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नैना योगिनी और डायन कथा भाग 4

जल्दी से जल्दी गांव वाले उससे बचाव का सोचे ऐसा कह करके उसने सारी बात गांव भर में फैला दी l अब बात क्योंकि पूरे गांव में सुनी गई और आग की तरह से फैल गई तो इस बात को समझते हुए डायन ने सोचा अब तो स्थिति बहुत ही बुरी हो चुकी है मुझे कुछ और ही सोचना पड़ेगा उसने गांव में कई सारे लोगों को पकड़ पकड़ के घोड़ा बनाना शुरू कर दिया और वह सफेद रंग के घोड़े में तब्दील होते चले गए बहुत सारे सफेद घोड़े हो गए क्योंकि उसे बहुत सारे लोगों की बलि देनी थी इसलिए सबको घोड़े के रूप में बनाना उसने शुरू कर दिया था l

वो जहां जहां से गुजरती गुपचुप रात्रि के समय किसी भी व्यक्ति को पकड़ लेती और उस पर अपना जादू चला कर के उसे घोड़ा बना देती इस तरह गांव में कई सारे सफेद घोड़े हो गए और जो इधर उधर घूमने लगे l गांव वालों ने सोचा की उससे बचना होगा सभी वीरू के पास गए, वीरु ने कहा ठीक है मैं तुम्हारी मदद करूंगा और आप लोगो को जरूर कोई रास्ता दिखाऊंगा l अब शाम के वक्त में जैसे ही थोड़ी सी रात हुई अकेले कमरे में जाकर के उसने योगिनी देवी को एक बार फिर से बुलाया और नैना योगिनी से कहा की बहन आप मेरी मदद कीजिए और इस गांव को संकट से मुक्त कीजिए गांव में जो राजकुमारी के रूप में एक डायन है आप उसको मार दीजिए और हम लोगों की रक्षा कीजिए तो ऐसी स्थिति में नैना योगिनी ने कहा ठीक है ऐसा करो मैं तुम्हें खड़ग प्रदान करती हूं चलो मेरे साथ और मैं तुम्हारे शरीर के अंदर आ जाती हूं l  

इस प्रकार पूरी जनता के बीच में अपनी तलवार निकालकर वीरू चलने लगा वीरू की गति और उत्साह को देखकर गांव वाले आश्चर्यचकित रह गए की वीरू ने अपनी तलवार उठा ली है और यह सिद्ध साधक है और ये डायन को मारने जा रहा है, तो उसके पीछे पीछे कुछ लोग भी चल दिए ताकि देख सके की क्या होता है, वीरू क्रोध से भरा हुआ और बड़ी तीव्र गति से दौड़ता हुआ वहां पर पहुंचा जहां पर पिशाचिनी खड़ी थी । जो डायन बनी हुई थी वो डायन की पिशाचिनी सहेली थी, वह वहां पर स्थित थी और वही राजकुमारी बनी बैठी थी क्योंकि डायन ने इसका पहले ही प्रबंध कर दिया था जिससे उसे कोई समस्या नहीं आए ऐसी बात को देखते हुए तुरंत पिशाचिनी ने भयंकर रूप धारण किया और वीरू से लड़ने लगी लेकिन क्योंकि नैना देवी की शक्ति शरीर में स्थिति थी इसलिए उसने तुरंत ही उसके पहले हाथ काटे पांव काटे और फिर अंततोगत्वा उसका गला भी काट दिया, बाद में ये सब उठा करके एक बड़े से गड्ढे में डालकर उस जमीन को पाट दिया क्योंकि ऐसा न करने पर पिशाचिनी फिर से जिंदा हो सकती थी l

वीरू के शरीर में जिस प्रकार से देवी अर्थात नैना उनके शरीर में प्रवेश कर गई थी और उसके माध्यम से वो सारा कार्य संपन्न किया था l गांव में बहुत ही शोर शराबा मच गया सब ने कहा की पिशाचिनी के रूप में या भूतनी के रूप में जो भी शक्ति थी जो लोग उसे पुकार रहे थे सब ने कहा वह शक्ति मारी गई है और इसी बीच डायन ने हर बात को समझते हुए बड़ी चतुराई से एक और अपनी ही जैसी पिशाचिनी राजकुमारी के रूप में बना दी और वह भागती हुई सी फटे हुए कपड़े और सफेद घोड़े के साथ वहां पर आई और कहने लगी की इस पिशाचनी ने मुझे बंदी बना लिया था और आप लोगों ने इस को मारकर बहुत अच्छा काम किया है जो काम वह पहले कर रही थी आप लोगों की रक्षा सुरक्षा और धन देना वह सारे कार्य अब मैं करूंगी इस प्रकार से कहते हुए एक और पिशाचिनी लोगों के सामने आ गई लेकिन लोग अभी भी उसके रहस्य को नहीं समझ पा रहे थे l इस प्रकार एक बार फिर से डायन ने अपना माया जाल शुरू कर दिया था ।

डायन ने एक और पिशाचिनी को अपनी जगह भेज दिया था जब सोना चांदी गांव वालों को मिलने लगा तो गांव वाले फिर इस बात पर ध्यान देना कम कर दिया, नैना योगिनी इस बात को समझ रही थी की आने वाली चतुर्दशी और अमावस्या बहुत ही खतरनाक होने वाली है उसको ऐसा पूर्वाभास हो रहा है इसलिए हमें तैयार रहना होगा क्योंकि दोनों दिनों से पहले अगर सारी समस्या हल कर दी जाए तो भविष्य में समस्या आएगी ही नहीं, ये दो दिन बढ़े खतरनाक होने वाले हैं ऐसा समझते हुए उसने वीरू को कहा- सुनो वीरू मुझे लगता है समस्या अभी हल नहीं हुई है और कुछ ना कुछ प्रपंच अभी चल रहा है ऐसा करो आज 12वीं रात है तो, ऐसा करो की हम लोग आज चलते हैं गुप्त पहाड़ी पर और इस राजकुमारी के रहस्यों को जानने की कोशिश करते हैं, रात्रि के समय यह लोग वहां गए और चुपचाप वो जगह को देखने लगे थोड़ी देर बाद वहां पर एक स्त्री अपने घोड़े के साथ में आई यह वही थी जो राजकुमारी बनी हुई घूम रही थी और अचानक ही उसने घोड़े को गिरा दिया

घोड़ा गिरते ही बेहोश हो गया और उसने उसकी गर्दन पर अपना मुंह लगा लिया और उसका रक्त पीने लगी क्योंकि वो पिशाचनी थी, इस बात को समझते हुए तुरंत ही सावधान हो करके नैना ने कहा देखा मैं पहले ही कह रही थी कुछ तो गड़बड़ है यह कोई ऐसी बुरी शक्ति है जो रक्त पीती है यह तो जरूर पिशाचनी ही हो सकती है इस पिशाचिनी को हमे तुरंत ही मार डालना होगा लो मैं तुम्हारे शरीर में प्रवेश करती हूं और अपना खड़ग देती हूं और खड़ग लेकर के वीरू तीव्रता से उस ओर दौड़ते हुए जाने लगा बहुत ही तेजी से जाते हुए अचानक ही उसने पिशाचनी का सिर पकड़कर उसकी गर्दन उड़ा दी और उसके मुंह से गिरता हुआ खून इधर-उधर फैल गया साथ ही साथ जिस घोड़े का गर्दन को चूस कर रक्त पी रही थी वह मनुष्य रूप में आ गया लेकिन वह तब तक मर चुका था ।

इधर बड़ी मुश्किल से वह घोड़ा आजाद हो गया जो व्यक्ति गूंगा था और उसने पूरी कोशिश की मैं सच्चाई किसी को बता दूं l गांव में इधर उधर दौड़ता हुआ भागता हुआ इधर उधर जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया बुद्धि लगाने पर वो उसी ओर दौड़ने लगा जिस तरफ पिशाचिनी और वो डायन रहती थी उधर जाते वक्त क्योंकि वह इस बात को समझ चुका था कि अगर मेरी कोई मदद कर सकता है तो वह वीरू है और वीरू में इतनी ताकत है वह निश्चित रूप से हमको इस संकट से मुक्त कर देगा l उधर पहुचते पहुचते जब सामने उसने देखा एक जगह पर नैना और वीरू पिशाचनी की कटे हुए सर के सामने खड़े हुए दिखाई पड़ रहे हैं तो वह तीव्रता से दौड़ता हुआ उनकी तरफ जाने लगा l अचानक से घोड़े को किसी ने बीच से ही पकड़ कर हवा में उठा लिया और घोड़ा अपनी आवाज में चीखने लगा, तुरंत ही नैना ने कहा जरूर कोई जानवर मुसीबत में है और इसी तरह की पिशाचिनी और भी है l

उसके रोने का स्वर सुनकर और उसकी चिल्लाहट को समझते हुए नैना ने कहा वीरू अपने खड्ग को मेरा नाम लेते हुए मेरे मंत्र का उच्चारण करते हुए तीव्रता से उस दिशा की ओर फेको और उस जीव की रक्षा करो, तो उसने वो खड्ग फेंक कर चला दिया खड्ग उड़ता हुआ गया और जिस डायन ने उस घोड़े को पकड़ रखा था क्योंकि वो जान गई थी कि ये घोड़ा मनुष्यों को जाकर के सारी बातें बता देगा इसलिए अब इसे मारना आवश्यक है ऐसा सोचकर उसने उसे हवा में उड़ा लिया था और उसे उठाकर के ले जा रही थी लेकिन खड्ग चलाने की वजह से खड्ग जा करके उसकी उंगलियों को काट दिया क्योंकि उसी उंगलियों से घोड़े को पकड़कर उड़ाकर लेकर जा रही थी l

उंगलियां काटते ही वो चिल्लाई और वहां से अदृश्य हो गई घोड़ा नीचे गिर गया और उसे बहुत चोट लगी । नैना और वीरू दोनों लोग यहां भागते हुए घोड़े के पास आये घोड़ा तब तक मनुष्य रूप में बदल चुका था अब मनुष्य में जो गूंगा व्यक्ति था वह अपनी ही भाषा में बोलने लगा लेकिन क्योंकि नैना की शक्ति की वजह से उसकी सारी बातें उसे समझ आने लगी जैसे पिछली बार समझ में आ गई थी, नैना की शक्ति की वजह से ही तुरंत ही बात को समझ गए की यह सारा खेल एक डायन का है और उस डायन ने अपनी पूरी सेना बना कर रखी है और वही पैसे भी बांट रही है 9 मनुष्यों की बलि देकर के वह महा पिशाचिनी सिद्धियों को प्राप्त कर महा डायन बनना चाहती है इसलिए अब इसका वध आवश्यक हो गया है लेकिन वह डायन तब तक भाग चुकी थी l

इस वजह से अब वीरू को वापस आना पड़ा लेकिन नैना ने कहा अगले पल बड़े ही खतरनाक होंगे क्योंकि 13 ,14,15 रात यानी की अब अमावस्या आने वाली है और काली रात में उसकी शक्तियां बहुत ही ज्यादा बढ़ जाएंगी l मैं भी शायद उसकी आधी बातों को ना जान पावूं इसलिए तुम्हें सावधान रहना होगा यह कह करके नैना अदृश्य हो गई और वीरू गांव में आ गया, इधर डायन ने 13वी रात को सभी घोड़ो को आकर्षित करना शुरू कर दिया और वह अपने पास बुलाती, तकरीबन एक ही रात में इस प्रकार से उसने 4 घोड़े मनुष्य बना करके फिर उनके साथ भोग करके उनके सर काट दिये क्योंकि वह यह बात को जानती थी कि कुछ तो गलत हो जाएगा अगर मैंने जल्दी ही कार्य संपन्न नहीं किया तो, सारा किया करा खेल बिगड़ जाएगा इस बात को समझते हुए डायन ने 4 और घोड़ो की बलि ले ली 14वी रात को उसने महा डायन शक्ति को प्रकट करने की कोशिश की चार और बलि देने के बाद में अब कुल मिलाकर के 8 लोगों की बलि हो चुकी थी केवल नवें पुरुष की बलि होनी बाकी थी 8 बली होने के बाद में अपने मंत्र से अग्नि में उन मनुष्यों का रक्त डालते हुए उसने महा डायन को पूजना शुरू कर दिया और उसकी पूजा लगातार रात को बैठकर करती रही l

रात्रि के समय में 14वी रात को महा डायन प्रकट हुई और जैसे ही महा डायन प्रकट हुई उसने कहा तुम्हें अभी पूरी शक्तियां इसलिए नहीं मिल पाएंगी क्योंकि अभी एक पुरुष की बलि बाकी है लेकिन उस पुरुष की बलि देना संभव भी नहीं हो पाएगा क्योंकि अपनी मर्जी से जो पुरुष अपनी बलि देगा और वह व्यक्ति एक सिद्ध पुरुष की तरह तपस्वी हो, यहां पर कोई ऐसा नहीं है सिवाय एक वीरू के और वीरू तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है अब तुम्हें शक्ति नहीं युक्ति लगानी होगी याद रखो अगर उसकी बली किसी भी प्रकार से ले ली, अपनी मर्जी से उसने अपने प्राण त्याग दिए तो तुम महा डायन बन सकती हो तुम्हारी उंगलियां भी कट गई है उनको मैं जोड़ देती हूं लेकिन याद रखो की उसके साथ एक बहुत एक बहुत बड़ी शक्ति है जो तुम्हारा नाश कर सकती है, गोपनीय विधि में बताती हूँ ये सारी समस्या इसी बात की है क्योंकि वह दोनों एक साथ हैं दोनो के संबंध को तोड़ दो दोनों को ऐसा विभाजित करो की दोनों कभी जुड़ ही ना पाए तो डायन ने कहा ऐसा कैसे हो सकता है की हम उन दोनों का रिश्ता तोड़ सके तब महा डायन ने कहा मैं तुम्हें अपनी शक्ति दूंगी महा पिशाचिनी शमशान में जाकर के काम पिशाचिनी को आवाहित करो काम पिशाचिनी को जो तुम कार्य करने बोलोगी वह निश्चित रूप से कर डालेगी l

उसकी शक्ति के आगे कोई पुरुष नहीं बच सकता और इसी में वो राज छिपा है जो तुम्हें करना है अगर तुमने ये कार्य संपन्न कर दिया तो कोई भी शक्ति तुम्हें ना पराजित कर पाएगी और ना ही हरा पाएगी क्योंकि तुम महा चतुर हो इस कार्य को संपन्न कर सकती हो ये कहकर के डायन ने उसे कुछ विशेष बातें बताई और बहुत ही तीव्रता से डायन मुस्कुराने लगी और कहां ऐसा प्रपंच देवी तुमने मुझे बताया है कि शायद मनुष्य जाति सुनकर भी दंग रह जाएगी और बहुत जोर जोर से वह खिलखिला कर हंसने लगी l इस प्रकार अमावस्या की पूरी रात आ गई थी जैसे-जैसे सूरज ढलता जा रहा था डायन खुश होते जा रही थी, डायन को महा डायन ने एक वरदान दिया था की इस रात को कोई तुम्हे नही देख पाएगा और ना ही कोई समझ पाएगा तेरे हर माया जाल में फंस जाएगा l इसलिए इस पूरी रात को तू अजर मायावी है तुझे ऐसा कोई कार्य कर देना है जिससे उन दोनों का संबंध टूट जाए इस बात को समझते हुए जैसे ही रात होने को थी, अमावस की उस रात में वह श्मशान में चली गई श्मशान में जाने पर उसने काम पिशाचिनी का आवाहन किया महा डायन की शक्ति से कामपिशाचिनी प्रकट हुई………..आगे जानने के लिए भाग 5 पढे

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