दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत यह भाग 3 है। पिछले भाग में हमने जाना था कि शिष्य किस प्रकार एक शक्तिशाली प्रेत को सिद्ध करने की कोशिश करता है और उस प्रेत की शर्त पर अब उसके लिए एक कुंवारी कन्या लाना आवश्यक था। इस पर शिष्य ने कुछ सोचा और उसने यह अनुमान लगाया कि यह तो प्रेत है इसे क्या पता? कि कौन सी कन्या कुमारी है और कौन सी शादीशुदा? या फिर जिसने किसी पुरुष से पहले संबंध बनाया हो? इसलिए इससे मैं मूर्ख बना लूंगा। और तभी मुझे इसकी सिद्धि प्राप्त होगी। इसलिए शिष्य अब चल पड़ा कुछ दूर एक निकट के गांव के समीप! क्योंकि वह यह बात जानता था कि इसी स्थान पर गांव के बाहर एक वेश्यालय है और इस वेश्यालय में बहुत समय से ही हजारों स्त्रियां स्वेच्छा से यह कार्य करती हैं। किसी स्त्री को संबंध बनाने के लिए तैयार करना बहुत ही कठिन है। लेकिन यहां से यह कार्य आसानी से हो जाएगा। इसलिए वह उस वेश्यालय में पहुंच जाता है। वहां पहुंचकर वह वहां की एक मालकिन से मिलता है और कहता है आपके पास जो सबसे नव युवती इस कार्य के लिए हो। उसे मै मुंह मांगी कीमत दूंगा, लेकिन मेरी यह शर्त है कि उसे मेरे साथ एक वृक्ष के नीचे चलकर। आंखें बंद करके यह कार्य करना होगा। इस पर उस स्त्री ने पूछा लगता है तुम तांत्रिक हो और तंत्र कार्य के लिए मेरी एक स्त्री को ले जाना चाहते हो, ठीक है। मैं इसके लिए तैयार हूं, लेकिन धनराशि ज्यादा लगेगी। तब उसे शिष्य ने कहा, अवश्य मैंने कहा ना मैं तुम्हें मुंह मांगी कीमत! दूँगा लेकिन एक शर्त भी है अगर तुम्हारी कोई सेविका वहाँ जाकर वापस आ गई तो मै इस बात के लिए कभी भी उसका साथ नही दूंगा और तुम्हें धनराशि भी नही मिलेगी ।यह कोई कठिन कार्य नही नही था इसलिए अब इस बात के लिए अब वह बिलकुल तैयार हो चुका था और वह स्त्री भी इस बात के लिए पूरी तरह तैयार थी । और अपनी आंखें बंद कर लेती है इस प्रकार! वह अपने समस्त प्रयोजनों में सफल होता है। लेकिन समस्या यही थी जब पेट नीचे उतरता है तो बिना देर किए उसके साथ संभोग करता है लेकिन? यह बात! वह थोड़ी देर बाद जान पाता है और फिर वह इस। क्रिया को समाप्त कर जब वापस अपने स्वरूप में आकर उस शिष्य के सामने उपस्थित होता है तब वशिष्ठ को कहता है तूने मेरे साथ धोखा किया है इसलिए अब मैं इस स्त्री को अपने पास ही रखूंगा और स्वयं को संतुष्ट करता रहूंगा। तब तक जब तक कि तू मेरे लिए किसी अन्य कुमारी कन्या को लेकर नहीं आता। यह सुनकर शिष्य। अपना माथा पकड़ लेता है।क्यूंकी उसे तो केवल धन से मतलब था एक नवयुवती इसके लिए तैयार हो जाती है ।वह उस व्यक्ति के साथ उस स्थान की ओर जाती है ।वहाँ पहुँचकर वह वृक्ष के नीचे जाकर लेट जाती है ।अपनी आखे बंद कर लेती है ,इस प्रकार वह अपने समस्त प्र्योजनों मे सफल होता है ।लेकिन समस्या यह थी जब प्रेत नीचे उतरता है तो उसके साथ संभोग करता है ।लेकिन यह बात वह थोड़ी देर बाद जान पाता है और जब वह इस क्रिया को समाप्त कर जब वापस अपने स्वरूप मे आकर उस शिष्य के सामने उपस्थित होता है तब वह शिष्य को कहता है तूने मेरे साथ धोखा किया है इसलिए अब इस स्त्री को मै अपने पास ही रखूँगा और स्वयं को संतुष्ट करता रहूँगा ।तब तक जब तक की तू मेरे लिए कुँवारी कन्या को लेकर नही आता है यह सुनकर शिष्य अपना माथा पकड़ लेता है । तब वह उस वेश्यालय में पहुंचता है और एक बार फिर से कहता है कि तुम मे से जो भी मेरे एक मित्र को संतुष्ट कर देगी। मैं उसे मनमानी राशि प्रदान करूंगा। इसलिए सभी वेश्या! उस स्थान की ओर चल पड़ते हैं जब इतनी सारी स्त्रियों को प्रेत देखता है तो सोचता है कि यह एक अच्छा मौका है उसने। समस्त प्रेतों का आवाहन शुरू कर दिया और उसी स्थान पर प्रेतों का जमावड़ा शुरू हो गया। उसने सभी प्रेतों को कहा, आज से मैं तुम्हारा राजा हूं और तुम्हारे लिए मैं इतनी सारी स्त्रियां। लेकर आया हूं तुम मुझे वचन दो और अपनी शक्तियां सामर्थ्य और सेवा प्रदान करने का। आजीवन वचन दे दो। इतने सारे प्रेत जब ऐसी स्त्रियों को देखते हैं तो सबके अंदर कामवासना जागृत हो जाती है। इसी कारण सभी उसे अपना राजा मानकर सहर्ष सेवा देने का वचन दे देते हैं। सभी उसे अपनी अपनी शक्तियां भी प्रदान करते हैं और अपना राजा बना लेते हैं। इससे अब वह! बहुत अधिक शक्तिशाली हो चुका था। इसी कारण अब उसके लिए कुछ भी करना संभव हो गया था। सभी स्त्रियां वशीभूत हो जाती हैं और उनके साथ वहां प्रेम और काम क्रीडा शुरू हो जाती है। उन्हें पता ही नहीं था कि उनके साथ यह कार्य कौन कर रहा है किंतु सभी प्रेत वहां पर वह कार्य संपन्न करने लगते हैं। इससे अब उस प्रेत राजा की शक्ति बहुत अधिक बढ़ जाती है। यह देखकर अब शिष्य घबरा जाता है क्योंकि वह जान रहा था कि अगर इसकी इच्छा मात्र भी हो गई तो मेरी तंत्र शक्तियां इसे रोक नहीं पाएंगे क्योंकि इसके पास अब प्रेतों की विशाल सेना है और सभी इसे अपनी शक्तियां भी दे चुके हैं। तब प्रेत उससे पहले की उस पर नजर डालें शिष्य चुपचाप वहां से निकल जाता है और जाकर अपने गुरु से मिलता है। शिष्य अपने गुरु को सारी बातें बताता है और शिष्य की बातें सुनकर गुरु भी स्तब्ध रह जाता है। तब गुरु अपने उस शिष्य को कहता है। इसका अब एक ही विकल्प है। केवल! वही वैश्या की पुत्री। इसे संतुष्ट कर सकती है और उसी दौरान हम इसे अपने बंधन में ले सकते हैं। इसलिए तुम उस वैश्या की पुत्री को ढूंढो जिसकी वजह से इस प्रेत की मृत्यु हुई थी। तब शिष्य और उसके गुरु अपनी तंत्र विद्या से उस स्थान का पता लगाते हैं। और शिष्य चल दिया उस वैश्या स्त्री की पुत्री को ढूंढने के लिए। कन्या का विवाह होने वाला था। जब वह उस स्थान पर पहुंचता है तो कुछ ही दिनों में उस वैश्य कन्या का विवाह 1 सरदार से होने वाला था और उस सरदार को यह बातें कुछ भी नहीं पता थी कि इससे पहले यह कन्या कौन थी क्योंकि वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया था कबीले का सरदार उसकी सुंदरता को देखकर उस पर मुग्ध था इसीलिए उसे अपनी पत्नी बना लेना चाहता था। वह कन्या जो पहले से ही निराश्रित थी। इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। इसी कारण वह उस से प्रेम करने लग गई और अब दोनों का विवाह कुछ दिनों में संपन्न होने वाला था। लेकिन अब इन चीजों से वह शिष्य अनभिज्ञ था, लेकिन जब उसने इस सारे राज को जाना तो बात समझ गया कि अब उसे तैयारी करनी है। वह चुपचाप उस वैश्य कन्या के कक्ष में प्रवेश कर जाता है और वहां से उसके अंदरूनी अंगों के वस्त्र चुरा लेता है। और उन? अंदरूनी अंगों के वस्त्रों को लेकर। अपने उसी स्थान पर वापस चला आता है जहां पर प्रेत का निवास स्थल था। इधर प्रेत स्त्रियों के साथ आनंद ले रहा था। तभी वह उस वस्तु को उठाता है और उस और चलने लगता है। जिधर प्रेत राजा निवास कर रहा था। प्रेत राजा अचानक से एक वैश्या के साथ संबंध बनाने के दौरान रुक जाता है और ऐसा बेचैन होता है जैसे कि उसकी और कोई बहुत बड़ी इच्छा दौड़ी चली आ रही हो। वो एकदम से उस स्त्री को उठाकर फेंक देता है और तेजी से इस तांत्रिक शिष्य की ओर चल कर आता है। वह कहता है तू ऐसी कौन सी वस्तु लाया है जिसने मुझे आक्रोशित कर दिया है? तब वह शिष्य उन वस्तुओं को उस प्रेत को दिखाकर कहता है इन्हें सूँघो। तब वह उस वस्तु को सूंघकर बहुत अधिक आनंद महसूस करता है और कहता है जैसे मेरी सारी इच्छाएं ही पूर्ण हो गई। वह कहता है यह कन्या मुझे चाहिए। किसी भी कीमत पर मुझे यह कन्या मेरे पास चाहिए। तब वह शिष्य कहता है। इसके लिए तुम्हें विवाह मंडप पर जाना होगा और उसे उठाकर यहां लाना होगा। प्रेत पूछता है, कहां मिलेगी यह कन्या मुझे वहां ले चल। शिष्य उस प्रेत को अपने साथ उस विवाह मंडप स्थल पर लेकर पहुंच जाता है। प्रेत जब उस कन्या को विवाह के जोड़े में सजा धजा देखता है तो आश्चर्य से पागल हो जाता है। अब प्रेत ने आगे क्या किया जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर यह कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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