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दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 3

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नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि हमारी कथा चल ही रही  है हनुमान जी की साधना में सेवाराम जी लगे हुए थे । लेकिन परिवार और बाकी लोग उनके इस प्रकार से विपक्ष में खड़े हो गए ।  और साधना करना उनके लिए मुश्किल होने लगा । उन्होंने यह बात अपने गुरु को बताई । उनके गुरु ने यानि की पंडित जी ने उन्हें एक विशेष मार्ग का अनुसरण करने को कहा ।उन्होंने कहा कि सीताराम की गोपनीय मंत्र का आप जाप कीजिए और यह प्रक्रिया आप अपने घर में कीजिए । इससे आपके घर में सकारात्मक माहौल बनेगा । और आपकी बात को वो समझने लगेंगे । उनकी बात को सुनकर के अब सेवा राम जी ने सोचा कि उन्हें जल्दी ही ऐसा कुछ करना पड़ेगा । तो इसलिए उन्होंने उनकी बात को समझते हुए उस कार्य को संपादित करने के बारे में सोचा । और इसलिए वह उस कार्य को करने लगे उन्होंने उस घर में अपने लिए एक छोटा सा पूजा स्थल बनाया और वहां राम नाम की भक्ति करने लगे । उससे सच में घर में सकारात्मक माहौल पैदा होने लगा उस सकारात्मक माहौल का प्रभाव इस प्रकार से पड़ने लगा । जिससे उनके लिए एक विशेष तरह का माहौल सजने लगा अभी जो लोग उन्हें गलत शलत कह रहे थे । वह एक बार फिर से उनके इस तरह के कार्यों को देख कर के प्रसन्न होने लगे । कि यह राम भक्ति कर रहे है तंत्र साधनाओं को गोपनीय समझा जाता है । इसलिए तंत्र साधना करने के प्रति व्यक्तियों के मन में बहुत ही बुरी भावनाएं आ जाती हैं दिमाग में ।

अभी सामने किसी के करते हैं समाज आपको स्वीकार भी करता है और सहज रूप में अपनी स्वीकृति प्रदान करता है । अभी तक जो लोग उनके खिलाफ खड़े थे वह सब एक बार फिर से प्रसन्न हो गए । और उनका साथ देने लगे । अब सवाल यह था की आगे की प्रक्रिया को किस प्रकार से करें । अभी तक जो उनके साथ में उनके परिवार वाले नहीं थे लेकिन अब सब सोचने लगे कि यह राम भक्त भक्ति कर रहे हैं इसलिए इन्हें जैसा भी जो भी करना चाहे करने देना चाहिए । तो इस प्रकार से उनके राम भक्ति के कारण धीरे-धीरे करके उनका सकारात्मक माहौल बन गया । अब उनके लिए कहीं भी आना जाना एक बार फिर से संभव हो सका और उन्हें कोई रोक-टोक भी कोई नहीं करने लगा । इसलिए रोज रात को जब निकलते तो उन्हें कोई भी नहीं कहता कि आप कहां जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं । इस प्रकार से साधना करने लगे लेकिन मैंने जैसे कहा कि हर कार्य इतना आसान नहीं होता उनके साथ भी वही घटित हुआ । उन्होंने जिस पीपल के वृक्ष के नीचे हनुमान जी की वह प्रतिमा स्वरूप सिंदूर से मूर्ति या यूं कहिए कि एक चित्र बनाया था । उस पेड़ पर दानुक नाम का एक राक्षस आकर के रहने लगा था । दानुक अब जो कि वहां पर मंत्र जाप के द्वारा और हवन वगैरा करने के कारण शक्तियां उस पेड़ में भी आ रही थी ।

तो उस पेड़ के माध्यम से उस दानुक नाम के राक्षस के अंदर भी शक्तियों का प्रचार प्रसार होने लगा वो प्रसार के कारण वह भी शक्तिशाली होने लगा । वह बहुत ही खुश हो गया इधर दानूक की बहन दानवी अपने लोक से अपने भाई को ना पा करके बड़ी ही चिंता में पड़ गई । वह सोचने लगी कि आखिर भाई उनका गया कहां किस प्रकार से वो गायब हो गया आखिर ऐसा क्या हुआ है । जिसके कारण से दानुक अब यहां से बाहर निकल गया है । और वह घर भी वापस नहीं आ रहा है । उसने पता किया तो उसे पता चला कि वह पीपल वृक्ष पर निवास कर रहा है । तो दानवी दानुक के पास जाकर के वहीं रहने लगी । दानवी भी अब धीरे-धीरे करके सेवाराम पर आकर्षित होने लगी । क्योंकि वह चीज को देख रही थी कि एक व्यक्ति यहां पर आता है अपनी तंत्र साधनाए करता है उसकी ऊर्जा पेड़ को प्राप्त होती है और पेड़ की वजह से वह ऊर्जा उनको भी प्राप्त होती है । इसलिए ऐसी अवस्था में अब उसने भी वही रहना स्वीकार कर लिया । भाई एक डाल पर बैठता और बहन किसी दूसरी डाल पर बैठती थी । धीरे-धीरे करके दानवी बहुत ही प्रसन्न होने लगी । क्योंकि उसकी शक्तियां बहुत बढ़ रही थी । दानवी ने सोचा क्यों ना मैं इस व्यक्ति से विवाह कर लू अगर मैं इस व्यक्ति से विवाह कर लेती हूं तो स्वता ही इसकी ऊर्जा शक्ति मुझे स्वता ही प्राप्त हो जाएगी ।

और मैं बहुत ही शक्तिशाली बन जाऊंगी । क्योंकि थोड़ी-थोड़ी ऊर्जा से  मेरा गुजारा कहां होने वाला है । इसलिए जब वह 1 दिन तपस्या कर रहा था अर्थात जिस प्रकार हनुमान जी के मंत्रों का जाप किया जाता है वह कर रहा था । अचानक से नीचे उतर आई और नीचे उतर के आखिर एक सुंदर स्त्री बन कर के उसके पास बैठकर उसे देखने लगी । लेकिन अपने ध्यान में मग्न सेवाराम इन सब बातों को नहीं देख पा रहा था । उसने सोचा कि जब वह मेरी तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है तो ऐसा करती हूं यहां से उठकर चलती हूं और उस मार्ग पर जाकर बैठ जाती हूं जहां पर अपनी पूजा को संपन्न करने के बाद में सेवाराम आएगा । हुआ भी वही सेवाराम ने अपनी उस दिन की हनुमान जी की साधना संपूर्ण की और चलते हुए आगे की वह ओर बढ़ने लगा । क्योंकी पूरी रात से अधिक समय लग जाता था और सुबह होने से कुछ पहर पहले वह अपने घर के ही निकल जाता था । जब वह मार्ग से जा रहा था वहां पर एक सुंदर लाल रंग के वस्त्रों में बहुत ही खूबसूरत सजी-धजी एक स्त्री रो रही थी । उसको देख कर के बड़ा ही विचित्र ढंग से सेवाराम जी आश्चर्यचकित हो गए । और उसके पास जाकर पूछने लगे कि तुम कौन हो यहां पर बैठी हुई रो रही हो क्या कारण है । जिसकी वजह से तुम रो रही हो और कौन तुम्हारा यहां नहीं है जिसकी वजह से तुम्हें अकेले होना पड़ा है ।

इस पर वो रोते हुए बोली पता है मेरी शादी जिस व्यक्ति से हुई थी वह मुझे यहां पर छोड़कर भाग गया । पता नहीं वह क्यू चला गया मैं तो उस पर विश्वास करके उसके साथ आई थी । उसकी बात को सुनकर सेवाराम को बड़ा आश्चर्य हुआ ।सेवा राम ने कहा कि भला ऐसा कौन सा व्यक्ति हो सकता है जो इतनी सुंदर नारी को छोड़कर यूं ही चला जाए । सेवा राम जी उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे । लेकिन वह रोए चली जा रही थी । स्त्रियों का सबसे शक्तिशाली हथियार रोना होता है यानी कि आशु बहाने पर स्त्रियां कोई भी कार्य करवा सकती हैं । उसके बाद से वह एक बार फिर से भ्रमित हो गए । और उन्होंने कहा जब तक कि तुम्हारे लिए तुम्हारा पति वापस आने की व्यवस्था ना हो जाए या मैं पता लगा लू कि तुम्हारा पति आखिर गया कहां और किस कारण से वह तुम्हें छोड़कर चला गया । चलो तब तक तुम मेरे घर चलो इस प्रकार एकांत में यहां बैठना बहुत ही नुकसानदायक तुम्हारे लिए हो सकता है । और इसके वजह से कोई तुम्हारे साथ तुम्हारी इज्जत के साथ खिलवाड़ भी कर सकता है । इसलिए मेरे घर चलो उसने कहा ठीक है  । मैं आपके साथ आपके घर में तो चलूंगी लेकिन आपको वचन देना होगा कि आप स्वयं मुझे अपने घर जा रहे है । यह संकल्प आपको लेना होगा । सेवाराम ने कहा हा मैं सच में संकल्प लेता हूं । और जब तक कि आपका पति नहीं आपको मिल जाएगा । तब तक मैं आपको अपने घर में स्थान देने का वचन देता हूं । इस प्रकार से उसकी बात को सुनकर के अब बड़े ही संतुष्टि के साथ में वह दानवी अर्थात वह राक्षसी उनके घर की तरफ चलने लगी । दोनों खुशी-खुशी जब घर पहुंचे तो दरवाजा खटखटाने पर जब सेवाराम की पत्नी ने द्वार खोला । तो एक सुंदर नववधू स्त्री को देख करके बड़ी ही आश्चर्यचकित हो गई । उसे देखकर वह कहने लगी यह आप किसे ले आए तो उन्होंने कहा यह मार्ग में मुझे मिली है और इनके साथ ऐसा ऐसा घटित हुआ है ।

उनकी दिन दया देखकर और अत्यंत खूबसूरती देखकर कोई भी व्यक्ति इसपर आकर्षित हो सकता था । इस कारण से उसकी पत्नी में भी दया आ गई और उन्होंने उनको घर में प्रवेश दिया । घर में पहला पैर बढाते ही वह राक्षसी खुश हो सो गई । और उसने कहा क्योंकि मुझे संकल्प के साथ किसी घर में प्रवेश करने का मौका मिला है इसलिए अब मैं भला इस घर को छोड़कर क्यों जाऊंगी । और मैं धीरे-धीरे सेवाराम को अपना बना लूंगी और उसकी सारी शक्तियां और पूजा की जितनी भी शक्तियां है वह सब प्राप्त करती रहूंगी । इस प्रकार से वह उसने जो मायाजाल रचा था उसमें वह कामयाब हो चुकी थी । अब वो उनके साथ रहने लगी थी एक दिन अचानक से सबसे छोटी वाली बेटी जो सेवाराम की थी । वह उचक के बैठ जाती है और उसे क्योंकि भयानक सपना आया था । वह रात को जब पानी पीने के लिए अपने घर में दूसरे जगहों के लिए निकलती है तभी वहां देखती है । कि जहां पर नव युवती लड़की बैठी है वहां पर कोई चुड़ैल सी बहुत ही भयानक स्वारूप वाली लड़की बैठी हुई हैं जिसके दांत बाहर निकले हुए हैं और वह कच्चा मांस खा रही है । उसको देख कर के बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गई वह पुत्री वहा से दौड़ती हुई अपने कमरे की तरफ भागी । उसकी भागने की आवाज को राक्षसी ने सुन लिया । अब राक्षसी यह जान चुकी थी कि वह उसे देख चुकी है इसलिए अब उस कन्या का जीवित रहना उसके लिए खतरा बन सकता था । इस बात को समझते हुए वह बड़े गुस्से से उसके पास गई और उसका गला दबाकर बोली ।

अगर तूने कोई किसी भी प्रकार से इस राज को खोला तो अभी मैं तुझे मार दूंगी । उसकी धमकी से वह कन्या अत्यंत ही डर गई और कहने लगी नहीं नहीं मैं कुछ नहीं किसी को कहूंगी । इस बात से संतुष्ट ले करके उसने कहा तू तो मेरी पुत्री जैसी है और अगर तू चाहती है कि तू जीवित रहे तो इस रहस्य को रहस्य ही रहने दें । और किसी को भी कुछ भी मत कहना । अगर तूने कुछ भी किसी को कहा तो मैं निश्चित रूप से तेरे साथ परिवार के सारे लोगों को जान से मार दूंगी । उसकी धमकी से कन्या बहुत ही ज्यादा डर गई ।अब उसके पास कोई और चारा नहीं था वह करती भी क्या । उसकी बात को मानने के अतिरिक्त अब उसके पास और कोई चारा नहीं था । वह चुपचाप हो गई और इस प्रकार वह दिन और एक-दो दिन बीते चले गए । अब वह अपना असर दिखाने लगी और स्वयं भोजन वगैरह भी पकाने लगी ।लेकिन सबसे बड़े आश्चर्य की बात थी कि जब वह भोजन पकाती थी तों उस भोजन से दुर्गंध अवश्य ही आती थी । उस दुर्गंध के कारण अब भोजन में वह स्वाद नहीं रह गया था हो सकता है वह भोजन में ऐसी दुर्लभ और बुरी चीजें डाल देती हो । जिसकी वजह से कोई भी उस भोजन को ना करें लेकिन क्योंकि परिस्थितियां ही आदमी को सिखाती हैं । इसलिए अब सेवा राम की पत्नी ने कहा आपको भोजन बनाने की जरूरत नहीं है भोजन मैं स्वयं बनाऊंगी ।

क्योंकि कुछ दिनों से मैं देख रही हूं भोजन में बहुत ही तीव्र बदबू आती है इसलिए अब आप भोजन ना बनाइए और मैं स्वयं ही भोजन बनाऊंगी । और उनमें सुगंधित और शुद्ध पदार्थ डालूंगी । इसी प्रकार एक दिन अचानक से बाहर एक बकरी घूम रही थी जिसको देखकर के उस राक्षसी को बहुत ही उस पर भोजन की एक व्यसनसा सवार हो गई । और उसने उस बकरी को पकड़ कर जिंदा ही खाना शुरु कर दिया । यह हरकत एक बार फिर से उस सेवाराम की छोटी बेटी ने देखी और चिल्लाते हुए डर के मारे भागी और मम्मी को जाकर अपनी सारी बात बताने की कोशिश करने लगी ।वह बता ही रही थी कि वहां से पीछे से आकर के वह नव युवती एक बार फिर से खड़ी हो गई । और दानवी स्वरूपा वह स्त्री ने उससे कहा मैने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें कुछ नहीं कहना है । लेकिन तुमने फिर भी कहा अब तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा यह धमकी देकर वह वहां से चली गई । यह बात अब उसने डर के मारे अपनी मां को बताना ठीक नहीं समझा और जाकर के विश्राम करने लगी । रात के समय में एक बार फिर से वह दानवी उस कन्या के पास गई और उसके ऊपर अपने मंत्र तंत्र का जाल फेंका । ऐसा तंत्र जाल इतनी दुर्लभता से फेंका गया था जिसकी वजह से सर्व विनाश होना संभव था ।

अब वह कन्या भी राक्षसी प्रवृत्ति की हो गई थी । और उसे भी रक्त चाहिए था । और वह रात को निकल गई और एक मुर्गे को देख कर के खुश होती हुए बोली कि मुझे इसका भोजन करना है । और जाकर उसने मुर्गे को कच्चा ही खाना शुरू कर दिया । और वहां से वह लौट के आई और अपने बिस्तर में आकर सो गई । सुबह उसकी मां ने जब उसे देखा । देखा तो पूरे खून में लथपथ थी उसको खून लगा देखकर वो चिल्लाई । और अपने पति को सारी बात बताई उसके पति ने कहा यह सब क्या हो रहा है । और क्या मेरी भक्ति का सही नहीं हो रही है  । और यह इस तरह की हरकतें क्यों हो रही हैं । यह बात उन्होंने अपने गुरु को बताई । और गुरु ने कहा जरूर कुछ गड़बड़ है तुम्हें जाकर के हर व्यक्ति के पलंग के नीचे नींबू काटकर रखना होगा । अगर नींबू में लाल रक्त के गुण आ जाए तो समझ लेना कि तुम्हारे घर में निश्चित रूप से कोई खतरनाक वस्तु या कोई बुरी शक्ति आ चुकी है । और उसने अभिमंत्रित राम नाम के मंत्र का नींबू काटकर के सभी के पलंग के नीचे चुपचाप रख दिया । और अगले दिन जब उसने देखा तो वह नव युवता युवती के और उसकी कन्या के नीचे रखे नींबू लाल हो चुके थे । अब सेवाराम ने क्या किया और वह किस प्रकार से इस समस्या से निकल पाया । और अपनी साधना को पूर्ण कर पाया । हम अगले भाग में जानेंगे आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

दिल्ली कनॉट प्लेस हनुमान मंदिर मठ अनसुनी कथा भाग 4

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