भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 4
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग भानु अप्सरा और अप्सरा लोक के दर्शन भाग 4 के विषय में जानेंगे। पिछले भागों में हमने साधक महोदय के जीवन में अप्सरा के पदार्पण से संबंधित घटनाओं को जाना आज हम परीक्षाओं के विषय में जानेंगे कौन सी परीक्षाएं हुई उनके साथ, आज के इस वीडियो के माध्यम से हम लोग पत्र के माध्यम से पढ़ते हैं, चलिए शुरू करते हैं। ईमेल पत्र-प्रणाम गुरु जी, यह चौथा भाग है जो मैं आपको भेज रहा हूं। जैसे जैसे मेरी साधना आगे बढ़ रही थी। मुझे और भी ज्यादा अनुभव होने लगे। सपने में अप्सराओं का आना। अप्सरा लोक के दर्शन होना साधना करते समय और साधना के बाद सोते समय उन अप्सराओं के स्पर्श की अनुभूति होना यह सब तो मेरे साथ होता ही रहता था। पर अब से जब मैं साधना नहीं कर पा रहा था तब भी लगता था कि चारों तरफ कुछ लड़कियां हंस रही है। बातें कर रही हैं। कभी लगता था कि हमारे पूरे घर में कोई पायल पहन कर चल रहा हो। यहां तक कि कई बार तो मेरी मां और भैया को भी पायलों की आवाज सुनाई दी थी। वह दोनों मुझसे कहते थे कि हमारे पूरे घर में कोई पायल पहन कर दौड़ती है। आखिर तू यह कौन सी पूजा पाठ कर रहा है जिससे हमारे घर में ऐसी भूतिया चीजें शुरू हो गई हैं तब मैं इन बातों को उनका वहम कह कर टाल देता था। ऐसे ही एक बार सपने में भानू ने मुझसे कहा था। अब तुम अपने साधना के अंतिम चरण में पहुंच चुके हो प्रकाश इसलिए अब से बहुत ज्यादा सतर्क रहना। अनुभव कुछ हद तक भयानक भी हो सकते हैं। अपनी ब्रम्हचर्य का विशेष ध्यान रखना। इसके अलावा उन्होंने मुझे हवन के समय कुछ विशेष क्रियाओं को और कुछ विशेष आहुतियों को प्रदान करने को भी बोला था जो मुझे साधना के इस अंतिम चरण में करना पड़ा था ताकि मेरी साधना और भी जल्दी से पूरी हो सके। रोज साधना के बाद मुझे ध्यान करना होता था, इसलिए रोज प्रैक्टिस करने से मेरा ध्यान और भी अच्छा होता जा रहा था। अब तो मैं 30 से 45 मिनट तक ध्यान को बिना तोड़े ही ध्यान कर पाता था। भानु कहती थी। साधना के समय अगर परिस्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगे तो अपना मंत्र जाप रोककर माता का ध्यान करते हुए अपने पूरे शरीर और शक्ति के साथ श्री दुर्गा आप उद्धार स्त्रोत यानी श्री दुर्गा स्तवराज का पाठ करना किसी भी प्रकार से तो माता तुम्हारी रक्षा अवश्य करेंगी। याद रखना डरना नहीं। अब आखिरी चरण में मुझे अपनी आंखों को खोलकर जाप करने को बोला गया था। अब से साधना के समय मुझे कुछ अजीब से अनुभव होने लगे। अब से जब मैं जॉप करता था। देखता था कि मेरे चारों तरफ गोल गोल। करके कोई सूअर या गैंडा जैसा काला जानवर आवाज करते हुए जोर जोर से दौड़ रहा है। मुझे डर लगता था कि वह मुझे टक्कर ना मार दे। हालांकि कुछ देर बाद वह अपने आप गायब हो जाता था। मंत्र जाप के बाद जब मैं ध्यान करता था तब देखता था कि मैं एक ऊंचे पर्वत के एकदम किनारे पर खड़ा हूं और पीछे से अचानक धक्का लगने पर मैं पर्वत से नीचे गिरता जा रहा हूं या फिर कभी कभी देखता कि मैं एक बड़े से समुंदर के बीचोबीच एक छोटी सी नाव में हूं और बहुत बड़ी-बड़ी लहरें मेरी तरफ आ रही है। लगता था कि बड़े-बड़े सांप अपना फन फैलाकर मेरे सामने खड़े हो गए हो। फिर वह लहरें आकर नाव को पलट देती और मैं समंदर में गिर जाता था या तो कभी-कभी मेरे पीछे जंगली जानवर पड़ जाते थे और मैं अपनी जान बचाकर भाग रहा होता था। मेरे अनुभव कुछ ऐसे ही चलते रहे। देखते-देखते सितंबर का महीना भी बीत गया। अब आई अक्टूबर महीने की 3 तारीख। जिस दिन मेरे साथ कुछ बहुत ही अजीब हुआ हमारे घर की दूसरी मंजिल पर जहां पर मेरा साधना कक्ष था, उसके ठीक सामने एक छोटी सी छत थी। मैं अपना दरवाजा खुला ही रहता था ताकि छत से ताजी हवा साधना कक्ष के अंदर आ सके तो 3 तारीख की रात को जब मेरा मंत्र जाप चल रहा था तब अचानक मुझे एक हलचल सी सुना। मेरी नजर दरवाजे के बाहर गई तो देखा कि कोई इंसान घर के बाहर से हमारी छत के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है। पहले मुझे तो सिर्फ उसका हाथ दिखा। फिर जब वह पूरी तरह छत पर उतरा तब उसे देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए। मैंने देखा वह इंसान एक लड़की थी जो पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी। उसके बाल बहुत लंबे लंबे थे और वह अपना सर सामने की तरफ झुका कर खड़ी थी जिसके कारण बालों से उसका मुंह ढका होने पर उसका चेहरा नहीं दिखाई दे रहा था। यह सब में खुली आंखों से अपने सामने घटित होते देख रहा था। क्योंकि यह रात का समय था। मैं यह सब देख कर बहुत डर गया। सोच रहा था कि मेरे सामने कोई भूतनी या पिशाचीनी जैसी कुछ तो नहीं आ गई है। फिर उस लड़की ने धीरे धीरे से मेरी तरफ आना शुरु किया और साधना कक्ष के अंदर ठीक मेरे सामने आकर खड़ी हो गई। उसने तब भी अपना सर नीचे की तरफ झुकाया हुआ था। मैं तब भी डर रहा था पर फिर भी मैंने अपना जाप बंद नहीं किया। फिर उस लड़की ने संभोग प्रदान करो, संभोग प्रदान करो, संभोग प्रदान करो ऐसा 3 बार कहा। मैंने उसे कुछ नहीं कहा और जाप करता रहा। मेरे कुछ ना कहने पर वह मेरी तरफ बाई तरफ जमीन पर बैठ गई। मैं क्या करूं। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। डर से मैं पसीना पसीना हो रहा था। इतने में ही वह मेरे पीछे की तरफ चली गई और मेरे पूरे शरीर पर चुंबन करना शुरू कर दिया। जाप करने में बहुत तकलीफ हो रही थी। फिर धीरे-धीरे वह मेरे सामने आई और मेरी तरफ अपना मुंह करके मेरी गोद के ऊपर बैठ गई। ठीक उसी तरह जिस तरह भैरवी साधना में एक साधिका अपने साधक के ऊपर बैठती है, अब उसने मेरे गुप्तांग को दबाते हुए मुझे चारों तरफ से चुंबन करना शुरू कर दिया। आप समझ ही पा रहे होंगे। गुरुजी की इस अवस्था में एक साधक की क्या स्थिति हो सकती है? मेरा अपने ऊपर से कंट्रोल छूट रहा था। दिल में बहुत जोर से कामवासना जग रही थी। मेरा मंत्र जाप बंद हो चुका दिल में एक ही ख्याल आ रहा था कि आज तो मेरे इतने महीनों का परिश्रम सब नष्ट हो जाएगा। तभी मुझे कुछ लड़कियों की आवाज सुनाई दी जो मुझे कह रही थी। माता को पुकारो माता को पुकारो मैंने अपनी पूरी शक्ति से दुर्गा स्तवराज का पाठ शुरू कर दिया। ‘नमस्ते शरन्ये शिबे सानूकंपे, नमस्ते जगतव्यापीके विश्वरुपे उसके चमकीले पीली आंखों से गुस्सा साफ झलक रहा था। कालनेमि दौड़ते हुए मेरी साधना कक्ष में घुसा और उस लड़की के ऊपर बहुत जोर से अपना पंजा मार दिया। जिससे वह लड़की मेरी बाई तरफ जमीन पर गिर गई। फिर कालनेमि ने अपने जबड़े से उस लड़की का सर पकड़ा और घसीटते हुए उसे बाहर छत पर ले कर चला गया। अब लड़की के सर को पकड़कर उसने एक जोर का झटका मारा जिससे उस लड़की का सर उसके शरीर से अलग हो गया और उसके सर …नहीं मिले। पटक कर छत के ऊपर फेंक दिया। यह सब कुछ देख कर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। मैं बस बैठे बैठे अपने सामने यह सब घटित होते देखता रहा। अब अचानक से फिर से एक बार आसमान में जोर से बिजली चमकी और मेरे सामने से सब कुछ एकदम गायब हो गया। अब न ही तो वह लड़की मुझे दिख रही थी और ना ही कालनेमि चारों तरफ का माहौल एकदम शांत हो गया। जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। फिर जब मेरी हालात थोड़ी ठीक हुई तो मैं समझ गया कि स्वयं माता ने ही कालनेमि के माध्यम से मेरी रक्षा की है क्योंकि भानु ने मुझे बताया था कि कालनेमि माता के ही गणों में से एक गण है। गुरु जी हमारे घर में मेरे परदादा के टाइम से मां दक्षिणा काली की पूजा होती आ रही है। इसलिए बचपन से ही मैं मां के प्रति बहुत श्रद्धा रखता हूं और आज तो स्वयं उन्हीं मा ने मेरी साधना खंडित होने से मुझे बचाया था। यह सब सोचते हुए मां के प्रति श्रद्धा से मेरी आंखें भर आई। मैंने भूमि पर दंडवत होकर मां के प्रति प्रणाम किया। पर अब तक मेरा आज का जाप पूरा नहीं हुआ था और इतना साथ सब कुछ हो जाने के बाद मैं भूल चुका था कि मैंने ठीक कितनी माला का जाप किया था। इस समय रात्रि में घड़ी में 2:00 बज रहे थे तो मैंने फिर से पहली माला से जाप शुरू कर दिया। अब एक और समस्या खड़ी हो गई। पांच माला पूरा होने के बाद मुझे बहुत जोर से नींद आने लगी। मैं अपनी आंख खुली नहीं रख पा रहा था तो किसी तरह मैंने उस दिन का मंत्र जाप पूरा किया और बहुत नींद के कारण मैं उस रात में आसन पर ही सो गया। फिर सुबह होने पर सबसे पहले मैं अपने गुरुदेव के पास गया और कल रात की सारी घटना उन्हें बता दी। उन्होंने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और कहा, मैं खुश हूं क्योंकि तुझे स्वयं देवी महामाया का संरक्षण प्राप्त हुआ है। फिर घर आते समय उन्होंने मेरे हाथों में कुछ पूजा की सामग्री दी और कहा कि घर जाकर मां की मूर्ति के सामने यह सब कुछ चढ़ा देना और मां से आशीर्वाद मांग लेना। मैं घर आकर वही सब किया जिस विधि से गुरुदेव ने मुझे करने को बोला था। अब मैं अपने अनुभव का बाकी भाग जल्दी भेज दूंगा तब तक के लिए प्रणाम गुरुजी संदेश-तो देखिए यहां पर इनके साथ साधना के द्वारा कठिन परीक्षा ब्रह्मचर्य की ली गई है जिसमें मां की कृपा से इनकी पूर्ण रक्षा भी हुई। आगे क्या घटित होगा। आगे के पत्र के माध्यम से हम लोग जानेंगे तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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