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बजरंग बाण पाठ और साधना

नमस्कार दोस्तो धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मेरे पास इसकी बहुत समय से मांग हो रही थी कि मैं बजरंग बाण पर पोस्ट करूँ यह एक पूरी तरह से एक संपूर्ण पाठ होता है l बजरंगबली का यह बहुत शुभ पाठ होता है और एक साधिका है उन्होंने विशेष रूप से मुझसे पूछा है तो इसलिए मैं आज इसी विषय पर वीडियो पोस्ट बना रहा हूं इसका क्या तरीका है वह मैं आपको बता रहा हूं .बहुत ज्यादा तांत्रिक तरीका अपनाने की जरूरत नहीं है इसे सहजता से कर सकते हैं. जो भी हनुमान जी में विश्वास रखता है आस्था रखता है इससे हनुमान जी की कृपा चाहता है वह इसका जाप करे –

बजरंग का मतलब होता हनुमान और बाण का मतलब होता है तीर हनुमान जी के नाम का तीर चलता है, क्योंकि हमेशा वायु में गमन करने वाले देवता है वायु देवता इनके पिता है इसलिए इनके बाण को रोकने का सामर्थ्य किसी मैं भी नहीं है लेकिन गलत कार्यों के लिए इनके बजरंग बाण का प्रयोग नहीं करना चाहिए .सफलता प्राप्ति के लिए बजरंग बाण एक दुर्लभ प्रयोग है किसी भी देवता का पाठ आपको गलत कार्य के लिए प्रयोग नहीं करना है अगर आप स्वयं की रक्षा के लिए इसका पाठ करेंगे तो यह बहुत ही उत्तम होगा. ऐसा करने पर हनुमान जी आपकी रक्षा-सुरक्षा करेंगे और आपके बिगड़े हुए कार्य को बनाएंगे. अगर आप भगवान राम के मंदिर में बैठकर जहां पर हनुमान जी की मूर्ति हो, अगर इसका जाप करेंगे तो आपको विशेष लाभ मिलेगा चलिए पढ़ते हैं और सुनते हैं कि आप कौन सा पाठ है और इस पाठ से क्या लाभ मिलता है एक दोहा आता है-

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

सिया पति राम जय जय राम मेरे प्रभु राम जय जय राम।।

चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।

बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

जय जय लखन प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।

ऊँकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब कांपै।।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

दोहा

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।।

सिया पति राम जय जय राम मेरे प्रभु राम जय जय राम।।

किसी भी शुभ काम की सिद्धि के लिए आपको सबसे पहले मंगलवार से यह शुरू करना है सबसे पहले आप हनुमान जी की एक मूर्ति ले लीजिए और एक बाजोट पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित कर दीजिए और फूल माला पहना दीजिए. आपको बैठने के लिए कुशा का आसन लेना होगा और शुद्ध स्थान का चयन कर लीजिए. इसके लिए वातावरण पूरी तरह से शांत होना चाहिए अगर आप घर पर नहीं कर सकते तो किसी मंदिर में जाकर करे । हनुमान जी की साधना में दीपदान का भी विशेष महत्व है और 5 प्रकार के बने हुए अनाज की बत्ती का उपयोग किया जाता है । पांच प्रकार के अनाज इस प्रकार से हैं गेहूं चावल मूंग उड़द काला तिल ।

बजरंग बाण की साधना से पहले आपको इन पांच प्रकार के अनाज को एक-एक मुट्ठी लेना है एक मुट्ठी में चावल एक मुट्ठी में गेहूं एक मुट्ठी में उड़द एक मुट्ठी में काला तिल एक मुट्ठी में चना इन सभी को लेकर आप इनको गंगाजल में भिगा लीजिए । साफ पानी लेकर भिगो लीजिए और साधना वालेे दिन आप इन सबको पीसकर के एक दिया बना लीजिए और इसकी बत्ती के लिए आपको कलावा लेकर अपने बराबर नाप कर पांच बार मोड़कर उसको प्रयोग में लाना है जलानेे के लिए ।धागे को सुगंधित तेल में डालकर दीपक जलाना है । यह दीपक पूरी साधना काल में चलता रहना चाहिए अगर आप 21 दिन का संकल्प लेते हैं तो आपको यह दीपक 21 दिन तक जला के रखना होगा । अखंड दीपक बूझना नहीं चाहिए या तो आप सिर्फ मंगलवार-मंगलवार और शनिवार-शनिवार को कर सकते हैं क्योंकि विशेष दिन होते हनुमान जी की साधना के लिए ।

हनुमान जी को गुगल  की धूनी बहुत पसंद है इसलिए आप साधना कल में गूगल जलता रखिए और साधना से पहले आप संकल्प अवश्य ले लीजिए । सबसे पहले गणेश जी की एक माला उसके बाद गुरु मंत्र का एक माला, उसके बाद भगवान राम की एक माला जाप करके यह साधना शुरु कर सकते हैं। अगर आपकी मनोकामना पूरी हो जाती है तो आपको हनुमान जी के निमित्त कुछ न कुछ करते रहना चाहिए । आपको जप करते हुए हनुमान जी का शुद्ध रुप का ध्यान करना चाहिए जिनको याद है वह बजरंग बाण बोल सकते हैं और जिनको नहीं याद है वह देखकर किताब से बोल सकते हैं इससे फायदा क्या है ?अगर आपके शत्रु हैं जो आपसे जलते हैं तो आप मंगलवार के दिन बजरंग बाण का 11 बार पाठ करेंगे तो आपके शत्रु दबते हैं।

अगर आप रोज पढ़ते हैं तो आपको भय नहीं होगा किसी भी चीज का और दिल की बीमारी है जिसको भी उसको भी फायदा मिलेगा । अगर आप इसका रोज एक ग्यारह बार पाठ करेंगे तो जिनको ब्लड प्रेशर है और जो बच्चे कमजोर है या किसी ही काम को करने से पहले डर जाते हैं उनके अंदर आत्मविश्वास नहीं है तो बजरंग बाण का पाठ करने से यह सारी समस्याएं दूर होती है । अगर आप कही इंटरव्यू देने जा रहे हो तो आप बजरंग बाण का पांच बार पाठ करके जाएंगे तो आपके काम बनेंगे और अगर आपके किसी काम में बार-बार अडचन आ रही है तो आप शनिवार के दिन बजरंग बाण का पाठ 21 वार पाठ करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी । अगर आपका कोई व्यापार है और उसने बार-बार रुकावट आ रही है तो आप अपने व्यापार स्थल पर मंगलवार को लगातार 8 मंगलवार जाप करें या किसी योग्य पंडित से करवाएं ।

ऐसा करने से अगर कोई रुकावट आ रही होगी तो वह भी समाप्त हो जाएगी और आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी । इसकी सिद्धि के लिए आपको लगातार है 21 दिन तक 21 बार बजरंग बाण का पाठ करना होगा। या तो आप रोज  ग्यारह या 21 बार इनकी कृपा प्राप्त के लिए कर सकते हैं । इसी प्रकार से चालीसा भी होता है आपको इसमें  40 दिन तक आपको इसमें रोज नियम से 41 बार चालीसा का पाठ करना होता है ऐसा करने पर आपको सिद्धि मिलती है पर इसमें आपको तांत्रिक परीक्षाओं से भी गुजरना होता है पर जो मैंने बताया है इसमें परीक्षाएं नहीं होती इससे आपको लाभ प्राप्त होगा और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होगी अगर आपको यह जानकारी पसंद आई है तो धन्यवाद।।

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