नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मंजूषा की कहानी में अभी तक आप लोगों ने देखा कि वह! सभी! साधना में सफल रही थी। अब जल परीक्षा में जब मगरमच्छों ने उसे घेर लिया तो फिर वह तब भी साधना करते रहे। मगरमच्छों ने उसे काटना शुरू कर दिया। वह आते और उसे काट कर भाग जाते लेकिन मंजूषा अपनी साधना नहीं छोड़ रही थी क्योंकि वह पहले ही यह निर्णय कर चुकी थी कि जीवन में अब चाहे जो हो। उसे लक्ष्यों को प्राप्त करना ही है। अपने शरीर को तो वह पहले ही गवां चुकी थी। उसकी इज्जत वह खो चुकी थी इसलिए उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। उसकी यही दृढ़ प्रतिज्ञा की वजह से उसने अपने आप को पूर्ण कर लिया। जैसे ही उसने चारों और अपने मगरमच्छों को देखा। उन्हें प्रणाम करके वह जल से बाहर आने लगी।तभी उन मगरमच्छों ने स्त्रियों का रूप धारण कर लिया और सभी ने प्रसन्न होकर। मंजूषा से कहा, तुम्हारी साधना सफल रही हम सारी योगिनी शक्तियां हैं। तुम्हारी! परीक्षा लेने के लिए आई थी। तुम्हारे शरीर पर लगे सारे घाव नष्ट हो जाएंगे। तुम इस बात के लिए परेशान मत होना तुम्हें सिद्धि हम प्रदान करते हैं। 2 वर्ष के अखंड जाप को करने पर तुम्हें योगिनी स्वरूप मिल जाएगा। यह सुनकर मंजूषा बहुत अधिक प्रसन्न हुई। उसके जीवन में कुछ अच्छा होने जा रहा था।
अपने गुरु के पास पहुंच कर उसने अपनी सारी आपबीती अपने गुरु को बताई गुरु ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा योगिनी माताओं ने जो कहा है वह तुम अवश्य ही करो जाओ किसी? गुफा में रहकर अखंड साधना करो।उसके बाद मंजूषा एक पर्वत पर जाकर।प्राकृतिक गुफा में रहकर साधना करने लगी। इस प्रकार उसने 2 वर्ष लगातार जाप किया। केवल सोने और भोजन करने के लिए वह उठती थी। इस प्रकार 2 वर्ष बाद अचानक से वहां पर। महायोगिनी प्रकट हो गई। उन्होंने आशीर्वाद देकर योगिनी स्वरूप।मंजूषा को प्रदान किया योगिनी शक्तियां प्राप्त कर मंजूषा बहुत शक्तिशाली हो गई थी, किंतु उसे और भी अधिक यात्रा करने की इच्छा थी। यह आध्यात्मिक यात्रा वह लगातार करना चाहती थी इसलिए उसने महायोगिनी देवी से कहा, माता मैं और भी अधिक सिद्ध होना चाहती हूं। कोई मार्ग हो तो मुझे बताइये। मां! मुस्कुराते हुए कहा मुझे पता है तेरी पिपासा शांत नहीं हुई है। चल! जिस तरह तू जप कर रही है अपनी इसी गुरु मंत्र का जाप 12 वर्ष और कर इन 12 वर्षों के पूर्ण होते ही तू सिद्ध भैरवी बन जाएगी। और फिर तेरी सामर्थ्य किसी देवता से भी अधिक होगी। यह सुनकर मंजूषा में देवी मां को प्रणाम किया और लग गई अपनी तपस्या में। धीरे-धीरे दिन बीतते गए।वह केवल साधना करती भोजन बनाती और सो जाती। भोजन सामग्री लेने के लिए वह गांव-गांव भिक्षा मांगती। उस भिक्षा के भोजन को बनाकर स्वयं खा लेती। इस प्रकार केवल! सोने भिक्षा मांगने का समय। अगर छोड़ दिया जाए तो अन्य सारे समय वह केवल गुरु मंत्र की साधना करती रही आखिरकार! जब यह 18 वर्ष की कन्या 32 वर्ष की हो गई।तो अपने 12 वर्ष में।अचानक से ही सामने माता त्रिपुर भैरवी को देखती है। माता त्रिपुर भैरवी प्रसन्न होकर उसे सिद्ध भैरवी हो जाने का वरदान देती है। इस प्रकार समस्त सिद्धियां प्राप्त कर मंजूषा सिद्ध भैरवी बन जाती है।अब वह अपनी साधना! और अधिक करना चाहती थी लेकिन माता त्रिपुर भैरवी उसे कहती हैं पुत्री। भैरवी बनकर जगत का कल्याण करो जाओ अब यह साधना छोड़ो और जनता का भला करो। कई ऐसे हैं जो किसी योग्य मार्गदर्शन के बिना। समस्याओं में घिरे हुए हैं जाओ उनकी समस्याओं को हल करो। माता से आज्ञा प्राप्त कर मंजूषा पर्वत शिखर से वापस एक नगर की ओर आने लगती है। नगर में एक स्थान पर वह आश्रम बनवा देती है अपनी इच्छा अनुसार धन पैदा करने की क्षमता के कारण जल्दी ही उसका आश्रम बनकर तैयार हो जाता है। उसके आश्रम में हर रविवार भंडारे का आयोजन होता था। जहां देवी मां के मंदिर में वह स्वयं मां भगवती की पूजा करती थी। कुछ समय में ही वहां बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गई। समय के साथ उनके पास भक्तों का आना जाना शुरू हो गया। वह सभी की समस्याएं सुनती और उन्हें उचित मार्गदर्शन दिया करती थी। मंजूषा अपने पूर्व समय में घटित हुए। समस्त दोषों और पापों से मुक्त हो चुकी थी। वह जीवित सिद्ध भैरवी थी। जिनकी क्षमता और शक्तियां। अतुलनीय थी।ऐसे ही एक दिन एक व्यापारी। रोते-रोते उस नगर में घूम रहा था। उसे! एक कर एक व्यक्ति ने उससे कहा, तुम्हें क्या समस्या है? वह कहने लगा। मेरी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है। मैं बहुत अधिक समस्या से घिरा हुआ हूं। तब उस व्यक्ति ने पूछा, क्या धन की समस्या है? या फिर वर की समस्या है?तब वह व्यापारी कहने लगा ना तो धन की समस्या है ना ही वर की समस्या! कन्या भी विवाह करना चाहती है। किंतु उसका विवाह नहीं हो रहा। मैं किसी ऊपरी बाधा से ग्रसित हूं। इसी कारण से ऐसा हो रहा है। आप कोई मार्ग जानते हो तो अवश्य बताइए उस व्यक्ति ने कहा, आप बिल्कुल सही जगह आए हैं यही पास में भैरवी मंजूषा का आश्रम है। जाइए उनके पास और उनसे अपने हृदय की सारी बातें कहिए। मुझे 100% विश्वास है कि आपकी समस्या वह देवी अत्यंत ही आसानी से हल कर देंगी। इस प्रकार जब उस व्यापारी ने देवी मंजूषा के विषय में सुना तो वह अधीर हृदय से उस ओर चल दिया। जहां देवी मंजूषा भैरवी स्वरूप में विद्यमान थी। अब जब? वह व्यापारी किसी प्रकार अपनी समस्या। मंजूषा देवी को बताने पहुंच गया तो देवी ने उसके माथे को देखकर कहा, तुम तो किसी बड़ी समस्या से घिरे हुए लगते हो। बताओ तुम्हारी समस्या क्या है? तब उस व्यापारी ने कहा। देवी मैं बहुत परेशान हो गया हूं। मेरी एक कन्या है जो बहुत सुंदर है। उसका विवाह मैंने एक बड़े व्यापारी के पुत्र से करना तय किया।लेकिन? विवाह नजदीक आते ही अचानक से उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया। मैंने दूसरा लड़का ढूंढा। उसकी भी मृत्यु हो गई।तीसरे लड़के में मैंने। उनसे कहा कि कोई ऊपरी बाधा है तो उन्होंने।देवी भगवती के मंदिर जाकर उसके लिए ताबीज बनवा दिया। इस प्रकार वह तो मृत्यु को प्राप्त नहीं हुआ किंतु जिस वक्त शादी हो रही थी उसके पहले। मेरी कन्या जिस जोड़ी को पहनकर मंडप में जाने वाली थी, उस जोड़े में आग लग गई। उसके लिए जल्दी-जल्दी दूसरा जोड़ा मंगवाया गया। लेकिन कुछ देर होने के बाद अचानक से उसमें भी आग लग गई।मैं समझ नहीं पा रहा। यह सब क्या घटित हो रहा है, उसकी शादी नहीं होती है। कुछ ना कुछ बाधा अवश्य आ जाती है। आप मेरी समस्या को हल कीजिए। देवी मंजूषा समझ चुकी थी अब उनके सामने! स्वयं वहां जाए बिना इस समस्या का समाधान नहीं होगा इसलिए वह चल पड़ी। उस! कन्या की ओर।जैसे ही वह उनके घर पहुंचे घर में अफरा-तफरी मची हुई थी।व्यापारी की पत्नी दौड़कर आ कर कहने लगी। नहाते वक्त मूर्छित हो गई है। चलो जल्दी से उसके पास चलो। बेबी मंजूषा सहित पूरा परिवार उस लड़की के पास पहुंचा। जो नहाते वक्त मूर्छित हो गई थी।लड़की को जब जगाया गया तो उसने कहा, मेरे साथ बलात्कार हुआ है।और किसी ने नहाते वक्त मेरे साथ ऐसा किया है।यह सुनकर देवी मंजूषा क्रोध में भर गई। आगे क्या हुआ हम जानेंगे आगे की कथा में तो अगर आपको यह जानकारी और कहानी अच्छी लग रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 4
Dharam Rahasya
MPDRST( मां पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट) -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद