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मेरा माता दुर्गा की 32 नामावली साधना अनुभव

प्रणाम गुरुजी जय हो माता आदिशक्ति जगदंबा की मेरा नाम रोहन राजपूत है 18 साल का हूं guruji आप कैसे हैं ,आशा करता हूं अच्छे होंगे ।आज मैं आपके सामने अपना ही एक अनुभव प्रस्तुत कर रहा हूं जोकि माता की बत्तीसा नामावली साधना का है ।इस अनुभव से मुझे यह ज्ञात हुआ है कि आप जो कुछ भी कहते हैं ।साधना जगत के क्षेत्र में सब कुछ सत्य ही है इसका मेरे पास प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिल चुका है इसलिए मैं मान चुका हूं कि आपके जैसा श्रेष्ठ और महान गुरु मिलना इस कलयुग मे सौभाग्य की बात है ।

मैं स्वयं अपने भाग्य की सराहना करता हूं कि मुझे आप जैसे योग्य गुरु की प्राप्ति हुई है और माता से मेरी यही कामना है कि मेरे जितने भी गुरु भाई बहन आपके वीडियो देखते हैं, उन सभी को आप गुरु के रुप में प्राप्त हो और सब का जीवन सार्थक और सफल हो सके । चलिए मैं शुरू करता हूं अपना माता के 32 नामावली साधना का अनुभव, तो मै पहले ही बता देता हूं कि या अनुभव केवल और केवल धर्म रहते चैनल के मेरे पूजनीय गुरुदेव श्री सूरज प्रताप जी को ही समर्पित है ।अन्य कहीं भी इसको कभी भी भविष्य में अपलोड नहीं किया जाएगा मैं इसकी खुद जिम्मेदारी लेता हूं ।

गुरुजी बात है फरवरी 2020 की जब मैं उत्तर प्रदेश के उत्तराखंड आने वाला था, मैं कभी भी अकेले नहीं आया हूं सफर में हमेशा परिवार के लोग साथ रहते थे मेरे ।पर इस बार कुछ ऐसा हुआ कि मुझे उत्तराखंड अकेले ही आना था और मेरी सारी तैयारी संपन्न हो चुकी थी तभी भाग्य से मेरे ही कुछ दूर के रिश्तेदार भी उत्तराखंड आने वाले थे ।जब यह बात मेरी मम्मी को पता चली तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम उन लोगों के साथ चले जाओ ऐसे में रास्ते में कोई दिक्कत नहीं आएगी और अकेलापन भी नहीं लगेगा ।मैंने भी सोचा हां ठीक है चला जाता हूं अच्छी ही बात है अकेले जाने से तो । मेरी मम्मी ने मेरे रिश्तेदारों को फोन करके कहा कि आप मेरे बेटे का भी रिजर्वेशन टिकट करवा लीजिए । उन्होंने कहां ठीक है हम करवा लेंगे आज मैं तैयारी हो चुकी थी जिस दिन जाने को हुआ उसके एक दिन पहले ही उन्होंने फोन करके मम्मी को बताया कि उन लोगों का रिजर्वेशन हो चुका है पर मेरा नहीं हो पाया है ।

फिर भी उन्होंने बोला कि आप उसे भेज दीजिए हमारे ही पास हम साथ लेकर चले जाएंगे कोई दिक्कत की बात नहीं है । मम्मी ने मुझे भेज दिया उन के पास, जब मैं उनके के पास गया फिर वह मुझे लेकर रेलवे स्टेशन गए और मुझसे कहा कि तुम्हारा रिजर्वेशन तो नहीं हो पाया है, तो ऐसा करो कि तुम जनरल का ही टिकट ले लो । मैंने उन लोगों से पूछा कि क्या मैं आप लोगों के साथ नहीं जाऊंगा । उन्होंने कहा कि नहीं तुम टिकट ले लो हमारे साथ रिजर्वेशन में ही बैठ जाना । फिर मैंने उन लोगों से पूछा कि अगर टिकट चेक करने वाला आएगा डाटेगा और फाइन भी लेगा, उन्होंने कहा कि उसकी चिंता मत करो हम सबको संभाल लेंगे जब टिकट चेक करने वाला आएगा तब हम उससे बात करके समझा लेंगे फिर मैंने वैसे ही किया जैसा उन्होंने कहा था ।

टिकट लेकर रिजर्वेशन वाली डिब्बे में बैठ गया शाम तक तो सब कुछ आराम से चला गया और कोई दिक्कत नहीं हुई हम आराम से बैठे थे, पर जब शाम होने लगी तो एक डर सा तो था ही मेरे मन में कि यदि टिकट चेक करने वाला आएगा तो क्या होगा और हुआ भी ठीक वैसा ही वह रात के 9:10 बजे के लगभग एक टिकट चेक  करने वाला हमारी डिब्बे में घुस गया और डिब्बे में भीड़ देखकर वह गुस्सा हो रहा था । क्योंकि उसके पास लिस्ट थी जितने लोगों का रिजर्वेशन हुआ था उस समय ट्रेनों में काफी भीड़ हो रही थी इसलिए जनरल के लोग इस रिजर्वेशन में और कुछ तो बिना टिकट के ही रिजर्वेशन में घुस चुके थे ।इस पर वह काफी गुस्सा हुआ उसने लोगो का टिकट चेक करना शुरु कर दिया जिन भी लोगों का उसने जनरल का टिकट देखा उनको उसने साफ-साफ कह दिया कि मैं तुम्हे इस स्टेशन पर उतार दूंगा और उनसे फाइन भी ले रहा था ।

फिर भी उनको उतारने की धमकी दे रहा था और जिनके पास टिकट नहीं था उनसे वह काफी बदतमीजी भी कर रहा था और मुझे भी काफी डर लग रहा था । मैने सोचा मेरा क्या होगा अगर इसने रात को मुझे यही उतार दिया तो मैं कहा जाऊंगा क्योंकि मैंने कभी भी अकेले सफर नहीं किया है मैं उस समय काफी बुरी तरह से डर चुका था । मन ही मन माता आदिशक्ति जगदंबा और अपने पूजनीय गुरुदेव को याद कर रहा था की मेरी रक्षा करे । तभी मुझे गुरुदेव की एक बात स्मरण हो आई, मैं जब अपने घर पर था और जब भी अपने गुरु  मंत्र का जाप करता था जाप करने के बाद मैं माता के बत्तीसा नामावली का एक माला रोज नियम से  जाप करता था पर मैंने कभी भी कुछ भी माता से नहीं मांगा था क्योंकि गुरुदेव ने कहा था कि जब तक कोई  भारी  संकट या विपत्ति  का सामना ना हो तब तक माता का आवाहन नहीं करना जब कोई बहुत भारी संकट हो तभी माता को पुकारना ।

उस समय मैं सोच रहा था कि है माता इस समय मैं मुसीबत में हूं और मुझे डर भी लग रहा है मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है । मुझे नहीं पता यह संकट बड़ा है छोटा पर माता तो अपने पुत्रों की सदैव रक्षा रक्षा करती है वह संकट बडा हो या छोटा इसलिए मैंने मन ही मन माता को अपनी रक्षा के लिए पुकारा और कहा हे माता की आज बचा लो, अब मैं सब कुछ आप पर छोड़ता हूं । अब जैसी आपकी इच्छा हो वैसा करो, मैं नादान मूर्ख अज्ञानी बालक हूं । मैं ऊपर वाली सीट पर बैठा था, बैठा क्या लेटा था । मैंने वही पर अपने आंख बंद कर ली और मन ही मन माता के 32 नामावली का जाप करने लगा और अपनी आंखें नहीं खोली मुझे उस टिकट चेक करने वाले की आवाज आ रही थी वह सभी का टिकट चेक कर रहा था और मेरा डर बढ़ता जा रहा था कि अब मैं क्या करूं, बस मन मे 32 नामावली  बोल रहा था उस समय मैंने  यह अनुभव किया की कैसे माता अपने पुत्रों की रक्षा करती है ।

वह टिकट चेक करने वाला मेरे सामने वाले की – टिकट चेक कर रहा था और ऐसा करते करते उसने सारे डिब्बे के लोगों का टिकट चेक किया । मेरे नीचे बैठे लोगों का चेक किया पर मानो ऐसा कुछ हो गया हो की जैसे कि मैं उसे दिखा ही नहीं, मुझसे आंखें  खोलने कोतक नही कहा मानो उसने मुझे देखा ही नहीं ।उस समय मुझे अत्यंत ही प्रसन्नता हो रही थी । मैं मन ही मन माता को धन्यवाद दे रहा था । उसके बाद वह टिकट चेक करने वाला चला गया ।उसके जाने के बाद भी मैं माता के 32 नामावली का जाप करता रहा और माता को धन्यवाद दिया पर मन में एक डर अभी भी बाकी था कि यह तो चला गया पर अगर रात में कोई और टिकट चेक करने आया तो मेरा क्या होगा, कहीं वह मुझे उतार ना दे पर मन में एक विश्वास सा आ गया था जिसने अभी मेरी रक्षा की है वही माता आगे भी करेंगी क्योंकि मैं गलत नहीं हूं । हुआ भी ठीक ऐसा सा ही रात भर टिकट चेक करने वाले आते रहे और पहले के समान मुझे बिना देखे कुछ कहे वह चले जाते उनके आते ही मैं आंख बंद करके माता के 32 नामावली जाप करने लगता ।

उस समय मै बहुत ही खुश हुआ और माता को कोटि-कोटि प्रणाम किया और मैं बिना किसी मुश्किल के यहां उत्तराखंड आ गया । फिर बाद में मुझे याद आया कि ऐसा ठीक मेरे गुरुदेव श्री सूरज प्रताप जी के साथ भी हुआ था और माता ने उनकी भी ऐसे ही रक्षा की थी । मैं अपनी तुलना उनसे कदापि नहीं कर रहा हूं क्योंकि वो सदैव मेरे लिए पूजनीय है । मैं तो उनके चरणों की धूल के बराबर भी नहीं हूं । उनके जैसा ना कोई है और ना ही कभी भविष्य में होगा ।

हमारे गुरुदेव अपने शिष्यों को पुत्र के समान मार्गदर्शन करते हैं और सहायता करते हैं मे यही सभी से कहना चाहूंगा और निवेदन करूंगा कि जिन भी गुरु भाई बहनों ने गुरुदेव से गुरु दीक्षा नहीं लिए हैं वह शीघ्र ही दीक्षा ले । उसके बाद उन्हें अनुभव होगा कि कि गुरु शक्ति क्या है ?कैसे माता सदैव अपने भक्तो की रक्षा करती है और समय-समय पर मार्गदर्शन और उन्नति प्रदान करती है जैसा कि हमारे गुरु देव बताते हैं की गुरु मंत्र का  900000 जाप करने के बाद स्वर्ग के द्वार आपके लिए खुल जाते हैं और आप मुक्ति की और बढ़ने लगते हैं ।

गुरुजी मेरा एक और आप से प्रश्न भी जैसा कि मैंने आपको बताया था कि ब्रह्म मुहूर्त मैं उठ कर 4:00 बजे भोर में यहां उत्तराखंड में ही गंगा नदी के पास बने शिव मंदिर मैं गुरु मंत्र का जाप करता हूं पर किसी कारण से कल मैं नहीं जा पाया । मेरी नींद खुली थी, पर फिर से नींद आ गई और मैं सो गया और मैंने एक सपना देखा कि मैं भगवान शिव के मंदिर में जा रहा हूं पूजा करने और वहां एक पुजारी जी खड़े हैं । मैंने अपनी पूजा समाप्त करके उन पुजारी जी के पास जाकर  कहा कि मुझे कलावा दे दीजिए हाथ पर बांधने के लिए जब उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया कलावा देने के लिए और मैं गया । उनके पास ढेर सारे शिवलिंग रखे थे मैंने उनसे कहा कि आप मुझे भी एक शिवलिंग दे दीजिए तब उन्होंने मेरे हाथ पर नीले रंग का शिवलिंग रख दिया और मैं जब जाने लगा ।

तो उन्होंने मुझे वापस बुलाया और सुहाग का सामान लाल चूड़ियां मेरे हाथ पर रख दिया और कहा कि इनके बिना इनकी उपासना संभव नहीं उसके बाद मेरे हाथ पर चांदी के कुछ सिक्के भी  दे दिए मैं तो समझा नहीं और जाने लगा रास्ते में मुझे चांदी के मूर्ति के सर और हाथ गिरे हुए मिले । मैंने उन्हें उठा लिया गुरु जी मेरा आपसे यही प्रश्न है कि  यह सपने का मतलब क्या है मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं अब आप ही मेरा मार्गदर्शन करें गुरु जी और मैं आप से अनुरोध करता हूं कि इस विषय पर आप वीडियो अवश्य बनाया था कि लोगों को माता के चमत्कार का पता चल सके प्रणाम गुरुजी जय हो माता आदि शक्ति जगदंबा की धन्यवाद।।

उत्तर जानने के लिए नीचे का विडियो भी देखे –

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