नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग लेंगे एक ऐसे अनुभव को जिस अनुभव के माध्यम से हम जान सकते हैं कि कैसे एक भक्तों की जान बचाने के लिए देवी शक्तियां प्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी पर आ सकती है। पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं। किस प्रकार का यह अनुभव रहा है?
पत्र – नमस्कार गुरु जी! मैं आपको हृदय से प्रणाम करता हूं। क्योंकि आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। कृपया मेरा नाम और पता इत्यादि। ना बताएं? क्योंकि मैं जो कथा आपको सुनाने वाला हूं। यह! केवल मैंने अपने दादा परदादा से सुनी हुई है इसलिए इसका कोई प्रमाण मेरे पास उपलब्ध नहीं है। किंतु मेरी हृदय से यह इच्छा है कि आप इस अनुभव को अवश्य प्रकाशित करें। क्योंकि दादा परदादा झूठ नहीं बोलते। मैं यह अनुभव आपको अपनी मर्जी से साझा कर रहा हूं और इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी है कि इससे पहले या कहीं और प्रकाशित नहीं किया गया है।
गुरुजी! बचपन में हम अधिकतर अपने दादा दादी। इन सब से किस्से और कहानियां सुना करते हैं। मैंने जब से आपका चैनल देखना शुरू किया तब से मुझे पुरानी बातों पर यकीन आने लगा। क्योंकि बचपन में मैंने अपने दादा जी से इस कहानी को सुना था। उन्होंने कहा था कि यह कहानी मैंने स्वयं अनुभव की थी।
इसलिए मैंने उनसे कहा ठीक है। अगर आप कह रहे हैं तो मैं मान सकता हूं। उनको उस जगह पर एक जिन दिखाई दिया था।
इसी कारण से उन्होंने जो पुरानी कहानी सुनी थी, वह मुझे भी बताई मैं आपको आज बताने जा रहा हूं। हुआ यूं था गुरुजी के मैंने जब अपने दादाजी से कोई अच्छी कहानी सुनाने को कहा तो उन्होंने कहा कि हमारे ही गांव में जो आज मेन रास्ता बन चुका है, यह रास्ता कभी जिन्नों के आने जाने का मार्ग हुआ करता था।
सुबह 4:00 बजे गांव के लोग। इस रास्ते पर नहीं जाते थे।
सुबह पखाना करने के लिए कोई और जगह चुनी जाती थी और उस तरफ नहीं जाया जाता था। मैंने इस बात को नहीं माना। मैं 1 दिन में उसी रास्ते की ओर करने चला गया।
तभी मुझे एक लंबा चौड़ा आदमी तलवार लिए हुए आता नजर आया।
उसने मुझे बड़ी जोर से डाटा। लेकिन जब मैंने उसे देखा तो मैं हक्का-बक्का रह गया। क्योंकि वह हवा से कुछ फीट ऊपर खड़ा हुआ था। उसकी लंबाई भी 7:30 या 8 फीट की रही होगी। मैं वहां से भाग गया। इसीलिए मैं तुझे कहता हूं कि यह बात भी सत्य रही होगी। पिछले कई 100 साल पहले ये? स्थान! जिन्नों के आने जाने का मार्ग था। दहशत के कारण लोग इधर से रात में गुजरते ही नहीं थे। लेकिन कुछ बातें ऐसी थी जिसकी वजह से कभी कभी बड़ी ही गड़बड़ियां हो जाया करती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई 100 साल पहले! एक बार एक आदमी देर रात अपने खेत से काम करके वापस लौट रहा था। तभी अचानक से वह रोड आई और उसने उस रोड से गुजरने का मन बनाया। लेकिन वह जानता था कि यह इलाका जिन्नों का है इसलिए जल्दी से उसने रोड क्रॉस की।
पर वही उससे गलती हो गई। अचानक से उसके साथ उसका लाया हुआ। एक कृषि यंत्र वहीं गिर गया।
जब वह भागा तभी उसके हाथ से ऐसा हो गया। वह डर के मारे।
वापस जाने की सोचने लगा। लेकिन सोचा कि शायद अभी जिन्नो की फौज नहीं आएगी। मैं जल्दी से उस कृषि यंत्र को उठा लूंगा। पर ऐसा करने में अगर गलती हो गई तो मेरी मौत भी हो सकती है।
उसने जल्दी से जाकर रोड पर अपने उस गिरे हुए यंत्र को उठाने की कोशिश की, लेकिन तभी जिन्नो की फौज बड़ी ही तेजी के साथ घोड़ों पर सवार होकर दौड़ती हुई उधर की ओर आ रही थी। उन्हें देखकर वह भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन तब तक जिन्नो की नजर उस व्यक्ति पर पड़ चुकी थी। वह जंगल की तरफ उसी दिशा में भागा जिस दिशा से वह आया था। लेकिन जिन अब अपना रास्ता छोड़कर उसी की ओर लपकने लगे। वह भागता चला जा रहा था। पर इधर जिन भी उसका पीछा लगातार करते जा रहे थे। वह भागकर!
अपने घर में दूसरे मार्ग से आ गया, लेकिन जिन्नो की फौज उसके पीछे पीछे उसके घर तक आ गई और घर के चारों तरफ उन्होंने पहरा बिठा दिया।
अब उसने दरवाजे को बंद करके सभी से कहा कुछ भी हो, तुम में से कोई घर के बाहर नहीं जाएगा। घर वालों ने उसकी बात को हल्के में लिया। सबसे पहले उस व्यक्ति की मां घर के बाहर पानी लेने के लिए निकल पड़ी। जो कि पास के कुएं में ही था। जैसे ही जिन्होंने उसे देखा वह उसे मार कर अपने साथ ले गए। काफी देर तक उनकी खोज खबर नहीं आई तो व्यक्ति! अपने किवाड़ को हल्का सा खोल कर देखता है। तभी उसकी पत्नी भी उसे। हल्का सा धक्का देकर बाहर जाते हुए कहती है। मां जी अब तक नहीं आई है और वह बाहर निकल जाती है। कहता है रुक जाओ, लेकिन इससे पहले वह तेजी से बाहर निकल गई और उसके सामने ही जिन्नो ने उसे मार डाला। अपनी पत्नी की मृत्यु अपनी आंखों के सामने देखकर व्यक्ति बहुत अधिक घबरा गया। उसने दरवाजे बंद कर लिए।
जिन्न घर के अंदर नहीं आ रहे थे।
आखिर इसका कारण क्या था?
अगर जिन चाहते तो अंदर आकर सब को मार सकते थे। लेकिन कहते हैं वह रात बड़ी ही खौफनाक थी जिन्होंने गांव में किसी के भी घर के बाहर जिसे भी देखा उसे वह उठा ले गया या मार दिया।
यह बात जब गांव वालों को अगले दिन पता चली तो सब ने उस व्यक्ति को बहुत कोसा। अब इस परेशानी का एक ही हल था। क्योंकि अगली रात फिर जिन वापस आते और गांव के बाहर किसी को भी पाते तो उसे मार डालते। इसलिए गांव वालों ने उसी व्यक्ति को कहा कि तुझे ही अब रात को घर से बाहर निकलना होगा। तेरी हिम्मत से यह संकट टल सकता है। सब के आगे उस व्यक्ति को हार माननी पड़ी और वह अपनी बलि देने के लिए तैयार हो गया। उसके पास और अधिक विकल्प भी तो नहीं था, वह करता तो क्या? शाम होते ही वह अपने घर के पास थोड़ी दूर पर खड़ा हो गया। तभी उसे दूर जिन्नो की फौज आती हुई दिखाई दी। और जैसे ही उसने उस फौज को देखा, वह तेजी से भागने लगा।
और उसके पीछे हो ली उसका मरना लगभग तय था। तभी दूर दौड़ते दौड़ते एक स्थान पर वह गया। वह एक प्राचीन पेड़ था। उस पेड़ पर! वह! जाकर के लिपट गया। और चिल्लाने लगा माता मेरी रक्षा करो क्योंकि वह पेड़ पूजनीय था वहां पर माता की पूजा की जाती थी। देवी मां को उस पेड़ का स्वरूप मानकर उस पर। विभिन्न प्रकार की लाल चुनरिया बांधी गई थी। आश्चर्यजनक ढंग से वह फौज वहीं पर रुक गई हूं। चारों तरफ उस पेड़ के मंडराने लगी लेकिन? उस व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रही थी।
तभी अचानक से सुबह के समय वहां पर उस व्यक्ति की पत्नी आई और कहने लगी कि तुम इसी स्थान पर बैठकर माता की पूजा करो और हमको और तुम्हारी मां को। और इसके साथ गांव के मरे हुए सारे लोगों को मुक्त कराओ। इस प्रकार से उस व्यक्ति ने जो भी मंत्र उसे आते थे उसी पेड़ पर।
उसके नीचे बैठकर बहुत दिनों तक साधना की रोज जिन्नो की फौज वहां आकर खड़ी हो जाती थी।
लेकिन?
वह उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाते थे अंततोगत्वा एक दिन। एक छोटी सी कन्या वहां पर आई जब वह पूजा कर रहा था। उसने कहा। चलो अपने घर चलो।
मैं तुम्हें तुम्हारे घर लेकर चलती हूं। लड़की की बातों में जादू सा था। उस व्यक्ति ने उसकी बांह पकड़ ली। तभी सामने से जिन्नो की फौज आ गई। व्यक्ति ने कहा भागो, यहां से मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। तभी उस कन्या ने कहा, भागने की बारी अब तुम्हारी नहीं है उस कन्या! ने अपनी छोटी से तलवार से जिन्नों की फौज का नाश कर दिया था । भक्त की रक्षा की थी ।