दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत भाग 4
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत अभी तक इस कथा में आपने जाना है कि प्रेत विवाह मंडप पर पहुंच जाता है। कन्या को देखकर वह बहुत ही अधिक आक्रोशित और चंचल हृदय वाला हो गया था क्योंकि उसकी नजर में इस कन्या को प्राप्त करने के अलावा सारी इच्छाएं बहुत ही छोटी रह गई थी। इसलिए वह किसी भी कीमत पर उस कन्या को प्राप्त करना चाहता था। अब जब वह उस विवाह मंडप पर पहुंच कर देखता है तो वह कन्या उस सरदार के प्रेम में पड़ी हुई उसे दिखाई देती है। इस कारण उसमें बहुत अधिक क्रोध पैदा हो जाता है क्योंकि उसके हृदय में केवल यह बात थी कि यह कन्या सिर्फ उसकी है और इसके विवाह और प्रेम का हकदार केवल वह स्वयं है। इसके अलावा कोई और उसका नहीं हो सकता है। इसीलिए प्रेत वहां पर उस सरदार को बड़े ही क्रोध से देखता है और उसके मन में एक तीव्र क्रोध की भावना भर जाती है। अब वह उस सरदार को अपने रास्ते से हटा देना चाहता था। इसीलिए वह सरदार के पास एक मायावी रूप धर कर जाता है और उस सरदार से कहता है। पास ही उसकी एक कन्या है जो मदद के लिए उसे पुकार रही है। मेरी मदद कोई नहीं कर रहा। कृपया चल कर उस स्थान पर पहुंचे सरदार उसकी बातों में आ जाता है और उस प्रेत के साथ गांव से बाहर एक स्थान पर पहुंच जाता है। जैसे ही वह स्थान पर अकेला पहुंचता है, वह प्रेत अपने असली रूप में आ जाता है और कहता है कि अब तुम्हें मृत्यु को प्राप्त करना होगा क्योंकि तुमने मेरी होने वाली पत्नी पर नजर डाली है। इसलिए तुम्हें अब मरना ही होगा और उसके बाद फिर उसके मुंह में प्रवेश करके उसके हृदय में बह रहे रक्त को रोक देता है। इसके कारण तुरंत ही उस सरदार की मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार वह सरदार को मारकर अब सरदार का ही रूप ले लेता है ताकि उसका विवाह आसानी उस कन्या से हो जाए पर वह जब यह देखता है कि मंत्रोच्चार के बीच में अगर वह उसके साथ फेरे लेगा तो वह पहले ही। पकड़ा जाएगा क्योंकि ऐसा? होना संभव नहीं है। देवताओं के मंत्रों के जाप के बीच में विवाह संपन्न होता है। इसलिए वह इन मंत्रों की ऊर्जा को सहन नहीं कर पाएगा। इसलिए वह एक नया मार्ग निकालता है। वह उस कन्या से छुप कर मिलता है। और उससे कहता है मुझे तुमसे कुछ विशेष बातें करनी है। इसके लिए तुम थोड़ा समय निकाल कर मेरे साथ बाहर आकर मिलो। तब वह कन्या कहती है। इतनी भी बेताबी अच्छी नहीं होती। लेकिन अगर आपकी इच्छा है तो मैं आपसे मिलने अवश्य ही बाहर निकल कर आऊंगी। वह कन्या अब चुपचाप उस स्थान की ओर चलती है जहां प्रेत सरदार के रूप में उसका इंतजार कर रहा होता है। अब वह सरदार कहता है। यहां गांव के लोग हम दोनों को देख लेंगे। इसलिए चलो थोड़ी दूर चलते हैं। वह कन्या खुश हो जाती है क्योंकि उसे एक सच्चा प्रेमी दिखाई दे रहा था। अब दोनों चलकर गांव की परिधि से बाहर निकल जाते हैं और देखते ही देखते वह बहुत दूर निकल जाते हैं। कन्या उस सरदार के प्रेम में ऐसी खोई थी कि वह बात करते हुए यह भूल ही गई कि वह बहुत दूर निकल आए हैं। अचानक से ही प्रेत कहता है। चलो उस पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं और दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ जाते हैं जो कि एक अत्यंत ही। अकेला स्थल था, क्योंकि वहां दूर-दूर तक पशु पक्षी तक नहीं थे और तभी वह कन्या को अपनी बाहों में जकड़ कर चुंबन लेने लगता है। कन्या उसे रोकने का प्रयास करती है, लेकिन वह नहीं रुकता कन्या फिर उसे धक्का देकर पीछे कर देती है और कहती है कि विवाह के बाद यह सब करना अच्छा होता है। इससे पहले यह सही बात नहीं है। प्रेत उसे तुरंत ही प्राप्त करना चाहता था, इसलिए उसकी बातें नहीं सुन रहा था। पर कन्या के प्रतिरोध करने पर वह रुक जाता है और इसी के साथ उसके मन में एक शक पैदा हो जाता है क्योंकि वह यह बात समझ रही थी कि इतने दिनों से मैं जिस सरदार को जानती हूं वह अपनी सात्विकता में बहुत ही उत्तम था। वह किसी कन्या को छूना तो दूर देखता तक नहीं था और इसी कारण से मैंने उससे विवाह करने की स्वीकृति प्रदान की थी। इस युग में जब लोग वैश्या गमन करते हैं, वह स्त्रियों को सर उठा कर देखता तक नहीं था। इतना अच्छा होने के कारण ही उससे मैं प्रेम करने लग गई थी। लेकिन आज मुझे इसकी वास्तविकता पता चल गई है यह कुछ गलत कर रहा है। आखिर इसे मेरे शरीर से इतना अधिक प्रेम कैसे हो गया। इसका प्रेम तो सच्चा था और वह वासना से परे था लेकिन यहां पर तो कुछ और ही दिखाई पड़ रहा है। कन्या इसीलिए एक गोपनीय बात उससे पूछती है कि जब हम पहली बार मिले थे तो मैंने जो हरे रंग के कपड़े पहने थे, उसकी तुमने बहुत अधिक तारीफ की थी। तब वह प्रेत कहता है। हां, तुमने सही कहा उस दिन तुम गजब की लग रही थी, कन्या समझ जाती है क्योंकि जब दोनों का पहली बार एक दूसरे से सामना हुआ था तो कन्या ने लाल वस्त्र पहने थे और वह कन्या को देखकर कहने लगा कि लाल कपड़े पहन कर इस स्थान पर घूमना अच्छी बात नहीं है क्योंकि यह एक अपवित्र स्थल है। कन्या समझ गई। यह कोई और है जिसे यह बातें याद ही नहीं। वह कैसे उससे विवाह कर सकती है और कन्या कहती है। तुम कौन हो अपने वास्तविक रूप में आ जाओ तब प्रेत अपना असली स्वरूप धारण कर लेता है। कन्या तुरंत ही उसे देखकर घबरा जाती है। प्रेत कहता है तुम मुझ से बच नहीं सकती। मैंने तुम्हारे सरदार को मार दिया है। अब तुम्हारे पास कोई दूसरा चारा नहीं है। मुझसे विवाह करो। तब कन्या परिस्थिति को जल्दी ही समझ जाती है और प्रेत के स्वरूप को समझ कर वह समझ गई थी। इससे बचना नामुमकिन है। इसलिए वह मन ही मन कोई योजना बनाती है और कहती है कि मैं तुम्हारे विवाह प्रस्ताव के लिए तैयार हूं, क्योंकि इससे पहले भी जब वह छोटी थी तब उसने उसकी सेवा की थी। वह अपने आप को भाग्यशाली समझती है कि वह उसकी पत्नी बनेगी। प्रेत यह सुनकर बहुत खुश हो जाता है और इस कार्य के लिए तैयार हो जाता है। क्योंकि उसकी नजर में अब उसे उसकी प्रथम और सबसे सुंदर प्रेमिका मिलने वाली थी कन्या! इस विवाह के लिए एक विशेष स्थान की मांग करती है क्योंकि वह कहती है गांव वालों के बीच में हम लोगों का विवाह नहीं हो सकता किंतु मैं एक ऐसा स्थान जानती हूं जहां हम लोग विवाह कर सकते हैं। तब प्रेत तैयार हो जाता है और कहता है मैं अपनी बारात लेकर उस स्थान पर आ जाऊंगा और कन्या एक विशेष स्थान की ओर चली जाती है। कन्या के साथ उसकी सेवा में प्रेत अपनी दो प्रेतनियाँ भेज देता है और वह भी इतनी अधिक शक्तिशाली थी कि कन्या उनसे बचकर भाग नहीं सकती थी। कन्या एक विशेष स्थान पर उन दो शक्तियों के साथ चली जाती है। इधर प्रेत अपनी प्रेत सेना को कहता है कि उन्हें रानी मिलने वाली है। इसलिए अब तैयार हो जाओ, हमें विवाह करने पहुंचना है। प्रेत और उसकी प्रेत सेना सभी हुड़दंग में नाचते हुए विवाह की तैयारी करने लगते हैं और प्रेत अगले दिन अपनी समस्त प्रेत सेना के साथ उस स्थान की ओर गमन करने लगता है जहां वह उस कन्या से विवाह करेगा। और उसकी विशाल सेना को अपने पास आता हुआ देखकर कन्या भयभीत हो जाती है और सोचती है। अब क्या होगा? क्योंकि अभी तक तो सिर्फ एक प्रेत था। यहां पर तो पूरी प्रेत सेना मौजूद है। तभी वहां पर तांत्रिक और तांत्रिक की सारी शिष्य मंडली उपस्थित हो जाते हैं। तांत्रिक कहता है मेरा साथ दो शायद हम इसे नियंत्रण में ले पाए। क्योंकि यह प्रेत अब बहुत अधिक शक्तिशाली हो गया है तो हमारी योजना बिल्कुल भी इसे पता नहीं चलनी चाहिए। कन्या और वह तांत्रिक और उसकी तांत्रिक मंडली एक नई योजना पर विचार कर रहे थे। क्या थी वह योजना और क्या प्रेत उस कन्या से विवाह कर पाया, जानेंगे अगले भाग में तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है। लाइक कीजिए शेयर कीजिए सब्सक्राइब कीजिए, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। दंतेश्वरी मंदिर के प्रेत भाग 5
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