पितृ भैरवी साधना और इनका गोपनीय रहस्य
धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है आज हम एक दुर्लभ साधना का ज्ञान प्राप्त करेंगे जो कि देवी केभैरवी रूप जो कि पित्र लोक में निवास करता है और देवता आर्यमान की शक्ति के रूप में संचालित होता है। उसी का ही ज्ञान प्राप्त करेंगे। इस साधना से हम अपने पितरों को मुक्त करा सकते हैं और साथ ही साथ उनका कल्याण करते हुए सिद्धि भी उनकी प्राप्त कर सकते हैं पितृपक्ष में की जाने वाली यह एक अत्यंत ही दुर्लभ है इसका ज्ञान बहुत कम लोगों को है तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आर्यमान देवता कौन हैं और इनकी भैरवी कैसे कार्य करती है। इसका रहस्य क्या है? यह साधना इंस्टामोजो से फिर खरीद सकेंगे और हर प्रकार के पितृदोष और पितरों की मुक्ति के साथ-साथ! सिद्धि भी आप प्राप्त कर पाएंगे।
हम श्लोक के माध्यम से जानते हैं। कहा गया है कि|| ॐ अर्यमा न त्रिप्प्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः ।… ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय ।।
अर्थात : पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम । हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु अमृत की ओर ले चलें
ऋषि कश्यप की पत्नीं अदिति के 12 पुत्रों में से एक अर्यमन थे। ये बारह हैं:- अंशुमान, इंद्र, अर्यमन, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और त्रिविक्रम (वामन)
अदिति के तीसरे तीसरे पुत्र है, आदित्य नाम अक्सर देवताओं में से एक आर्यमान आर्यमान को पितरों का देवता कहा जाता। आकाशगंगा उन्हीं के मार्ग का सूचक है। सूर्य से संबंधित देवता का अधिकार प्रातः और शाम जाता है। चंद्र मंडल में स्थित पितृलोक में आर्यमा और सभी पित्रों के अधिपति नियुक्त हैं। वे जानते हैं किस परिवार से यहां आया है। अमावस्या लेकर अमावस्या तक ऊपर की किरण आर्यमा और किरण के साथ वितरण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है। पितरों में श्रेष्ठ कहलाते हैं। यह महर्षि कश्यप की पत्नी देवमाता अदिति के पुत्र और इंद्र के भाई माने जाते हैं। इनका जो नक्षत्र है वह उत्तराफाल्गुनी माना जाता है। यह स्वधा का और स्वाहा को स्वीकार करते हैं। पितृलोक!
एक ऐसा स्थान जहां पर पितरों की स्थिति मानी जाती है, मरने के बाद यह आत्मा है 1 वर्ष से लेकर 100 वर्ष तक अथवा पुनर्जन्म की स्थिति प्राप्त होने तक पित्र लोक में निवास करती है।
वहां! अन्य से शरीर होता है, अग्नि को दान दिया जाता है। इसी कारण से अगर इनकी श्राद्ध में पूजा उपासना की जाती है तो इसका लाभ भी। प्राप्त होता है और पक्षियों के माध्यम से पित्र लोग।
संतुष्ट भी होता है इसलिए पक्षियों को दाना, भोजन इत्यादि दिया जाता है। पितरों का जो परिचय है वह दो प्रकार का है। एक दिव्य पित्र माने जाते हैं। दूसरे मनुष्य पित्र माने जाते हैं। कर्मों को देखकर मृत्यु के बाद उसकी क्या गति निर्णय यमराज जी करते हैं। उनकी गिनती पितरों में होती है। इसी प्रकार वह! सिद्धियों से युक्त होते हैं।
श्राद्ध तर्पण में हम माता पक्ष और पिता पक्ष के सभी पितरों को तर्पण देते हैं उनकी साधना। करने की कोशिश करते हैं ताकि उनका जीवन मृत्यु के बाद और ऊंचे लोक की ओर जा सके। वह स्वर्ग आदि लोको में जाए। मरने के बाद वह पितृलोक में फंस गए हैं। इसकी वजह से वह परेशान ना हो उनकी जीवन में कोई। आए। इस हेतु हम दान तर्पण इत्यादि चीजें किया करते हैं, लेकिन अगर ऐसी कोई गोपनीय साधना हो जिससे हम अपने पित्र दोष को पूरी तरह समाप्त कर सकें और इसके साथ ही। उनकी स्थिति भी प्राप्त कर सके तो इस संबंध में आर्यमा जो कि पितरों के देवता हैं, उनकी शक्ति है जिसको हम पित्र भैरवी भी कहते हैं। बहुत ही दुर्लभ और इनके समस्त कार्यों को करने वाली शक्ति मानी जाती है। और! समस्त पित्रों को नियंत्रण में रखने की शक्ति भी इनके पास है। आर्यमा आदेश देते हैं और पित्र भैरवी आर्यमा भैरवी के नाम से भी जानी जाती हैं। वह इन सभी पित्रों इनकी उद्दंडता इनके स्वभाव और इनके प्रभाव सभी पर नियंत्रण रखती है। तो वह साधक अपने समस्त पित्रों को स्वर्ग आदि उच्च लोगों में भेज सकता है। हैं। उनकी? सिद्धि प्राप्त कर। हमेशा के लिए पितृदोष! समाप्त कर देता है क्योंकि जैसे देवता। जो होता है। किसी का किसी का अगर वह कोई आदेश देगा तो भक्तों को स्वीकार करना पड़ता है। ऐसा ही पितरों के देवता आर्यमान भैरवी शक्ति के माध्यम से इन सभी पर नियंत्रण रखते हैं।
इसीलिए इनकी सिद्धि हो जाने पर न सिर्फ समस्त प्रकार के पित्र दोष से मुक्ति मिल जाती है। पितरों को स्वर्ग मिलता है। अलावा! कोई पित्र आत्मा आप से सिद्ध होकर आपके साथ निवास करती है। उससे आप जो भी कार्य सौंपेंगे वह कर देती है। उसके पास भैरवी देवी का आशीर्वाद और शक्तियां होती है। एक अत्यंत ही गोपनीय बात है जो आपको ग्रंथों में देखने को भी नहीं मिलती है, लेकिन यह प्रमाणित है और जो लोग इसकी साधना करेंगे वह स्वयं इस अनुभव को जान सकते हैं कि किस प्रकार से उनके जीवन में भैरवी देवी का पदार्पण हुआ और पित्र देवता उनसे जुड़े । मैंने ज्ञान इंस्टामोजो पर उपलब्ध करवा दिया है इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में आप पहुंच कर वहां से क्लिक करें और फिर पीडीऍफ़ को मोबाइल में डाउनलोड करें और इस साधना को आफ पित्र पक्ष की प्रथम तिथि से करके पूर्णिमा को समाप्त कर देंगे।
सिद्धि होने पर देवी साक्षात आपके सामने प्रकट हो जाती है और प्रकट होकर आपसे आपकी मनोकामना पूरी करने के लिए। वर मांगने को कहती है। तब आप पीडीएफ में बताए गए तरीके से। आप इन से वरदान मांगे? किसी ना किसी ना किसी पित्र की सिद्धि भी मांगे तो चाहे वह स्त्री या पुरुष हो। आपके लिए? सिद्धि प्रदान करती है साक्षात वह पित्र आपके साथ जुड़ जाता है। और आप इन्हें जो भी कार्य करवा सकते हैं, वह आपका कार्य तक्षण कर देते हैं। इसके अलावा आप इन से लगातार अपनी हर कार्य के लिए मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकते हैं। इससे आपको जीवन में काफी सहायता मिलेगी। जो कार्य बिगड़े चल रहे थे थे खासतौर से परिवार में कलह। परिवार में होने वाले लड़ाई झगड़े संतानों का उत्पन्न ना होना किसी कारण से पीढ़ी का समाप्त होने का डर होना।
धन वैभव संपन्नता। बिना कारण ही रुके रहना।
पित्र दोष के कारण किसी भी कार्य में सफलता का ना मिलना इत्यादि सारी चीजें आपकी सुलझ जाती है। इसलिए इस साधना को।
प्रत्येक व्यक्ति को करके देखना चाहिए ताकि? वह हर साधना करने वाले को मिलता ही है पितृदोष से मुक्ति होना। इसके अलावा पितरों की कृपा आपको पूरे वर्ष भर के लिए प्राप्त हो जाती है। जो इनकी सिद्धि प्राप्त कर लेता है वह भैरवी देवी का को पूर्ण प्रत्यक्ष कर सकता है। भी लोग मरकर पित्र लोक में निवास कर रहे हैं उन सभी से वह वार्तालाप कर सकता है। उनके जीवन के रहस्य उनसे जुड़ी हुई कोई गोपनीय बात जैसे अगर किसी के घर में कोई गडा धन गाड़ कर गया है उनसे पूछ सकता है आपने। घर में कहां पर गाड़ा हुआ है? रहस्यमई बाते जिसके माध्यम से पित्र आपकी मदद कर सकते हैं। कुछ भी पूछा जा सकता है और एक है आपके समस्त कार्यों का संचालन वह करता है आप उन्हें जो भी आज्ञा देते हैं, वह उसे करते हैं।
सदैव के लिए कल्याण करें। आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां शक्ति।