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रति कामिनी भूतनी साधना 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। रति कामिनी भूतनी साधना अनुभव भाग 1 में आप लोगों ने पत्र के माध्यम से जाना था कि कैसे एक साधक के जीवन में। भूतनी सिद्धि से क्या हलचल मची थी? अब आगे पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं आगे क्या घटित हुआ?

पत्र – नमस्कार गुरु जी! जैसा कि मैंने आपको पिछले भाग में बताया था कि रति कामिनी भूतनी। मेरे पास आ चुकी थी। लेकिन 17 वां दिन मेरे लिए बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण था। क्योंकि उस दिन जो मेरे साथ हुआ वह आश्चर्यचकित करने वाला था। गुरुजी रात में पूजा कर रहा था। तभी मेरे पीछे से किसी के चलने की आवाज आई। मैंने इस बात की ओर ध्यान नहीं दिया। और मैं अपना जाप करता रहा, पीछे कोई पैर पटकता रहा। लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा, मैं भी अपने आप में लगा रहा और जैसे ही मेरा जाप समाप्त हुआ, मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया। मैं अपनी साधना से उठा और मुड़कर देखा।

सामने मेरी पत्नी खड़ी थी। मैंने उससे कहा, मैं तो साधना करने के लिए यहां आया था। तुम यहां कैसे पहुंच गई? और इतनी रात गए तुम्हें मेरे इस पते के बारे में किसने बताया है? इस पर वह कहने लगी। घरवालों को चिंता हो रही थी। इसी कारण से उन्होंने! सब तरफ तुम को ढूंढना शुरू कर दिया।

इस पर मैंने कहा, मैंने तो कहा था कि कुछ दिन के लिए मैं जा रहा हूं। तो इसमें इतना परेशान होने वाली कौन सी बात है?

मेरी पत्नी ने कहा। ऐसा नहीं है। तुम ने कुछ भी घर में स्पष्ट रूप से नहीं बताया था। ऐसे में घर वालों का चिंतित होना लाजिमी था।

मुझे भी कहीं से पता चला कि तुम किसी बाबा के पास आए हो। इसीलिए मैं भी पीछा करते हुए यहां तक पहुंच आई। मैं बाबा से मिली और उन्होंने बताया कि तुम्हारा पति उसी स्थान पर साधना कर रहा है। मैं आ गई हूं अब घर चलो।

गुरुजी तब मैंने स्पष्ट रूप से अपनी पत्नी को मना कर दिया और कहा, कुछ ही दिन की साधना बाकी है। मुझे परेशान मत करो।

इस पर उसने कहा ठीक है! पर मैं आज रात तुम्हारे साथ ही रहूंगी। और इस प्रकार! वह और मैं एक साथ। वहीं पर लेट गए। अचानक से थोड़ी देर बाद उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैंने उससे कहा, यह सब ठीक नहीं है क्योंकि हम लोग साधना काल में है। इस पर उसने कहा मुझे फर्क नहीं पड़ता। काफी दिन हो चुके हैं। और उस रात! मेरे रोकने के बावजूद! हम दोनों में संबंध बन गए। इस प्रकार से वह रात हम लोगों ने अच्छे से बिताई लेकिन समस्या यहीं पर थी। सुबह जब में उठा तो मुझे मेरी पत्नी दिखाई नहीं दी। इस कारण से मैं परेशान हो गया। मैंने चारों तरफ उसे ढूंढा।

लेकिन वह कहीं भी नहीं दिखाई दी।

मैंने सोचा चलो, मैं गुरु के पास चलता हूं और उन्हीं से पूछता हूं कि क्या मेरी पत्नी उनके पास आई है? मैं गुरु के पास जब पहुंचा तो उन्होंने कहा। कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। कोई भी स्त्री तुम्हारे विषय में पूछती हुई मेरे पास नहीं आई थी।

मैं आश्चर्य में पड़ गया। आखिर मेरी पत्नी कहां चली गई है?

मैंने तुरंत ही पीसी पर जाकर। वहां से घर पर फोन किया। और? मेरी मां ने फोन उठाया। उन्होंने कहा, तुम्हारी पत्नी बीमार है। जल्दी से घर आ जाओ। मैंने कहा, मैं अभी नहीं आ सकता हूं जब तक कि मेरी साधना पूरी नहीं हो जाती। लेकिन आपने उसे मेरे पास क्यों भेजा था? इस पर मां ने कहा, उन्हें इस बारे में कुछ भी मालूम नहीं है।

मैं फिर आश्चर्य में पड़ गया। मैंने कहा, आप उसे फोन दीजिए।

इस प्रकार जब उन्होंने वह फोन मेरी पत्नी को दिया। तब मैंने उससे पूछा, तुम यहां क्यों आई थी? वह कहने लगी मैं तो 2 दिन से बीमार थी।

मैं आपके पास भला कैसे आ सकती थी। मेरा तो चलना फिरना तक असंभव है।

ऐसे में मैं आपके पास कैसे आ सकती हूं? यह सुन कर मेरा दिमाग चकरा गया। मैं समझ गया रात में वह भूतनी ही आई थी। और उसी ने ही यह सारा जाल रचा है।

मैं अब सावधान हो गया था। अपनी साधना में बैठा साधना करने लगा।

18 19, 20 और 21 दिन बीत गए। इस प्रकार से साधना संपूर्ण हो गई। लेकिन वह! शक्ति नहीं आई। मैं परेशान हो गया।

मैं अपने गुरु के पास पहुंचा। मैंने उनसे पूछा कि आखिर मुझे सिद्धि की प्राप्ति क्यों नहीं हुई? इस पर गुरु ने कहा। तुमने साधना में कहीं ना कहीं कोई बड़ी गलती की होगी? मैंने फिर उस दिन की सारी बात अपने गुरु को बता दी। गुरु हंसने लगे और कहने लगे। तुम्हारा ब्रह्मचर्य तो उसने खुद ही साधना से पहले तोड़ दिया। अब तुम्हें उस की सिद्धि भला कैसे प्राप्त हो सकती है?

मैंने कहा अब क्या हो सकता है गुरु जी? उन्होंने कहा, अब दोबारा से साधना की कोशिश करना चाहो तो करो!

लेकिन मेरी पत्नी की तबीयत ज्यादा खराब हो चुकी थी इसी कारण से। मैंने घर जाना उचित समझा और कहा कभी दोबारा प्रयास करूंगा।

मैं घर पहुंचा घर पर उस वक्त कोई नहीं था। यह देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ। तभी दूसरे कमरे में मुझे मेरी पत्नी ने बुलाया। मैंने उससे पूछा घर के सारे लोग कहां गए हैं? इस पर उसने कहा घर के सारे लोग। कहीं चले गए हैं, मुझे भी नहीं बताया।

आप इतने दिन बाद आए हो, मैं आपके लिए भोजन पकाती हूं। और वह भोजन बनाने के लिए अंदर जाने लगी। मैंने उसे रोका और कहा। तुम क्यों परेशान हो?

तब उसने कहा नहीं, मैं परेशान नहीं हूं। आप थोड़ी देर .., मैं खाना बना कर लाती हूं।

वह किचन में अंदर गई और कुछ देर बाद खाना बना कर आ गई।

उस दिन उस का बनाया हुआ खाना मुझे बहुत अधिक स्वादिष्ट लगा। और मैं! बहुत अधिक खुश हो गया। उसके खाने में आज ऐसा बेहतरीन स्वाद था जैसा अभी तक कभी मुझे महसूस नहीं हुआ था। मैंने बड़े प्रेम से भोजन किया तभी वह कहने लगी। मैं अभी थोड़ी दूर बाहर जा कर आती हूं। आप तब तक खाना खा लीजिए।

और मैं वहां बैठा खाना खाता रहा। पर उसके बाद गुरुजी जो हुआ। वह दुनिया में अभी तक के सबसे बड़े आश्चर्य का विषय मेरे लिए था।

और मुझे तब पता चला साधना कितनी खतरनाक होती है?

थोड़ी देर बाद सभी लोग घर में अंदर आने लगे। मुझे देख कर के मेरी मां जोर से रोने लगी। मैंने उन्हें चुप कराया और कहा, आप इतना क्यों रो रही हो? तब उन्होंने कहा, तेरी पत्नी को शमशान  में जलाकर सभी लोग आए हैं। मैं दूसरे वाले घर में चली गई थी। जब सब लोग आ गए हैं तभी मैं भी उन सब के साथ घर में वापस अंदर आई हूं।

यह सुनकर मेरे कान ही खड़े हो गए। मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले तो मुझे भोजन दिया गया है। आखिर भोजन किसने दिया?

मैंने अपनी मां को जब यह बात बताई तो उन्होंने कहा, तेरा मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। तेरी पत्नी को मरे हुए 2 दिन हो चुके हैं। और आज ही उसकी चिता भी जलाई गई है।

ऐसे में तुझे भोजन देने कौन आएगा? मैं समझ चुका था। मेरी पत्नी की जगह शायद वह भूतनी आई हो।

या फिर मेरी पत्नी ही? मुझे आखरी बार भोजन करा कर चली गई। शायद वह उसकी आत्मा रही हो। गुरु जी यही कारण है कि मैं इस साधना के विषय में और किसी को कुछ भी नहीं बता सकता हूं और अपने आप को गोपनीय रखना चाहता हूं। आज मेरी दूसरी शादी हो चुकी है और मैं अपनी पत्नी के साथ खुश हूं।

मैं यही कहूंगा अगर आपके पास पत्नी है तो पत्नी रूप में किसी भूत-प्रेत पिशाच की साधना कभी मत करें। मैंने जिस साधना से सिद्धि पूरी तरह लगभग प्राप्त करी थी उसकी विधि मैंने आपके इंस्टामोजो अकाउंट में डलवा दी और आपने उस साधना को अपने? इंस्टामोजो अकाउंट में डाल रखा है रति कामिनी भूतनी साधना के नाम से। मैं बस दर्शकों को यही कहूंगा कि मुझे! ई-मेल करके या अन्य बातें पूछने हेतु परेशान मत करें। ना मेरे गुरु जी श्री सूरज प्रताप जी को कुछ कहें। मैं बस!

इन दो चमत्कारों से इतना अधिक प्रभावित हुआ कि साधना के क्षेत्र में होने वाली गंभीर बातों को समझ चुका हूं।

मैं बस यही कहूंगा कि आप लोग जब भी साधना करें, सावधानीपूर्वक करें और रिश्ता सोच समझकर बनाएं। जो मेरे साथ हुआ और जो साधना की वजह से शायद मेरी पत्नी की मृत्यु हुई। वह आपके साथ घटित ना हो।

आखिर में मैं सभी दर्शकों को। प्रणाम करते हुए गुरुजी के चरण स्पर्श करते हुए अपने पत्र को यहीं समाप्त करता हूं। गुरु जी मेरे विषय में कोई पूछे तो उसे कुछ भी जानकारी ना दें। नमस्कार!

संदेश – यहां पर साधना में की गई एक बड़ी गलती। जिसमें उन्होंने पत्नी रूप में एक भूतनी की साधना की और लगभग उसमें वह सफल भी हो गए थे लेकिन? बड़ी गलती उन्होंने की। पत्नी बनाकर और। उसके साथ साधना से पहले ही रतिक्रिया करके। इसी कारण से वह साधना बिगड़ गई और उनकी पत्नी को भूतनी ने मार ही डाला। और इसकी वजह से इनका पूरा जीवन बिखर गया तो कोई भी साधना कीजिए तो पूरी तरह से सावधानी पूर्वक गुरु से पूछ कर और पूरी जानकारी लेकर ही करें। अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/6RaeUEa5cy0
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