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नर्वाण मंत्र सरल हवन विधि

हवन सामग्री? 1- हवन कुंड, हवन सामग्री, काले,लाल, सफेद तिल, आम की लकड़ी, साबूत चावल, जौ, पीली सरसों, चना, काली उडद साबुत, गुगुल, अनारदाना, बेलपत्र, गुड़, शहद।

2- गाय का घी, कर्पूर, दीपक, घी की आहुति के लिये लंबा लकड़ी अथवा स्टील का चम्मच, हवन सामग्री मिलाने के लिये बड़ा पात्र, गंगाजल, लोटा या आचमनी, अनारदाना, पान के पत्ते, फूल माला, फल, भोग के लिये मिष्ठान, खीर आदि।

हवन आरम्भ करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र हो सके तो लाल रंग के धारण कर लें। इसके बाद ऊपर बताई १ नंबर हवन सामग्री को पात्र में डालकर मिला लें। या बाजार में मिली सामग्री भी प्रयोग कर सकते है।

इसके बाद हवन के लिये वेदी सुविधा अनुसार खुली जगह पर बनाए अथवा बाजार में मिलने वाली हवन वेदी का प्रयोग करें हवन वेदी को इस प्रकार स्थापित करे जिसमे हवन करने वाले का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में आये।

इसके बाद अपने ऊपर गंगा जल छिड़के इसके बाद हवन पूजन सामग्री को भी गंगा जल से पवित्र कर लें। इसके बाद एक मिट्टी का अथवा जो भी उपलब्ध हो दिया प्रज्वलित करें दीपक को सुरक्षित स्थान पर अक्षत डाल कर स्थापित करे हवन के दौरान बुझे ना इसका ध्यान रखे। इसके बाद आम की लकड़ियों को हवन कुंड में रखे और कर्पूर की सहायता से जलाये। इसके बाद हाथ अथवा आचमनी से हवन कुंड के ऊपर से 3 बार जल को घुमा कर अग्नि देव को प्रणाम करें। अग्नि देव का यथा उपलब्ध सामग्री से पूजन करे मिष्ठान का भोग लगाएं, पुष्प माला हवन कुंड पर चढ़ाए ना कि अग्नि में डाले, तदोपरांत अग्नि देव से मानसिक प्रार्थना करे है अग्नि देव में जिन देवी देवताओं के निमित्त हवन कर रहा हूँ उनका भाग उन तक पहुचाने का कष्ट करें।
इसके बाद सर्वप्रथम पंच देवो की आहुति निम्न प्रकार मंत्र बोलते हुए दे मंत्र के बाद स्वाहा अवश्य लगाए स्वाहा के साथ ही आहुति भी अग्नि में अर्पण करते जाए।

 

ॐ गं गणपतये स्वाहा
ॐ रुद्राय स्वाहा

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्वाहा
ॐ सूर्याय स्वाहा
ॐ अग्निदेवाय स्वाहा

निम्न मंत्रो से केवल घी की आहुती दे तथा आहुति से शेष बचा घी एक कटोरी में जल भर कर रखे उसमे डालते जाए।

इसके बाद निम्न मंत्रो से भी घी की आहुति दें तथा शेष घी को कटोरी के जल में डालते रहे।

ॐ दुर्गा देवी नमः स्वाहा
ॐ शैलपुत्री देवी नमः स्वाहा
ॐ ब्रह्मचारिणी देवी नमः स्वाहा
ॐ चंद्र घंटा देवी नमः स्वाहा
ॐ कुष्मांडा देवी नमः स्वाहा
ॐ स्कन्द देवी नमः स्वाहा
ॐ कात्यायनी देवी नमः स्वाहा
ॐ कालरात्रि देवी नमः स्वाहा
ॐ महागौरी देवी नमः स्वाहा
ॐ सिद्धिदात्री देवी नमः स्वाहा

इन आहुतियों के बाद कम से कम 1 माला नवार्ण मंत्र से आहुति डाले या दशांश जितना बनता हो पूरा करे

हवन सामग्री (समग्री):

  1. हवन कुंड: अग्नि स्थापन के लिए तांबे या मिट्टी का हवन कुंड।
  2. मूली/मुल्य (हवन वेदी/आसन): बैठने के लिए एक साफ़ वस्त्र का आसन।
  3. सामग्री:
    • आम या पीपल की लकड़ियाँ
    • गोघृत (गाय का घी)
    • गूगल और लोबान
    • चावल (अक्षत), तिल, जौ
    • नारियल के टुकड़े
    • काले तिल, शहद, और कस्तूरी
    • पंचमेवा (काजू, बादाम, किशमिश, छुआरे, आदि)
    • लौंग, इलायची, कपूर, पान के पत्ते
    • हल्दी, कुमकुम, चंदन, और फूल
    • पवित्र जल (गंगाजल) और कलश
  4. दुर्गा प्रतिमा या चित्र: हवन के समय माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखें।
  5. नर्वाण मंत्र: दुर्गा सप्तशती का नर्वाण मंत्र (जिसे दुर्गा का महा मंत्र भी कहा जाता है):
    • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”

हवन से पहले की तैयारी:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: हवन से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  2. हवन कुंड की स्थापना: पूर्व दिशा की ओर मुख करके हवन कुंड को साफ जगह पर रखें।
  3. हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलन: आम की लकड़ियों और कपूर से हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करें।
  4. मंत्र उच्चारण: हवन से पहले, देवताओं का आह्वान करें और गणेश जी की पूजा करें।
    • “ॐ गणेशाय नमः” के साथ गणेश जी का आह्वान करें।

हवन विधि:

1. संकल्प:

  • सबसे पहले अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत, और पुष्प लेकर हवन का संकल्प करें।
  • संकल्प लें कि आप नवरात्रि के हवन में नर्वाण मंत्र का जप करेंगे, और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करेंगे।
  • संकल्प मंत्र:
    • “मम समस्त पापक्षयार्थं, समस्त शुभ फल प्राप्त्यर्थं, श्री दुर्गा प्रसन्नार्थं, दुर्गा सप्तशती पाठसिद्ध्यर्थं, नर्वाण मंत्र हवनं करिष्ये।”

2. अग्नि स्थापना:

  • अग्नि को स्थापित करने के लिए तीन बार “ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये स्वाहा” मंत्र का उच्चारण करते हुए घी की आहुति दें।

3. देवी का आह्वान:

  • “ॐ दुर्गायै नमः” के साथ माता दुर्गा का आह्वान करें और अग्नि में जल अर्पित करें।

4. मुख्य हवन विधि:

  • नर्वाण मंत्र जप: हवन के दौरान मुख्य मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।” का जाप करते रहें। यह मंत्र दुर्गा सप्तशती का अति पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है।

  • आहुति प्रक्रिया: मंत्र के प्रत्येक जाप के बाद घी, हवन सामग्री और अन्य समग्रियाँ (जौ, तिल, पंचमेवा आदि) अग्नि में समर्पित करें। आहुति देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:

    • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा।”
  • प्रत्येक मंत्र के बाद: आहुति समर्पित करते समय “स्वाहा” शब्द के साथ सामग्री को अग्नि में समर्पित करें।

5. अन्य देवी-देवताओं को आहुति:

  • सभी देवी-देवताओं को आहुति देने के लिए आप इस क्रम का पालन कर सकते हैं:
    • गणेश जी: “ॐ गणेशाय नमः स्वाहा।”
    • भगवान शिव: “ॐ नमः शिवाय स्वाहा।”
    • भगवान विष्णु: “ॐ विष्णवे नमः स्वाहा।”
    • अन्य देवी-देवता: “ॐ सर्व देवताभ्यो नमः स्वाहा।”

6. पूरे हवन के दौरान मंत्र जप:

  • हवन के दौरान कम से कम 108 बार नर्वाण मंत्र का जाप करें। अधिक मंत्र जप करने से हवन की शक्ति बढ़ती है।

7. पूर्णाहुति:

  • हवन की समाप्ति पर “पूर्णाहुति” दी जाती है। इसके लिए नारियल, पांच मेवे, और घी की आहुति एक साथ अग्नि में अर्पित करें।
  • पूर्णाहुति देते समय यह मंत्र बोलें:
    • “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।”

8. आशीर्वाद:

  • हवन के बाद माता दुर्गा की आरती करें और उपस्थित सभी व्यक्तियों को हवन कुंड की राख (भस्म) का तिलक लगाएँ।

9. हवन के बाद प्रसाद:

  • हवन के अंत में उपस्थित लोगों में प्रसाद (फल, मिठाई) का वितरण करें।

विशेष सुझाव:

  1. हवन के दौरान मन को एकाग्र रखें और हर आहुति में श्रद्धा और भक्ति का समर्पण करें।
  2. हवन में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। हवन में उपयोग होने वाली सभी सामग्री शुद्ध होनी चाहिए।
  3. नवरात्रि के दौरान हर दिन हवन करना विशेष फलदायक माना जाता है। अगर हर दिन संभव न हो, तो अष्टमी या नवमी के दिन नर्वाण मंत्र हवन अवश्य करें।

नर्वाण मंत्र का महत्व:

नर्वाण मंत्र न केवल देवी दुर्गा की उपासना के लिए है, बल्कि यह सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करता है और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है। हवन के साथ इस मंत्र का जाप आपके जीवन में शुभता, शांति, और समृद्धि लाता है।

नवार्ण मंत्र
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे स्वाहा’
नवार्ण मंत्र से आहुति के बाद साधक गण जिन्हें सप्तशती मंत्रो से हवन नही करना वे बची हुई हवन सामग्री को पान के पत्ते पर रखकर साथ मे अनार दाना और ऊपर बताई नंबर 2 सामग्री लेकर अग्नि में घी की धार बना कर छोड़ दे तथा हाथ मे जल लेकर हवन कुंड के चारो तरफ घुमाकर जमीन पर छोड़ दे इसके बाद माता की आरती कर क्षमा प्रार्थना करले इसके बाद कटोरी वाले जल को पूरे घर मे छिड़क दें।

 

 
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