नमस्कार गुरु जी, मैं आपसे इस बात की विनती करती हूं कि कृपया मेरा नाम और पता बिल्कुल भी डिस्क्लोज ना करें। क्योंकि? मैं नहीं चाहती कि कोई भी मेरे या उस लड़की के बारे में जान सके। हालांकि मैंने यहां पर। उस लड़की का नाम छिपा दिया है उसे आप वृंदा कह सकते हैं। तो गुरु जी बात कुछ साल पहले की है। मेनका मेरी खास सहेलियों में से एक थी जो मेरे पड़ोस में ही रहती थी। उसकी एकमात्र बेटी वृंदा को मैं भी अपनी बेटी के समान ही माना करती थी। वह भी आंटी आंटी कहती हुई बेहाल रहती कभी मूवी देखने कभी पिकनिक पर जाने और अनेकों दफा मेरे साथ शेरो शायरी में जाती थी। मैं छुट्टी के दिन कहीं भी जाती तो पता नहीं कैसे वृंदा वहां आ धमकती थी कि आंटी मैं आऊंगी। वृंदा 16 साल की बहुत ही सुंदर लड़की थी। बाहर के लोग तो उसे मेरी ही बेटी समझते थे। उस दिन रविवार था। मुझे व्याख्यान देने जाना था। सुबह-सुबह वृंदा अंदर आते ही बोली आंटी आप आज कहां जा रहे हैं। मैंने उसे टालते हुए कहा, आज का मौसम ठीक नहीं है। ड्राइवर भी छुट्टी पर गया हुआ है। तू मेरे साथ नहीं जाएगी। मगर मेरी उसके सामने एक भी ना चली और हम दोनों बस से अपने गंतव्य की ओर चल पड़े। जैसा की उम्मीद थी। घनघोर वर्षा शुरू हो गई।
सम्मेलन समाप्त होने से कुछ पहले ही मैं अनुमति लेकर वहां से रवाना हो गई थी। रास्ते में घुटनों तक पानी भरा हुआ था। वृंदा मेरे साथ थी इसलिए मैं कुछ चिंतित भी थी। हम दोनों किसी तरह बस स्टैंड पहुंच गए। मगर बस नहीं मिली। कुछ लोग थे जो धीरे-धीरे अपने रास्ते पर जा रहे थे। बारिश रुक रुक कर हो रही थी। मैंने वृंदा के घर फोन लगाया पर नेटवर्क भी नहीं लग रहा था। रात गहरी होती जा रही थी। मैंने बस का और इंतजार करना ठीक नहीं समझा। कुछ सोचा कुछ दूर पैदल चलकर ऑटो वगैरह मिल जाए तो रिजर्व कर लूंगी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं वृंदा को अपने साथ लाई थी। रास्ते में कारे पानी उछालती हुई सरपट दौड़ी जा रही थी। किसी अनजान कार को रोकने का साहस मुझ में नहीं था। कुछ दूर चलते चलते अचानक सामने से ही खाली स्टाल पर कुछ लोग। ठहाके लगाते हुए और गाना गाते नजर आ रहे थे। उनके हसने की आवाज से मेरी रूह अंदर तक कांप गई क्योंकि वे लोग शराब पी रहे थे। मैं वृंदा के साथ उनके सामने से गुजरना नहीं चाहती थी। शायद उनमें से किसी की नजर हम पर पड़ गई। सब पीछे मुड़कर देखने लग गए। हम दोनों! जल्दी-जल्दी बगल की एक गली में प्रवेश कर गए। अंधेरे में हमने अनुभव किया कि हमारे पीछे कई सारे लोग आ रहे हैं। बीच-बीच में मोबाइल की रोशनी चमक उठती। वह लोग गाली बकते हुए हम लोगों का पीछा कर रहे थे। भीतर ही भीतर में कांप रही थी। वृंदा का हाथ पकड़े अत्यधिक तेजी से मैं चल रही थी। किधर जाऊं किस से मदद मांगती कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अचानक अत्यंत तेजी से बारिश होने लगी। हम दोनों एक क्षण के लिए भी नहीं रुके करीब दौड़ते हुए आगे बढ़ रहे थे। वह लोग हमारा पीछा तेजी से करने लगे। उस बारिश में रास्ता मकान गली चौराहे कुछ भी नहीं सूझ रहा था। हम दोनों केवल आगे बढ़ते चले जा रहे थे। अचानक बिजली कड़की तो मुझे एक स्थान दिखाई दिया। हम दोनों वहीं पर रुक गए। अब हमारे आगे पीछे शायद कोई नजर नहीं आ रहा था।
उस पार्क के अंदर एक गेट था। वृंदा गेट के अंदर कूद गई। मैं बहुत कोशिश कर रही थी कि उसकी सहायता से मैं भी अंदर जा पाऊं। लेकिन बड़ी मुश्किल बादी मैं अंदर खुद पाई। वह स्थान एक श्मशान घाट का गेट था।
वहां अंदर घने वृक्ष लगे हुए थे। मैं एक घने वृक्ष के नीचे जाकर गीली मिट्टी पर बैठ गई। फिर मैंने अपने बैग से मोबाइल निकाला। पर मेरा हाथ खाली था मेरा बैग कब मेरे हाथ से गिरा कुछ नहीं पता चला। वृंदा के घर वाले परेशान होंगे मगर मैं कुछ भी नहीं कर सकती थी। वृंदा के साहस की दाद देनी होगी कि वह उस कठिन परिस्थिति में भी डर नहीं रही थी और मुझे समझा रही थी लेकिन अगले ही पल मैंने देखा वह लोग। उस दीवार को और गेट को फांद कर मेरे नजदीक आ रहे थे। पता नहीं उन लोगों का इरादा क्या था। शायद मेरे साथ इस खूबसूरत बच्ची को देखकर उनके मन में कुछ गलत भावनाएं आ गई थी। अब हम लोग क्या करते कुछ समझ में नहीं आ रहा था। तभी अचानक से जो हुआ वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। ऊपर पेड़ से एक औरत धीरे-धीरे नीचे उतरती हुई हमारे पास आई। जैसे ही मैंने उससे लाल कपड़े पहने और हल्की-फुल्के बदन खुले हुए शरीर वाली लड़की को देखा। मैं आश्चर्य में पड़ गई। मैं इससे पहले कि कुछ कहती वह बोली तुम लोग यहां इस समय क्या कर रहे हो? मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैंने उसके पैर पकड़ लिए। और मैं उससे कहने लगी। हमारे पीछे गुंडे पड़ गए हैं। मैं इस लड़की की इज्जत बचाना चाहती हूं। इस पेड़ के अलावा हम भाग कर कहीं नहीं जा पाए। आप मेरी मदद कीजिए। अपने घर वालों को बुला लीजिए। उसने कहा, इसकी आवश्यकता नहीं है।
तभी वहां पर उन सभी लोगों ने आकर हम सब को घेर लिया और कहा, अब तो तीन-तीन खूबसूरती सामने खड़ी है। और हम इन तीनों का ही बारिश के मौसम में पूरा आनंद लेंगे। लेकिन यह बात उस स्त्री को पसंद नहीं आई। उसने जोर से गुस्से में कहा। यहां से चले जाओ। इससे पहले कि मुझे गुस्सा आ जाए।
वह सब हंसने लगे।
मैंने उस स्त्री का हाथ पकड़ लिया। साथ में वृंदा ने भी उसका हाथ पकड़ लिया और उससे कहा, अब हम लोग नहीं बचेंगे।
लेकिन अगले ही पल जो चमत्कार घटित हुआ उसे देखकर हर व्यक्ति।
घबरा जाता।
उस स्त्री ने अपनी गर्दन पूरी 180 डिग्री मोड़ते हुए। पीछे की ओर कर दी और उसके पैर भी मुड़ गए।
ऐसा करते देख वहां खड़े सारी शराबी। होश में आ गए। वह ऐसे भागे जैसे कि शेर को देखकर मेमने भागते हैं।
उन सब को देखकर भागते हुए जैसे ही मैंने उस स्त्री को देखा और साथ में वृंदा ने देखा। हम लोग इतना डर गए कि उसी वक्त बेहोश हो गए।
पता नहीं कब सुबह हुई?
जब हम लोगों की आंखें खुली तो हम उस पेड़ के नीचे। पड़े हुए थे। लेकिन वहां पर वह स्त्री भी नहीं थी। और ना ही वह लोग थे। मैंने तुरंत अपने।
घरवाले को फोन लगाया क्योंकि पास ही एक PCO था। उस जगह जाकर मैंने अपने पति को फोन लगाकर सारी बात बताई। वह जल्दी से गाड़ी लेकर आ गए और फिर उस रात हम लोग। कैसे बचें आज भी मैं यह सोचती हूं। वह स्त्री कौन थी, पता नहीं गुरु जी। आपको क्या लगता है? वह कौन थी आप बताइए? यह मेरा एक सत्य अनुभव है जो मैं आपके साथ शेयर कर रही हूं? बच्ची पर कोई उंगली ना उठाएं और मुझ पर भी लोग ना हंसे इसीलिए मैं अपना नाम और पता आप को छिपाने के लिए कह रही हूं।
नमस्कार गुरु जी!
मुझे लगता है कि वह बरगद या किसी और वृक्ष की। एक शक्तिशाली यक्षिणी थी जो उस वृक्ष पर निवास कर रही थी और इनकी सहायता के लिए उसने मानव शरीर धारण कर इनकी रक्षा भी की क्योंकि यह उनके पैरों में गिर गई थी। अगर ऐसा ही कभी आपके जीवन में कोई घटना घटी हो तो आप भी मुझे अवश्य ही अपने अनुभव भेजें। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।