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पाताल भैरवी साधना में सोने के बिस्कुट बरसना

पाताल भैरवी साधना में सोने के बिस्कुट बरसना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक ऐसा अनुभव लेने जा रहे हैं जो अपने आप में बहुत ही अधिक विचित्र है जिसमें एक साधक की साधना के दौरान कैसे माता ने उस पर सोने के बिस्कुट बरसाए और उन बिस्कुट को उसने किस प्रकार धारण करने की कोशिश की। एक चित्र के माध्यम से भी उन्होंने यह बताने की कोशिश की है तो चलिए जानते हैं कैसा रहा यह चमत्कारिक अनुभव और किस प्रकार यह अलग ही एक दृष्टिकोण दिखाता है?

नमस्कार गुरु जी! कृपया मेरा नाम पता और अन्य बातें गोपनीय ही रखें क्योंकि मैं यह बात जानता हूं कि इससे कई लोग मेरे पीछे पड़ सकते हैं। मैं आपकी दी गई साधना से बहुत अधिक प्रभावित हूं क्योंकि आपने जैसा बताया था गुरुमंत्र लेने के बाद मैंने यह साधना पूरे 40 दिन तक की थी और इस साधना में मैंने जो अनुभव किया, मुझसे रहा ही नहीं गया कि मैं आपका यह अनुभव आपको ना भेजूं क्योंकि यह साधना तो आपने ही बताई थी। ऐसा विचित्र अनुभव होना मेरे लिए किसी बहुत बड़े चमत्कार से कम नहीं है। गुरु जी मैंने माता पाताल भैरवी की साधना की थी। इस साधना में मैंने पूरे 40 दिन तक आप के बताए गए तरीके से साधना की थी। गुरु जी मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं इस साधना के विषय में यहां पर नहीं बताऊंगा क्योंकि आपने मुझे यह निर्देशित किया है कि साधना का ज्ञान किसी को नहीं देना चाहिए। लेकिन क्या अनुभव हुआ, यह मैं अवश्य ही आपको बताऊंगा। ताकि प्रत्येक व्यक्ति ऐसे चमत्कार से अपना जीवन भी चमत्कारिक बना सकता है। आपके द्वारा दी गई प्रत्येक साधना पूरी तरह से अनुभव करवाती है और इस तांत्रिक साधना के लिए मैंने आपके कहे अनुसार गुरु मंत्र का 900000 जाप, दशांश, हवन, तर्पण, मार्जन, कन्या भोज इत्यादि सब कुछ करने के बाद आपसे पूछा था कि मैं कौन सी साधना करूं? तब आपने कहा, आपको साधना किस लिए करनी है और उद्देश्य क्या है? तब मैंने आपसे अपने हृदय की बात रखी थी।

तब आपने कहा था कि अगर तुम्हें सबसे शक्तिशाली अनुभव चाहिए और बहुत अधिक शक्ति भी प्राप्त करनी है तो पाताल भैरवी साधना कीजिए। तब मैंने गुरु जी पाताल भैरवी साधना शुरू की थी। आपको पता ही है। यह एक कठिन साधना है। मैंने अपने घर के पास ही इसकी व्यवस्था करी और मैंने यह साधना शुरू की। गुरु! मैं बता नहीं सकता। कितने अधिक खतरनाक अनुभव शुरू हो गए। प्रेत कभी मुझे तमाचा मार कर बीच रात में ही उठा देते थे। मुझे कभी किसी के नाखूनों के रगड़ने की आवाज सुनाई पड़ती थी। काले बकरे आकर मेरे शरीर को चाटते थे। मैं उस तरह आपको नहीं बता सकता। एक उदाहरण के रूप में मैं आपको समझाना चाहता हूं कि एक बकरे के मुंह वाली स्त्री जब मेरे पास आई तो उसने मेरे लिंग को मुंह में रख लिया और चिल्ला कर कहने लगी। तू स्त्रियों के पीछे जाएगा। मैं तेरा अंग ही चबा जाती हूं। गुरु जी यह अनुभव इतने खतरनाक थे कि मैं आपको समझा ही नहीं सकता हूं। ऐसे दुर्लभ और खतरनाक अनुभव सिर्फ इसी साधना में हो सकते हैं। मैंने इस साधना को बहुत ही गुप्त तरीके से किया था। भोजन मैं स्वयं ही बनाता था और स्वयं ही खाता था। बहुत अधिक मेहनत इस साधना में लगती है। कुछ लोग ही इस बात को समझ सकते हैं इस साधना में मुझे बड़ी बुरी बुरी शक्तियां आकर। बिल्कुल डरा कर चली जाती थी।

ऐसे ही साधना करते हुए जब तीसवे दिन मुझे ऐसा महसूस हुआ कि एक स्त्री किसी दूसरी स्त्री के कंधे पर बैठकर सामने से तेजी से आ रही है। मैंने उसे रोकने की कोशिश की पर जो नीचे वाली स्त्री थी, वह दौड़ कर मेरी छाती पर आकर बैठ गई। मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया। नीचे वाली स्त्री मेरी छाती चाट रही थी। और मेरी छाती से ऐसा भयंकर दर्द हो रहा था जैसे उस पर अंगारे रख दिए गए हो। तब ऊपर बैठी स्त्री ने कहा, क्या तुम मुझे अपने अंदर समाहित करेगा? तब मैंने उनसे हाथ जोड़कर कहा, आप चली जाइए, मैं आपको नहीं सहन कर पा रहा हूं तब वह स्त्री। एक अत्यंत ही सुंदर कन्या के रूप में बदल गई और फिर उसने अपने सारे वस्त्र भी उतार दिये। फिर वह कहने लगी। क्या मुझसे भोग करेगा। मैं पिछली घटना से यह बात समझ चुका था। मैंने फिर उसे माता कहकर पुकारा और कहा, माता मुझे छोड़ दीजिए। आप यह जो भी माया रच रही है, वह मैं समझ रहा हूं। जैसे ही मैंने उसे मां कहा, उसने मुझे जोरदार तमाचा मारा और कहा अपना मन नियंत्रण में रख नहीं सकता है और बातें बड़ी-बड़ी करता है कि मैं सिद्धि प्राप्त करूंगा। फिर वह स्त्री अपने दिव्य रूप में प्रकट हुई और मेरे मुंह के अंदर प्रवेश कर गई। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर में कोई ऊर्जा भर गई हो और मैं अच्छी तरह सांस ले पा रहा था। मैं इस प्रकार उस दिन साधना के बाद जागा था। इस प्रकार जब मेरे 40 दिन संपूर्ण होने ही वाले थे तो आखिरी दिन साधना के जो अनुभव हुआ, मैं वह जरूर आपको बताना चाहूंगा क्योंकि बाकी अनुभव तो मैं यहां पर बता भी नहीं सकता हूँ।

क्योंकि कुछ ऐसी बातें हैं जिनको मैं सामान्य रूप से बताने में सक्षम ही नहीं हूं। किंतु आखरी अनुभव बताना आवश्यक है। मैं साधना कर रहा था। तभी सामने से देवी अपने प्रचंड रूप में धरती फाड़ कर प्रकट हुई और उन्होंने मुझे सामने आकर कहा, तू मुझे कब से और क्यों पुकार रहा है तब मैंने उनसे कहा माता मुझे। सब कुछ चाहिए। तब उन्होंने कहा ना तो तू स्त्री स्वरूप संभाल सकता है और ना ही तू मेरी शक्तियों को धारण करने लायक बन सका है। यह तो तेरा गुरु मंत्र और तेरा गुरु पीछे से रक्षा कर रहा है। वरना मेरी उर्जा तू सहन ही नहीं कर पाता और जलकर भस्म हो जाता। तब मैंने सच में उस दिन समझा कि गुरु जी आप में कितनी अधिक शक्ति है? गुरुजी फिर मैंने उनसे कहा, माता क्या मेरी सारी साधना असफल हो गई है? तो उन्होंने कहा नहीं तू जो भी वरदान मांगना चाहता है वह मांग ले।

तब मेरे मन में धन की एक ऐसी इच्छा जागृत हुई कि मैंने सोचा, चलो, धन ही मांग लेता हूं। तब मैंने उनसे कहा, आप मुझ पर धन की वर्षा कीजिए। तब उन्होंने हंसते हुए सौम्य रूप धारण कर लिया और कहने लगी। ठीक है लेकिन मैं तेरी परीक्षा लूंगी। और याद रख कि तुझे अभी परीक्षा देनी होगी। मैंने कहा, माता धन के मामले में मुझे कोई भी बेवकूफ नहीं बना सकता है। शायद मेरा बड़बोला पन मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर देने वाला था। और माता ने मेरी परीक्षा तुरंत ही ले ली। जानते हैं गुरुजी उन्होंने क्या किया। उन्होंने ऊपर से सोने के बिस्कुट बरसाना शुरू कर दिया। मुझे यकीन नहीं आया क्योंकि मैं अपनी खुली आंखों से यह सब कुछ देख रहा था। मेरी साधना समाप्त हो चुकी थी। सोने के बिस्कुट बरस रहे थे। तभी मैंने एक बिस्कुट अपने हाथ में लिया और दूसरे बिस्कुट की ओर भागने लगा और जब मैंने बहुत सारे बिस्कुट इकट्ठा कर लिए। तब मैंने देखा कि मुझसे बहुत बड़ी गलती हो चुकी है। मैं? अपने सुरक्षा घेरे और साधना स्थल से दूर निकल आया था सिर्फ सोने की चाह में। तब देवी मा ने साक्षात अपने त्रिपुर भैरवी स्वरूप में दर्शन देकर मुझसे कहा, तूने अभी पूरी साधना पूर्ण ही नहीं की थी और तू अपना जॉप छोड़ कर सोने के पीछे भागता हुआ यहां तक कैसे आ गया है सोच? तूने तो सोने के आगे मेरी गरिमा भी हटा दी।

जा मैं तेरा सारा सोना छीन लेती हूं और तेरी भंग हुई साधना के साथ तू रह। तब गुरु जी मैं बहुत रोया पर माता जा चुकी थी। जब मैं वापस अपने साधना स्थल पर लौटा तो वहां पर सुरक्षा घेरे के अंदर मैंने सोने का बिस्कुट पड़ा हुआ देखा। बाकी सारा सोना मैं खो चुका था लेकिन यह सोनी का एक बिस्कुट उस सुरक्षा घेरे के अंदर ही था। पता नहीं माँ ने मेरे लिए एक बिस्कुट क्यों छोड़ दिया था और बाकी सब क्यों उन्होंने? मुझसे छीन लिया शायद इसलिए क्योंकि मैंने साधना खुद ही भंग कर ली थी और सोने के पीछे भागा गुरुजी उस सोने का फोटो भी मैं आपको भेज रहा हूं। भविष्य में मैं फिर माता की साधना करूंगा और किसी भी कीमत पर इन्हें सिद्ध अवश्य ही करूंगा। आप अपना आशीर्वाद बनाए रखें। नमस्कार गुरु जी!

संदेश-तो देखिए यहां पर इन्होंने माता त्रिपुर भैरवी की साधना करके सोने की वर्षा करवा ली थी। वह भी सोने के बिस्कुट थे उनके जो फोटो उन्होंने भेजा है, वह मै आपको दिखा रहा हूं और इससे आप जान सकते हैं कि यह घटना सत्य है।

तो इस प्रकार इनके जीवन में चमत्कार हुआ लेकिन उस उर्जा को मां की शक्ति को मां की परीक्षा को यह संभाल नहीं पाए। इसीलिए अगर जब भी साधना करें तो सतर्क रहें और किसी मायाजाल में ना फंसे तभी आपको वह सिद्धि प्राप्त होगी। भविष्य में निश्चित रूप से आप माता की कृपा प्राप्त करेंगे ऐसी मेरी! शुभकामनाएं।

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