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पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं आप लोगों के लिए एक बार फिर से मठ और मंदिरों की कहानियां लेकर के उपस्थित हुआ हूं। आज की जो हमारी कहानी है वह माता त्रिपुर सुंदरी से संबंधित है। हम लोग जानते हैं कि राजस्थान में बांसवाड़ा से लगभग 14 किलोमीटर दूर तलवाड़ा ग्राम से 5 किलोमीटर की दूरी पर छोटे से ग्राम में माता बाड़ी के रूप में माता त्रिपुर सुंदरी जो कि उमराई के गांव में है। इन्हें पूजा जाता है इनसे जुड़ी हुई जो घटना है और कहानी है जिसका वर्णन। नहीं देखने को मिलता उसी कथा को मैं आपको आज सुनाने जा रहा हूं। सबसे बड़ी बात यह है कि यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और जितना ऐतिहासिक प्रमाण इस मंदिर का मिलता है यह कथा उससे भी पुरानी है। लेकिन इस मंदिर के बारे में जो भी बातें हैं पहले! मैं उनके बारे में आपको बता देता हूं।

कहते हैं तीसरी शताब्दी से पूर्व ही यहां पर गुजरात के मालवा और मारवाड़ के शासक माता त्रिपुर सुंदरी के उपासक थे। गुजरात के सोलंकी राजा सिद्धराज जयसिंह की यह इष्ट देवी कहलाती थी। बहुत से लोगों ने इनकी उपासना की है। इनकी महिमा इतनी अधिक थी कि कहा जाता है कि मालव नरेश जगदीश परमार ने। मां के चरणों में अपना शीश काट कर रख दिया था।

और उन्हें स्वयं अर्पित किया। उसी समय राजा सिद्धराज की प्रार्थना पर मां ने पुत्र वत जगदेव को पुनर्जीवित कर दिया था। यानी कि उन्होंने उस मरे हुए प्राणी को भी जिंदा कर दिया था।

यह एक पंक्ति भी आती है इसी कथानक के संदर्भ में की “निस प्राण में फुके प्राण, पीड़ितों का करें परित्राण।”

देखिए यहां पर इनके संबंध में बहुत सारी बातें आती हैं। कहते हैं मंदिर का जो जीर्णोद्धार है वह भी। पंचाल जाति के एक चांदा भाई लोहार ने करवाया था। कहते हैं मंदिर के समीप ही फटी हुई खदान थी जहां किसी समय लोहे की खदान हुआ करती थी।

किवदंती के अनुसार 1 दिन माता त्रिपुर सुंदरी भिखारिन के रूप में खदान के पास पहुंची, किंतु पांचालों ने उस पर ध्यान नहीं दिया। देवी ने क्रोध में आकर खदान नष्ट कर दी। जिससे कई लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए पांचालों ने यहीं पर मां का मंदिर और तालाब बनवाया था और इस मंदिर का 16 वीं शताब्दी में पुनर्निर्माण कराया गया।

इस प्रकार से यह स्थान बहुत ही तेजस्वी और शक्तिशाली है। आज मैं इसी की अत्यंत छुपी हुई कथा का वर्णन आप लोगों को करूंगा कि कैसे? मां की महिमा से मरे हुए व्यक्ति भी जीवित हो जाते हैं। इसी कारण बाद में मानव नरेश ने अपने शीश को ही काट कर अर्पित कर दिया था जिसकी कथा आप लोग जानते हैं।

तो चलिए शुरू करते हैं इनकी प्राचीन कथा।

त्रिपुर सुंदरी मंदिर। बांसवाड़ा राजस्थान में स्थित है। यह वह स्थान है जहां पर हजारों वर्ष पूर्व एक तांत्रिक पीठ स्थापित था।

यहां पर रहने वाले! गोद राज नाम के। एक व्यक्ति ने। माता की बड़ी ही हृदय से उपासना की थी। जिस स्थान पर रहे कर गोद राज माता की पूजा किया करता था।

वह कहा करता था? की माता की महिमा अनंत है। इनकी साधना में संसार के सभी तंत्र मंत्र लगे रहते हैं। त्रिपुर सुंदरी माता 10 महाविद्याओं में सर्वोच्च मानी जाती हैं क्योंकि यह भोग और मुक्ति दोनों की ही देती है। अति सौम्यारूप होने के कारण केवल और केवल?

इनकी साधना करने वाला साधक।

समस्त लौकिक सुखों को भोगते हुए मुक्ति को प्राप्त करता है। इनकी साधना में भय का कोई स्थान नहीं होता है। इसी कारण से इन्हें भय मुक्त देवी भी कहा जाता है।

अत्यंत सौम्य तरीके से केवल इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इसी प्रकार! उनकी सारी बातें समस्त लोग वहां पर आकर सुना करते थे। धीरे-धीरे लोगों में माता त्रिपुर सुंदरी के प्रति प्रेम जागृत होता जा रहा था।

सभी लोग माता त्रिपुर सुंदरी को मन ही मन ध्यान भावना से याद करते थे और उन्होंने! यहां आकर माता की वंदना भी शुरू कर दी थी। त्रिपुर सुंदरी माता का एक छोटा सा मंदिर उस दौरान।

गोद राज ने बनवाया था गोद राज एक महत्वपूर्ण व्यक्ति था जो तंत्र विद्या में अत्यंत ही निपुण था।

ऐसे ही 1 दिन माता त्रिपुर सुंदरी की उपासना करते वक्त एक व्यक्ति जोर-जोर से चिल्लाते हुए उनके पास आया। उन्होंने माता त्रिपुर सुंदरी को प्रणाम किया और!

उस व्यक्ति की बात सुनने के लिए।

बाहर आ गए। वह व्यक्ति जोर-जोर से चिल्लाकर कह रहा था।

गुरुदेव मेरी पुत्री की रक्षा करो।

एक! चमत्कारी वशीकरण तंत्र में फंस गई है।

गोद राज ने उससे कहा। सुनो मुझे पूरी बात स्पष्ट रूप से बताओ। अगर मेरे बस में हुआ तो मैं अवश्य ही तुम्हारी पुत्री की रक्षा करूंगा।

गोद राज के यू कहने पर वह व्यक्ति बोला। आपके अतिरिक्त इस संसार में और कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता नहीं कर सकता है। क्योंकि माता त्रिपुर सुंदरी की आप पर विशेष कृपा है। आपने कई लोगों के काम बनाए हैं? इसी कारण से मैं घर से भागा भागा आपसे आपकी सहायता मांगने के लिए आया हूं।

मैं? एक व्यापारी हूँ गुरुदेव। व्यापार में ही मेरे समस्त कर्म लगे रहते हैं।

इसी कारण से मैं घर बाहर से दूर विभिन्न जगहों पर जाकर अपने व्यापार को बढ़ाता रहता हूं।

शायद यही कमी मेरे जीवन की, इस परेशानी का कारण हो सकती है। क्योंकि अगर मैं घर से बाहर नहीं जाता और अपनी पुत्री की ओर ध्यान देता तो शायद ऐसा नहीं होता।

इस पर गोद राज ने कहा- ठीक है मुझे वास्तविक बात बताओ मुझे नहीं लगता कि तुम्हें? किसी बात से चिंता करने की आवश्यकता है। क्योंकि जब तुम स्वयं माता की शरण में आए हो तो आगे सब उन पर ही छोड़ दो।

माता के इस सेवक को केवल सारी बातें स्पष्ट रूप से बता दो।

उस व्यापारी ने कहा।

गुरुदेव! मेरी पुत्री नगर में सबसे अधिक सुंदर है। और इस बात का मुझे सदैव गर्व भी रहता है।

मैंने!

अपनी पत्नी से पूछा।

कि मेरी पुत्री कहां है? क्योंकि मैं जब व्यापार से वापस आया तो वह मुझे नहीं दिखाई नहीं दी थी ।

तब उसने जो बात मुझे बताएं वह आश्चर्य में कर देने वाली थी।

उन्होंने कहा कि एक तांत्रिक ने उसके प्रेम सौंदर्य में पड़कर। उस पर वशीकरण कौवा तंत्र का प्रयोग किया है। मैंने एक दूसरे! तांत्रिक से इस बात का पता लगाया है।

उसने बताया कि उसने सोमवार के दिन उसे एक मंदिर में देखा था। वह उस पर मुग्ध हो गया और उसने अपने हाथ पैर के 20 नाखून तथा कौवे की जीभ को श्मशान में ले जाकर किसी चिता के अंगारों में जलाकर राख कर लिया था। फिर उसने उसमें अपनी थूक और बाएं हाथ की अनामिका उंगली का रक्त मिलाकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाई और उसी से उसे आवश्यकता अनुसार प्रसाद देने के बहाने गोली को पान में रखकर मेरी पुत्री को खिला दिया।

इसके बाद से उस पर ऐसा जादू सवार हो गया कि वह कहती हैं कि वह उस व्यक्ति से ही विवाह करेगी। और? उसके बिना नहीं रहेगी। मैंने जब उसे इस बात के लिए डाटा तो उसने गुस्से में आकर कहा, मैं तब तक वस्त्र ही नहीं पहनूगी जब तक आप मेरा विवाह उस व्यक्ति से नहीं करवा देते। और उसने? सारे कपड़े उतार कर अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया है। अब बताइए मेरी? पुत्री इस प्रकार शक्तिशाली वशीकरण में कैसे आ गई है?

वह ना तो भोजन खा रही है, ना ही पानी पी रही है और उसने स्वयं को वस्त्र हीन किया हुआ उस कमरे में बंद कर लिया है। अब मैं करूं तो क्या करूं? यह सुनकर मेरे तो होश ही उड़ गए। गुरुदेव अब केवल आप ही रक्षा कर सकते हैं। यह कैसा तंत्र है? जिसकी वजह से मेरी पुत्री का मानसिक संतुलन ही बिगड़ गया है।

इस पर गोद राज ने कहा। ठीक है। मुझे अपने घर ले चलिए! मैं भी तो देखना चाहता हूं। कि कौन इतना अधिक शक्तिशाली वशीकरण कौवा तंत्र का प्रयोग कर चुका है? जिसके कारण एक बिचारी कन्या का ऐसा हाल है जो स्वयं की लोक लज्जा त्याग कर निर्वस्त्र होकर बैठी है।

आगे क्या हुआ? हम लोग जानेंगे भाग 2 में तो अगर आज की कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें चैनल को, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

पुनर्जीवित कर देने वाली माता त्रिपुर सुंदरी कथा भाग 2

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