रतिप्रिया यक्षिणी गुप्त तांत्रिक साधना अनुभव 2 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। रतिप्रिया यक्षिणी गुप्त तांत्रिक साधना भाग 2 में आज हम जानेंगे कि किस प्रकार उन साधक महोदय ने रतिप्रिया यक्षिणी को सिद्ध किया था तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं आगे के अनुभव के विषय में।
ईमेल पत्र-नमस्कार मित्र पिछले भाग में मैंने आपको बताया था कि उन साधक महोदय के पास जब मैंने उनकी यक्षिणी के विषय में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके गुरु ने मां दुर्गा के नवार्ण मंत्र और महाविद्या साधना करवाने के पश्चात मुझे उस विधि को बताया था। आगे बताएं कि उन्होंने इसके लिए मुझे एक विशेष मंत्र यंत्र और कुबेर यंत्र की पूजा का एक विधान बताया था। जो काफी सरल था। क्योंकि भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि सभी यक्षिणी साधना में यह सरलता से होने वाली साधना है जिसमें।
निश्चित ही सफलता साधक को मिलती है। गुरु के मुख से उस मंत्र को सुनकर अब मैं तैयार था। इस साधना को करने के लिए मैंने इसके लिए अपने घर में ही एक विशेष कमरे को व्यवस्थित कर लिया था। सोने के लिए भी उसी स्थान पर नीचे गद्दा बिछा दिया था ताकि जब मेरी साधना संपन्न हो जाए तो उसके बाद मैं वहीं पर सो जाऊं। मैं इस प्रकार साधना शुरू कर चुका था। साधना के तीसरे ही दिन मुझे जब मैं साधना कर रहा था तो लगा कि कमरे में विशेष तरह की खुशबू फैल गई है। चारों तरफ का माहौल बहुत ही खुशनुमा हो चुका था। ऐसा अनुभव आज तक मुझे किसी और साधना के दौरान स्पष्ट रूप से नहीं हुआ था। ज्यादातर अनुभव मुझे स्वप्न के माध्यम से ही होते थे लेकिन यहां पर मैं जो महसूस कर रहा था वह बिल्कुल स्पष्ट था। इस प्रकार अगली रात्रि मैंने साधना की और मैं सो गया। तभी मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे गाल पर चुंबन किया हो। मैंने तुरंत अपने नेत्र खोल दिए। उस चुंबन का एहसास बिल्कुल स्पष्ट था। लगा जैसे कोई अभी छूकर गया है। मैंने उठकर चारों तरफ देखा, लेकिन उस साधना कक्ष में कोई और उपस्थित मुझे नहीं दिखाई दिया। किंतु उस आनंदित कर देने वाले चुंबन ने मुझे बहुत अधिक प्रसन्न कर दिया था। मैं अब इस साधना को दुगने उत्साह से करने लगा था। अब आया इसी प्रकार साधना का सातवां दिन। मुझे अनुमान नहीं था कि आज इस साधना में क्या होने वाला है? मैं साधना करने बैठा ही था कि तभी भारी कदमों से किसी के चलने की आहट मुझे वहां सुनाई दी। मैंने अपने नेत्र जैसे ही खोलें सामने एक भयानक स्त्री। जो कि दिखने में माता काली का भयानक रूप लगती थी। तेजी से मेरे पास आकर। मुझे लातों और घूसों से मारने लगी। उसकी मार मैं लगातार खाता रहा, किंतु मैंने मंत्र जाप नहीं छोड़ा क्योंकि मैं इस बात को बहुत पहले से ही जानता था कि किसी भी प्रकार से मुझे यह साधना संपन्न करनी है। कुछ देर उसके इस दुर्व्यवहार को सहने के बाद वह शांत पड़ गई। और बहुत ही अधिक सुंदर रूप में मेरे सामने उपस्थित हो गई। मेरा आलिंगन करके मुझे प्रेम करने लगी। और इस प्रकार मैंने! उसको किसी प्रकार नियंत्रित करने की कोशिश की, किंतु वह नियंत्रण से बाहर थी। उसकी उत्तेजना काफी तीव्र थी। यह मेरे लिए बहुत ही कठिन समय था। मैं किस प्रकार इस साधना में अपनी उन 51 माला को कंप्लीट कर पाया, यह बहुत ही कठिन था। लेकिन मैं उस में सफल रहा। इसकी वजह मैं आपको बताता हूं। मेरे गुरु ने पहले ही स्पष्ट रूप से मुझे 2 औषधियों का सेवन करने को कहा था। मैं उनके नाम आपको बता देता हूं। एक थी शिलाजीत! और दूसरी थी मुलेठी। इन दोनों का एक विशेष तरह से सेवन मुझे करवाया गया। शिलाजीत देर तक काम को? बनाए रखने की शक्ति प्रदान करता है। वही मुलेठी मन को नियंत्रित करने की शक्ति देती है। इसीलिए मेरे लिए अभी आसान था। कि उसकी इच्छा भी पूरी होती रहे और मेरा आत्म नियंत्रण भी बना रहे। इस प्रकार तकरीबन लगातार मुझसे भोग करती हुई वह स्त्री मेरा। वीर्यपात नहीं करवा पाई और यही मैं साधना में सफल हो गया। उसके बाद आश्चर्य से वह एक कोने पर खड़ी हो गई और मुझे मुस्कुराते हुए देखकर उसने कहा सच में तुम्हें? बहुत अधिक सामर्थ्य है तुमने मेरे दोनों ही क्रोध और प्रेम रूप को संभाल लिया है इसलिए मैं तुमसे प्रसन्न हूं। बताओ क्या चाहते हो? मैंने उससे कहा, यह सब तो मां दुर्गा और महाविद्या साधना की शक्ति है। इसके साथ मेरे गुरु के स्पष्ट निर्देश और उनकी कृपा है जिसकी वजह से आज मैं पराजित नहीं हुआ हूं और आपको साक्षात देख पा रहा हूं। आप से मेरी यही प्रार्थना है कि आप मुझसे साक्षात रूप में सिद्ध हो जाए। इस प्रकार जब मैंने उनसे अपनी है इच्छा बताई तो उन्होंने वचन देते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा। और कहा मैं आपसे प्रसन्न हूं? आप बताइए मैं आपके साथ किस बंधन में बंधू? तब मैंने उनसे कहा कि मुझे योग्य पत्नी की प्राप्ति करनी थी। आप से अधिक योग्य स्त्री मुझे इस धरा पर मिलना असंभव है। इसीलिए मैं आपको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करना चाहता हूं। देवी अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरी पत्नी बनकर आजीवन मेरे साथ निवास करें। तब प्रसन्न मुख वाली बहुत ही सुंदर स्वरूप धारण कर अपने मूल रूप में आकर रतिप्रिया यक्षिणी ने मेरा चुंबन किया और दिव्य माला मेरे गले में डाल दी। और कहने लगी आज से आप मेरे यक्ष हुए। और मैं अब आपकी पत्नी? इस लोक में जब तक आप की मृत्यु नहीं हो जाती तब तक रहूंगी। क्या आप मेरे साथ यक्ष लोक चलेंगे? अथवा आप स्वर्ग जाएंगे। मुझे यह भी बता दीजिए। क्योंकि ऐसे दुर्लभ पति को प्राप्त करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। तब मैंने उनसे कहा देवी इस जीवन तक ही मेरा और आपका संबंध रहेगा। क्योंकि मेरा लक्ष्य उच्च लोकों की प्राप्ति है। मैं माता की शरण में जाना चाहता हूं। इसीलिए आप को मुझे इस मृत्युलोक के बाद छोड़ना होगा। आप मुझे यह वचन दीजिए। तब रतिप्रिया यक्षिणी की आंखों में आंसू आ गए। उसके बहते हुए आंसुओं से मैं प्रभावित हुआ था, लेकिन उसने रोते हुए मुझसे कहा, अपने पति को छोड़ना किसी पत्नी के लिए बहुत बड़ा कष्टदायक विषय है। किंतु आपकी संतुष्टि और आपकी सुखद यात्रा के लिए मैं आपको यह वचन देती हूं कि? मैं आपकी मृत्यु के बाद आपके! संबंध को त्याग दूंगी। और अपने यक्ष लोक को वापस! चली जाऊंगी। इस प्रकार अब वह मेरे सामने। सोलह शृंगार स्वरूप में खड़ी थी। तब उसने मुझसे कहा, आपको एक वचन मुझे देना होगा। इस संसार में मैं आपके अतिरिक्त किसी और के सामने प्रकट नहीं होना चाहती। इसीलिए क्योंकि मेरे इस स्वरूप को जो भी देखेगा उसके मन में वासना अवश्य ही आएगी। और मैं नहीं चाहती कि मेरी पवित्रता किसी भी प्रकार से भंग हो। इसीलिए मैं आप के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के सामने कभी साक्षात रूप में प्रकट नहीं होंउगी। आपको मुझे वचन देना होगा। अगर किसी भी प्रकार से कभी मैं किसी के सामने साक्षात आ गई तो मैं आप से अपना संबंध तोड़ कर यक्ष लोक वापस चली जाऊंगी। तब मैंने उसकी इस वचन की लाज रखते हुए उसे! अपना वचन दे दिया और तब से लेकर आज तक वह मेरी पत्नी बन कर मेरे साथ रह रही है। आप अपनी सिद्धियों के कारण इस सत्य को जान गए हैं, लेकिन मैं उससे आपको मिलवा नहीं सकता जबकि वह हम दोनों की पूरी बातें स्पष्ट रूप से अदृश्य रूप में उपस्थित होकर सुन रही है। कोई भी साधक अपने वचन से कभी ना उतरे क्योंकि ऐसा करने पर सिद्धि नष्ट हो जाती है। इस प्रकार उन साधक महोदय ने मुझे उसकी साधना विधि बताई जिसे मैं आपको बता रहा हूं, आप इसे सर्वजन के लिए उपलब्ध करवा सकते हैं। तो इस प्रकार से मैंने उनसे उस यक्षिणी के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अलावा। उसकी और उनके जीवन में घटित इस घटना की पूरी जानकारी प्राप्त की थी। इस प्रकार से मैंने यह ज्ञान आज आप लोगों के लिए दिया है जो भी धर्म रहस्य चैनल को देखते हैं। मित्र मैं आपके और आपके चैनल के सुखद भविष्य की कामना करता हूं। और इसी प्रकार जो भी गोपनीय विषय होंगे उन पर अपनी समझ और राय भेजता रहूंगा। आप सभी का धन्यवाद ॥ संदेश-तो देखिए यहां पर साधक महोदय ने रतिप्रिया यक्षिणी की साधना और अनुभव को हमें भेजा है जिसे मैंने इंस्टामोजो पर डाल दिया है। वहां पर आप इसे खरीद सकते हैं और इसका लिंक आपको मेरे नीचे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगा। उस पर क्लिक करके आप वहां तक पहुंच सकते हैं तो यह था रतिप्रिया यक्षिणी का गुप्त तांत्रिक साधना प्रयोग और अनुभव। अगर यह वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय। धन्यवाद!
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