नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य आयुर्वेद चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बात करेंगे। पेट में बनने वाली गैस के बारे में यह एक भयानक रोग है और अगर इस रोग की अनदेखी की जाए तो यह जान भी ले सकता है। जी हां, कई बार ऐसा देखने में आता है जब पेट की गैस हृदय और आपके मस्तिष्क यानी कि सिर में चढ़ गई और उसकी वजह से चक्कर आने के कारण। व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इसी तरह हृदय गति भी गैस के कारण रुक सकती हैं तो इसे एक साधारण बीमारी समझने की भूल ना करें। सबसे पहले आप जानते हैं कि पेट में गैस के लक्षण क्या है और यह क्यों बनती है?
गैस बनने के लक्षण -अगर गैस निकलने में वृद्धि हो या बार-बार गैस आए या बने? दूसरी बदबूदार गैस जब बनती है। बार-बार आपको डकारे आ रही हूं। आपका पेट फूलता जा रहा हो? आपके पेट में दर्द हो और आपको लगातार बेचैनी बनती सी नजर आए।पेट में आपके गंभीर पैटर्न की समस्या हो सकती है। आपको डायरिया हो रहा हो। कब्ज बन रहा हो, मल में खून आ रहा हो। बुखार हो जाए उल्टी और मितली की समस्या पैदा हो। पेट के दाहिनी तरफ दर्द बना रहता हो।
आखिर पेट में गैस क्यों बनती है? अधिकतर जब हम ज्यादा खाते हैं। धूम्रपान करते हैं। च्विंगम चबाते हैं। तो सामान्य मात्रा से कहीं अधिक मात्रा में हवा। हमारे शरीर की आंतों में बनने लगती है। इसे ही गैस बनना कहते हैं निचली आंखों में गैस बनने के कारणों में। कई सारे माने जाते हैं। जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन जिसको पचाने में आपको कठिनाई हो रही हो। गैस का कारण बनने वाला आपका भोजन का सेवन इसका एक कारण होता है। कौलन यानी कि आंत्र संबंधी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया का विघटन होना। गैस के कारण खाद्य पदार्थ मुख्य रूप से आपके अंदर गैस को बनाते हैं। वह कौन-कौन से हैं, चलिए जान लेते हैं? राजमा और मसूर, सब्जियों में पत्ता गोभी फूल गोभी ब्रोकोली, पत्तेदार सब्जियां। और सभी प्रकार के साग आपके अंदर गैस बनाने की क्षमता रखते हैं। लेक्टोज युक्त डेयरी उत्पाद भी बनाते हैं? फ्रुक्टोज यानी कि फलों से बनाई जाने वाली एक प्रकार की चीनी जिसको कई खाद्य पदार्थों में डाला जाता है।
सॉर्बिटोल! कुछ चीनी मुक्त कैंडी और चिंगम आदि में पाया जाने वाला मीठा पदार्थ। कार्बोनेटेड पेय पदार्थ। जैसे सोडा और बीयर। गैस के कारण बनने वाली पाचन प्रणाली में विभिन्न प्रकार के विकार आते हैं। अत्यधिक पेट की गैस डकार अगर दिन में 20 बार से ज्यादा आती है। तो यह विभिन्न प्रकार की स्थिति को दर्शाते हैं। स्वती रक्षित।एक प्रति रक्षित विकार जिसे ग्लूटेन या आटा संबंधी पदार्थों के खाने से गैस उत्पन्न यह करने लगता है। मधुमेह! भोजन संबंधी विकार। गैस्ट्रोएसोफागीयल रिफ्लक्स रोग इत्यादि।
आंतों में सूजन और जलन संबंधी रोग। यानी पाचन तंत्र में कोई पुरानी और गंभीर सूजन या जलन होना। आंतों में कोई रुकावट आना। कोई भी दुग्ध पदार्थ को पचाने में कठिनाई का होना।
पेप्टिक यानी की पाचन संबंधी चीजों में छाला। अल्सरेटिव कोलाइटिस। यह भी एक कारण इसका होता है। पेट में गैस बनने के लिए विभिन्न प्रकार की रोकथाम और उपाय किए जाने चाहिए। जिस प्रकार से हैं। खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करें। साधारण रूप में गैस का कारण खाद्य पदार्थ जैसे कि राजमा मटर, मसूर बंद, गोभी फूल, गोभी, प्याज, ब्रोकोली, मशरूम और साबुत अनाज है। इसके अलावा कुछ प्रकार के फल बीयर और अन्य पदार्थ भी पेट में गैस उत्पन्न करने का काम करते हैं। अगर गैस बढ़ रही हो तो कुछ समय के लिए इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर किसी चीज का लेवल बढ़ जाए। जैसे कि गैस की समस्या के कारण डेयरी उत्पाद लग रहे हैं तो शरीर में लैक्टोज! इनटोलरेंस की समस्या हो सकती है। यानी कि ऐसे दुग्ध पदार्थ जिनको पचाने में कठिनाई हो, वह भी खाने से आपको बचना चाहिए। कम वसायुक्त भोजन खाएं। जिसमें ज्यादा चर्बी पाई जाती है उन दो जनों को आप को कम से कम खाना चाहिए ताकि गैस ना बने। अस्थाई रूप से उच्च फाइबर पदार्थों की जब शरीर में कमी हो जाती है तो भी गैस ज्यादा बनती है।
इसी कारण से कई उच्च फाइबर पदार्थ गैस की भी बड़े उत्पादक माने जाते हैं तो दोनों के बीच में एक सामंजस्य होना आपके भोजन में आवश्यक होता है। जब भी आप? भोजन खाएं उसे धीरे-धीरे खाएं और पानी भी धीरे-धीरे पीना चाहिए। खाना खाने के समय को बढ़ाइए और आराम से खाने की सदैव कोशिश करनी चाहिए।
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स! और बीयर इत्यादि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को उत्पन्न करते हैं। कैंडी और चिंगम आदि को भी ज्यादा समय तक चबाने से यह हो जाता है। इसी कारण से इन्हें भी आपको अपने जीवन से कम से कम निकाल देना चाहिए। धूम्रपान को करने से सदैव बचना चाहिए क्योंकि हम इसके माध्यम से अत्यधिक हवा को अपने शरीर के अंदर निगल लेते हैं।
जब भी आप भोजन करें उसके तुरंत बाद थोड़ा सा पैदल जरूर चलना चाहिए। खाना खाने के बाद थोड़ा बहुत चलने से भी गैस के उत्पादन में कमी आ जाती है। अगर छाती में जलन हो रही है। तो मेडिकल स्टोर में मिलने वाली कई प्रकार की दवाइयां आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती हैं जिसमें गैस की कमी करने वाली बहुत सारी एंटासिड दवाएं आपके लिए कारगर हो सकती हैं। इसी कारण से सदैव यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि मैं जो भी भोज्य पदार्थ ले रहा हूं कहीं वह! हमारे शरीर के अंदर जाकर गैस की मात्रा को बढ़ा तो नहीं देगा।
अनियमित रूप से भोजन करना और देर रात तक टीवी अथवा मोबाइल देखने से भी यह तीव्रता के साथ बढ़ता है। देर रात तक जागने से हमारे शरीर में गैस अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती है और फिर यह हमें बहुत अधिक परेशान करती है। जब भी सोने के लिए जाएं उससे कम से कम 2 घंटे पहले भोजन आपने अवश्य ही कर लिया हो। तभी आप गैस की समस्या से बच सकते हैं। दिन भर बैठे रहने वाले व्यक्तियों के शरीर में गैस अत्यधिक बनती है। इसलिए सदैव कोशिश करें कि कुछ कुछ देर के अंतराल के बाद। टहलना अति आवश्यक है। रोज सुबह और शाम को एक्सरसाइज अवश्य करें। ताकि आपके शरीर में गैस का निर्माण ना हो सके।
जब भी भोजन करें उसके साथ पानी ना लें पानी सदैव 1 घंटे बाद पीना चाहिए। क्योंकि भोजन के साथ जाने वाला अधिक पानी भोजन पचने में रुकावट पैदा करता है और इसके कारण शरीर में अत्यधिक गैस उत्पन्न हो जाती है जो न सिर्फ भोजन को सडाती है। आपके जीवन में अत्यधिक कष्ट ले आती है इसलिए सदैव भोजन के साथ में पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। भोजन करने के तकरीबन 1 घंटे के बाद ही पानी को पीना चाहिए। अगले भाग में हम लोग जानेंगे कि पेट की गैस को किस प्रकार जान सकते हैं, उसका परीक्षण किस प्रकार से होता है और किस प्रकार से उसके अन्य निदान किए जा सकते हैं। अगर आज का वीडियो-पोस्ट आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
पेट मे गैस बनना भाग 2