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दीवाली रात की निर्वस्त्र साधना

दीवाली रात की निर्वस्त्र साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। दिवाली के अवसर पर एक साधक महोदय ने अपने जीवन में घटित हुई। एक घटना को जो कि दीपावली पर ही हुई थी, उसे देखकर अनुभव के रूप में भेजा है और क्योंकि यह एक विशेष रहस्यात्मक अनुभव था। इसलिए उन्होंने इसके लिए अनुरोध किया है कि मैं इसे प्रकाशित करूं तो चलिए पढ़ते हैं। इनके पत्र को और जानते हैं। इस अनुभव के विषय में
गुरु जी को सादर प्रणाम गुरु जी यह जो मैं घटना आपको बताने जा रहा हूं। आप इसे प्रकाशित जरूर कीजिएगा कृपया मेरा नाम, ईमेल, आईडी इत्यादि गोपनीय रखे। गुरु जी यह घटना आज से 15 वर्ष पूर्व की है। तब मैं दिवाली का त्योहार मनाने के लिए अपने परिवार के पास पहुंचा था। मेरी सरकारी नौकरी थी इसलिए मेरे सामने ऐसा मौका वर्ष में कम आता है जब कामकाज छोड़कर परिवार के साथ त्योहार मनाने को मिलते हैं लेकिन? मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ मेरी पोस्टिंग कही थी और मेरा परिवार कहीं और रहता था। स्पष्ट रूप से मैं आपको नहीं बताऊंगा लेकिन आप समझ अवश्य सकते हैं। गुरु जी मैं बस लेकर अपने घर पहुंच चुका था। शाम के समय दिवाली पूजन होना था और सब ने पटाखे जलाने शुरू कर दिए थे। कि तभी मेरे पिताजी की थोड़ी सी तबीयत खराब हो गई। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम अगर हो सके तो कुछ दवाएं लेकर आ जाओ। मैंने कहा पिताजी। मैं इस जगह को बहुत अच्छी तरह नहीं जानता हूं क्योंकि हम लोग इस त्यौहार को मेरी बीवी के मायके में मना रहे थे और यह एक संयोग था। जब ऐसा हुआ था वरना अधिकतर मेरे घर पर ही दिवाली मनाई जाती थी। लेकिन क्योंकि मेरी पत्नी की इच्छा थी इसीलिए मैंने हामी भर दी थी और मेरा भी पूरा परिवार यहां उपस्थित था।

सरकारी नौकरी में छुट्टी जल्दी नहीं मिलती इसलिए प्लान पहले से बनाने पड़ते थे तब! मेरे पिता के लिए मुझे दवाई लेने के लिए मुझे रात में बाहर निकलना पड़ा। मैंने आस पास जाकर पूछा को लगभग सारी दुकानें बंद होने लगी थी क्योंकि दिवाली के मौके पर सभी लोग अपने अपने घरों को निकल जाते हैं। लेकिन एक व्यक्ति से पूछने पर उसने बताया कि लगभग 1 किलोमीटर दूर एक मेडिकल शॉप है जहां पर आपको अवश्य ही अभी भी दवाइयां मिल जाएंगी क्योंकि वह देर रात को ही अपने घर को जाते हैं तो मैंने उनसे रास्ता पूछा। उन्होंने एक मार्ग बताया, लेकिन उन्होंने कहा, अगर आपको देर नहीं करनी है तो बीच में एक श्मशान घाट पड़ता है। उसके बीच से होकर अगर आप जाए तो बड़ी जल्दी निकल जाएंगे और समय

बच जाएगा। मैंने कहा कि वहां से जाने में मैं भटक तो नहीं जाऊंगा तो उसने कहा, कोई समस्या नहीं है। बीच में पक्का रास्ता है और आपको इधर उधर कहीं नहीं मुड़ना आप सीधे ही उस मार्ग से उस दुकानदार तक पहुंच जाएंगे।

तो मैंने उसकी बात को मानते हुए उस और कदम बढ़ा दिए तभी मुझे श्मशान घाट का गेट मिल गया और वहां से मैं सीधा अंदर जाने लगा कि तभी कुछ दूरी पर मुझे जो नजारा दिखाई दिया, उसको देखकर मेरा मन सारी बातें भूल गया और मैं उसी और बढ़ चला। असल में मैंने एक लड़की को जो सर्वथा निर्वस्त्र थी, एक हाथ में तलवार लेकर उस ओर जाते हुए देखा जहां एक चिता जल रही थी। ऐसे दृश्य को देखकर मन में कौतूहल बहुत ज्यादा होता है। इसीलिए मैं उस लड़की के पीछे पीछे जाने लगा। मैं धीरे-धीरे उसके पीछे चल रहा था और मैंने काफी दूरी बनाई हुई थी, लेकिन निर्भीक लड़की को देखकर मन में कई सवाल आ रहे थे। लेकिन मुझे इतना तो पता था कि यह कोई साधारण कन्या नहीं है। यह कोई विशेष तांत्रिक साधना करने वाली कन्या है। वह आगे बढ़ती चली गई और गुरु जी कुछ देर बाद उस चिता के पास पहुंच कर उसने मंत्र जाप शुरू किया।

तभी अचानक से उस चिता की अग्नि चार पांच फुट ऊपर तक जलने लग गई। पहली बार मुझे लगा जैसे कोई चिता जागृत हो जाती है। उसकी इस तरह की हरकत को देखकर मुझे और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ। उसने फिर चिता की चारों तरफ परिक्रमा की और साथ ही साथ वह कुछ मंत्रों का जाप कर रही थी। तभी उसे लगा जैसे कोई वहां पर उपस्थित है तो उसने इधर-उधर देखने की कोशिश कि मुझे उसे देखकर बहुत डर लगा। इसलिए एक बड़े पेड़ के पीछे से छिपकर में देखने लगा ताकि उसकी नजर मुझ तक नहीं पहुंच पाए। उसके बाद उसने विशेष प्रकार के मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। जिसमें भगवान गणपति, लक्ष्मी नारायण, उमा महेश्वर, सचीपुरंदर, मात्र पित्र, इष्ट देवता, कुल देवता, ग्राम देवता, वास्तु देवता, स्थान देवता इत्यादि विभिन्न प्रकार के देवी देवताओं के नाम सम्मिलित थे। फिर उसने? मंत्र का उच्चारण करते हुए दाहिने हाथ की मध्यमा में कलाई पर घास को बांधा और फिर और किसी तरह के मंत्रों का जाप करने लगी। इसके बाद उसने अपने हाथ की उंगली पर चाकू चला कर शायद खून की बूंदे उस चिता के ऊपर डाली थी। हालांकि मैं स्पष्ट रूप से यह बात नहीं कह सकता क्योंकि गुरु जी यह इतनी दूर से देखा गया दृश्य था। इसमें कुछ भी बहुत स्पष्ट नजर नहीं आ रहा था। इसके बाद फिर वह सामने ही उस चिता के बैठ गई और मंत्रों का जाप करने लगी। उसने वह तलवार एक हाथ में पकड़ रखी थी और मंत्र का जाप कर रही थी।

साधना कठिन चीजें है। मैं यह मानता हूं क्योंकि एक हाथ में तलवार को हवा में रखते हुए अगर मंत्र जाप और ध्यान करना पड़े तो शायद आधा घंटे से ज्यादा किया नहीं जा सकता। लेकिन वह तो अपने हाथ में तलवार पकड़ के ऐसे बैठ गई जैसे कि पूरा शरीर ही उसका अकड़ गया हो। सामने ऐसे नजारे देखना दुर्लभ होता है। लेकिन वह कौन थी, मैं नहीं जानता?

इधर उस दृश्य को देखते हुए अलग-अलग तरह के अनुभव मुझे महसूस हो रहे थे। मैंने सोचा क्या मैं यहां से निकल जाऊं, लेकिन अगर मैं इसके सामने से या अगल-बगल से निकला तो इसे पता चल जाएगा। इसीलिए मुझे अब वहीं रुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैंने पिताजी के बारे में सोचा कहीं उनकी तबीयत ना बिगड़ जाए, लेकिन मुझे विश्वास था। क्योंकि मेरे पिताजी की वह रेगुलर दवाइयां थी

पर मैं अपनी जान को जोखिम में नहीं डाल सकता था।

लेकिन तभी मैंने एक नजारा देखा। मैंने आस पास बहुत सारी प्रेत आत्माओं को घूमते हुए उसके चारों तरफ देखा। पहली बार प्रत्यक्ष रुप में आत्माओं को देखना सबसे ज्यादा खतरनाक अनुभव होता है। वह सब प्रदर्शित हो रही थी और फिर गायब, चारों तरफ वह घूम रही थी। शायद उसे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे रोक नहीं पा रही थी। उसके नजदीक जाने कि वह कोशिशें कर रही थी, लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं जा पा रहा था। आखिर इस रहस्य का क्या होना था, मैं नहीं जानता लेकिन गुरु जी जो मैंने देखा संसार में कोई इस बात की कल्पना नहीं कर सकता। गुरु जी इसके बाद मैंने उस चिता से एक पुरुष को बाहर निकलते देखा जिसका शरीर आग जैसा था। उसने इस कन्या! के गले लग कर उससे कुछ कहा और फिर दोनों उस चिता पर जाकर लेट गए और वहीं से गायब हो गए। जब मैंने यह देखा तो मेरा शरीर पसीने पसीने हो गया।

दुनिया में ऐसी चीजें भी होती हैं। मुझे इस बात का कोई अनुमान नहीं था। यह क्या था कोई इंसान क्या ऐसा कर सकता है। आखिर यह सब क्या था? गुरु जी इसके बाद जैसे ही यह सब कुछ शांत हुआ और उस चिता की अग्नि शून्य हो गई। मैं वहां से बहुत तेजी से भागता हुआ अपने घर वापस लौट गया। मैंने पिता जी से कहा कि कोई दुकान खुली नहीं थी और जाकर लेट गया। मैंने ना तो पटाखे फोड़े और ना ही कुछ किया। सुबह मुझे तेज बुखार था। सबने मेरे लिए ही दवाई लाना उपयुक्त समझा! और आज इस घटना को आज 15 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन मैं आज तक नहीं समझ पाया कि उस जगह उस दिन दीवाली की रात को क्या हुआ था। गुरु जी इस बारे में कुछ प्रकाश डालें और इस अनुभव को प्रकाशित अवश्य करें ताकि दिवाली की रात में घटित हुई। इस तरह के अनुभव को सभी लोग जान सके। आपका विशेष रूप से धन्यवाद।

संदेश-तो देखिये है इन्होंने जिस कन्या को देखा वह कोई योगिनी शक्ति रही होगी जो दिवाली पर धरती पर आकर इस तंत्र साधना को संपन्न करती होगी उसने ही किसी भैरव शक्ति को साध रखा होगा और किसी वचन के कारण धरती पर आकर वह रात्रि में यह साधना संपन्न करती होगी। इनकी नजरों ने इस दृश्य को इसलिए देख सका क्योंकि कहीं ना कहीं किसी ना किसी पूर्व जन्म में इन्होंने इन्हीं चीजों से जुड़ी हुई कोई साधना की होगी। तभी इनकी आंखों ने यह दृश्य देख सका होगा। हमारे आस पास बहुत से ऐसी घटनाएं घटती रहते हैं, जिन्हें हम देख नहीं पाते। जब तक की शक्तियों की विशेष कृपा ना हो। दीपावली की रात्रि में न सिर्फ पृथ्वी लोक में बल्कि संस्कार में इस ब्रह्मांड में कहीं पर भी अजीब अजीब तरह की तांत्रिक साधनाएं सभी लोकों की शक्तियां संपन्न करती हैं और यह उनमें से ही एक साधना थी। तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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