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यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 1

यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक अनुभव को लेने जा रहे हैं जो एक यक्षिणी से संबंधित है तो चलिए पढ़ते हैं इस पत्र को और जानते हैं। यक्षिणी से संबंधित इस अनुभव के विषय में ईमेल पत्र-नमस्ते गुरुजी। मैं आपको सबसे पहले यह सत्य बताना चाहता हूं कि यह मेरा एक सच्चा अनुभव है। हालांकि यह मेरा खुद का अनुभव नहीं है। किंतु फिर भी आपसे प्रार्थना है कि आप इस विषय पर अगर वीडियो बनाते हैं तो कृपया मेरा ईमेल पत्र और जानकारी जनता के साथ साझा ना करें क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारे विषय में किसी को कुछ पता चले। गुरु जी यह अनुभव असल में मेरे ही एक पूर्वज का है और उनके विषय में बताने से पहले मैं बता दूं कि वह हमारे गांव के जमींदार थे तो एक बार जब उनका विवाह हुआ तो उन्होंने जिस लड़की के साथ विवाह करना था, उसका गौना भी तुरंत करवाने के लिए कहा था गौने में उस लड़की को अपने ससुराल में जाना होता है और ऐसा ही कुछ वहां पर होने वाला था, लेकिन उस दिन एक विशेष बात हो गई। वह एक कुएं पर जाकर जब पानी भर रही थी। तभी वहां पर एक पेड़ से उसे एक लाल वस्त्र पहने स्त्री उतरती हुई नजर आई। उसने आकर उस लड़की से पानी मांगा। तब उसने कहा ठीक है। मैं आपको पानी पिलाती हूं, लेकिन वह तो हंसने के मूड में थी। इसलिए उस लड़की ने उसे लाल वस्त्र वाली स्त्री से कहा। इसके बदले तुम मुझे क्या दोगी? तब उस स्त्री ने कहा, जो भी तुम चाहो।

तो वह हंसकर कहने लगी कि तुम अपने गले का यह हार मुझे दे दो और इस हार! को मैं पहनूंगी तो अच्छा लगेगा।

तब उस स्त्री ने कहा, ठीक है तुम मेरा यह हार ले लेना। लेकिन मुझे तुम्हारी सबसे प्रिय वस्तु तुम्हें देनी होगी।

तब वह कहने लगी। अभी तक तो मेरा कोई प्रिय नहीं था, पर मेरा पति जिससे मेरी शादी होने वाली है और जिसके घर में जा रही हूँ।

उसे ही दे सकती हूं। यह कहकर वह हंसने लगी। क्योंकि वह यह बात नहीं जान पाई थी कि यह कोई विशेष तरह की शक्ति है और जिसके साथ वह मजाक में इस तरह बोल रही हैं। वह बहुत भारी पड़ने वाला था।

इस प्रकार उन्होंने उस स्त्री को पानी पिला दिया और उनकी ओर देखे बिना अपने घर की ओर वापस चली आई। क्योंकि उन्हें अब अपने ससुराल जाने की तैयारी करनी थी।

घर में सभी लोग इस बात की तैयारी कर रहे थे कि तभी उस लड़की की मां। उनके कमरे में आई और कहने लगी कि तुम्हारे पास इतना सुंदर हार कहां से आया। क्या दामाद जी ने भिजवाया है? यह देखकर वह लड़की आश्चर्य में पड़ गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था। क्योंकि यह वही हार था जिस हार को उस लाल साड़ी पहने स्त्री ने उसे दिया था यानी जिससे उसने मांगा था। हालांकि उसने तो यह बात मजाक में की थी लेकिन यह हार उसके घर तक कैसे पहुंचा उसे कुछ भी यह बात समझ में नहीं आ रही थी। यह उसके लिए अप्रत्याशित था। अब वह केवल इस बात को सोचती रह गई। हार वाकई में बहुत ज्यादा सुंदर था। उसे सब नौलखा हार कह रहे थे।

यानी कि जिसकी आज की कीमत ₹900000 होती है।

अब उसकी मां ने कहा ठीक है। अगर दामाद जी ने चुपचाप भिजवा दिया है तो इसे पहन भी लो और फिर उस लड़की को वह हार पहना दिया गया। इस प्रकार वह तैयार हो कर के अपने जाने की तैयारी करने लगी। कुछ देर बाद मेरे पूर्वज उस स्थान पर अपने गाजे-बाजे के साथ पहुंच गए और तैयारी होने लगी विदाई की।

थोड़ी देर बाद परिवार के सभी सदस्य आपस में मिलते हैं और फिर उस कन्या की विदाई की जाती है।

उसे डोली में बिठाकर अब सभी लोग अपने गांव की ओर रवाना हो जाते हैं।

रास्ते में लड़की को प्यास लगती है और वह कहती है कि उसे प्यास लगी है। बीच रास्ते में वहां पर जंगल था।

जंगल में। हालांकि सभी लोग अपने पास सारी व्यवस्था लेकर आए थे लेकिन सभी के पास पानी खत्म हो गया था। इसीलिए डोली को नीचे रख दिया जाता है।

अब मेरे पूर्वज कहते हैं कि कम से कम 5 या 6 लोग अलग-अलग दिशाओं में जाएं और जहां भी पानी मिले लेकर आ जाए। सारे लोग चारों दिशाओं में निकल जाते हैं, लेकिन जल्दी कोई वापस लौटकर नहीं आता तो अब मेरे वह पूर्वज भी पानी ढूंढने के लिए वहां से चले जाते हैं।

थोड़ी देर बाद सारे लोग वापस आ जाते हैं। सब के पास थोड़ी थोड़ी मात्रा में पानी था। डोली के अंदर पानी पकड़ा दिया जाता है और उसे वह पी लेती हैं, लेकिन अब वह किसी से बात नहीं कर रही थी। घुंघट पूरा नीचे तक था। इसी कारण से अब उन्हें कोई देख नहीं पा रहा था।

सभी लोग अब अपने घर की ओर उस जंगल से निकल चलते हैं। और इस प्रकार सभी लोग अपने घर पहुंचते हैं। वहां पर गाजे-बाजे के साथ में सभी का अभिवादन परिवार के लोग करते हैं। कुछ देर नाच गाना और भोजन इत्यादि किया जाता है। नई बहू का स्वागत। सासू मां करती हैं और इस प्रकार पहला प्रवेश उस घर में होता है।

जैसे ही बहू प्रवेश करती हैं। वहां पर उनकी सासू मां घूंघट काढ़े अपनी बहू से कहती हैं, तुम आ तो गई हो लेकिन वादा करो। जब तक इस घर से तुम्हारी अर्थी नहीं उठती तब तक इस घर में इस घर की बहू बनकर रहोगी और सभी का ख्याल रखोगी।

यह सुनकर वह कहती है, ठीक है। अगर आप मुझे अपने इस घर की बहू हमेशा के लिए स्वीकार करती हैं तो मैं अवश्य ही तैयार हूं। इस बात के लिए कि अब से मैं इस घर को कभी नहीं छोडूंगी।

इस प्रकार सभी लोग संतुष्ट होकर अपने अपने कार्यों में लग जाते हैं। रात्रि का समय होता है और मेरे उन पूर्वज की सुहागरात की व्यवस्था के लिए कमरे को अच्छी प्रकार सजाकर फूल मालाएं। इत्यादि वहां सजा दी जाती हैं। कमरे को बहुत अच्छी तरह से सजाया गया था और इस बात की तैयारी की गई थी कि सभी प्रकार से इनका यह पहली बार प्रेम मिलन सब कुछ अच्छे से हो जाए।

घुंघट में बैठी हुई वह लड़की उसी स्थान पर जाकर बैठ जाती हैं। सेज पर बैठी अब वह मेरे पूर्वज का इंतजार कर रही थी। इस प्रकार जब रात्रि का समय हुआ तो मेरे पूर्वज ने उस कमरे में प्रवेश किया और कहने लगे। कि तुमने बड़ा इंतजार करवाया गौना होने में इतना समय लग गया है। मैं तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा था अब मेरी? प्रिय पत्नी बन कर। मेरे जीवन भर! मेरा सच्चे हृदय से साथ निभाओ।

और इस प्रकार वह उनके पास पहुंच जाते हैं, उनका घूंघट उठाने लगते हैं। और तभी जो होता है उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। उन्होंने जब घूंघट उठाया तो सामने जो उन्हें नजर आया, वह आश्चर्यजनक था। जिस लड़की से उनकी शादी हुई थी, वह वहां पर मौजूद नहीं थी बल्कि एक बहुत ही खूबसूरत लड़की उनके सामने सजी-धजी बैठी थी।

अब मेरे उन पूर्वज ने घबराकर कहा, तुम कौन हो? तो वह कहने लगी। आपने मुझसे विवाह किया है, आप ही तो मुझे लेकर आए हैं।

तब वह कहने लगे, मैंने तुमसे विवाह नहीं किया था? वह लड़की कहां गई जिससे मेरा विवाह हुआ था?

यह एक बड़ा ही अचरज भरा प्रश्न था। यह देखकर वह लड़की मुस्कुराने लगी। इसके बाद आगे क्या हुआ अगले भाग में मैं आपको लिखकर भेजूंगा। नमस्कार गुरु जी!

संदेश-यहां पर आप लोग देख पा रहे हैं कि कैसे?एक बहू का?दूसरी लड़की के साथ अगला बदली हो गई है। शायद यह लड़की यक्षिणी हो सकती है। जानेंगे अगले भाग में तो अगर यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

यक्षिणी से विवाह सत्य अनुभव भाग 2

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