दूध पिलाने वाली वट यक्षिणी का अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक नए अनुभव के विषय में जानेंगे। यह अनुभव वट यक्षिणी नाम का एक स्वरूप होता है यक्षणियों में उसी के बारे में एक अनुभव आया है। चलिए पढ़ते हैं पत्र को और जानते हैं कि वट यक्षिणी का यह कैसा अनुभव हमें प्राप्त हुआ है।
ईमेल पत्र-नमस्कार गुरु जी मैं इस बात की गारंटी लेता हूं कि यह अनुभव कहीं और प्रकाशित नहीं किया गया है और ना ही इसे कहीं प्रकाशित किया जाएगा। मेरा नाम और पता कृपया गोपनीय रखे। वैसे तो हमारे जीवन में बहुत सारी विचित्र घटनाएं घटती रहती हैं लेकिन मेरे गांव में बरगद के पेड़ के नीचे। एक ऐसा अनुभव तकरीबन 10 वर्ष पूर्व घटित हुआ था जिसके विषय में आज भी कौतूहल होता है और हम इस बात के लिए आश्चर्यचकित हो जाते हैं कि क्या यह बात सत्य रही होगी? असल में इस घटना के विषय में मैं अपनी कुछ बातें बताना चाहता हूं। मुझे लगता है आपको इसे प्रकाशित करना चाहिए क्योंकि इससे लोगों के मन में कई सारे भ्रम मिटेंगे। पहला तो यह कि कोई भी शक्ति हो, चाहे वह भूत प्रेत हो या फिर कोई यक्षिणी सभी मानवता के गुणों से भरे होते हैं। गुरु जी मैं इस विषय में काफी जानकारी रखता हूं और मुझे सभी प्रकार की शक्तियों के विषय में लगभग थोड़ा बहुत ज्ञान अवश्य है। इसीलिए मैं स्पष्ट रूप से यह कह सकता हूं कि वह एक यक्षिणी थी। असल में मेरे ही गांव के एक प्रेमी जोड़े ने इस कार्य को अंजाम दिया था और वह सभी प्रकार से मानवता हीन बात थी, लेकिन उससे बड़ी और अच्छी बात एक वट यक्षिणी ने दिखाई। अब मैं इस कथा को शुरू करता हूं जो कि एक अनुभव के रूप में मैं आपको भेजा हूं। हमारे गांव में एक 25 वर्षीय पुरुष का नाम मैं नहीं बता सकता। उसका एक 17 वर्षीय लड़की से प्रेम प्रसंग चल रहा था। गांव के बाहर अक्सर इन्हें देखा जाता था। परिवार वाले इन बातों को जानते थे लेकिन दोनों इतने चतुर थे कि अपनी इस अय्याशी को वह समाज को नहीं दिखाते थे और जो लोग यह बात जानते थे, वह सभी चुप्पी साधे हुए थे। इन दोनों ने कई बार आपस में प्रेम किया होगा और उसमें सारी मर्यादाए भी तोड़ दी। इसका जल्दी ही एक विकल्प सामने निकलकर तब आया जब सभी ने उस लड़की के पेट को फूला हुआ देखा। घरवालों ने आनन-फानन यह बात दबाने की कोशिश की लेकिन इसी दौरान लड़की के पिता की मृत्यु हो गई। इस कारण कोई भी स्त्री इस कार्य को नहीं करवा पाई उस लड़की के पेट मे पल रहा बच्चा गिराया जा सके। इसी कारण से यह घटना इतनी ज्यादा बाद में प्रसिद्ध हो गई। वह लड़की कुछ दिनों बाद अपने प्रेमी से मिलने गई और उसने उससे कहा कि तुम्हारा बच्चा मेरे पेट में पल रहा है। अब तुम मुझसे शादी कर लो लेकिन लड़के को यह बात पता चलते ही उनकी मौज मस्ती एक खतरनाक विषय में बदल गई है। उसने उससे साफ कह दिया। मैं अपने परिवार वालों की रजामंदी से ही कहीं शादी करूंगा। जो वह कहेंगे वही करूंगा। इसमें मैं मजबूर हूं। लड़की कहने लगी, तुमने मुझे धोखा दिया है। तुमने मेरे पेट में बच्चा डाल दिया, लेकिन स्वयं उसकी जिम्मेदारी लेने से दूर भाग रहे हो। लड़के ने अब लड़की को ही उल्टा कहना शुरू कर दिया। वह कहने लगा, मुझे पता है। तुम्हारे संबंध गांव के अन्य पुरुषों से भी हैं और मुझे क्या पता कि यह मेरा ही बेटा है या किसी और का है। यह सारी बातें गांव में जल्दी ही फैलने लगी। अब उस लड़की का मुंह दिखाना ही कठिन हो चुका था। इसलिए वह अपने मामा के यहां रहने चली गई क्योंकि उसके अपनी मामी से अच्छे संबंध थे और मामा दूर मजदूरी करने गया हुआ था जो एक दो वर्ष में ही पैसे कमा कर लाता था। इसी कारण उसने सोचा कि अब इस गांव में तो उस पर सब शक करेंगे लेकिन गांव के बाहर या दूसरे गांव में इस बात को कोई नहीं जानता। इसीलिए वह अपनी मामी के यहां चली गई थी। मामी ने भी सारी बात जानकर डॉक्टर को उस लड़की को दिखाने की कोशिश की। लेकिन डॉक्टर ने कहा, अब इसका अबॉर्शन करना संभव नहीं है। और ना ही कोई ऐसा करने के लिए तैयार होगा और अगर कोई प्राइवेट में ऐसा करेगा तो वह बहुत अधिक पैसा मांगेगा। अब समस्या बढ़ती जा रही थी। लड़की करती भी तो क्या धीरे-धीरे दिन बीतते चले गए और 1 दिन उसे लेबर पेन शुरू हो गया। थोड़ी ही देर बाद दाई की मदद से और उसकी मामी ने उसका एक नवजात बच्चा पैदा करवाया। लेकिन आसपास के लोग गांव में यह कहने लगे। इसका पति आखिर है कौन? वह अपने बच्चे को लेकर फिर वापस अपने गांव आ गई क्योंकि मामी ने कह दिया था। अब तुम्हारा यहां रहना ठीक नहीं है। लोगों के प्रश्न उठ रहे हैं और इसके बाद उस मानवता हीन लड़की ने एक गलत कदम उठा दिया। उसने चुपचाप अपना नवजात बच्चा वट वृक्ष के नीचे जाकर रख दिया और वहां से भाग गई। इस प्रकार उसका बच्चा वहां पूरा 24 घंटे रोता रहा। लोग बच्चे की आवाज तो सुन रहे थे लेकिन उसे देख नहीं पा रहे थे क्योंकि वटवृक्ष की झाड़ में उसे इस प्रकार रखा गया था। उसे कोई देख ही नहीं सकता था। अब रात के वक्त वहां मौजूद कुत्ते उस स्थान तक पहुंच गए और उसे मारकर खाने ही वाले थे तभी डरकर चिल्लाते हुए। उस स्थान पर एक स्त्री लाल वस्त्रों में बैठी। नजर आने लगी और उसने उस बच्चे को दूध पिलाया। इस प्रकार वह स्त्री लगातार तीन महीने तक उस बच्चे को दूध पिलाती रही। 1 दिन उस गांव के प्रधान अपनी पत्नी के साथ उस बच्चे की आवाज सुनकर उस ओर गए। उन्होंने झाड़ियां हटाकर देखा तो बच्चा वहीं पर लेटा हंसी-खुशी चिल्ला रहा था। उन्हें यकीन नहीं हुआ। उन्होंने उस बच्चे को उठाया और आसपास खबर भिजवा दी कि किसका यह बच्चा है? लेकिन कोई इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। इसलिए गांव के उस प्रधान ने अपनी पत्नी के साथ उस बच्चे को गोद ले लिया। लेकिन एक दिन जब? रात के समय प्रधान की औरत चौंक गई तो देखती है कि उसके सपने में एक स्त्री वटवृक्ष के नीचे उतर कर आ रही है और उनके बच्चे को दूध पिला रही हैं। जब सपने में उसने उस औरत को देखा तो उससे पूछा, तुम कौन हो तो उसने कहा, मैं इस वट वृक्ष में निवास करने वाली यक्षिणी हूं और मैंने ही तुम्हारे बच्चे के जीवन की रक्षा 3 महीने तक की है। तुम्हारे ही गांव की एक कुंवारी ब्याहता लड़की ने इसे जन्म दिया था जिसका प्रेमी उसे छोड़ चुका है। उसका नाम फिर उस यक्षिणी ने बताया। सुबह इस सपने को देखकर चौंक कर उठी। प्रधान की पत्नी ने यह बात अपने पति को बताई और इसके बाद उस लड़की की खोज शुरू हो गई और जल्दी ही इस बात का पता लगा लिया गया। सार्वजनिक रूप से उसे दंडित कर गांव से निकाल दिया गया। उस लड़के को भी गांव से भगा दिया गया। इस बात से अब सारे लोग संतुष्ट थे कि बच्चे का लालन-पालन करने वाला परिवार उसको मिल चुका है और जिस शक्ति ने उस बच्चे को दूध पिला कर 3 महीने तक जिंदा रखा। वह शक्ति उस वृक्ष में निवास करती थी। गुरुजी आप सोच रहे होंगे। यह सत्य घटना बिल्कुल नहीं है। हो सकता है। मैंने यूं ही बना कर भेज दी हो। अब मैं आपको अपना नाम और पता ना बताने का कारण बताता हूं। यह सब आपको अच्छी तरह चौंका देगा। असल में वह गोद लिया हुआ बच्चा मेरा ही है और वह प्रधान भी मैं ही हूं। प्रणाम गुरुजी! संदेश-तो देखे यहां पर इन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक बहुत ही अच्छा कार्य किया है। उन्होंने उस बच्चे को गोद लिया जिसे 2 लोगों की अय्याशी ने इस संसार में लाकर पटक दिया था और इन दोनों लोगों से भी अच्छी वह मां है जो यक्षिणी स्वरूप में उस बच्चे को दूध पिलाती रही और उसकी रक्षा करती रही। इसीलिए संसार में मां का स्थान सर्वोपरि माना जाता है। चाहे वह किसी भी रुप और स्वरूप में हो, तो यह थी। इनके जीवन की एक सत्य घटना। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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