पिनाकी योगिनी गोपनीय साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज का जो हमारा वीडियो है यह भगवान शिव की प्रिय और गुप्त योगिनी पिनाकी की साधना पर आधारित है। कौन है पिनाकी योगिनी और इस योगिनी शक्ति के माध्यम से आप अपने जीवन में हर प्रकार के कष्ट को कैसे समाप्त कर सकते हैं। विशेष रूप से इसकी साधना नवरात्रि में करके कैसे आप इन्हें सिद्ध कर सकते हैं और इनकी शक्ति से अपने जीवन के हर प्रकार के संकट को नष्ट कर सकते हैं। इसके बारे में तो सबसे पहले हम लोग यह जानते हैं कि इनका नाम पिनाकी क्यों है और क्यों? इनकी साधना को अत्यंत गोपनीय माना जाता है जो केवल नवरात्रि के विशेष पर्व पर की जाती है। कहा जाता है कि? जब? भगवान शिव स्वयं सदा शिव स्वरूप से शिव के स्वरूप में पृथ्वी पर इस ब्रह्मांड के मायाजाल में स्वयं को उतार कर। गृहस्थ जीवन में आए थे तो उस वक्त भगवान के साथ में उनका त्रिशूल भी था। माता पार्वती की नजर जब उनके उस त्रिशूल पर पड़ी तो उन्होंने कहा कि आप अब विवाह करने वाले हैं और विवाह के बाद इस त्रिशूल की आवश्यकता क्या होगी? गृहस्थ जीवन में। इस क्षेत्र की क्या आवश्यकता है? तब भगवान शिव ने कहा, सबसे पहले तो इस त्रिशूल का महत्व आप समझ ले। क्योंकि जब? निराकार से साकार स्वरूप। मैं धारण करता हूं सृष्टि के प्रारंभ में तब यह जो संसार है वह त्रिगुण मई माया से बना हुआ है अर्थात सत्व गुण, रजोगुण और तमोगुण।तीनो मेरे अधिकार क्षेत्र में मैं। क्योंकि मै संहार करता हूं इसलिए तीनों गुणों को नष्ट करने के लिए। और वास्तविक ब्रह्म ज्ञान देने के लिए।
हर प्रकार से जीव को सत्य दर्शाने के लिए। एक शस्त्र! को अपनी योग उर्जा से प्रकट करता हूं यह शक्ति। शरीर के लिए मेरे साथ विद्यमान रहती है। इन तीन शूलों के कारण ही प्रत्येक जीव माया में बंधा रहता है। और इन से मुक्त करने का कार्य मेरा यह त्रिशूल करता है। इसीलिए मैं इसे धारण करता हूं।
यह त्रिशूल ही पिनाक धनुष है।इसे ही मै रूपांतरित करके धनुष रूप में बदलकर अनियंत्रित शक्तियों का विनाश करता हूँ और इसे वापस त्रिशूल रूप में बदलकर तीनो कालों को नियंत्रित करता हूँ
मेरा यह शक्तिशाली अस्त्र! तीनों काल खंडों में सदैव विद्यमान रहने वाला है। इसी कारण से मुझे त्रिकालदर्शी भी कहते हैं।
मैं इसके साथ ही संसार को नियंत्रण में रखता हूं।
सत्व गुण जब बढ़ता है तब रजोगुण और तमोगुण दब जाता है, इसी प्रकार रजोगुण के बढ़ने पर सतोगुण और तमोगुण।
कमजोर पड़ता है और तमोगुण के बढ़ जाने पर सत्व गुण और रजोगुण कमजोर हो जाता है। इनका नियंत्रण मै अपने इस महान शस्त्र के माध्यम से करता हूं। लेकिन मूल रूप से शक्ति प्रदर्शन के लिए और नियंत्रण के लिए इसे मैं अपने साथ रखता हूं जैसा कि आपने कहा कि अब हम लोगों का विवाह हो रहा है इसलिए मैं इस त्रिशूल को। यहीं पर कुछ समय के लिए रखता हूं और आपके साथ एकांतवास में चलता हूं।
आप यद्यपि आदिशक्ति हैं लेकिन मानव स्वरूप में जन्म लेने के कारण। आपको आपके स्वरूप का ध्यान नहीं है। इसी गुप्त रहस्य को बताने के लिए मैं आपको एकांत में लेकर चलता हूं। मेरा त्रिशूल तब तक यही रहेगा इस प्रकार माता पार्वती के साथ भगवान शिव एकांतवास में अपने त्रिशूल को बाहर रख कर चले जाते हैं।
इसी बीच बहुत सारे राक्षसों की नजर भगवान के शिव के उस शक्तिशाली अस्त्र पर पड़ती है। तब वह उसे प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं, लेकिन उस त्रिशूल को कोई नहीं उठा पाता है। तब सभी राक्षस! गुरुवर शुक्राचार्य के पास पहुंचते हैं। शुक्राचार्य जी उन्हें कहते हैं उनके त्रिशूल को कोई नहीं उठा सकता है लेकिन युक्ति लगाकर उसे प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे में राहु और केतु ग्रह अगर चाहे तो कोई ना कोई राक्षस?
इसे प्राप्त कर सकता है।
तो फिर? राक्षसों ने राहु और केतु से विनती की। तब राहु केतु वहां शुक्राचार्य के समक्ष प्रकट होकर कहने लगे। इसका कोई मार्ग बताइए क्योंकि यह भगवान शिव का त्रिशूल है और हमारी भी यह सामर्थ्य नहीं है कि हम इसे खुद उठा पाए तब गुरुवर शुक्राचार्य जी कहते हैं कि आपको इसे उठाना नहीं है। सिर्फ इस पर अपनी दृष्टि डालनी है। आपकी दिव्य दृष्टि के कारण।
त्रिशूल में तमोगुण बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा और यही तमोगुण राक्षसों के अंदर होता है। अगर ऐसे में कोई राक्षस? महा तमोगुणी होकर। अगर त्रिशूल को उठाने जाएगा तो उस क्षण उठा सकता है और उस के माध्यम से वह कुछ भी कर सकता है। मैं राक्षसों को इसकी विद्या प्रदान करूंगा। तब राहु और केतु ने पूरी तरह भगवान शिव के त्रिशूल को अपनी नजरों से। आच्छादित कर दिया उसके अंदर तमोगुण बढ़ने लगा।
तब राक्षसों ने कहा, अभी भी हमारी सामर्थ्य नहीं है।
इसलिए! अब आप ही मार्ग बताएं तब गुरुदेव शुक्राचार्य ने राक्षसों को कहा। तुम सभी भगवान शिव के पिनाक! मंत्र का जाप करो। और सभी मिलकर एक साथ अपनी उर्जा को सम्मिलित करो। तो फिर उससे जो राक्षस का निर्माण होगा, वह निश्चित रूप से जा करके इस पिनाक को उठा सकेगा।
इधर भगवान शिव माता पार्वती को यह सारी बातें बता रहे थे। वह कहने लगे कि आप के प्रभाव को दर्शाने के लिए भविष्य में नवरात्रि का बहुत ही शुभ समय आएगा। जब सनातनी लोग अपने वर्ष के प्रथम दिन के रूप में आप की नवरात्रि से प्रकृति रूप में आप का पूजन शुरू करेंगे। आपके इस पूजन से आप प्रकृति को नियंत्रित करेंगे। अब मैं कुछ समय के लिए योग में जा रहा हूं। कुछ विशेष आप को और अधिक बताना है तब तक आप। अपने कार्य कीजिए। इस प्रकार भगवान शिव नेत्र बंद करके ध्यान योग में चले जाते हैं। इसी समय?
वहां पर राक्षसों ने। बड़ी
तपस्या रूपी साधना के द्वारा एक अत्यंत ही गोपनीय छाया राक्षस उत्पन्न किया। वो छाया राक्षस! तुरंत ही। पिनाक को उठाने के लिए चल पड़ा।
माता पार्वती को अचानक से इस बात का आभास हो गया कि कोई भगवान शिव के उस त्रिशूल को उठाना चाहता है और उसका उपयोग संसार के नाश के लिए करेगा। इसीलिए अब यह आवश्यक हो जाता है कि भगवान शिव को इस बारे में बताया जाए, लेकिन तभी वह देखती हैं कि भगवान शिव तो अपनी योग साधना में चले गए हैं। ऐसे में उन्हें किसी भी प्रकार से विचलित करना अच्छा नहीं है। उनकी ध्यान को तोड़ना। शुभ बिल्कुल नहीं है। और उन्होंने आज्ञा दी है कि आप यही रहिए तो ऐसे में मेरा जाना भी शुभ नहीं होगा। लेकिन अगर मैं और महादेव! त्रिशूल के पास नहीं जाएंगे तो फिर त्रिशूल की रक्षा कौन करेगा और अगर त्रिशूल किसी गलत हाथ में चला गया तो हमेशा के लिए वह इसका गलत उपयोग करेगा। और इतनी देर में वह तो संसार का विनाश भी कर सकता है।
इसी कारण से माता पार्वती ने तुरंत ही। अपने शरीर से।
एक गुप्त योगिनी को उत्पन्न किया। और कहा जाओ भगवान शिव के उसे त्रिशूल की रक्षा करो जिसे लेने के लिए कोई राक्षस आ रहा है। तब वह दिन तुरंत ही वहां पर प्रकट हो गई। और खड़ी हो गई सामने।
तब छाया राक्षस के साथ फिर उस देवी का युद्ध होता है। वह देवी स्वयं उसके साथ बहुत समय तक युद्ध करती हैं। अंततोगत्वा वह! यह समझ जाती है कि इस का विनाश केवल भगवान शिव का त्रिशूल ही कर सकता है। इसीलिए वह पिनांक को उठा लेती हैं। और उससे उस छाया राक्षस का वध कर देती हैं।
तब माता पार्वती और भगवान शिव वहां पर आते हैं। भगवान शिव कहते हैं, तुमने पिनाक का विशेष रूप से ध्यान रखा है।
यह पिनाक अब मेरे पास वापस लौट आया है और फिर भगवान शिव उसे धारण कर लेते हैं और कहते हैं तुम पार्वती की अंश स्वरूपा हो। इसीलिए! मैं तुम्हारा नाम पिनाकी ही रखता हूं। क्योंकि तुमने पिनाक को धारण करके छाया राक्षस का वध किया था? इसीलिए अब तुम पिनाक के साथ ही रहोगी और अपनी जो भी। कुदृष्टि!
किसी भी संसार इस वस्तु के कारण या किसी भी सुख दुख के कारण। गलत कार्यों में डालेगा तुम उसका विनाश कर दोगी और? जगत में तुम कल्याण करती रहोगी संसार के तीनों प्रकार के शूलों से रक्षा करने के लिए। क्योंकि तुम में देवी का अंश है। इसी कारण से तुम इस पिनाक को धारण कर पाई थी।
तो उसी कारण से भगवान शिव ने उसे पिनाकी नाम दिया। आर्य गुप्त योगिनी के स्वरूप में फिर उसी त्रिशूल में जाकर वास करने लगी।
इस प्रकार संसार को। इनके इस रहस्य के बारे में कोई जानकारी नहीं हुई और तब से लेकर अब तक भगवान शिव के उस त्रिशूल में पिनाकी योगिनी का भी वास है।
कहते हैं जो भी इन्हें प्रसन्न कर लेता है। विशेष रूप से नवरात्रि के समय इनके मंत्र जाप और साधना के माध्यम से। उसे पिनाकी अस्त्र की भी प्राप्ति हो सकती है। और जिसके पास अस्त्र हो, केवल मंत्रों के माध्यम से उसे त्रिशूल शक्ति का प्रयोग कर सकता है। और पिनाक शक्ति का प्रयोग जिस पर भी किया जाएगा, उसका विनाश हो जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। इसके अलावा इसका प्रयोग।
आध्यात्मिक और देवी शक्ति के स्वरूप में किसी रोग, बीमारी, दुर्भाग्य, ग्रह बाधा। जीवन में आ रहे संकट इत्यादि किसी भी प्रकार की। दैहिक, दैविक और भौतिक बाधा के ऊपर भी किया जा सकता है और यह उसी तरह कार्य करती है जैसे कि त्रिशूल शत्रु का नाश करता है। वैसे ही यह देवी भी जीवन में किसी भी समस्या का नाश कर सकती हैं।
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इसके अलावा आंशिक सिद्धि के रूप में देवी सदैव आपकी रक्षा करती हैं। हर प्रकार की समस्या से बचाती हैं। नवरात्रि के समय इसका साधना और प्रयोग करने से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है। यह एक गुप्त योगिनी मानी जाती है। इसलिए इसके विषय में किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यह साधना भी अत्यंत ही गोपनीय तरीके से की जाती है। इस साधना को करने के लिए नवरात्रि सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। इस देवी की कृपा प्राप्ति होने पर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों लोगों की कृपा भी प्राप्त होती है। इन्हें अत्यंत गोपनीय योगिनी शक्ति के रूप में जाना जाता है। इनकी साधना और पूजा सदैव के लिए कल्याणकारी मानी जाती है। जीवन में आए हुए किसी भी भयानक संकट विभिन्न प्रकार के क़र्ज़ मुक्ति। विभिन्न प्रकार की कोई बड़ी समस्या अगर जीवन में आ गई है तो? पिनाकी उस समस्या को सदैव के लिए समाप्त कर देती हैं यह अभी!
माता पार्वती के समान ही त्रिशूल धारण की अवस्था में दर्शन देती हैं। इनकी साधना माता के रूप में ही करनी चाहिए।
अगर कोई साधना को करना चाहता है तो इस वीडियो के नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दिया है। वहां से इसे खरीद कर इसकी विधि को नवरात्रि पर संपन्न कर सकता है। पर इसे बार-बार नवरात्रि पर करके अद्भुत लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं। तो यह थी जानकारी और कहानी पिनाकी योगिनी साधना के विषय में आप सभी का दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।
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