परदादा की प्रेम कहानी और हनुमान बेताल साधना अनुभव
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग दो अनुभव लेंगे इन दोनों अनुभव में हम जहां एक और विशेष तरह के यक्ष साधना रहस्य प्रेम और दूसरे में हनुमान बेताल साधना के अनुभव के विषय में जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं। सबसे पहले हम अनुभव को पढ़ते हैं। नमस्कार गुरु जी, मेरा नाम.. और मैं मुंबई से हूं। अगर आप वीडियो बनाते हैं तो कृपया मेरा असली नाम और पता गुप्त रखिए, क्योंकि मेरे पास इसका कोई प्रमाण नहीं है। गुरु जी यह बात मुझे दादी ने बताई थी। गुरुजी मैं एक शाम देना दीदी का अनुभव भाग 3 सुन रही थी। तब मेरे बगल में मेरी दादी भी बैठी थी। उनका अनुभव सुनने को तो वह बताने लगी कि ऐसा ही हमारे परिवार में बहुत साल पहले घटित हुआ था। इस पर मैंने पूछा कि क्या हुआ था? उन्होंने बताया शायद 100 साल पुरानी बात होगी। यह कहानी तब की है जब अंग्रेजों का शासन काल था। मेरे परदादा के दो चाचा थे। असल में वह जन्म से स्त्री रूप में पैदा हुए थे। उनका नाम मीरा था बचपन से ही वह लड़कों जैसा बनना चाहते थे। वह हमेशा से चाहते थे कि काश वो लड़के होते बचपन से ही वो उनकी बहने अपनी दादी से महाभारत और रामायण सुना करती थी। जैसे-जैसे वह 17 वर्ष की हो गई, उनका व्यवहार लड़कों जैसा ही रहा। घर का थोड़ा काम करती बाकी। लड़कियां सजती सावर्ती चूड़ियां पहनती मेकअप करती अपने बालों में फूल लगाती पर मीरा को लड़कियों वाला कुछ भी अच्छा नहीं लगता। यहां तक कि उन्हें लड़कियों की ड्रेस भी पसंद नहीं थी। उन्हें शर्ट पैंट बहुत अच्छी लगती थी वह शिवजी के यानी शिवजी के सामने यही बोला करती थी कि उन्हें लड़का बनने का मौका देकर उनकी मदद करें। घरवाले उनकी इन हरकतों से परेशान हो गए थे। एक दिन गांव में एक साधु आ गया। घर घर जाते जाते, वह हमारे घर भी आ चुका था। वह साधु बहुत सिद्ध लग रहा था। इसलिए मीरा उन्हें एकटक देखने लगी क्योंकि उन्हें पता था। तंत्र के मार्ग पर उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी। बचपन से वो रामायण महाभारत सुनती आ रही थी। वह साधु कुछ दिन के लिए गांव में रुकने वाले थे। जब उन्हें यह पता चला तो वह उनके रहने के स्थान पर चली गई। उनको प्रणाम करते हुए कहा कि हे गुरुदेव, आप तो बहुत सिद्ध लगते हैं। कृपया अपनी सेवा का कोई अवसर प्रदान करें। वह सत्य में सिद्ध व्यक्ति थे। उनके वहां आने का प्रयोजन भी वह जान गए थे। उन्होंने कहा, ठीक है गुरुजी, फिर वो रोज उनकी सेवा करती। फिर 1 दिन उनकी सेवा से प्रसन्न होकर उन्होंने कहा कि हे पुत्री मैं तुम्हारी सेवा से प्रसन्न हूं। तुम क्या जानना चाहती हो? तुम यहां क्यों आई हो पहले दिन से ही वह सब जानते थे पुत्री जो तुम चाहती हो, वह कठिन है। साधारणतया यह नहीं हो सकता। तुमको पहले गुरु दीक्षा लेनी होगी ताकि तुम्हारे शरीर में सीमित मात्रा में ऊर्जा बन सके। उसके पश्चात तुम उन यक्ष की साधना कर सकती हो। उनका नाम इस थोड़ा स्थूणाकर्ण यक्ष था। इनकी उपासना कर इन्हें प्रसन्न कर अपना मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकती हो पर पुत्री एक समस्या है। मैं एक जगह ही बहुत लंबे समय तक एक ही स्थान पर नहीं रह सकता। इस पर उन्होंने पूरे दिन तक विचार किया और बोली ठीक है गुरुदेव मैं आपके साथ ही चलूंगी। वैसे भी घर वाले मुझसे परेशान हैं। मैं लड़कों जैसा रहन-सहन रखती हूं तो उन्होंने कहा कि है गुरु जी फिर 3 साल बाद वह पुरुष के देश में विवाह कर हमारे गांव में प्रवेश करें। साथ ही उनके अतिसुंदर उनकी पत्नी भी थी। वह स्त्री 19 से 20 वर्ष के बीच की उम्र की होगी। गुरुजी वह यहां की लगी नहीं रही थी। उसके शरीर से तीव्र और सुगंधित खुशबू आती थी। ऐसा दादी जी का कहना है सब लोग हैरान थे कि वह स्त्री से पुरुष कैसे बनी और इन्हें इतनी सुंदर स्त्री वह भी पत्नी के रूप में कहां से मिल गई। कुछ दिनों में वह घर वालों के साथ अच्छे से घुलमिल गई। घर के सारे काम चुटकियों में करती थी। उनकी पत्नी का यौवन इतना आकर्षक था कि सभी गांव के लड़के उन्हें देखते मानो उन पर कोई वशीकरण प्रयोग किया गया है। गुरु जी आज भी यह बातें होती हैं। लोगों ने उनसे पूछा, इतनी खूबसूरत पत्नी और पुरुषत्व कैसे मिला तो यही कहते थे। उन साधु बाबा की महिमा है। फिर 5 साल बाद उन्हें दो बच्चे भी हो गए। लड़का और लड़की तो लड़का ही हमारे दादाजी हैं। फिर ऐसे ही कई साल बीत गए। दोनों बच्चे बड़े हो गए। समय के साथ दादा तो बूढ़े हो गए, लेकिन उन पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा ऐसा दादा जी का। कहना है गुरु जी अब यह झूठ था या सच यह तो भगवान ही जाने इसीलिए आपको कुछ दिन पहले स्थूणाकर्ण यक्ष के बारे में पूछा था। पता नहीं उन स्त्री में ऐसा क्या है? गुरु जी एक दिन परदादा और वह स्त्री बद्रीनाथ धाम को गए थे और फिर वह कभी वापस नहीं आए। उनकी आयु तक 50 वर्ष थी। फिर 1 दिन दादी उनकी अलमारी साफ कर रही थी। तब उनको एक डायरी मिल गई। उन्होंने उस डायरी में सब लिख रखा था कि कैसे उन्हें पुरुषत्व हासिल किया। गुरुजी उन्होंने लिखा था कि 1 साल स्त्री से पुरुष बनने के लिए गुरु मंत्र का अनुष्ठान उन्होंने संपन्न किया। फिर अगले वर्ष इस स्थूणाकर्ण यक्ष की साधना 1 साल तक इन्होंने कि इनकी साधना में एक भी कमी नहीं होनी चाहिए। बहुत सावधानी से ये साधना संपन्न करने चाहिए। कहते हैं कि इन्हें कुछ साधना में बड़े डरावने अनुभव हुए थे। इस साधना में कम से कम 1 साल ब्रम्हचर्य मानसिक वाचिक और का अनिवार्य है। उन्होंने वह साधना तो नहीं लिखी थी, फिर उन्हें यक्ष की सिद्धि मिल गई और उन्होंने पुरुषत्व भी प्राप्त किया। फिर उन्होंने तीसरे साल से अप्सरा साधना की और उसे प्रत्यक्ष या गुरु जी क्या यह संभव है कि स्त्री से पुरुष होना और गुरुजी वह यात्रा से तब लौटे क्यों नहीं होंगे। गुरु जी यह किस्सा मेरी दादी ने बताया था। मैंने आपको भेजा है। यह हमारे परिवार की एक सत्य घटना है। अगर वह सिद्धि किसी को मिले तो चैनल पर डलवा दें। आप वीडियो प्रकाशित कर सकते हैं। प्लीज उत्तर दें नमस्कार जय माता दी। संदेश-तो देखे यहां पर इन्होंने इस साधना के विषय में बताया है और जानना चाहती हैं तो अगर किसी को भी इस रहस्यमई यक्ष की साधना के विषय में ज्ञान हो तो वह इन्हें बता सकता है और महाभारत में भी शिखंडीनी के विषय में हम ऐसा ही ज्ञान प्राप्त करते हैं जब उस युद्ध में भीष्म पितामह के वध के लिए स्त्री से पुरुष का रूप धारण किया था। इसी प्रकार एक और अनुभव हमें प्राप्त हुआ है। कुछ अन्य अनुभव पढ़ते हैं उनके पत्र को
गुरु जी मैं यह साधना 100 साल पुराने श्मशान में कर रहा था। हनुमान बेताल साधना मैं रात को 8:00 बजे से सुरक्षा घेरा लगाकर यह साधना शुरू किया था। गुरु गणेश और माता श्मशान काली का पूजन करने के बाद बेताल का यंत्र पूजन किया। विनियोग और न्यास करने के बाद बहुत सारी औरतों के रोने और हंसने की आवाज आ रही थी। कोई पानी में दौड़ रहा था। गुरु मंत्र का एक माला जप करने के बाद सब कुछ शांत हो गया और फिर मैंने बेताल का मंत्र चालू किया। आधा घंटा बाद फिर से वही अनुभव शुरू हो गए। 3 से 4 घंटे बाद सड़े हुए मुर्दे की बदबू आने लगी थी। कुछ देर बाद मुझे एक काली परछाई दिखाई दी और बिल्ली के जैसे पीले रंग की एक आंख दिखी, लेकिन हवन करते समय लकड़ी कच्ची होने के कारण ठीक से सामग्री नहीं जली। इसीलिए शायद बेताल नहीं आया। मुझे पता चला है कि किसी तांत्रिक ने मेरे कुल देवी देवता को ब्रह्म पास के बंधन में बांध लिया है और हवन के बाद भी नहीं खुल रहा। कृपया इसका उपाय बताएं। अपना आशीर्वाद मेरे और मेरे परिवार के ऊपर बनाए रखें आपका शिष्य संदेश-तो ठीक है यहां पर इन्होंने हनुमान बेताल साधना की और उसका अनुभव इन्होंने यहां पर बताया है। रही बात देवी देवताओं के बंधन की तो अगर किसी प्रकार कुल देवी देवता बंधन में है तो आपको फिर से किसी उपयुक्त स्थान पर कुल देवी देवता को स्थापित कर उनका विधिवत पूजन करना चाहिए और उनका आवाहन करना चाहिए। उसके बाद वहां पर एक कवच से उनकी पूरी सुरक्षा करनी चाहिए और इस प्रकार उनका एक अस्तित्व रूप इसी जगह बन गया है। दूसरा स्वरूप उस स्थान पर फिर से जागृत हो जाता है। जिस स्थान पर आप ने उन्हें नए प्रकार से स्थापित किया है उसी स्थान पर अब हमेशा देवी अथर्वशीर्ष का पाठ गुरु मंत्र का जाप अवश्य करते रहें ताकि वहां की उर्जा हर प्रकार से बंधन मुक्त रहें और कोई उस पर जाकर वहां कोई ऐसा कार्य न करने पाए। इसका ध्यान रखे यह थे आज के दो अनुभव अगर आपको पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
|