प्रेत जब 14 साल नौकर बना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक अनुभव लेने जा रहे हैं। जिस अनुभव के माध्यम से हमें प्रेत के वशीकरण और उसके साथ रहने की एक कहानी का पता चलता है। चलिए शुरू करते हैं। इस पत्र को पढ़ना और जानते हैं कि क्या है यह अनुभव नमस्ते गुरुजी, कृपया मेरा नाम पता ईमेल और बाकी जानकारियां साझा ना करें क्योंकि कुछ लोग इन चीजों पर विश्वास नहीं करते और मजाक बनाते हैं, लेकिन यह एक सत्य घटना है। जो मैं आपको बताना चाहती हूं गुरु जी। मेरी नानी के! जो ससुर थे वह पुलिस में काम करते थे। यह अंग्रेजों का समय था। मैं उनको नहीं जानती लेकिन अपनी नानी से उनके विषय में मैंने जानकारी प्राप्त की है। वह! अधिकतर जंगलों में क्रांतिकारियों को ढूंढा करते थे क्योंकि अंग्रेजों ने उन्हें ऐसा ही करने के लिए कहा था और इनका पूरा एक दल था जो छुपे हुए क्रांतिकारियों को ढूंढने के लिए इधर-उधर जाया करता था। एक बार इन्हें अपने बाकी साथियों से अलग रहना पड़ा और फिर उन्हें एक जगह जाना था। उन्होंने इस बात की छुट्टी अपने मुख्यालय में की और वहां से उन्हें छुट्टी मिल गई क्योंकि दिवाली की रात नजदीक आ रही थी और शायद त्रयोदशी या चतुर्दशी रही होगी। इसीलिए! उन्हें छुट्टी मिल गई थी। वह रात के समय में एक जंगल से होकर के गुजर रहे थे। उनके पास खाने का कुछ सामान और हथियार वगैरा थे। गुरुजी वह जब एक कुएं के पास पहुंचे। तो उन्होंने सोचा कि उन्हें यहां पर भोजन खा लेना चाहिए क्योंकि यहां पर जंगल में पानी की व्यवस्था हो गई है। कुवे से पानी लेकर और उनके पास जो भोजन है, दोनों का अच्छी प्रकार से यहां पर प्रबंधन हो जाएगा। इसलिए उन्होंने उस स्थान पर रुकना ठीक समझा। रात अंधेरी थी और ज्यादा कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था। कि तभी वहां पर एक व्यक्ति। सफेद धोती पहने उनके पास आया। वह काफी गंदा था। उसके शरीर पर मिट्टी और कीचड़ इत्यादि लगा हुआ था। वह आकर कहने लगा। बाबू बहुत दिनों से भूखा हूं। आप मुझे थोड़ा भोजन करवा देते तो मैं तृप्त हो जाता। पहले तो उन्होंने इसकी और ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन फिर कई बार उसने जब प्रार्थना की तो उनका हृदय पसीज गया। और मेरी नानी के ससुर उस पर दया दिखाते हुए कहने लगे। मैं तुझे खाना अपना दे दूंगा। लेकिन मेरी एक शर्त है। पहले तू इस कुएं से अच्छी प्रकार नहा धोकर और कपड़े साफ करके मेरे पास आकर खाने के लिए बैठ क्योंकि खाना एक पवित्र चीज होती है और ऐसी गंदी अवस्था में तुझे भोजन नहीं करना चाहिए। तब वह कहने लगा, मैं गंदा हूं। आप ही मेरे लिए इस कुएं से पानी निकाल देते तो अच्छा होता। तब मेरी नानी के ससुर उस पर दया दिखाते हुए उसे कहने लगे ठीक है। मैं तेरे लिए अब पानी निकाल देता हूं। उन्होंने उस कुएं में लगी हुई बाल्टी को अंदर कुएं के डाला और वहां से बाल्टी में पानी। भरकर निकाला और उसके बाद फिर उस पर पानी डाला। इससे उसके कपड़े भी गए और उसने अपनी फोटो निकाल कर साफ करके एक तरफ पेड़ पर लटका दी। और अब वह शुद्ध हो चुका था, इसलिए मेरे नानी के ससुर के पास जाकर उनसे भोजन मांगने लगा। तब उन्होंने उसे अपना आधा भोजन दे दिया और कहा कि लो इसे खा लो। जैसे जैसे वह उसे खा रहा था, वह बहुत जोर से खुश होने लगा। ऐसा लगा जैसे कि किसी को जन्मों से भोजन प्राप्त हुआ हो। यह देखकर वह भी आश्चर्यचकित रह गए और उससे पूछने लगे कि तू! कहां पर रहता है तो वह कहने लगा। यही थोड़ी दूर पर मैं एक पेड़ के पास रहता हूं। तब उन्होंने कहा, चल ठीक है भोजन अच्छी प्रकार कर तब उसने भोजन किया। तभी वहां पर मेरी नानी के ससुर को। देखने के लिए। कुछ पुलिस वाले आ गए क्योंकि उन्हें भी पास के एक गांव में जाना था और इन सब की नौकरी एक ही जगह पर थी। लेकिन गांव अलग-अलग थे तब जैसे ही उन्होंने प्रकाश इनकी ओर किया। उन्होंने कहा कि दोस्तों आओ तुम लोग भी आकर यहां बैठो पानी पियो और खाना खाओ। हालांकि मेरे पास खाना अब नहीं बचा है। मैंने इसे दे दिया। तभी उनके साथ के वहां पर मौजूद साथी लोग कहने लगे। तुमने अपना भोजन किसे दिया तो वह कहने लगे। इस व्यक्ति को दिया तो लोगों ने जो उनके साथ ही थे, पूछा कहां है वह? तो फिर उन्होंने पलट कर इधर-उधर देखा तो वह वहां पर मौजूद नहीं था। तब उन्हें ऐसा लगा शायद यह डर कर कहीं चला गया है क्योंकि पुलिस को देखकर अधिकतर लोग डर जाते थे और क्या पता यह कोई क्रांतिकारी ही रहा हो। इसलिए उनके मन में एक विचार आया कि अगर फौजी कुत्तों का इस्तेमाल किया जाए तो ऐसे लोगों को पकड़ा जा सकता है। इसलिए पेड़ पर लटक रहे उसकी सफेद रंग की धोती को उन्होंने अपने पास रख लिया और फिर वह अपने साथियों के साथ गांव की ओर चल दिए। गांव में पहुंच कर उन्होंने वह कपड़ा एक जगह जाकर रख दिया। इतने मे वही व्यक्ति उनके पास आकर खड़ा हो गया और कहने लगा। कल आपने मुझे भोजन दिया था। अब मुझे दोबारा भोजन दो। तब? मेरी नानी के ससुर जी ने उसे कहा, तुम मेरे पीछे पीछे यहां तक कैसे चले आए? तो वह कहने लगा कि अब तो मैं आप से जुड़ गया हूं आपकी कोई चीज थी वह अब आप ने ले ली है। और उससे कहीं आपने रख दिया है या तो आप मुझे वह दीजिए या फिर मैं अब आपके साथ ही रहूंगा। तब मेरी नानी के ससुर ने ऐसा सोचा कि चलो इसकी मदद ही कर देते हैं। उन्होंने कहा, मेरे खेत में नौकर नहीं है और काम करने वाला कोई चाहिए। अगर तुम रोज काम करो। तो मैं तुम्हें यहां रहने और खाने को दे सकता हूं। वह तुरंत मान गया और 43 बीघे की जमीन को जोतने और उस पर फसल उगाने का कार्य उसे दे दिया गया। अब जो हुआ उससे सारे लोग। आश्चर्य में आ गए। उसने 43 बीघा जमीन सिर्फ कुछ घंटों में ही जोत दी और उसकी मेहनत से फसल भी लहलहा गई। धीरे-धीरे मेरे! उन पूर्वज को इस पर शक हुआ कि यह कोई इंसान नहीं है। और उन्होंने 1 दिन रात के वक्त इसे एक पेड़ पर जाकर बैठ कर गायब होते हुए देखा तो समझ गए कि यह कोई प्रेतात्मा है तब उन्होंने चुपचाप। उसके कपड़े को जमीन के अंदर दफना दिया। इस प्रकार 14 साल तक वह। हमारे परिवार का नौकर बना रहा और उसकी वजह से। बहुत अच्छी फसल और सारे काम होते रहते थे। उस वक्त 90 भैसे उनके पास थी और उनको वह अकेले ही सबको संभालता था। एक दिन अचानक से वर रोते हुए आया और कहने लगा आज वह जा रहा है पर उसको अपने परिवार को छोड़ने का मन नहीं है। सब ने उससे पूछा, क्या हुआ तो वह अपना कपड़ा दिखाते हुए कहने लगा। मुझे मेरा कपड़ा मिल गया है और अब जाना होगा उसके बाद सब ने देखा कि वह खेत की तरफ गया और सबकी आंखों के सामने ही अदृश्य हो गया। उससे सबको इतना प्रेम हो गया था कि पूरा परिवार रोने लगा और वह खुद भी रो कर वहां से गया था। प्रेतों में भी इंसानियत होती है और उनके मन में भी मनुष्यों की भावनाएं आ जाती हैं। अपने परिवार को छोड़कर जाते वक्त वह रो रहा था। यह एक पूरी तरह सत्य घटना है जो नानी ने मुझे बताई थी। अब आज के लोग इसे माने या ना माने यह उन पर निर्भर करता है। नमस्कार गुरु जी! संदेश-तो देखिये यहां पर आपने जाना कि कैसे प्रेत ने इनके पूरे परिवार का साथ दिया कार्य किया और अपने कपड़े को लेने के लिए ही वो यहां रुका रहा था।तो यह एक ऐसी पुरानी सत्य घटना है जो उदाहरणों में इसी प्रकार हम को देखने को मिलती है। तो यह वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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