रति कामिनी भूतनी साधना अनुभव भाग 1
और तब मैंने इस के नियम पढ़े इसमें आपको जिन चीजों की आवश्यकता होती है, उसमें सफेद हकीक माला थोड़ा मिलना मुश्किल था। इसीलिए मैंने उसे पहले ढूंढ कर मंगवा लिया था। बाजोट पर लाल कपड़ा बिछाकर विधिवत तरीके से साधना शुरू करने का एक संकल्प में लेना चाहता था। लेकिन एक समस्या थी साधना घर के बाहर करना ही उपयुक्त है। क्योंकि यह तांत्रिक साधना है और वह भी एक शक्तिशाली भूतनी की यह कोई साधारण भूतनी नहीं है। यह भगवान शिव की सेविका शक्तियों में सम्मिलित है और जो भी शक्तियां भगवान शिव से संबंधित होती हैं, उनकी शक्ति बहुत ज्यादा होती है। लेकिन क्योंकि मेरा यह पहला अनुभव था, इसलिए मुझे सावधानीपूर्वक ही सारे कार्य करने थे।
जानकारी को गोपनीय रखते हुए इसे कैसे किया जाता है। गुरु जी मैं अपने अनुभव को बताता हूं। सबसे पहले मैंने परिवार वालों से कहा कि मैं तीर्थ यात्रा पर जाना चाहता हूं। मैंने उनसे कहा कि मैं भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करूंगा। मैं कम से कम तीन से चार ज्योतिर्लिंग! अवश्य ही घूमना चाहता हूं। इसीलिए मुझे लगभग 2 महीने तो लग ही जाएंगे क्योंकि मैं एक्स्ट्रा समय लेकर चल रहा था।
21 दिन की साधना को कैसे 21 ही दिन में पूरी हो जाए। यह कोई जरूरी नहीं था। इसीलिए मैं 2 महीने मांग कर इस साधना को करना चाहता था। अब घर वालों से तो रजामंदी मिल गई। लेकिन समस्या यह थी कि इससे आखिर किया कहां जाए तो सबसे पहले मैं अपने एक दोस्त के पास पहुंचा।
वह मोबाइल में लगा हुआ था। आजकल लगभग लोग मोबाइल में ही लगे रहते हैं। अब चाहे वह वीडियो देखें या कुछ और चीज है लेकिन हर वक्त मोबाइल एक आवश्यकता हो गई है। मैंने यह भी अनुभव किया है कि इन चीजों को दूर रखना चाहिए जैसे कि कंप्यूटर मोबाइल बिजली इस सारी चीजें आपकी साधना को रोकती है। मैंने उससे बात की तो उसने बताया कि उसका एक फार्म हाउस है। अब फार्म हाउस क्या कहें? यूं समझिए कि खेत में बना हुआ एक घर है। जोकि लगभग 3 से 4 महीने हमेशा खाली रहता है तो उसने कहा, ऐसा कर तू उस जगह चला जा जंगल के लगभग नजदीकी उसके खेत थे। इसीलिए वह जगह साधना करने के लिए पूरी तरह उपयुक्त थी। ना तो वहां कोई आने वाला था और ना ही कोई समस्या होने वाली थी। अब दूसरी समस्या मैंने उससे कहीं। मुझे वहां डिस्टर्ब करने वाला कोई नहीं है। यह तो अच्छी बात है लेकिन महत्वपूर्ण जो सबसे बड़ी बात है, वह यह है कि मैं भोजन और पानी का प्रबंध कैसे करूंगा तो वह कहने लगा, उसकी चिंता भी मत करो। उसी खेत में हैंडपंप भी लगा हुआ है। वह तो तुम्हारे पानी की व्यवस्था कर देगा और यहां से बोरिया लेकर चले जाओ। जिनमें दाल चावल, आटा इत्यादि हो ताकि तुम्हें इतने दिन कोई समस्या ना आए।
तब मैंने उससे कहा, चलो ठीक है तुमने दूसरी समस्या अभी हल कर दी। फिर उसने एक बात और कही हो सकता है वहां पर पिस्सू है।
इन पिस्सू से बचने के लिए तुम्हें कुछ चीजें भी लेकर जाना होगी। और वहां पर छिड़काव कर देना मैंने सोचा, चलो कोई बात नहीं देखा जाएगा।
और फिर लगभग दोपहर के 1:00 बजे मैं अपने दोस्त के साथ उसके फार्म पर पहुंच गया। वहां पर लगभग कोई भी नहीं था और वहां से अगर गांव देखा जाए तो लगभग 3 किलोमीटर दूर होगा।
बगल में ही जंगल लगता था।
मैं जगह की जानकारी नहीं दे रहा हूं। तो गुरु जी मैंने जब उस जगह का निरीक्षण किया तो सच में मुझे ऐसा लगा कि इससे बेहतर जगह मुझे नहीं मिल सकती। ना तो यहां कोई आएगा और ना ही किसी भी प्रकार की कोई समस्या होने वाली है। मेरे दोस्त ने कहा कि जो पिछला सामान रखा है उसकी सुरक्षा अवश्य करते रहना। कहा इसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं जब तक मैं यहां हूं तुम्हारा कोई सामान इधर-उधर नहीं होने वाला।
पहली रात मैंने इस साधना को शुरू करने के विषय में। अपनी सोच बनाई और सोचा अगले दिन से शुरू करूंगा। पता नहीं आज ही से अगर शुरू कर दिया तो कोई समस्या अगर आती होगी तो उसके विषय में जानकारी नहीं मिल पाएगी। और मेरा सोचना लगभग सही था। दोस्त की बात भी सही निकली क्योंकि जब मैं बिस्तर पर लेटा तो रात भर परेशान रहा। पिस्सू बहुत ही बुरी तरह काटते हैं और बहुत ही ज्यादा मात्रा में थे। तो मैंने फिर अच्छे से छिड़काव किया तो अगले दिन जाकर मुझे राहत मिली। अब रात्रि का समय आ चुका था। मैंने सारी व्यवस्था कर ली। मेरे पास लगभग सारा सामान था। और पूरी जानकारी पीडीएफ के रूप में मेरे मोबाइल में उपलब्ध थी। तो अब मैं तैयार था इस साधना को करने के लिए।
तो फिर मैंने शुरूआत की और जैसा कि आपने बताया है उन सब चीजों को मैंने व्यवस्थित कर लिया।
अब मैंने! उस स्थान पर एक और चीज मंगवानी शुरु कर दी। उस रास्ते के पास से ही एक दूधिया निकलता था। दूध की आवश्यकता भी इसमें पड़ती है। शरीर को मजबूत रखने के लिए। तब मैंने! दूधिये से दूध लेना शुरू कर दिया था। हालांकि वह तो सुबह ही आता था। अब मैंने पहले दिन की साधना शुरू की। लगभग जब मैं साधना कर रहा था। कि तभी मेरे सामने जो मैंने दीपक जला कर रखा था, वह अचानक से ही बुझ गया। मैंने जब आंखें खोल कर देखी तो छिपकली ने वह दीपक गिरा दिया था। मुझे लगा मेरी पहले दिन की साधना भंग हो गई है। इसलिए अब मुझे सावधानीपूर्वक कल से फिर शुरू करनी होगी क्योंकि इन साधना में एक बार अगर गलती हो जाए तो उसे दोबारा से ही शुरू करना चाहिए।
पहले दिन की साधना को यूंही मानकर अगले दिन फिर से मैं साधना में बैठा। और मेरी साधना जारी रही बड़ी मेहनत से मैंने उस दिन की साधना ध्यान पूर्वक संपन्न की और पहली ही रात्रि में मुझे अनुभव हो गया। गुरुजी जब मै बिस्तर पर लेटा हुआ था। तभी मैंने! किसी की पायलों की छनकार सुनी
पायल जैसे बजती है, वैसे ही मेरे घर के बाहर किसी स्त्री के चलने की आवाज से आ रही थी। इस बात से थोड़ा डर लग रहा था। लेकिन मैंने एक बात तो नोट की आवाज इतनी ज्यादा साफ थी कि क्या बताऊं?
और उस आवाज को सुनकर मन में घबराहट और आकर्षण दोनों बहुत ज्यादा था। मेरी आंखे खुल गई तो मैंने खिड़की से बाहर देखने का निर्णय लिया।
मैंने बाहर टॉर्च मारी! तो वहां पर मैंने एक बिल्ली को वहां से गुजरते हुए देखा जो कि काले रंग की थी।
इसके बाद गुरु जी अब मैं इसके आगे का अनुभव लिखकर भेजूंगा।
तो अगर आप सभी लोगों को मेरा यह अनुभव अच्छा लग रहा हो तो अवश्य कमेंट कीजिएगा। मुझे पढ़कर अच्छा लगेगा। मैं किसी का जवाब नहीं दूंगा क्योंकि यह सिद्धि से संबंधित मामला है।
गुरु जी को प्रणाम और दर्शकों को हाथ जोड़कर। मेरा प्रणाम!
सन्देश – देखिए यहां पर इन्होंने अनुभव का पहला भाग भेजा है। अगले अनुभव के विषय में जानकारी अगले पत्र से मिलेगी तो अगर आज का यह अनुभव आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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रति कामिनी भूतनी साधना अनुभव भाग 2