नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग एक नई साधना लिखे हैं साधना ऐसी जिसके बारे में वर्णन और बहुत ही कम मिलता है। ज्यादातर में वही साधना लाता हूं। जिन साधनाओं का वर्णन काफी कम देखने को मिलता है, लेकिन पुराने समय में ऋषि मुनि इसी तरह की साधना करते थे। इसको बहुत ही गोपनीय रखा गया और केवल गुरु शिष्य परंपरा में ही बताया जाता था। पूरे के पूरे साधन सामग्री और चीजें ना उपलब्ध होने के कारण भी इन साधना को सहजता से करना संभव नहीं हो पाता था। आज भी ऐसी बहुत सारी साधनाएं हैं। जिन साधनाओं को करके आप विशेष प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं। इन साधनों में सबसे अच्छी साधना अप्सराओं की मानी जाती हैं। अप्सराएं जो मुख्य रूप से तो सभी जानते हैं कि कौन-कौन हैं लेकिन कुछ ऐसे अवसर आए हैं जिनका विवरण बहुत ही कम देखने को मिलता है तो आज मैं जिस के विषय में आपको बताने जा रहा हूं, उसका नाम है मयूरी अप्सरा। मयूरी अप्सरा अलग तरह की अप्सरा है जो। साधना में आपको सौंदर्य और प्रेम के माध्यम से भ्रमित करने की कोशिश करती है।
पुराने समय में ऋषि मुनियों की साधना को भंग करने के लिए विभिन्न प्रकार की अप्सराओं का प्रयोग किया जाता था। मानते हैं कि स्वर्ग में कुल 108 मुख्य अप्सराएं हैं लेकिन? मूल रूप से अप्सरा की संख्या अनंत ही मान सकते हैं। उन्हीं में से यह एक अप्सरा है। मयूरी को भेजा जाता था अपने नृत्य सम्मोहन के माध्यम से ऋषि और उनके जैसे कई साधु तपस्वी सन्यासियों की तपस्या को भंग करने के लिए। मयूरी को मयूरी शब्द इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह उछल उछल कर नृत्य करती हुई विभिन्न प्रकार की मुद्राएं प्रदर्शित करती थी और साधकों को रिझाती कि वह काम में फस कर अपनी साधना को त्याग दें या नष्ट कर दें। अपनी साधना के दौरान! वह व्यक्ति जब मयूरी को देख लेता था तो उसके प्रेम सौंदर्य में पड़ जाता था। जिस प्रकार। किसी भी जंगल में खुश होकर मोर नाचता है। उसी प्रकार यह अप्सरा साधक के चारों ओर नृत्य करती थी और अपनी समस्त लीलाओं का प्रदर्शन करती थी।
मयूरी बहुत ही अधिक सुंदर अप्सरा मानी जाती थी। इसका रूप और सौंदर्य किसी को भी लज्जा देने की क्षमता रखता था। कोई भी कन्या जो पृथ्वी लोक की हो इसकी सुंदरता को देखकर जलन करने लग जाए। ऐसी सुंदरता मयूरी की मानी जाती है। जिस प्रकार। मोर अपने पूरे पंखों को फैलाकर अपनी सुंदरता जब प्रदर्शित करता है तो हर व्यक्ति मोर से आकर्षित हो जाता है ठीक वैसे ही अपनी समस्त लीलाओं, चमत्कारों का प्रदर्शन जब यह अप्सरा करती है तो व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। इसकी साधना की सबसे अच्छी जो बात निकल कर सामने आती है। वह यह! कि जिस प्रकार वन में मोर खुश होकर नाचता है तो वर्षा अवश्य होती है। इसी प्रकार इसका साधक अगर इसे साध लें और इनकी सिद्धि को प्राप्त कर लें। तो उसके जीवन में सुख की वर्षा आवश्यक होती है। धन-धान्य! सभी प्रकार के भौतिक सुख साधन सभी प्रकार की शक्तियां। आंतरिक तेज और ज्ञान में व्यक्ति के वृद्धि होती है इस साधना में अधिकतर व्यक्ति। अपने अंदर विशेष तरह का तेज महसूस करता है। जब व्यक्ति प्रसन्न होकर कोई कार्य करता है तो हर व्यक्ति उससे प्रभावित हो जाता है। ठीक वैसे ही जैसे ही जंगल में मोर नाचता है। तो चारों ओर वर्षा का वातावरण बन जाता है। सुहावनी हवाएं बहती हैं और पूरा जंगल खुशी से लहलहा उठाता है।
इसी कारण से यह कहा जाता है कि अगर मयूरी की सिद्धि किसी व्यक्ति ने कर ली तो फिर उसके जीवन में समस्याएं हट जाती हैं। उनका नाश हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कि इस अप्सरा की साधना किस प्रकार से करनी है और यह कितने दिनों में सिद्ध होती है? इसके साधना के लिए आपको किसी भी शुभ शुक्रवार के दिन का चयन करना है। यानी कि जब भी शुभ नक्षत्र हो उस दौरान जो भी शुक्रवार का दिन पड़ता है उस दौरान ही आपको यह साधना करनी है। ऋषि मुनियों का कथन है कि इसकी साधना अगर वर्षा काल में की जाती है तो और भी अधिक फलदाई हो जाती है। याद रखें इस की साधना के लिए आपको गुप्त स्थान का चयन करना होगा। अगर इसकी साधना आप किसी खुले स्थान में करेंगे तो और भी अधिक उत्तम रहेगा। इसकी साधना में अधिक प्रभाव डालने के लिए आप 4-5 मोरो को पाल सकते हैं। सदैव उन को भोजन कराते रहिए और वह आपके घर या जिस भी स्थान पर आप साधना करते हैं, उसी स्थान पर उनका पालन कीजिए। मोर सदैव उसी स्थान पर दाना चुगते रहे। इससे अप्सरा प्रसन्न होकर तीव्रता से आपकी ओर आती है। कहते हैं कि अगर मोर पाले गए हो और स्वता ही खुशी से नाचने लगे तो समझ लीजिए कि वह आ चुकी है। अब आपकी परीक्षा होगी अथवा वह आपके सामने प्रत्यक्ष दर्शन देकर आपको सिद्धि प्रदान करेगी।
इसकी साधना के लिए रात्रि का 10:00 बजे का समय उत्तम माना जाता है। रात्रि 10:00 बजे के बाद से ही आप इनकी साधना कीजिए। इनकी साधना के लिए आपको मयूर मोर पर बैठी हुई एक स्त्री का फोटो बनवा लीजिए अथवा कोई मूर्ति का निर्माण कर लीजिए। इसमें अत्यंत गौर । विभिन्न प्रकार के आभूषणों से युक्त एक स्त्री मोर पर बैठी भी आपके सामने आती है। यही इसके रूप का वास्तविक अर्थ माना जाता है। यह साधना 21 दिन की है इस साधना में रोज आपको। 51 माला का जाप करना है। इसके लिए आपको? एक! तांबे के यंत्र पर। यही चित्र छपवा ना होगा। जिस चित्र में एक मोड़ पर बैठी हुई सुंदर अप्सरा का चित्र व और उस पर यंत्र बना हुआ हो। इसमें आप हकीक की माला का इस्तेमाल करेंगे। साथ में गुलाब के कुछ फूल एक पात्र लेंगे जो प्लेट होगी जिसके ऊपर आप पूजन की सारी सामग्री इत्र, धूप इत्यादि सुगंधित वस्तुओं का इस्तेमाल करेंगे। साधना। शुरू करने से पहले आप नहा कर शुद्ध हो लीजिए साफ स्वच्छ कपड़े पहन ले। कमरे में आए लाल रंग के कंबल के आसन पर बैठकर अपने कमरे को धूप दीप लगाकर खुशबूदार बना ले। अपने वस्त्रों पर कोई न कोई सेंट छिड़क ले । दाहिने हाथ में हकीक की माला को पकड़ ले। उत्तर दिशा की ओर मुंह करके 51 माला आपको जाप करनी है।
आपके पास इसमें गुलाब की दो मालाएं भी होनी चाहिए। जब जिस दिन देवी प्रकट होगी उस दिन आप उन्हें गुलाब की मालाएं पहना दे। इनके मंत्र यह है –
ॐ ह्री क्लीं सः मयूरी आगच्छ सुख वर्षिणी स्वाहा
इससे आपको सिद्धि प्राप्त होती है और अगर सिद्धि ना भी प्राप्त हो तो भी आपकी जिंदगी के सारे कष्ट यह अप्सरा लेकर के चली जाती है। इसलिए यह शुभ और अच्छी साधना मानी जाती है। इस साधना में भय नहीं करना चाहिए। यह शुभ साधना मानी जाती है। इसके लिए आपको केवल साधारण विधि से उस देवी की मूर्ति को सामने रखते हुए दीपक जी का जलाकर साधना करनी होती है। और साधना के बाद 15 मिनट का रोज ध्यान करना भी आवश्यक है। तो यह थी मयूरी अप्सरा की साधना। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को अलग चैनल पर नहीं है तो आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।