मधुमती योगिनी कथा और साधना 5 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मधुमती योगिनी कथा और साधना यह अंतिम भाग है। अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से मधुमति अपने आप को एक विचित्र परेशानी में खड़ा पाती है क्योंकि ना तो वह अपने पति माधव को किसी भी प्रकार से तंत्र से मुक्त कर पा रही थी। वही गुरु संजीवन को भी वह अपने नियंत्रण में नहीं ले पाई थी। अब मधुमति प्रयास करती है माधव को कि वह उसे कुछ बता सके। लेकिन माधव तो एक शब्द भी नहीं सुन पा रहा था। और ना ही वह कुछ बोल पा रहा था। उसकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी। तबीयत भी उसकी खराब हो रही थी। तब मधुमति ने वहां के राजवैद्य को बुलवाया। और उनसे कहा इनकी तबीयत बहुत खराब हो रही है। कृपया इनका इलाज कीजिए। तब राज वैद्य ने काफी देर तक नब्ज टटोली और कहा कि इन्हें कौन सी बीमारी है। यह पता ही नहीं चल पा रहा और यह ठीक भी नहीं हो रहे हैं। मेरी कोई औषधि भी इन पर कोई काम नहीं कर रही है। यह किसी अजीब बीमारी से ग्रसित हो गए हैं। इन्हें ना तो सही प्रकार से सुनाई दे रहा है और ना ही यह कुछ कह पा रहे हैं। यह तो कोई अजीब सी बीमारी है, ऐसा लगता है जैसे कि इनके ऊपर कोई तांत्रिक प्रयोग किया गया हो। मधुमति ने कहा, अगर ऐसा है राजवैद्य जी तो मुझे बताइए। क्या तंत्र को नष्ट करने का कोई उपाय है तो वह कहने लगे। मुझे इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन एक शक्तिशाली तांत्रिक है। आप उसके पास जाइए। वह माता का सच्चा भक्त है। माता दुर्गा की साधना वह बचपन से करता चला आ रहा है। यह सुनकर अब मधुमति अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए तुरंत ही वहां से चली गई। उस तांत्रिक के उस स्थान पर जहां पर वह अपनी तांत्रिक साधना एक कर रहा था। तांत्रिक के सामने आकर मधुमति ने उसे प्रणाम किया और कहा, मैंने आपके बारे में सुना है कि आप किसी भी प्रकार का तंत्र प्रयोग नष्ट कर सकते हैं। कृपया मेरी मदद कीजिए। तब तांत्रिक ने जब मधुमति को देखा तो मुस्कुराहट उसके चेहरे पर आ गए। और वह कहने लगा। अद्भुत ऐसा विचित्र रहस्य आज तक मेरे सामने साक्षात उपस्थित नहीं हुआ था। आप तो योगिनी है? आपसे ज्यादा शक्तिशाली यहां पर कोई नहीं! और आपकी सामर्थ्य बहुत ज्यादा है। आपको कौन सा बंधन बांध दिया है? आप तो स्वयं माता का अंश है। फिर आप कैसे परेशान हो गई? तब मधुमति ने सारा रहस्य उस तांत्रिक को बता दिया। तब तांत्रिक ने कहा, आप की परीक्षा हो रही है। अब आपको अपनी भीषण परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए। एक ही केवल मार्ग है क्योंकि आपका यह तांत्रिक गुरु जिसने आपके पति को यह विद्या सिखाई थी। बगलामुखी विद्या में निपुण है और उनके आगे आपकी भी नहीं चलने वाली क्योंकि आप भी मां के 10 महाविद्या स्वरूपों के अधीन है और आप ही क्या सारी योगिनी शक्तियां दसमहाविद्या के अधीन ही आती है। इसीलिए आप अभी तक कुछ नहीं कर पा रही हैं। तब मधुमति ने कहा, कोई तो मार्ग होगा। मैं अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए अपने प्राणों को भी स्वाहा कर सकती हूँ। तब मुस्कुराते हुए तांत्रिक ने कहा, बस यही आपको करना होगा केवल एक मात्र यही विकल्प है। मधुमति ने कहा, मैं तैयार हूं, बताओ मुझे क्या करना होगा? तब उस तांत्रिक ने उन्हें एक गोपनीय बात बताई। वह वार्तालाप कुछ देर चला मधुमति ने उस तांत्रिक को प्रणाम किया और कहा, अब मुझे आज्ञा दे दे। मैं अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए स्वयं की बलि देने के लिए तैयार हूं और वह वहां से निकल गई। आखिर तांत्रिक ने उसे क्या बताया था? क्या रहस्य था? इसके लिए मधुमति अब तीव्र गति से आकाश गमन विद्या का प्रयोग कर उस स्थान पर पहुंची जहां पर गुरु संजीवन अपनी तांत्रिक साधना कर रहा था। और संजीवन ने जब फिर से मधुमति को देखा तो कहने लगा। क्या तुमने अपना विचार बदल दिया है। क्या तुम मेरी जीवन संगिनी बनने को तैयार हो। अगर तैयार हो चुकी हो तो मैं अपने शिष्य को कष्ट से मुक्त कर दूं। बेचारा वह तो हम दोनों के इस संघर्ष में। मुश्किल से फंसा हुआ अपने प्राणों की रक्षा के लिए सोच रहा होगा। अब अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं उसे मुक्त करूं। मुझे उस पर दया आ रही है। वह तो हम दोनों के संघर्ष में। बेमतलब ही फस गया है, तब मधुमति कहने लगी, तुम कैसे व्यक्ति हो। तुमने अपने ही शिष्य को बड़े संकट में डाल दिया उसी पर तंत्र प्रयोग कर दिया। तब संजीवन कहने लगा। मैं आज तक योगिनी सिद्धि सिद्ध नहीं कर पाया और मेरा शिष्य आसानी से तुम्हें प्राप्त कर चुका है। इसीलिए तुम्हें प्राप्त करना मेरे जीवन का लक्ष्य है क्योंकि तुममे 16 प्रकार की कलाएं और शक्तियां मौजूद है। सिर्फ तुम खुद ही नहीं जानती हो। जब तक साधक अपनी योगिनी में सारी शक्तियां नहीं जगा देता वह योगिनी। अपनी ही खुद शक्तियों को नहीं समझ पाती है। तुम सभी माता काली की संपूर्ण शक्ति प्राप्त शक्तियां हो। माता के समान ही तुमने भी बल है। लेकिन जब तक तुम्हारा साधक उस शक्ति को तुम में नहीं जगायेगा तब तक तुम भी अपनी शक्तियों को नहीं पहचान सकती। लेकिन मैं तो जान गया हूं। इसीलिए तुम्हें प्राप्त करना मेरा लक्ष्य हो चुका है। हम इस संपूर्ण जगत को जीतकर। सारी! दुनिया को अपने अधीन रखेंगे सभी तुम्हारी वंदना और पूजा करेंगे। बोलो क्या तुम तैयार हो मेरे इस प्रस्ताव के लिए? तब मधुमति कहने लगी। लालच और वासना यह सारे तत्व मनुष्यों के हैं। हम तो वचन में बंधकर जिस पर अपना सर्वस्व निछावर कर देते हैं। वह व्यक्ति ही हमारे लिए सब कुछ होता है। पति शब्द और इसके प्रभाव को तुम नहीं समझते हो। शिव को प्राप्त करने के लिए करोड़ों वर्ष की तपस्या माता पार्वती ने की। वह चाहती तो किसी अन्य पुरुष से विवाह कर सकती थी लेकिन पति के लिए उनका समर्पण अद्भुत था हम सब उन्हीं का अंश है। इसीलिए अपने पतियों की रक्षा के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं और उसके अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोच सकते। संजीवन कहता है तब तो मुझे माधव का वध करना ही पड़ेगा। तभी तुम मुझे प्राप्त हो सकती हो। मधुमति कहने लगी, लगता है। अब मुझे वह करना ही पड़ेगा क्योंकि तुम्हें मैंने बहुत अधिक समझाया। लेकिन तुम मेरे किसी भी रहस्य और समर्पण को नहीं समझ पाए। संजीवन के आगे चल रहे हवन कुंड में मधुमति कूद जाती है। यह देखकर संजीवन घबरा जाता है और कहता है यह तो हवन कुंड मारण तंत्र के लिए प्रयोग हुआ है। अब मधुमति की मृत्यु हो जाएगी। यह क्या किया मधुमति ने? मधुमति अपने शरीर को वही जलवा देती है और वहां से फिर योगिनी स्वरूप में प्रकट हो जाती है और कहती है अब मेरा मेरे पति के साथ सारा संबंध समाप्त हुआ। उसकी साधना के कारण मेरा शरीर मानव का हो चुका था। इसी कारण से मेरी शक्तियां भी कम थी। अब मैं मुक्त हो चुकी हूं। उस बंधन से जो वचन मैंने अपने पति को दिया था इसलिए मैं तुम्हारा वध करूंगी। इस प्रकार मधुमति तुरंत ही संजीवन के मुंह के अंदर प्रवेश कर गई और हृदय जाने वाली नलिकाओं को काट दिया। शरीर में अंदर रक्त बहने लगा। मुंह से बाहर निकल कर आई। मधुमति कहने लगी। तुमने बहुत गलत कर्म किया इसलिए मैं तुम्हारा वध कर रही हूं। तुम्हारी मृत्यु तुरंत ना हो जाए। इसीलिए मैंने तुम्हारे शरीर के अंदर की रक्त नलिकाए काट दी है। अब संजीवन को अब वास्तविक ज्ञान प्राप्त हो चुका था। उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उसने मधुमति से माफी मांगी और कहा, मैंने यह गलत कर्म कर दिया है। मैंने एक पति को उसकी पत्नी से सदैव के लिए मुक्त कर दिया। माता मुझे क्षमा करें। मैं? तुम्हें यह वरदान देता हूं कि तुम किसी भी पुरुष की पत्नी बनकर सदैव विद्यमान रहोगी। अगर तुम्हारा उससे विक्षोभ भी हो जाए तो भी संसार की समस्त स्त्रियां आकर उसकी पत्नी स्वरूप में उसके साथ पत्नी वत व्यवहार करती रहेंगी। स्वर्ग की अप्सराए, किन्नरी, नागिनी और विभिन्न लोको की सुंदरियां आकर उस पुरुष को पति रूप में स्वीकार करेंगी। ताकि उसे कभी पत्नी की कमी महसूस ना हो। मैंने बहुत बड़ी गलती की और इसीलिए मेरे कर्म की वजह से मुझे मृत्यु आ रही हैं। मैं अपनी मृत्यु को स्वीकार करता हूं। और? मैंने गुरु पद का अपमान किया है इसलिए स्वयं को नरक का भागी समझता हूं और मैं स्वर्ग जाने वाले देवताओं को नकारता हूं। मैं तब तक नर्क में वास करूंगा। जब तक मेरा यह पाप नष्ट नहीं हो जाता। क्योंकि गुरु होकर भी मैंने अपने शिष्य के साथ ऐसा किया था। मधुमति शांत होकर गुरु संजीवन को कहती है। आप 100 वर्ष तक नर्क में वास करेंगे। उसके बाद आप स्वर्ग की ओर प्रस्थान करना, मेरा संबंध माधव से समाप्त हो चुका है। इसलिए मैं भी अपने लोक को लौट जाती हूं। इस प्रकार मधुमती योगिनी योगिनी लोक चली गई। माधव अब पूरी तरह ठीक हो चुका था। रात्रि के समय उसके पास स्वर्ग लोक की एक देवकन्या आई और उसने कहा, मैं आपकी पत्नी हूं। मैं आपको समस्त सुख दूंगी। इस प्रकार उसके पास कुछ कुछ दिन छोड़कर विभिन्न प्रकार की स्त्रियां आती रही, जिन्हें भी पति की तलाश थी। और सन्यास धारण करने तक माधव के पास संसार की समस्त स्त्रियां आती रही थी। उसके बाद उसका मन कामवासना से उचट गया और फिर वह साधना और उपासना में ही लीन हो गया। तो इस प्रकार मधुमती योगिनी की कथा समाप्त होती है। अगर कोई यह साधना करना चाहता है तो मैंने नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में लिंक दे रखा है। वहां से क्लिक करके आप इस साधना को खरीद सकते हैं और मधुमति की सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास कर सकते हैं। आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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