नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग भगवान श्री भैरव जी के चोला सिद्धि के विषय में बात करेंगे। एक ऐसी गोपनीय और सरल साधना जिसे हम शाबर मंत्र के द्वारा सिद्ध करके विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं और यह भी कहा जाता है जिस भी व्यक्ति ने भैरव जी के चोले का 12 वर्ष तक। निश्चित प्रकार से जाप किया हो तो उसे फिर भैरव जी अदृश्य कर देने वाली सिद्धि भी प्रदान कर देते हैं। लेकिन यह केवल विशेष श्रद्धा और साधक व्यक्ति को ही भैरव जी की कृपा के माध्यम से प्राप्त होता है तो चलिए जानते हैं, कौन सी है यह साधना और किस प्रकार से की जाती है।
भैरव जी माता दुर्गा के सर्वप्रिय पुत्र माने जाते हैं। इनकी साधना देवी उपासना में बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इनकी साधना के बिना मां का तक पहुंचना सरल नहीं है तो ऐसी अवस्था में हम भगवान भैरव जी को। प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते रहते हैं। उन्हीं में जब भगवान भैरव जी को चोला चढ़ाया जाता है तो इससे वह विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। आखिर चोला होता क्या है? सभी लोग इस बात को नहीं जानते चोला परिधान या वस्त्र को कहते हैं जो भगवान भैरव जी को चढ़ाया जाता है, लेकिन इसे चढ़ाने की भी विधि है। सर्वप्रथम किसी काले वस्त्र को अथवा जैसे भैरव स्वरूप को आप पूजना चाहते हो। उन्हीं के रंग का चोला या कपड़ा चढ़ाने के लिए आप तैयार करें फिर उस चोले को चमेली के तेल और सिंदूर मिलाकर तैयार कर लीजिए। अब इसे आपको मंत्र साधना पूर्ण कर लेने के बाद में उन्हें पहनाना होता है। इसके लिए किसी विशेष भैरव मंदिर का ही चयन करना चाहिए। अधिकतर लोग काल भैरव जी की साधना में इसका प्रयोग करते हैं अथवा काशी के कोतवाल कहलाने वाले भैरव जी की उपासना में इसका प्रयोग किया जाता है, लेकिन कोई भी भैरव मंदिर हो और किसी भी स्वरूप वाले भैरव जी। वहां पर विद्यमान हो तो उनकी उपासना में आप चोला चढ़ा सकते हैं। इससे भैरव जी अधिक प्रसन्न होते हैं और यह सिद्ध चोला हो जाता है।
बाद में साधक इस चोले को उतार कर अपने गले में पहन कर विशेष प्रकार के सिद्धि प्रयोग कर सकता है जिसके विषय में आपको गुरु के माध्यम से पूछना चाहिए कि कैसे इसका प्रयोग बीमारियों को ठीक करने विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं का आवाहन करने और रक्षा कवच के लिए विशेष रूप से प्रयोग करना चाहिए। किसी भी साधना में अगर आप इस चोले को ओढ़ कर बैठ जाए तो साक्षात यमराज जी भी आपकी साधना भंग करने कोशिश ही नहीं करते क्योंकि भैरव जी साक्षात आपके साथ विद्यमान रहते हैं। किसी भी तांत्रिक साधना के समय अगर साधक को डर लगता हो तो इस चोले को भगवान भैरव जी से आज्ञा लेकर खुद ओढ़ ले तो साक्षात भैरव जी उस साधक की रक्षा करते हैं। इसीलिए इस चोले को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि 12 वर्ष तक गुप्त तरीके से एकांत में अगर इस मंत्र की रोजाना 108 बार जाप करते हुए। ब्रह्मचर्य तोड़े बिना व्यक्ति जाप करता है तो 12 वर्ष के बाद इस चोले को ओढ़ कर व्यक्ति अदृश्य हो सकता है। किंतु यह सिद्धि बाबा भैरव उसी को प्रदान करते हैं जो उनका विशेष भक्त होता है। इसीलिए इस विधि का प्रयोग गलत कार्यों में नहीं करना चाहिए और सदैव जनकल्याण के लिए ही चोला प्रयोग किया जाता है। यह एक शाबर सिद्ध मंत्र है और इसको 108 बार पढ़कर फिर भैरव जी को यह चोला अर्पण करना चाहिए। तो इसकी विधि कुछ इस प्रकार से है कि किसी भी अमावस्या वाली तिथि से अथवा चौदस वाली तिथि में इस साधना को शुरू करें।
शाबर मंत्र का 108 बार पाठ करके इस चोले को ऊपर बताई गई विधि यानी चमेली के तेल और सिंदूर से पूरी तरह आच्छादित करके चोले को भैरव जी को अर्पित करना चाहिए। ऐसे कर 108 चोले बाबा भैरव जी को अर्पित करने से भैरव जी सिद्ध हो जाते हैं। अब 108 वां चोला उन्हें चढ़ाकर रात्रि 12:00 बजे उस चोले को स्वयं धारण करें तो सिद्धि वन पुरुष बन जाता है। उसके पास गोपनीय सिद्धियां आ जाती हैं।
इस साधना का प्रयोग समय रात्रि का है जैसे ही रात गहराने लगे तभी से आपको इनके मंत्र का जाप करना चाहिए और कुल 108 बार ही इस मंत्र का उच्चारण करना होता है। सबसे पहले गुरु मंत्र उसके बाद मां दुर्गा के मंत्र और भगवान शिव के मंत्र को पढ़कर अब भैरव जी के इस चोला मंत्र को पढ़ते हुए कुल 108 बार पढ़ने के बाद उन्हें यह चोला चढ़ाना चाहिए। अगर व्यक्ति इस साधना को घर पर करना चाहता है तो उसे भैरव जी की एक प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति को किसी गोपनीय कमरे में स्थापित करना चाहिए और उस कक्ष को दूसरे लोगों के लिए सदैव बंद रखना चाहिए। अब! साधक मंत्र का जाप करने के बाद उन्हें चोला चढ़ा दे। अगले दिन उस चोले को किसी लाल कपड़े में बांधकर नदी में विसर्जित कर दें अथवा किसी तालाब में। जहां भी पानी विशाल भंडारित रूप में स्थापित हो। अब इसी प्रकार 108 वां चोला सिद्धि के आखिरी दिन उन्हें अर्पित कर रात्रि 12:00 बजे उसे ओढ़कर स्वयं सो जाए तो उसे भैरव जी दर्शन देते हैं और सिद्धियां प्रदान करते हैं। इस चोले की विशेष सिद्धियां प्राप्त कर साधक विभिन्न प्रकार के सिद्धि प्रयोग कर सकता है तो चलिए जानते हैं कौन सा है यह शाबर मंत्र?
सत नमो आदेश गुरुजी को आदेश ओम गुरुजी तुम भैरव काली का पूता सदा रहे मतवाला चढ़े तेल सिंदूर गले फूलों की माला जिस किसी पर संकट पड़े जो सुमिरे तुम्हें उसकी रक्षा करें। तुम हो रक्षपाल। भरी कटोरी तेल की धन्य तुम्हारा प्रताप, काल भैरव, अकाल भैरव, लाल भैरव, जल भैरव, थल भैरव, बाल भैरव, आकाश भैरव, क्षेत्रपाल भैरव सदा रहो कृपाल, इतना चोलाजाप संपूर्ण भया, नाथजी गुरुजी आदेश।
इस प्रकार किसी मंत्र का आपको जाप करना है और इस चोले को भैरव जी को अर्पित कर देना है तो इससे आपको! गुप्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस चोले को ओढ़ कर अब साधक लोगों की समस्याएं हल कर सकता है। उनकी सभी प्रकार की समस्याओं को हल करने की क्षमता उस साधक में आ जाती है। लेकिन साधक सबसे पहले भगवान शिव अथवा मां दुर्गा के मंत्रों का संपूर्ण जाप कर चुका हो तभी यह प्रयोग भैरव जी सिद्ध करने देते हैं वरना
यह सिद्धि प्राप्त नहीं होती है इसलिए पहले गुरु से भगवान शिव या मां दुर्गा के मंत्र को प्राप्त कर उसे सिद्ध कर लेना चाहिए। तभी भैरव जी के इस प्रयोग को शुरू करना चाहिए तो निश्चित रूप से भैरव जी की कृपा और सिद्धि साधक को अवश्य ही प्राप्त हो जाती है। यह थी एक विशेष श्री भैरव जी की चोला सिद्धि साधना अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।