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नदी किनारे शैतान से लट्ठ बाजी का साक्षात अनुभव

नदी किनारे शैतान से लट्ठ बाजी का साक्षात अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो अनुभव हम लेने जा रहे हैं, यह एक शैतान से युद्ध को दर्शाता है जिसमें साधक ने बताया है कि कैसे नदी किनारे एक शैतान से लड़ाई हुई थी। वह भी लकड़ी के बने हुए लट्ठों के माध्यम से और इस युद्ध में क्या हुआ और यह कब का अनुभव है। इसे जानने के लिए चलिए आइए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं इस अनुभव की कहानी के विषय में।

गुरु जी नमस्कार, मैं उत्तर प्रदेश से हूं। यह पत्र केवल धर्म रहस्य चैनल को जाता है और किसी चैनल पर प्रकाशित नहीं होगा। इसकी मैं पूर्णतया जिम्मेदारी लेता हूं और गुरु जी आप मेरा नाम और ईमेल आईडी गुप्त ही रखें। मैंने पिछले पत्र में गुरु जी आपको चमत्कारिक साधु महाराज के बारे में बताया था जो अनुभव मेरे पिताजी ने मुझे बताया था तो गुरु जी यह अनुभव हमारे मोहल्ले का ही है। यह अनुभव की कहानी भी मेरे पिताजी ने ही मुझे बताई है। मेरे पिताजी मुझे बताते हैं कि हमारे मोहल्ले में एक बुजुर्ग थे। उन्होंने यह सच्ची घटना मेरे पिताजी को बताई थी जो कि मेरे पिताजी ने मुझे बताइ। अब मैं आपको इस पत्र के माध्यम से बताने जा रहा हूं। यह घटना तकरीबन 60 से 70 वर्ष पुरानी है। जो नदी के किनारे घटित हुई थी हमारे गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर एक नदी है। उस समय उस नदी में पानी हुआ करता था और आज के समय में वह नदी अब सूखी पड़ी हुई है। सिर्फ बारिश होने पर ही उस नदी में पानी हो जाता है। तो वह बुजुर्ग बताओ हमारे पिताजी को बताते हैं कि एक बार हमारे गांव से नदी पार करके दूसरे गांव में प्रोग्राम देखने के लिए गए हुए थे क्योंकि पहले के जमाने में प्रोग्राम जब हुआ करते थे तो उस प्रोग्राम में ज्यादातर तबला, ढोलक इत्यादि का प्रोग्राम हुआ करता था। और उन प्रोग्राम को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर तक एक गांव से दूसरे गांव तक जाया करते थे और यह यात्रा पैदल ही किया करते थे। तो बुजुर्ग ताऊजी भी किसी ऐसे ही प्रोग्राम में गए हुए थे। इन्हें प्रोग्राम देख कर रात को लौट कर के भी आना था क्योंकि यह बताते हैं कि सुबह को हमें अपने क्षेत्रों में बैलों को ले जाकर जुताई करनी है। यह ताऊ प्रोग्राम देखते रहे और आनंदित को दे रहे तकरीबन रात के 2:00 बजे। उन्होंने कहा, अब घर चलना चाहिए और यह हमारा काम है।

यह अपने कंधे पर लाठी लाठी को रखकर वहां से चल दिए और यह वहां से चुपचाप चले आ रहे थे क्योंकि पुराने जमाने में जब लोग कहीं आया और जाया करते थे तो लाठी का इस्तेमाल ज्यादा किया करते थे। जब यह वापस लौटकर आ रहे थे तब वहीं नदी पड़ी जो इधर से यह पार करके गए थे। गुरु जी उस नदी में यह बताते हैं कि इतना पानी हुआ करता था कि उसमे व्यक्ति डूब जाए और यह उस नदी को तैरकर ही गए थे और वापस जब लौटकर आ रहे थे, तब भी तैरकर ही इन्होंने पार की जैसे ही इन्होंने नदी को तैरकर पार किया। वापस आते समय तब वहां पर लाठी और मुंह पर बहुत बड़ा कपड़ा बांधे एक शैतान इनके सामने आ गया। वह भी इनके जैसा ही मतलब मनुष्य के जैसा ही दिखने में था। उस शैतान ने इनसे पूछा कहां से आया है तब उन्होंने कहा, मैं प्रोग्राम देख कर आया हूं और अपने घर जा रहा हूं। तब उस शैतान ने कहा कि तू अब घर नहीं जाएगा और इतना कहते ही उसने इन पर लाठी मारना शुरू कर दिया। इनके पास भी लाठी थी और इन्होंने भी उसी स्थान पर लाठी उस पर छोड़ दी और इन दोनों लोगों के बीच काफी देर तक लड़ाई हुई तकरीबन 1 घंटे के आसपास लट्ठ बाजी हुई और यह बताते हैं कि जैसे ही मैं उस शैतान को लाठी मारता तो ऐसा लगता है जैसे किसी रुई के ढेर में लाठी मारी है। और उसके लाठी लगते हैं लाठी गदक से ऊपर उछल जाती दो से चार लाठियां इनके शरीर में भी उस शैतान ने मार दी और यह उस लट बाजी में पीछे नहीं हटे थे क्योंकि उस समय व्यक्ति के शरीर में बाल काफी हुआ करते थे और शरीर भी बहुत हष्ट पुष्ट होते थे। आज के समय में मनुष्य के शरीर में पहले की तुलना में इतना बल नहीं है।

यह उस शैतान से लगातार लड़ते रहे और फिर उस शैतान ने कहा, खैर, अब तू जा और इन से लगभग हार ही भर चुका था। वह फिर वहां से फिर अपने घर आ गए। उन्होंने यह घटना गांव वालों को भी बताई थी। हमारे पापा को भी बताई थी और हमारे पापा ने घटना अब हमें बताई। हमारे पापा की उम्र भी गुरुजी अब 60 वर्ष के आसपास हो चुकी है। जब यह घटना घटी थी तो हमारे पिता को बताई थी। तब मेरे पापा की उम्र लगभग 15 वर्ष के आसपास थी घटना हमारे गांव की है जो बिल्कुल सत्य और प्रमाणिक है। आप इसे अपने चैनल पर प्रकाशित जरूर करें। आपकी अति महान कृपा होगी। आपको कोटि-कोटि धन्यवाद और गुरु जी मैं समय-समय पर पुराने अनुभवों को जो बिल्कुल सत्य घटना पर आधारित हैं। आपको भेजता रहूंगा जिससे लोगों को मालूम पड़े कि पृथ्वी पर सब कुछ था और आज भी है। गुरु जी मेरे आपसे दो प्रश्न हैं कृपया कर आप इन प्रश्नों का जवाब भी दे दीजिए। पहला प्रश्न जब ताऊ जी उस शैतान से लड़ रहे थे तब वह शैतान शरीर को कहां से लाया था जिससे वह शैतान ने साक्षात लड़ाई की थी। प्रश्न दो गुरु जी आप मंजू घोष किन्नरी की साधना को अपने चैनल पर प्रकाशित करें। आप की अति महान कृपा होगी। जय गुरुदेव जय मां कामाख्या॥

संदेश-तो देखिए यहां पर इन्होंने इस अनुभव के विषय में बताया है जो कि गांव के एक व्यक्ति के साथ घटित हुआ है। यह बात बिल्कुल सत्य है कि इस तरह के हजारों अनुभव पुराने जमाने में लोगों को हुआ करते थे। ऐसा ही एक अनुभव मैंने भी खुद अपनी आंखों से देखा और सुना था। यह उस समय की बात है जब उत्तराखंड में एक फौजी जो रात को शराब पीकर आ रहा था, उसका युद्ध वहां की एक प्रेतात्मा जिसे हम मसाण कहते हैं, उससे हुआ था और रात भर दोनों ने इतना युद्ध किया कि जिस जगह पर वह युद्ध हुआ था, वह खेत पूरा का पूरा पोला हो गया था। सुबह जब उसने सारी बात लोगों को बताई तो आदि लोगों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया, लेकिन जब जाकर के खेत को देखा तो उस रात को हुई उस घटना का स्पष्ट प्रमाण उस खेत पर दिखाई दिया।

इससे स्पष्ट होता है कि पुराने समय में निश्चित रूप से शक्तियां अपने बलाबल का प्रदर्शन लेती थी और ऐसी शक्तियां व्यक्ति के ऊपर हावी होने के लिए शारीरिक शक्ति का ही प्रयोग करती थी। पुराने समय में जैसे शरीर होते थे जैसे लोग होते थे, आत्माएं भी उनसे ही बनती थी। यानी इस बात को आप लोग ऐसे समझे कि पुराने समय में शारीरिक श्रम सबसे ज्यादा था। हर एक बात के लिए शारीरिक श्रम ही लगता था। आज के युग में हर बात के लिए मानसिक श्रम लगता है और इसीलिए आजकल आत्माओं का अस्तित्व है वह मानसिक अधिक है। इसीलिए ज्यादातर मानसिक बीमारियों से ही ग्रस्त आपको भूत प्रेतों से बाधित लोग मिल जाएंगे।

लेकिन पुराने समय में शारीरिक श्रम व्यक्ति बहुत ज्यादा करता था। अब अगर व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है तो जैसे शरीर की उसकी ऊर्जा है। वैसा ही आत्मा का स्वरूप भी बनेगा। इसीलिए उस वक्त ज्ञान खंड से ज्यादा कर्म खंड शक्तिशाली था। इसके बारे में मैंने पहले बताया है कि ज्ञान खंड क्या है और कर्म खंड क्या है। गर्दन से ऊपर के हिस्से को हम ज्ञान खंड बोलते हैं और गर्दन से नीचे के हिस्से को हम कर्म खंड बोलते हैं। ज्ञान खंड सिर्फ आदेश देता है और दिमाग से सारा कार्य करता है। हालांकि ज्ञानखंड ज्यादा शक्तिशाली होता है, लेकिन कर्म खंड शरीर को मजबूत बनाता है और हर प्रकार से बलवान बनाते हुए सुखी और स्वस्थ शरीर बनाए रखता है। लोग बीमार भी नहीं पड़ते हैं। इसीलिए शारीरिक श्रम करने वाले स्वस्थ रहते हैं। मानसिक श्रम करने वाले पैसा धनसंपदा अधिक कमा सकते हैं, लेकिन स्वस्थता इतनी ज्यादा नहीं रखते। पुराने समय में मरे हुए लोग शारीरिक श्रम ज्यादा करते थे। उनका शरीर बहुत ज्यादा मजबूत होता था। इसीलिए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था। अब ऐसे मरे हुए लोग जब आत्मा के रूप में या प्रेत आत्मा का शरीर धारण करेंगे तो उनके अंदर कर्म खंड बहुत मजबूत है। इसी कारण से वह शरीर बनाने की क्षमता उनके अंदर ज्यादा होगी।

आजकल जब शारीरिक श्रम व्यक्ति करता ही नहीं जब वह मृत्यु को प्राप्त होगा और अगर प्रेत योनि में जाता है तो वह! ज्ञान खंड में ज्यादा मजबूत होगा और मानसिक रूप से ही किसी को अपने प्रभाव में ले सकता है। उसके दिमाग पर कब्जा करके उसके दिमाग को हिला करके इसीलिए एक विशेष अंतर देखने को मिलता है। पहले के जमाने में और आज के जमाने में पुराने जमाने में जो प्रेत आत्माएं होती थी, वह शरीर धारण कर पाती थी क्योंकि शरीर से उनका लगाव और जुड़ाव बहुत ज्यादा था। आज के युग में मस्तिष्क से ज्यादा है। यह एक वास्तविक ज्ञान है जिससे हम स्पष्ट अंतर जान सकते हैं कि कैसे उस समय की शक्तियां और आज की शक्तियों में अंतर देखने को मिलता है। हालांकि दोनों एक ही योनि की है यानी अगर प्रेत आत्मा है। प्रेतात्मा पहले भी थी और अब भी है लेकिन पुरानी प्रेतात्मा शारीरिक रूप से बलवान होगी। चूंकि शरीर धारण करने की क्षमता भी ज्यादा होगी और वह शारीरिक बल का प्रदर्शन भी कर सकती होगी। क्योंकि वह जब मरी उस वक्त उसके अंदर वही उर्जायें ज्यादा मजबूती स्थिति में थी। आज वह चीज नहीं। इसीलिए ज्यादातर प्रेत आत्माओं की साधना पिशाच पिशाचिनी विज्ञान की साधना के लिए यह कहा जाता है कि 500 साल से पुराना कब्रिस्तान या शमशान में जाकर ही साधना करें ताकि वहां उपस्थित पुरानी प्रेत आत्मा और शरीर वाली शक्तियां मिले, क्योंकि आज के युग की अगर आप नजदीक ही जल्दी बनी हुई प्रेतात्मा शक्तियों को अपने वश में करेंगे तो कम बलवान होंगी। फिर मानसिक रूप से दूसरों को प्रभावित कर सकती हैं। शारीरिक रूप से उनके अंदर क्षमता बहुत कम है इसके अलावा अपने मंजू घोष किन्नरी साधना के विषय में कहा है। भविष्य में इसके बारे में भी अवश्य ही विचार किया जाए तो यह का आज का अनुभव अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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