Site icon Dharam Rahasya

मेलक यक्षिणी साधना और कथा भाग 2

मेलक यक्षिणी साधना और कथा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। अब मेलक यक्षिणी साधना और कथा को आगे बढ़ाते हैं। अभी तक आपने जाना कि मानवेंद्र अपने गुरु को साधना करने के लिए समस्त सामग्री लाकर दे देता है। अब गुरु उसी स्थान पर बैठकर साधना करने लगे। तकरीबन साधना के तीसरे दिन जब वह साधना कर रहे थे तब एक स्त्री अत्यंत ही भयानक रूप में उनके सामने आकर उपस्थित हो गई और कहने लगी। तू इस प्रकार बैठा हुआ किन मंत्रों का जाप कर रहा है, तुझे पता भी है, तेरी साधना सही है भी या नहीं और तूने मुझे। परेशान कर दिया है। जल्दी से यहां से उठ कर भाग जा अन्यथा तुझे मैं यहीं पर समाप्त कर दूंगी। यह सुनकर गुरु अपनी साधना में कोई व्यवधान नहीं आने देना चाहते थे। लेकिन वह समझ गए। यह कोई शक्ति है जो मेरी परीक्षा लेने आई है। उन्होंने उसकी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया क्योंकि साधु महाराज पहले भी इस तरह की कई साधनाएं कर चुके थे। इसलिए उन्हें इस विषय में विशेष ज्ञान था। अब उन्होंने जब इस बात की ओर ध्यान नहीं दिया तो वह शक्ति अब क्रोध में भर गई। उसने उस साधु पर जोर से वार किया। उसके वार से साधु महाराज अंदर तक हिल गए। वार इतना जबरदस्त था कि उन्हें बेहोशी आने लगी थी। लेकिन फिर भी उन्होंने मंत्र जाप नहीं रोका। वह शक्ति उन्हें चारों तरफ से पीटती रही लेकिन साधु महाराज उसकी इस प्रकार मार खाते रहें और अब वह कहने लगी। ठीक है। आज मैं जा रही हूं, लेकिन कल फिर आऊंगी और तुझे यहां से उठाकर दूर फेंक दूंगी। इस प्रकार वह शक्ति वहां से गायब हो गई। साधना की अंतिम माला पूर्ण कर लेने के बाद गुरुजी उठे और एक तरफ लुढ़क गए। उन्हें इस प्रकार गिरता हुआ देखकर मानवेंद्र उनके पास दौड़कर पहुंचा। उसने कहा, गुरु जी क्या हुआ?

ऐसा क्या घटित हो गया, आप कुछ थके हुए नजर आ रहे हैं। साधु महाराज मुस्कुराते हुए मानवेंद्र से कहने लगे। साधना में यह सब तो होता ही है। मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा है। लगता है जैसे कोड़ों की मार मैंने बहुत ज्यादा खाई हो। मुझे बुखार आ रहा है। कृपया मेरे स्थान पर मुझे सुला दो इस प्रकार मानवेंद्र अपने गुरु को किसी प्रकार ले जाकर उनके सोने के स्थान पर लिटा देता है। और गुरु भी तुरंत सो जाते हैं। थरथर कांपते गुरुजी। बहुत अधिक परेशान थे, उन्हें लग रहा था। उन्होंने लगता यह साधना शुरू करके गलती कर दी है। अगले दिन साधना के समय वह फिर से तैयार होकर साधना में बैठ गए। यद्यपि उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। कुछ ही देर होने के बाद एक भयानक शक्ति फिर से उनके समक्ष आ गई और उसने फिर से इन्हें मारना शुरू कर दिया। किंतु यह एक शब्द नहीं बोले। ना ही इन्होंने उसकी ओर ध्यान दिया। हालांकि इनका ध्यान बार-बार भंग हो रहा था। आखिरकार वह शक्ति शांत पड़ गई और उसने अपना भयानक रूप त्याग दिया।

पायलों की छनकार करते हुए एक स्त्री उनकी गोद में आकर बैठ गई और कहने लगी। आज से आप मेरे स्वामी हैं। और मैं आपको अपना पति स्वीकार करती हूं और उसने साधु महाराज के सारे कपड़े उतार दिए। साधु महाराज अब अगली और शक्तिशाली परीक्षा के लिए शायद पूरी तरह तैयार नहीं थे। उस स्त्री ने भी अपने सारे गहने और वस्त्र उतार दिए और उनसे जाकर चिपक गई। बस इतना ही होना काफी था। साधु महाराज का वर्षों से कायम ब्रम्हचर्य टूट गया। उनका वीर्य शरीर से बाहर निकल गया और उनकी धोती को पूरी तरह खराब कर गया।

साधु महाराज एक ओर लज्जा से सकुचाये हुए बैठ गए। उन्होंने उस दिन की साधना अपनी वहीं पर छोड़ दी। इसी बीच मानवेंद्र उनकी ओर आया। उनके अंदरूनी वस्त्रों को इस प्रकार गीला देखकर हंसने लगा। वह समझ चुका था कि साधु महाराज! का ब्रह्मचर्य टूटा है। इस प्रकार मानवेंद्र को हंसते हुए देखकर साधु महाराज को क्रोध आया क्योंकि एक तो उनकी साधना असफल हो गई थी। वही उनका शिष्य मानवेंद्र उन पर हंस रहा था। उन्होंने मानवेंद्र को कहा, मैंने अपनी साधना अवश्य भंग की है लेकिन ब्रम्हचर्य का रक्षण करना आसान नहीं होता। इसलिए अगर तुम मुझ पर हंस रहे हो तो यही साधना करके दिखाओ। मैं तुम्हें इसकी सारी विधि सिखाऊंगा। लेकिन अगर तुम अपना ब्रह्मचर्य और भय कायम नहीं रख सके तो फिर मेरे शिष्य कहलाने लायक नहीं रहोगे और मैं तुम्हें अपना शिष्य भी स्वीकार नहीं करूंगा। मानवेंद्र ने समझ लिया था कि उससे गलती हो गई है। उसने अनजाने में अपने गुरु का अपमान कर दिया है। उसने गुरु से माफी मांगी और कहा गुरुदेव मेरा ऐसा कोई तात्पर्य नहीं था। मैं तो यह देखकर हैरान हूं कि यह कैसी शक्तिशाली शक्ति है जिसने आपका ब्रम्हचर्य छोड़ दिया है और आप कैसे इससे हार गये?

तब उन साधु महाराज ने कहा, तुम यह साधना अब करो, मानवेंद्र ने तुरंत ही अपने गुरु के चरण छुए और कहा गुरु जी मुझे क्षमा कीजिए, किंतु आपकी इच्छा के लिए मैं इस साधना को अवश्य ही पूर्ण कर लूंगा। यह मेरी शपथ है। मैं अपने गुरु को पराजित होते नहीं देख सकता रही बात मेरे इस प्रकार हंसने की तो यह मेरी

ऐसी अवस्था थी जिसमें मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाया, लेकिन इसके लिए आप मुझे क्षमा कीजिए। तब साधु महाराज ने मानवेंद्र को उस यक्षिणी की गोपनीय सिद्धि विधि सिखाई। तब मानवेंद्र ने उनसे पूछा, गुरुदेव आपको तो इस साधना के विषय में ज्ञान नहीं था। यह आपने कब सीखी तब उन्होंने कहा कि यक्षिणी को बुलाने के लिए मेरे गुरु ने एक विधि बताई थी। उसी विधि से मैं मंत्र का जाप कर रहा था। उस दौरान वह शक्ति आकर मुझे डराने लगी। जब मैं नहीं डरा तो उसने मेरा ब्रह्मचर्य नष्ट करवा दिया। लेकिन जब वह मुझसे आकर संयुक्त हुई थी तो उसने अपनी विधि भी मुझे बता दी थी। लेकिन मैं नियंत्रित नहीं कर पाया और पराजित हो गया। एक बार अगर आप साधना में इस प्रकार पराजित हो जाते हैं तो शायद शक्ति आपसे सिद्ध कभी ना हो क्योंकि वह जान जाती है कि आप में उसे संभालने का बल ही नहीं है। हाँ मै अगर बार-बार प्रयास करूं तो कहीं जाकर उसे मुझ पर दया आ जाएगी। तब वह सिद्ध होगी लेकिन मैं उसके आगे नहीं झुक सकता। अब तुझे ही मेरी लाज रखनी है। जा मैं तुझे सारी विद्या सिखाता हूं इस प्रकार साधु महाराज ने। मानवेंद्र को उस यक्षिणी की सारी विद्या सिखाई और मानवेंद्र अब शुरू हो गया। उस साधना के लिए जो साधना उसके गुरु के द्वारा असफल हो गई थी। मानवेंद्र ने उसी स्थान पर जहां उसके गुरु बैठकर साधना करते थे। वही वह साधना करने लगा साधना के कुछ दिन बीतने के बाद अचानक से उसने एक झलक में एक अत्यंत ही सुंदर युवती को देखा। उसके रूप को देखकर मानवेंद्र अचरज में पड़ गया। उसके मन में उस स्त्री को प्राप्त करने की इच्छा बलवती हो चुकी थी। जब वह अपनी साधना पूर्ण कर गुरु के पास पहुंचा तो कहने लगा, चाहे मेरे प्राण चले जाए पर मुझे वह स्त्री प्राप्त करनी है। उसकी सुंदरता रूप यौवन उसकी मुस्कुराहट मेरे जीवन में ऐसी घुली है जैसे मैंने मदिरापान कर लिया हो। बिना मदिरा के जैसे शराबी ज्यादा देर जीवित नहीं रह सकता उसी। प्रकार! मैं उसे देखे बिना अब जीवित नहीं रह पाऊंगा। गुरु जी यह कौन है और इसका इतना सुंदर रूप मुझे अत्यधिक आकर्षित क्यों कर रहा है?

यह प्रश्न जब मानवेंद्र ने अपने गुरु साधु महाराज से किया तो साधु महाराज हंसने लगे। आगे क्या हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो अगर यह कथा आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

मेलक यक्षिणी साधना और कथा भाग 3

मेलक यक्षिणी साधना और कथा पीडीएफ़ प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करे

Exit mobile version