बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । बाबरा भूत और नवलखा मंदिर की मूलक तांत्रिक आपने दो भाग की कथा जान चुके हैं । आज तीसरा भाग और आज की कहानी और भी ज्यादा आश्चर्यजनक होने वाली है । जैसा की अभी तक हम लोगों ने जाना कि किस प्रकार से मूलक तांत्रिक बाबरा भूत की सिद्धि के लिए उस क्षेत्र में आया था । उसकी पीठ पर एक व्यक्ति ने बैठकर उसकी मदद करनी चाही उसकी मदद को लेकर के वह एक खाई को पार करने लगा । लेकिन उस व्यक्ति ने उससे कहा किसी भी प्रकार से तुम आंखें मत खोलना क्योंकि अगर तुमने आंखें खोली तुम्हें बहुत कष्ट होगा । और तुम कभी भी सफल नहीं हो पाओगे जब उसके पैर में सांप काटने लगा । तो उसे लगा कि अब वह मर ही जाएगा तो डर के मारा उसने आंखें खोल दी जब उसने देखा कि वह हवा में चल रहा है वह घबरा गया । वह खाई में हवा पर चलते हुए पार कर रहा था ऐसा अद्भुत नजारा ऐसी जबरदस्त माया उसने कहीं नहीं देखी थी । लेकिन कहते हैं ना जब माया का असर पूरा हो जाता है । और उसने आंखें खोल दी तो माया कहां रही उसी के साथ माया समाप्त हो गई । जैसे ही माया समाप्त हुई वह नीचे खाई में गिरने लगा जैसे ही उसका शरीर गिरने लगा वह चिल्लाया । अब तो मैं मरा अब तो मैं मरा उसी समय उसकी पीठ पर बैठे हुए व्यक्ति ने कहा अरे गधे तू जिस तरफ जा रहा था ।जिसकी पूजा के लिए जा रहा था उसको पुकार । अगर तू उसका नाम लेगा तो शायद तू बच जाए । ऐसा उसके कानों में जोर से उस पीठ पर बैठे हुए यानी की पीठ पर लादे हुए व्यक्ति ने कहा उसकी बात को सुनकर के मूलक तांत्रिक ने जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया । बाबरा मुझे आकर बचा बाबरा मुझे आकर बचा और जैसे ही उसने तीन बार इस शब्द को बोला गिरते-गिरते अचानक से वह अपने आप को देखता है । तो वह जमीन पर खड़ा है ना वहां खाई थी ना ही कुछ और उसकी पीठ पर बैठा हुआ व्यक्ति हंसने लगा ।
उसको देख कर के मूलक को बड़ा आश्चर्य हुआ मूलक ने कहा मैं तो अभी नीचे गिर रहा था बड़ी पहाड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं नीचे गिरता हुआ जा रहा हूं ।और पता नहीं कितने गहरी होगी मेरा शरीर टकराकर परछक्के उसके उड़ जाते । और ऐसे मै समाप्त हो रहा हूं जैसे पानी से भरा हुआ बर्तन जब नीचे गिरता है उसका सारा पानी निकल जाता है । मुझे बचाने के लिए शुक्रिया आप यह बताइए कि मैंने बावरा का नाम लेकर मैंने अपने आप को बचा कैसे लिया । पीछे पीठ पर बैठे हुए उस व्यक्ति ने कहा अरे तू इस बात की चिंता क्यों करता है मैंने तुझसे कहा ना यह उसके मायाजाल का क्षेत्र है यह उसकी माया होगी जो सारी रची है । अब तो उस और आगे बढ़ और हां बावरा की साधना इतनी आसान होने वाली नहीं है बावरा कुछ भी कर सकता है । वह भगवान शिव की शक्ति प्राप्त उनकी सेना का एक छोटा सा सिपाही है । उसकी सामर्थ बहुत अधिक है वह कुछ भी कर सकता है देख लिया उसकी माया का फल । तुम्हें अपनी आंखों पर विश्वास नहीं तुम तो यूं ही चिल्ला रहे थे यहां कोई और कभी कोई खाई थी ही नहीं । तुम तो सिर्फ उसकी माया मे भ्रमित होकर के खाई को देखने लग गए थे । इसीलिए कह रहा हूं सावधान होकर चलो और जो भी तुम चाहते हो मैं तुम्हें बताऊंगा । लेकिन मुझे लेकर चलो मेरा यह पूरा शरीर मेरा साथ नहीं देता है मैं तुम्हें हर प्रकार से मदद करूंगा । धीरे-धीरे चलते हुए उसकी पीठ पर बैठे हुए उस व्यक्ति को लेकर अंदर में जाने लगा । वहीं पर वह मंदिर जैसे हम नवलखा मंदिर के नाम से जानते हैं आधा बना बनाया वहां पर खड़ा था । जिसे बावरा ने कभी बनाया होगा उसको देख कर के अब मूलक काफी प्रसन्नता से कहा बाबा आप इस पेड़ के नीचे आराम कीजिए । मैं जरा मंदिर का चारों तरफ से दर्शन कर आऊ । वह गया और उस टूटे-फूटे मंदिर जो अभी अधूरा बना हुआ था उसके चारों तरफ चक्कर लगाकर वापस आ गया । बूढ़ा आदमी कह रहा था घूम आए इस पर मूलक ने कहा हां ।
मैं घूम आया कोई आदेश हो तो बताइए क्योंकि आपने मेरी बड़ी सहायता की है । उसने कहा ठीक है बेटा मेरे लिए जल ले आ थोड़ी ही दूर पर जल था । वहां से वह जल लेकर आ गया और उसके सामने रख दिया । उसने कहा थोड़ी सी मिट्टी काटकर ले आ तुझे शिवलिंग बनाना पड़ेगा । मूलक ने कहा बाबा ऐसा क्यों करना होगा । इस पर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा तुझे बावरा की सिद्धि करनी है ना तो तुझे तो महादेव को मनाना होगा । बिना महादेव को मनाए भला बावरा कैसे सिद्ध होने वाला है । मैं तुझे उसका गोपनीय मंत्र भी दूंगा लेकिन मैं जो कहता हूं वह कर सबसे पहले इस मिट्टी से एक शिवलिंग बना और इसी शिवलिंग की तुझे पूजा करनी है । कुछ समय बाद मूलक ने मिट्टी और पानी की सहायता से वहां पर एक शिवलिंग का निर्माण कर लिया । उस शिवलिंग को देखकर वह व्यक्ति बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसने कहा तू सही कर रहा है । तुझ में सच में लग्न है तू जरूर कामयाब होगा लेकिन याद रखना सब कुछ इतना आसान नहीं है ।जैसा कि तू समझता है वह दोनों जब आएंगे तो तेरी कड़ी परीक्षा लेंगी । मूलक ने कहा बाबा ऐसी कौन सी शक्ति है जो मेरी परीक्षा लेंगी उन्होंने कहा आने वाले समय में तू खुद समझ जाएगा । लेकिन याद रखना मैं तेरी कोई मदद नहीं करूंगा मैं अपना मुंह चुप करके रखूंगा । क्योंकि सिद्धि देने वाले गुरु का यही काम होता है वह आगे का मार्ग नहीं बताते सिर्फ रक्षा करता है । वह मार्ग तो तुझे खुद ही चयन करना होगा तू क्या करता है । क्योंकि तेरे प्रारब्ध में भला मैं क्यों पढू अगर मैं पढ़ा तो मैं भी उससे जुड़ जाऊंगा । और मैं भी फस जाऊंगा इसलिए तेरा मार्ग तू जाने बाकी मैं तुझे सब बताऊंगा । उसकी बात को सुनकर के मूलक ने कहा ठीक है बाबा आप मुझे इस के मंत्र कि विधि बताइए और मुझे वह मंत्र बताइए ।
जिससे मैं इस बाबरा भूत को सिद्ध कर सकूं । इस पर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा ठीक है मैं तुझे मंत्र बताता हूं अब तुझे पुष्पों की सहायता से जल की सहायता से और अन्य चीजों की सहायता से भगवान शिव की उसी प्रकार प्रार्थना करनी होगी । जैसे भगवान शिव की आराधना की जाती है लेकिन मंत्र तुझे बाबरा भूत का सिद्धि का करना होगा । मूलक ने कहा बाबा मुझे मंत्र बताइए उस बाबा ने फिर उस मूलक को वह मंत्र सुनाया और कहा । ओम ध्रुम भुतेश्वरा बाबरा भूत सिद्धि मम वषम कुरु कुरु स्वाहा । उसने कहा इस मंत्र को कंठस्थ से कर लेना यह मंत्र तुझे भूतेश्वर भगवान शिव की सिद्धि दिलाएगा । जिसकी वजह से तुझे बाबरा भूत की सिद्धि होगी बाबरा के आने से पहले ही उसकी सेविकाए आ जाएंगी । और उनसे तुझे बचना होगा लेकिन वह जो तुझे कहे वह तुझे करना भी होगा । याद रखना यह सब इतना आसान नहीं जितना समझ में आ रहा है । बावरा इतनी जल्दी सिद्ध नहीं होने वाला और तुझे भी इतनी जल्दी हारना नहीं होगा । तभी तुझे सिद्धि मिलेगी । मूलक ने कहा मैं वचन देता हूं बाबा कैसी भी परिस्थिति आएगी मैं उस परिस्थिति को झेलूंगा । मैं पूरी कोशिश करूंगा कि किस प्रकार से मुझे इस कार्य में सिद्धि प्राप्त हो बस आपके चरणों का स्पर्श करके मैं इस कार्य को शुरू करना चाहता हूं । उस मूलक तांत्रिक को बाबा ने बताया कि तुझे यहां 6 मास तक पूजा करनी होगी इससे पहले बावरा सिद्ध नहीं होने वाला है । उसने कहा ठीक है बाबा तो सबसे पहले क्या करूं । उसने कहा कि जहां पर भगवान शिव का तुमने शिवलिंग बनाया है उसके प्रदर्शना पद को बना उसको अच्छी तरह से उसको अच्छी तरह से निर्मित कर और कल से शुभ मुहूर्त से तुझे प्रार्थना शुरू करनी है । अपने रुकने के स्थान के लिए तुम्हें यहां झोपड़ी का निर्माण करना होगा ऐसी झोपड़ी बना जिसमें तू रह सके और मुझे भी रख सके । वही तुझे अपने भोजन की व्यवस्था करनी होगी यद्यपि यहां पर बहुत सारे कंद मूल फल मिल जाते हैं आराम से खा कर के तू आराम से 6 माह तक जी सकता है ।
पानी की व्यवस्था करनी होगी जल के कारण ही तो इन सब कार्यों को संपन्न कर पाएगा । क्योंकि भगवान शिव को जल रोज अर्पित करना है और जल अर्पित करने के बाद में वहीं पर बैठकर तुझे मंत्र की साधना करनी है । मैं तुझे गोपनीय रक्षा मंत्र देता हूं और उसको जपते रहना उससे तुझे बाद में जो मूल मंत्र है उसकी सिद्धि में आसानी भी होगी । और तेरी रक्षा भी होती रहेगी रक्षा घेरे से बाहर मत निकलना क्योंकि जिस भूत की तू साधना कर रहा है । उसके सहयोगी और बहुत ही बुरी बुरी शक्तियां तुम्हारी शक्तियां कम कर सकती है । उन सब के निकट आने पर वह कैसी भी परीक्षा तुझसे ले सकती है हो सकता है तेरी जान भी चली जाए यानी तेरी जान भी जा सकती है । इन सब को समझ कर ही तू कार्य शुरू कर । मूलक ने बाबा की सारी बातें मान ली और धीरे-धीरे करके वह उस साधना को शुरू करने लगा । उसने वहां पर एक अच्छा सा मिट्टी का शिवलिंग बनाया जो एक ही दिन बाद इतना कड़ा हो गया कि उस पर अगर जल चढ़ाया जाए तो वह गले नहीं । इसी प्रकार से उसने वहां पर एक झोपड़ी का निर्माण किया और घास फूस से उसके अंदर बिस्तारा बनाया जिस पर बूढ़ा बाबा और वो अपनी साधना को पूर्ण कर सकते थे । धीरे-धीरे करके समय बीत ना शुरू हुआ सातवें दिन ही अचानक जब वह साधना कर रहा था । तभी चारों ओर की झाड़ियां हिलने लगी उसने डर के मारे आंखें खोली । और दूर अपने उस व्यक्ति को देखा जो बूढ़ा व्यक्ति था । जैसे ही उसको देखा बाबा ने वही से ही इशारा किया की लगे रहो इनसे घबराने की आवश्यकता नहीं है ।
कोई जंगली जानवर नहीं है बल्कि यह एक माया है । उनके दूर से किए हुए इशारे से समझ कर उसने एक बार फिर से आंखें बंद कर ली और साधना करना शुरू कर दिया । वह साधना करता ही जा रहा था तभी छम छम और धम धम की आवाजें शुरू हो गई । चारों तरफ छम छम और धम धम होने लगी उस छम छम और धम धम को सुनकर के उसका मन एक बार फिर से कि वह आंखें खोल ले । लेकिन गुरु की आज्ञा थी तो उसने ऐसा नहीं किया धीरे-धीरे करके वह छम छम धम धम उसकी और तेजी से आने लगी । छम छम धम धम की आवाजें इतनी तेज होने लगी कि उसे लगा जैसे जिस जगह पर वह बैठा है वह धरती हिल रही है । अब उसके मन में डर और भय का वातावरण पैदा होने लगा और इसी समय अचानक से उसने अपनी आंखें खोल दी । तो सामने उसे दो अत्यंत ही काले रंग की स्त्रियां दिखाई दी । जो की पूर्ण तरह से नग्न थी उनकी शरीर की हड्डियां और मास के बीच में अंतर नजर नहीं आ रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे कि वह आधी हड्डी और आधे मास की बनी हुई है । दोनों ही स्त्रियों के चेहरे बड़े सुंदर थे लेकिन पूरा शरीर काला था । ऐसा काला सा जैसे कि काले रंग से उन्हें पोता गया हो । शरीर हड्डी के समान था पर चेहरा इतना सुंदर था उसने ऐसी स्त्रिया आज तक नहीं देखी थी । जो चेहरे में इतनी अधिक सुंदर हो और बाकी शरीर इतना ज्यादा बेकार । और अद्भुत तरह का दिखने में हो पूरी तरह से नग्न होने के कारण उनके स्तन भी सूखे हुए से और झूले हुए से थे । योनि भी काफी लंबी सी थी । ऐसी स्त्रियों को देख कर के एक तरफ घृणा और एक तरफ भय दोनों की दोनों मूलक के मन में व्याप्त होने लगा दोनों उसके पास चलती हुई आई । और हंसने लगी उनके हाथ के नाखून लंबे थे ।
उन्होंने उनके शरीर को छूना और नाखूनों से खरोचना शुरू किया । यह देख कर के वह घबरा गया उसने जल्दी-जल्दी अपनी उपासना का वही मंत्र पढ़ा और उनसे हाथ जोड़कर निवेदन करने लगा । आप लोग जो भी है कृपया कर शांत हो जाइए । उन्होंने कहा हम शांत होने वाले है ही नहीं और कहा रे नंदा सुन नंदा ने कहा रे चंपा सुन बड़ा ही नाजुक है यह तो बड़ा नाजुक है । चलो इसके साथ कुछ खेल खेला जाए फिर नंदा ने कहा रे चंपा चंपा ने कहा रे नंदा चलो हम दोनों खेल खेलते हैं । और उन भूतनीयों ने वहां पर नित्य करना शुरू कर दिया दोनों भूतनीया नृत्य करते-करते उससे कहने लगी हम तभी जाएंगे जब तुम हमें जल देगा । क्या करें ऐसे ही मर गए थे अब पानी की बड़ी प्यास लगती है नंदा ने कहा अरे चंपा मांग तो पानी इससे । चंपा ने कहा हा नंदा अभी मांगती हूं और उससे वह जल मांगने लगी । मूलक ने कहा मैं जल नहीं दूंगा मेरे लोटे में जल तो है पर मैं तुम्हें भुला क्यों दूं । इतने पर चंपा ने मुलक को तमाचा जड़ दिया तमाचा इतना जोर से था कि उसका सर चकरा गया अब गलती हुई थी तो सजा मिलनी ही थी । मूलक ने कहा ठीक है मैं आपको जल देता हूं और चंपा ने जल पी लिया । नंदा ने कहा रे चंपा तू तो मुंह से जल पी गई । पर मैं तो कहीं और से पियूंगी तो इस पर बड़े ही आश्चर्य से मुलक ने उनकी ओर देखा । और कहा हे देवी आप कहां से पियोंगी । उसने कहा तू सारा जल मेरी योनि में डाल दे । ऐसा सुनकर के मूलक तांत्रिक ने सोचा यह कैसी विडंबना है यह क्या है मैं यह क्या देख रहा हूं । मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा है मूलक तांत्रिक बिल्कुल विस्मित हुआ उनको देख रहा था ।नंदा ने एक बार फिर कहा लगता है दुबारा तमाचा खाएगा ।बेचारा मूलक को कुछ समझ में नहीं आ रहा था । वह क्या करें उसने क्या किया यह भाग हम अगले भाग में जानेंगे ।और इस कहानी का अगला भाग पढ़ने को जल्दी ही मिलेगा । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।