पत्र -सूरज प्रताप जी के साथ। सभी धर्म रहस्य के सदस्यों को नमस्कार। महाभारत के बारे में तो सभी जानते हैं मगर कुछ ऐसी चीजें हैं जो महाभारत के बाद हुई हैं जिनसे बहुत से लोग अनजान हैं। आज ऐसी एक अच्छी और सच्ची धार्मिक जगह की कथा आप लोगों के साथ शेयर करता हूं।
पांडवों का पाप से मुक्त होने की यह एक सच्ची कथा है जिसमें युद्ध के बाद अपने परिवार के लोगों की हत्या के पाप से मुक्त होना। शामिल था। यह जगह आज भी।
स्थित है और यह जगह गुजरात के भावनगर शहर के पास है। आप खुद जाकर देख सकते हैं या फिर गूगल में सर्च करके आप इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कथा कुछ इस प्रकार से है कि जब पांडवों को। युद्ध खत्म होने के बाद बहुत पछतावा हुआ। तब उन्होंने सर्वेश्वर ईश्वर श्री। कृष्ण जी से कहा कि आप कुछ हमें ऐसा रास्ता बताइए जिससे हम अपने पाप का प्रायश्चित कर सकें। तब सर्वेश्वर श्री कृष्ण भगवान ने उनको कहा कि मैं आपको एक काली गाय और काली ध्वजा को देता हूं। आप गाय का पीछा कीजिए जब यह गाय और ध्वजा काले रंग से सफेद हो जाए। तो आप लोग समझ लेना कि आपका प्रायश्चित हो गया है।
जब यह बात सर्वेश्वर श्री कृष्ण भगवान के मुख से पांडवों ने सुनी तब उन्होंने वैसा ही करने की सोची! वह! जहां-जहां! गाय जाती थी वहां वहां उनके पीछे जाते थे। बहुत जगह वह लोग काफी दिनों तक घूमते रहे। फिर 1 दिन जहां आज निष्कलंक महादेव स्थित हैं, वहां आकर गाय, सफेद हो गई और वह ध्वजा भी सफेद हो गई। फिर सर्वेश्वर ईश्वर श्री कृष्ण जी। की एक बात पांडवों को याद आ गयी। उन्होंने कहा था। कि जहां पर गाय सफेद हो जाए वहां आप लोग महादेव की तपस्या करना और उनका स्मरण करना उन्होंने वैसा ही किया। वह लोग तपस्या में लीन हो गए। वहां पर महादेव प्रसन्न हुए और वह 5 शिवलिंग पानी के बीच स्वयं प्रकट हुए। कुछ मान्यता के अनुसार! पांडवों ने शिवलिंग वहां पर स्थापित किए थे। यह पांडवों की भक्ति और महादेव की कृपा का एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह पांडवों का प्रायश्चित की एक यात्रा थी और महादेव की ओर से भगवान श्री कृष्ण ने यह एक लीला की थी जिससे कलयुग के लोगों के लिए निष्कलंक महादेव नाम से एक छोटे टापू या छोटे चबूतरे। मतलब जहां पंछी दाना चुगने आते हैं, ऐसी जगह पर 5 महादेव के शिवलिंग प्रकट हुए हैं। यह पांच पांडवों की निशानी के तौर पर भी जाने जाते हैं। इस जगह के फायदे क्या है? यहां पर स्नान करके लोग अपने सभी लगे हुए कलंक और पापों से मुक्त हो जाते हैं।
जैसे महादेव की कृपा से पांडव निष्कलंक हो गए थे। क्योंकि पांडवों ने कोई छोटे-मोटे योद्धाओं को नहीं मारा था। सभी योद्धा अपने आप में एक सेना के समान थे। फिर भी उनको आशीर्वाद मिला और वह पाप से मुक्त होकर निष्कलंक हो गए।
छोटा टापू 12 घंटे पानी में होता है तब पूरा टापू डूब जाता है और फिर 12 घंटे लोग वहां पर चलकर आते हैं। यहां पर लोग आराम से चलकर पहुंचते हैं यह ढाई से 3 किलोमीटर जितना लंबा है। फोटो के माध्यम से आप लोग देख सकते हैं। लोग इतना दूर चल कर आराम से आते हैं। यहां कोई दलदल नहीं है। महादेव के दर्शन और पूजन करने के लिए लोगों को 12 घंटे मिलते हैं। मैं टाइम टेबल भी भेज रहा हूं। अगर कोई आना चाहे तो टाइम टेबल देखकर आ सकता है वरना शिवलिंग 12 घंटे पानी में रहता है। आपको दर्शन नहीं हो पाएंगे। यहां पर स्नान करने का एक अलग ही महत्व है। यहां आस-पास बहुत सारे गांव है। वहां के सभी लोग जब भी अमावस्या होती है तब अपने परिवार के साथ यहां स्नान करने आते हैं। लोगों की मान्यता के अनुसार अमावस्या को स्नान करके वह शुद्ध हो जाते हैं जिससे दूसरे दिन जब एक नया महीना शुरू होता है तो उससे पहले वह शुद्ध हो चुके होते हैं। यहां पर भादो अमावस्या को बहुत बड़ा मेला लगता है जिसमें यहां के राजा के वंशज आकर मंदिर के ऊपर ध्वजा को बदलते हैं और 1 साल के लिए यह ध्वजा ऐसी ही रहती है। मैं आपको सभी फोटो भेज दे रहा हूं जिसे आप सदस्यों को दिखा रहे हैं। आज सभी लोग जानते हैं कि गुजरात का भूकंप इंडिया का सबसे बड़ा भूकंप था मगर उस वक्त भी। यह ऐसा ही रहा, इसे कोई भी नुकसान नहीं हुआ था। बताई बात के अनुसार कुछ महीने पहले जब साइक्लोन! आया था तब इस स्थान को कुछ भी नहीं हुआ था। यह स्थान खासतौर पर नारायण बलि के लिए प्रसिद्ध है। यहां अपने पित्र के उद्धार के लिए पित्र के ऋण से मुक्ति या फिर पित्र शांति के लिए नारायण बलि दी जाती है। यहां के महादेव पर लोग भस्म दूध चढ़ाते हैं और एक छोटा सा कुंड है जहां पर लोग अपने हाथ पैर धो कर खुद को शुद्ध करते हैं। यह कुंड पांडव कुंड के नाम से जाना जाता है। निष्कलंक महादेव से कुछ ही दूर धावड़ी माता का मंदिर है। मतलब जिन महिलाओं को बच्चा होने के बाद भी दूध नहीं आता हो, वह लोग धावड़ी माता से मन्नत लेते हैं।
और कुछ ही दिनों में उनका दूध उतरने लगता है।
वहां की कथा भी मैं आपको अवश्य ही भेजूंगा। यहां आने के बाद से पांडवों को अपने भाइयों के कलंक से मुक्ति मिल गई थी। इसलिए इसे निष्कलंक महादेव कहा जाता है।
भादो मास की अमावस्या को यहां मेला लगता है जिसे भद्रवी कहते हैं।
प्रत्येक अमावस्या के दिन इस मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ होती है। हालांकि, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन ज्वार अधिक सक्रिय होता है। फिर भी भक्त इसके उतरने का इंतजार करते हैं और फिर भगवान शिव के दर्शन करते हैं। लोगों की ऐसी मान्यता है कि अगर किसी प्रियजन की चिता की राख को शिवलिंग पर रखकर हृदय से प्रवाहित किया जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मंदिर में भगवान शिव को राख, दूध, दही और नारियल चढ़ाया जाता है। वार्षिक प्रमुख मेला। यहां?
भावनगर के महाराज के वंशजों द्वारा शुरू किया गया।
इस स्थान पर किनारे में बहुत सारे प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां पर बहुत सारे अनुष्ठान किए जाते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलने का कार्य भी यहां करते हैं। महाभारत की एक अनसुनी जगह है निष्कलंक महादेव! आप सभी को हर हर महादेव!
संदेश-इस स्थान के विषय में उन्होंने बताया है और! यह एक गुप्त मंदिर है और स्थान है जहां पांडवों को उनके पापों से मुक्ति मिली थी। अगर आप लोगों के पास भी ऐसी कथाएं और विशेष स्थान का वर्णन है तो वहां के फोटो और वीडियो! भेज कर और कथा लिखकर भेज कर आप भी सहभागी हो सकते हैं और? धर्म के प्रचार को आगे बढ़ा सकते हैं। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।