद्भुत घटना घटित हुयी थी और उसने अपने मंत्र जाप को बंद नहीं होने दिया कुछ देर दोनों में भीषण लड़ाई चली और फिर चारों तरफ खून ही खून बिखर गया खून भरे पानी में भी उसने अपनी तपस्या और मंत्रों का जाप नहीं रोका और लगातार मंत्रों का जाप करता रहा इस प्रकार जब शंभू की पूजा संपन्न हुई तब सब कुछ शांत हो चुका था l लाल हो चुका तालाब भी अब अपने वास्तविक रूप में लौट चुका था और स्वच्छ पानी दिखाई पड़ रहा था अब अंदर क्या हुआ था इस बात की चिंता ना करते हुए वह अपने घर की ओर बढ़ गया और आज भी उसने सारी बात फिर से तक्षक मुखी नागिन को अर्थात उस कन्या को बताई और कन्या ने मुस्कुराते हुए कहा की मैंने तुमसे कहा था ना कुछ भी हो जाए अपनी साधना उपासना मत छोड़ना रक्षा के लिए रक्षा कवच मंत्र नाग रक्षा मंत्र और तक्षक मुखी नागिन को हमेशा याद करना उसके प्रति प्रेमभाव रखना और विश्वास रखना की तुम्हारी साधना निश्चित रूप से निर्विघ्न संपन्न होगी चाहे कितना भी भय तुम्हारे सामने आए तुम बिना भयभीत हुए साधना को करते रहना इस प्रकार से वह साधना करता रहा l 11वीं रात भीषण रात होने वाली थी इसकी आशंका अचानक से ही कई नगीनो ने आकर के तक्षकमुखी नागिन को दी तक्षक मुखी नागिन को पता लगा की आज शंभू तपस्या करने गया है तो उसकी कई सारी सहेलियों ने तक्षक मुखी से कहा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आज बड़ी ही गंभीर स्थिति होने वाली है, तक्षक मुखी ने अपनी नागिन साथियों से पूछा क्या वजह है आज ऐसा क्या होने वाला है मैं तो हमेशा रक्षा के लिए पहुंच जाती हूं या किसी न किसी को अवश्य ही भेज भी देती हूँ, तब उसकी सखियो ने कहा कि शायद तुम नहीं जानती हो की तपस्या करने से जिस प्रकार सारी शक्तियां तपस्या करने वाली की तरफ आकर्षित हो जाती हैं इसी प्रकार एक जल पिशाचनी भी वहां पर आ गई है बड़ी देर से शंभू को घूरे जा रही हैं उसके मन में काम भाव जागृत हो रहा है और वह चाह रही है कि उसकी सारी तपस्या पूजा वह स्वयं ग्रहण करना चाहती है इसलिए वह अपनी माया थोड़ी ही देर बाद रचने वाली है तुम्हें सावधान हो जाना चाहिए और जाकर के उसकी रक्षा करनी चाहिए क्योंकि उससे लड़ने की सामर्थ्य हमने नहीं है केवल आप ही उस से लड़ सकती हैं और उसे किसी भी प्रकार से रोक सकती है आपको यहां से तुरंत ही जाना चाहिए थोड़ी देर बाद, जल पिशाचिनी जल में प्रकट होकर के सुंदर नारी का रुप धारण करके नहाने लग गई शंभू के सामने और जल में क्रीड़ा करने लगी उसकी क्रीड़ा को देख करके शंभू का ध्यान भंग होने लगा लेकिन शंभू को पहले ही बताया गया था की कुछ भी हो जाए अपनी साधना को भंग नहीं होने देना है तो वह उस प्रकार साधना करता रहा जल पिशाचनी ने देखा की वो उस पर कोई ध्यान नही दे रहा है तो वह सर्वथा निर्वस्त्र होकर के जल में क्रीडा करके इधर-उधर उछलने लगी ताकि उसकी तरफ शंभू का ध्यान जाए और उसके अंदर काम भाव उत्पन्न हो और अपनी साधना छोड़कर वह उसके पास आ जाए और उसकी साधना का फल अगर काम क्रिया द्वारा उसे प्राप्त हो जाए तो वो और भी अधिक शक्तिशाली हो जाएगी और पिशाचिनी इधर-उधर हंसते हुए नग्न रूप में इधर-उधर दौड़ने लगी उसकी क्रियाओं को देख करके शंभू का मन भटकने लगा तभी अचानक से एक सर्प उसके गले में आकर के बैठ गया जैसे ही उसके गले में सर्प आकर  बैठा तो वह भयभीत हो गया सोचने लगा अगर मैंने कुछ गलती कर दी तो संभवता ये सर्प मुझे नुकसान पहुंचा सकता है और इस प्रकार उसका ध्यान अपनी साधना की ओर एक बार फिर से चला गया और वह जल पिशाचनी की ओर ध्यान न देकर के गले में पड़े सर्प  की ओर ध्यान देते हुए अपनी साधना को करने लगा उसे भय लगा कहीं सर्प उसे काट न ले अपने मन को एकाग्र चित्त कर के साधना करने लगा इधर जल पिशाचिनी ने देखा कि कोई नागिन है जो उसके गले में लिपटी हुई है l उसने सोचा अगर इस नागिन को मैं उठाकर बाहर फेंक दूं तो इसके बाद निश्चित रूप से वो मेरे बस में हो जाएगा और वह धीरे-धीरे करके उसी नग्न अवस्था में उसके पास जल में हंसते खेलते हुए आई नागिन को पकड़कर दूर फेंक दिया और उसके गले लग गई शंभू के लिए यह अप्रत्याशित था वह थर-थर कांपते हुए अपने मंत्रों का जाप फिर भी करता रहा इधर तक्षकमुखी को दूर फेंक देने के बाद उसे बहुत क्रोध आया  वो क्रोध से भर गई और उसने एक विशालकाय सिंह का रूप धारण किया और पानी में छलांग लगा दी और तुरंत ही उस पिशाचिनी की बांह पकड़ ली और खींचते हुए पानी में अंदर ले जा रही थी लेकिन फिर उस पिशाचिनी ने उसे पकड़ कर दूर झटक कर फेंक दिया तो वह जाकर के दूर पेड़ों के बीच गिरी और इधर पानी से छलांग लगाते हुए वह तीव्रता से जल पिशाचिनी की तरफ बढ़ गई जल पिशाचिनी ने सिंह को देखकर गुस्से में कहा मैं समझ गई तू नागिन है वरना  तेरे जैसी सामर्थ्य वाली हर नागिन को तो मैं यूं परास्त कर देती तू क्यों यहां पर आई है यह मेरा शिकार है मैं किसके साथ विवाह करूंगी, इसकी तप ऊर्जा को ग्रहण करूंगी तू यहां क्यों आ गई है, नागिन ने कहा यह मेरा भक्त है और मैं ही इसे अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए यह सारा मायाजाल रच रही हूं इससे मैं प्रेम करती हूं और इसे अपना पति बनाना चाहती हूं इसको शक्तियां सामर्थ्य और दुनिया के सारे सुख प्रदान करना मेरा उद्देश्य है l तू हमारे बीच में मत आ नहीं तो तू मारी जाएगी जल पिशाचिनी ने कहा देखते हैं कौन किस को मारता है, गुस्से से भरी हुई उसने जल मंत्र का प्रयोग कर नागिन पर मारा नागिन को दिखना बंद हो गया जैसे ही नागिन को दिखना बंद हुआ वह हंसती हुई कही मैं उस पुरुष के पास जा रही हूं और उसके सामने प्रकट हो करके उससे वरदान मांगने को कहूंगी और तू मूर्ख इधर उधर कुछ नहीं देख पाएगी मैं भी देखती हूं कि तू कैसे उसे बचाती है अब मैं जा रही हूं उसे वरदान देने और अपना बनाने और वह क्या जान पाएगा की मैं नागिन हूं या जल पिशाचिनी हा ! हा ! हाँ ! कहते हुए वह जल में उतरने लगी इधर शंभू अपनी पूजा को समाप्त करने ही वाला था और तभी उसने एकदम तीव्र प्रकाश देखा जल पिशाचिनी उसके सामने प्रकट हो गई थी और प्रसन्न मुख अतिसुन्दर रूप में उसके सामने आई थी और उसने कहा आंखें खोलो तुम क्या वरदान चाहते हो शंभू अपनी पूजा पूर्ण करने के बाद तुरंत ही अपनी आंखें खोल दी और सामने एक अद्भुत सुंदर स्त्री को देखकर के आश्चर्यचकित हो गया शंभू को लगा उसकी साधना सफल हो गई है और उसे उसकी शक्ति अर्थात वह नागिन शक्ति प्राप्त हो गई है इसलिए वह बड़ा ही प्रसन्न होकर के वरदान मांगने के लिए आतुर हो कर के उसकी तरफ बढ़ा।

तक्षक मुखी नागिन और नागचंद्रेश्वर मंदिर कथा 5वां अंतिम भाग

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