बटुक भैरव चालीसा सिद्धि
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। बहुत समय के बाद हम एक बार फिर से चालीसा साधना को लेकर आए हैं और अगर यह साधना भैरव जी की हो तो निश्चित ही इस में लाभ प्राप्त होता है। बटुक भैरव सभी भैरवों के स्वामी माने जाते हैं। इसी कारण से इनकी साधना और उपासना सदैव ही फलदाई होती है। तांत्रिक साधनाएं बहुत हैं, लेकिन सभी जन आसानी से होने वाली साधनाएं ही कर पाते हैं और तांत्रिक साधना करने की क्षमता सब में नहीं होती।
ऐसे में हम चालीसा का उपयोग कर सकते हैं। जिसके माध्यम से हम किसी भी देवता को सात्विक तरीके से प्रसन्न कर सकते हैं। आखिर कैसे जपेंगे संपुट मंत्र के साथ बटुक भैरव चालीसा? और इसका विधान क्या है? चलिए शुरू करते हैं।
चौपाई के रूप में। इस प्रकार से पढ़ें और साथ ही संपुट मंत्र लगाते जाए।
जय जय श्रीकाली के लाला।रहो दास पर सदा दयाला॥
भैरव भीषण भीम कपाली।क्रोधवन्त लोचन में लाली॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
कर त्रिशूल है कठिन कराला।गल में प्रभु मुण्डन की माला॥
कृष्ण रूप तन वर्ण विशाला।पीकर मद रहता मतवाला॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
रुद्र बटुक भक्तन के संगी।प्रेत नाथ भूतेश भुजंगी॥
त्रैलतेश है नाम तुम्हारा।चक्र तुण्ड अमरेश पियारा॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
शेखरचंद्र कपाल बिराजे।स्वान सवारी पै प्रभु गाजे॥
शिव नकुलेश चण्ड हो स्वामी।बैजनाथ प्रभु नमो नमामी॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
अश्वनाथ क्रोधेश बखाने।भैरों काल जगत ने जाने॥
गायत्री कहैं निमिष दिगम्बर।जगन्नाथ उन्नत आडम्बर॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
क्षेत्रपाल दसपाण कहाये।मंजुल उमानन्द कहलाये॥
चक्रनाथ भक्तन हितकारी।कहैं त्र्यम्बक सब नर नारी॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
संहारक सुनन्द तव नामा।करहु भक्त के पूरण कामा॥
नाथ पिशाचन के हो प्यारे।संकट मेटहु सकल हमारे॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
कृत्यायु सुन्दर आनन्दा।भक्त जनन के काटहु फन्दा॥
कारण लम्ब आप भय भंजन।नमोनाथ जय जनमन रंजन॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
हो तुम देव त्रिलोचन नाथा।भक्त चरण में नावत माथा॥
त्वं अशतांग रुद्र के लाला।महाकाल कालों के काला॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
ताप विमोचन अरि दल नासा।भाल चन्द्रमा करहि प्रकाशा॥
श्वेत काल अरु लाल शरीरा।मस्तक मुकुट शीश पर चीरा॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
काली के लाला बलधारी।कहाँ तक शोभा कहूँ तुम्हारी॥
शंकर के अवतार कृपाला।रहो चकाचक पी मद प्याला॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
शंकर के अवतार कृपाला।बटुक नाथ चेटक दिखलाओ॥
रवि के दिन जन भोग लगावें।धूप दीप नैवेद्य चढ़ावें॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
दरशन करके भक्त सिहावें।दारुड़ा की धार पिलावें॥
मठ में सुन्दर लटकत झावा।सिद्ध कार्य कर भैरों बाबा॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
नाथ आपका यश नहीं थोड़ा।करमें सुभग सुशोभित कोड़ा॥
कटि घूँघरा सुरीले बाजत।कंचनमय सिंहासन राजत॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
नर नारी सब तुमको ध्यावहिं।मनवांछित इच्छाफल पावहिं॥
भोपा हैं आपके पुजारी।करें आरती सेवा भारी॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
भैरव भात आपका गाऊँ।बार बार पद शीश नवाऊँ॥
आपहि वारे छीजन धाये।ऐलादी ने रूदन मचाये॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
बहन त्यागि भाई कहाँ जावे।तो बिन को मोहि भात पिन्हावे॥
रोये बटुक नाथ करुणा कर।गये हिवारे मैं तुम जाकर॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
दुखित भई ऐलादी बाला।तब हर का सिंहासन हाला॥
समय व्याह का जिस दिन आया।प्रभु ने तुमको तुरत पठाया॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
विष्णु कही मत विलम्ब लगाओ।तीन दिवस को भैरव जाओ॥
दल पठान संग लेकर धाया।ऐलादी को भात पिन्हाया॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
पूरन आस बहन की कीनी।सुर्ख चुन्दरी सिर धर दीनी ॥
भात भेरा लौटे गुण ग्रामी।नमो नमामी अन्तर्यामी॥
ॐ बं बटुक भैरवाय नमः
इसका जो दोहा है। इस प्रकार से आता है।जय जय जय भैरव बटुक,स्वामी संकट टार।
कृपा दास पर कीजिए,शंकर के अवतार॥
जो यह चालीसा पढे,प्रेम सहित सत बार।
उस घर सर्वानन्द हों,वैभव बढ़ें अपार॥
तो इस प्रकार से भैरव जी की यह चालीसा का पाठ किया जाता है और साथ में हम इनके संपुट मंत्र का जाप करते हैं ताकि चालीसा की उर्जा कई गुना बढ़ जाए और इसके माध्यम से आप कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं। कहते हैं अगर चालीसा का 40 बार पाठ पूरे 40 दिन तक किया जाए तो भैरव सिद्धि प्राप्त की जा सकती है और इसके लिए आप रुद्राक्ष की माला पर इनके मंत्रों का जाप सामने भैरव जी की स्थापित मूर्ति हो या फिर कोई भैरव मंदिर हो जहां पर आप यह साधना कर सकें। इसके अलावा साधना के दौरान ब्रह्मचर्य पालन करते हुए भैरव विषय कार्यक्रमों को करें। यानी भैरव जी के! जैसे ही कपड़े यानी काले कपड़ों को पहनकर काले ऊन के आसन पर बैठे हैं या फिर किसी भी भेड़े की चर्म पर भी बैठ सकते हैं यानी भेड़े उसकी अगर खाल मिल जाए तो उस पर बैठकर साधना करने से अधिक लाभ और सिद्धियां जल्दी प्राप्त होती हैं और सामने जब आप इस साधना को कर रहे हैं तो अखंड सरसों के तेल का दीपक स्थापित करें जो पूरे 40 दिन तक जलता रहे तो निश्चित इससे सिद्धि प्राप्त होती है। याद रखें उस दीपक पर आपके अलावा किसी अन्य की नजर ना पड़े। इससे भैरव जी सिद्ध होते हैं और भैरव जी की।
कृपा साधक को प्राप्त होती है। 40 दिन की साधना से साधक में अतुलनीय फल और गुप्त सिद्धि भैरव जी आकर प्रदान करते हैं। इसलिए इस साधना को कोई भी व्यक्ति कर सकता है। लेकिन अगर भूत-प्रेत, योगिनी इत्यादि आपको डराती हैं तो आप भयभीत होकर साधना को ना छोड़े और अगर इस साधना को करना चाहते हैं तो आप अपने गुरु से आज्ञा लेकर के इस प्रयोग को कर सकते हैं। इसमें भैरव जी की कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है। भैरव जी का सबसे शक्तिशाली और जल्दी प्रसन्न होने वाला स्वरूप बटुक भैरव ही है। यह माता के साथ में आपको सदैव चलते हुए नजर आएंगे और उनकी हर अनुकंपा को अवश्य ही अपने भक्तो तक पहुंचाते हैं। अगर कोई व्यक्ति माता का भक्त है तो उसे भैरव जी की भी पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। भैरव और भैरवी की कृपा जिस भी साधक पर होती है उसे माता की कृपा भी अवश्य प्राप्त होती है इसी प्रकार माता की कृपा जिन पर होती है उन पर स्वता ही भैरव और भैरवी की कृपा भी रहती है। इसलिए इन शक्तियों के साथ में ही हम माता के स्वरूप को देखते हैं। इसीलिए इनके मंत्र का जाप और चालीसा का प्रयोग जो कि एक बहुत ही सरल विधि है, प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है और कोई भी साधना को कर सकता है। केवल साधना के दौरान सभी नियमों का पालन करते हुए। आप ब्रह्मचर्य रक्षा! और ध्यान अवश्य करें इसके अलावा काले कुत्ते को अगर पालते हैं तो भी भैरव जी की कृपा अवश्य होती है और उसे आप! साधना के बाद कुछ ना कुछ भोग अवश्य दिया करें। इससे भैरव जी अवश्य ही प्रसन्न होते हैं क्योंकि काले कुत्ते को भैरव जी का वाहन माना जाता है। तो यह था एक सरल प्रयोग भैरव चालीसा सिद्धि का अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।