बलराम सिद्धि साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। यह माह भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी दोनों से संबंधित है। ऐसे में श्री कृष्ण भगवान के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन उनके बड़े भाई बलराम जी के बारे में लोगों को कम ज्ञात है और उनकी उपासना कैसे की जाए। इसके विषय में भी जानकारी का अभाव है। बलदेव छठ के दिन जब इनका जन्म होता है और बलराम जयंती मनाई जाती है। इस दिन से अगर इनकी साधना की जाए तो? अभूतपूर्व लाभ प्राप्त होने के साथ विशेष प्रकार की सिद्धियां बलरामजी प्रदान करते हैं। 17 अगस्त 2022 के दिन इनका बलराम जयंती दिवस है और सबसे बड़ी बात यह है कि यह वही समय है जो गुरु दीक्षा लेने के लिए वर्ष के सबसे उत्तम दिनों में आता है। इसलिए इस दिन गुरु दीक्षा लेने से करोड़ गुना लाभ साधक को प्राप्त होता है। इसलिए ऐसे में अगर बलराम जी की साधना व्यक्ति करता है तो उसे विशेष कृपा, बलभद्र या बलराम जी की प्राप्त होती है। इस संबंध में दुर्योधन और प्राडविपाक नाम के एक ऋषि के बीच में। एक संवाद हुआ था। इनकी साधना को लेकर मैं पहले उसके बारे में आपको बताता हूं। दुर्योधन ने कहा कि है गुरु जी आप सर्वज्ञ हैं कृपया कीजिए कि बलभद्र जी की किस प्रकार से साधना की जाती है तब प्राडविपाक मुनि बोले कुरुराज एक बार गर्ग जी यमुना स्नान की गर्गाचल से चलकर वज्रपुर में पधारे। यमुना जी के तट की ललित लताएं, पवन के प्रभाव से हिल रही थी। पुष्पों के सौरभ से मत्त भ्रमरों के समूह गुंजार कर रहे थे । इस प्रकार के यमुना-तट पर एक निकुंज के नीचे एकांत में श्री गर्गाचार्य भगवान बलराम और श्रीकृष्ण का ध्यान करने लगे । उसी समय गोपियों ने आकर उनको प्रणाम किया। तभी उनको स्मरण हो आया कि हम पूर्व जन्म की नागेंद्र कन्याएं है। तब उन्होंने बलभद्र जी को प्राप्त करने के लिए गर्ग जी इसे सेवा का साधन पूछा, उन कन्याओं की इस अनुपम भक्ति को देखकर। उनके उद्देश्य की सिद्धि के लिए गर्ग जी ने उनकी साधना का रहस्य बताया। इनके संबंध में बहुत सारे। बातें बताएं और यह श्लोक के रूप में प्रसिद्ध हुआ है। तब प्राडविपाक मुनि बोले, हे राजन्, जिससे महाप्रभु बलराम जी प्रसन्न हो जाते हैं। उस बलभद्र पद्धति के नियमों को सुनिए। यह भगवान बलदेव जी सहस्त्र मुख वाले समस्त भूतों के आदेश पर बहुत से दान तीर्थ सेवन से भी उनकी प्राप्ति ना हो सकती। वह तो केवल अनन्य भक्ति से प्राप्त होते हैं। श्री हरि के बड़े भाई और बलराम जी की भक्ति सत्संग के द्वारा शीघ्र प्राप्त हो सकती है। जिसमें प्रेम लक्ष्णा भक्ति का उदय हो जाता है, वही सिद्ध पुरुष है। ब्रह्म मुहूर्त में उठते ही भगवान राम कृष्ण के नामों का उच्चारण करें। फिर गुरुदेव को और पृथ्वी को मन से प्रणाम करके पृथ्वी पर पैर रखें। तदनुसार स्नान आज मन कर के निर्जन में कुशासन पर बैठ जाएं। दोनों हाथ को गोद में रखें और अपने नासिका के अग्रभाग पर दृष्टि जमा कर परम देव सनातन हरि भगवान श्री बलराम जी का ध्यान करें। उनका गौर वर्ण है। उन्होंने नीलांबर धारण कर रखा है। वह वनमाला से विभूषित है। बड़ी मनमोहक मूर्ति है। ऐसे हलधर भगवान बलराम जी को प्रसन्न करने के लिए नित्या उनका ध्यान करना चाहिए। साधक को चाहिए कि वह बाहर भीतर से पवित्र हो। मौन धारण करें और क्रोध का त्याग करके तीनों काल में संध्या वंदन करें। मन में कोई कामना लोभ और मोह न रहे । सत्य भाषण करें । जितेन्द्रिय होकर एक बार केवल पायस का भोजन करें । दो बार जलपान करें |पवित्र रेशमी वस्त्र पहने और जमीन पर शयन करें । इस प्रकार छः शत्रुओं पर विजय प्राप्त करके एकाग्र मन से भजन करने पर सम्पूर्ण कारणों के कारण परिपूर्णतम साक्षात् भगवान श्रीसंकर्षण जी सदा के लिए प्रसन्न हो जाते हैं । हे महाबाहु कौरव राज ! इस प्रकार मैंने महात्मा बलभद्रजी की ‘पद्धति का वर्णन किया, अब तुम और क्या सुनना चाहते हो ? दुर्योधन ने कहा, हे मुनिराज! अब देव देव बलराम जी के पटल को सुनाइये जिसका साधन करने से मैं सदा उनके चरण कमलों की सेवा कर सकूं। प्राडविपाक मुनि बोले, भगवान बलराम जी का महान पटल, गोपनीय और सिद्धि प्रदान करने वाला है। इसे पहले ब्रह्मा जी ने एकांत स्थान में महात्मा नारद जी को दिया था। पहले प्रणव (ऊँ) लिखकर फिर कामबीज (कलीं) लिखना चाहिये । तत्पश्चात् ‘कालिन्दी भेदन और ‘संक्रमण’- इन दो पदों का चतुर्थ्यन्त लिखकर अन्त में स्वाहा जोड़ देना चाहिये । यों करने पर ‘ऊँ क्लीं कालिन्दीभेदनाय संकर्षणाय स्वाहा’ – यह मंत्र बन जाता है । यह षोडशाक्षर मंत्रराज ब्रह्माजी के द्वारा कहा गया है । यह षोडश अक्षर मंत्र राज ब्रह्मा जी के द्वारा कहा गया है। मनुष्य को व्रत लेकर इस मंत्र का 116000 जाप करना चाहिए। इस प्रकार करने पर साधक इस लोक और परलोक में परम सिद्धि को प्राप्त कर लेता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। इस प्रकार से आप यहां पर विशेष रुप से इनके सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए बलराम जी का सही प्रकार से उच्चारण करते हुए और उनके मंत्र को ध्यान पूर्वक जाप करते हुए अगर कोई भी साथ इस मंत्र के द्वारा उनकी इस विधि से पूजन और उपासना करता है तो उन्हें बलराम जी का निश्चित रूप से साक्षात्कार होता है उन्हें बलराम जी की सिद्धि प्राप्त होती है। बलराम का मतलब होता हैं बलशाली राम। इसका मतलब है कि जिसको भी बल प्राप्त करना हो, शक्ति प्राप्त करने की इच्छा है। शरीर को बलवान बनाना चाहता है। मन से महा बलवान होना चाहता है। जो भी व्यक्ति अपनी सामर्थ्य खो रहा है। उसे मानसिक और शारीरिक रूप से शक्तिमान बनना है। उसे श्री बलभद्र जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए और यह दुर्योधन और मुनि के बीच में जो संवाद हुआ है इसके माध्यम से वह साधना की इस मंत्र को विधि विधान से बलराम जी की मूर्ति को अपने सामने स्थापित करके। वनमाला से जाप करते हुए अखंड दीपक जलाते हुए इस प्रकार 116000 बार उनके मंत्रों का जाप करें तो निश्चित रूप से बलराम जी की सिद्धि साधक को हो जाती है। इनकी सिद्धि प्राप्त करने वाला साधक मन शरीर और कार्यों से बहुत अधिक बलवान बनता है। और अगर इनकी पूर्ण सिद्धि हो जाए तो उसमें कई हाथियों का बल आ सकता है। इसलिए इनकी साधना जो भी व्यक्ति करता है, वह अतुलनीय तेज से भर जाता है। इनकी साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय बलराम जयंती का माना जाता है जिसके विषय में मैंने आपको बता दिया है। इससे आप समझ सकते हैं कि इनकी साधना अवश्य ही इस दिन करें। अगर संपूर्ण संकल्प के साथ करते हैं तो सिद्धि की प्राप्ति होती है और अगर इनकी साधना व्यक्ति इनकी जयंती पर करता है तो इनकी कृपा अवश्य ही साधक को प्राप्त होती। बलराम जी को बहुत अधिक बलशाली माना जाता है। इसीलिए जिसे भी शक्ति प्राप्त करने की इच्छा हो और गोपनीय सिद्धियां प्राप्त करना चाहता हो इनके मंत्रों का संकल्प लेकर इस प्रकार। अखंड साधना करें तो बलराम जी उसे साक्षात दर्शन देकर उसके जीवन को कल्याण से भर देते हैं। बलराम जी की साधना करने वाला साधक को सिर्फ इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वह क्रोध पर विजय प्राप्त करें। क्योंकि इनकी साधना करने वाले साधक में क्रोध अधिक मात्रा में आता है क्योंकि इनका यही स्वभाव भी था। इसी कारण से इनकी साधना करने वाला साधक अपने क्रोध पर अगर नियंत्रण रखता है तो फिर उसे कोई युद्ध में पराजित नहीं कर सकता और उसके बल के सामने ना ही कोई टिक सकता है। इनकी साधना करने से समस्त प्रकार की सिद्धियों सहित अतुलनीय तेज शक्ति और भगवत कृपा अवश्य प्राप्त होती है। तो यह थी श्री बलभद्र जी की साधना और उनकी जयंती पर किए जाने वाली एक साधना जिसके माध्यम से उनको प्रसन्न करके सिद्धि प्राप्त की जा सकती है और यह दिवस विशेष रूप से गुरु दीक्षा लेने के लिए भी बहुत ही उत्तम दिन माना जाता है। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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